‘वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें’ नामक कविता के लेखक मुरारीलाल शर्मा बालबंधु थे। जिनका जन्म 1893 ई. में ग्राम ‘साइमल की टिकड़ी’ जिला मेरठ, उत्तर-प्रदेश में हुआ था। इनका निधन 4 नवम्बर 1961 को हो गया।
वह शक्ति हमें दो दयानिधे कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें
वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर-सेवा पर-उपकार में हम,
जग(निज)-जीवन सफल बना जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥
हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के,
सेवक बन संताप हरें।
जो हैं अटके, भूले-भटके,
उनको तारें खुद तर जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥
छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ,
अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥
निज आन-बान, मर्यादा का,
प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश-जाति में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥
अन्य हिन्दी प्रार्थना की लिस्ट: सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु, वह शक्ति हमें दो दया निधे, पूजनीय प्रभु हमारे भाव उज्वल कीजिये, तू ही राम है तू रहीम है, इतनी शक्ति हमें देना दाता, जयति जय जय माँ सरस्वती, तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो, दया कर दान विद्या का, मानवता के मन मन्दिर में, माँ शारदे कहाँ तू वीणा, हम होंगे कामयाब एक दिन, हमको मन की शक्ति देना, हर देश में तू हर भेष में तू, हे प्रभो आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए, हे शारदे माँ, हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी, ऐ मालिक तेरे बंदे हम, वर दे वीणावादिनी वर दे।
Wah Shakti Hamain Do Daya Nidhe
Vah Shakti Hamen Do Dayanidhe,
Kartavya Marg Par Dat Jaye।
Par Sewa Par Upkar Main Ham,
Gag(Nij) Jeevan Safal Bana Javen॥
vah Shakti Hamen Do Dayanidhe…॥
Ham Deen-Dukhi Nibalon-Vikalo,
Ke Sewak Ban Santap Haren।
Jo Hain Atake, Bhoole-Bhatke,
Unko Taren Khud Tar Javen॥
vah Shakti Hamen Do Dayanidhe…॥
Chhal Dambh-Dvesh Pakhand Jhooth,
Anyay Se Nishidin Door Rahen।
Jeevan Ho Shuddha Saral Apna,
Shuchi Prem-Sudha Ras Barsaye॥
vah Shakti Hamen Do Dayanidhe…॥
Nij Aan-Maan Maryada Ka,
Prabhu Dhyan Rahe Abhiman Rahe।
Jis Desh-Jaati main Janm Liya,
Balidan Usee Par Ho Javen॥
vah Shakti Hamen Do Dayanidhe…॥
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- सुबह सवेरे ले नाम प्रभु
- वह शक्ति हमें दो
- पूजनीय प्रभु हमारे
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- जयति जय माँ सरस्वती
- तुम्हीं हो माता पिता
- दया कर दान विद्या का
- मानवता के मन मन्दिर
- माँ शारदे कहाँ तू वीणा
- हम होंगे कामयाब
- हमको मन की शक्ति
- हर देश में तू हर भेष
- हे प्रभो आनंद-दाता
- हे शारदे माँ
- हे हंसवाहिनी
- ऐ मालिक तेरे बंदे हम
- वर दे वीणावादिनी