‘रंगों का त्योहार’ है होली… होली पर हिंदी कविताएँ पढ़कर आप इस रंगों से भरे उत्सव की सुंदरता और उल्लास को महसूस कर सकते हैं। भारत को त्योहारों की भूमि कहा जाता है, जहाँ हर ऋतु के परिवर्तन के साथ एक नया पर्व जन्म लेता है। भारतीय साहित्यकारों और कवियों ने अपनी कृतियों के माध्यम से इन पर्वों की जीवंतता को जन-जन तक पहुँचाया है।
होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो प्रह्लाद की कथा से जुड़ी है। 2025 में होली 14 मार्च को मनाई जाएगी।
साल 2025 में होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। होलिका दहन 13 मार्च 2025 को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च की सुबह 10:35 बजे से 14 मार्च की दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11:26 बजे से 12:29 बजे तक रहेगा।
Holi Poems न केवल इस उत्सव का आनंद बढ़ाती हैं, बल्कि विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणादायक होती हैं। यदि आप होली की सजीव अनुभूति चाहते हैं, तो इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें और होली पर कविताएं, फाग, रसिया, छंद आदि का आनंद लें।
होली पर कविताएं | Poems on Holi in Hindi
‘रंगों का त्योहार’ है होली… पर 30+ Poems on Holi in Hindi आगे दीं गई हैं। होली पर कवियों की कविताएं Holi Poem in Hindi इस प्रकार हैं:
1. केशर की, कलि की पिचकारी (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला) Holi Poem in Hindi
केशर की, कलि की पिचकारी
पात-पात की गात संवारी।
राग-पराग-कपोल किए हैं,
लाल-गुलाल अमोल लिए हैं
तरू-तरू के तन खोल दिए हैं,
आरती जोत-उदोत उतारी-
गन्ध-पवन की धूप धवारी।
गाए खग-कुल-कण्ठ गीत शत,
संग मृदंग तरंग-तीर-हत
भजन-मनोरंजन-रत अविरत,
राग-राग को फलित किया री
विकल-अंग कल गगन विहारी।
2. साजन! होली आई है! (फणीश्वर नाथ रेणु) Holi Poem in Hindi
साजन! होली आई है!
सुख से हंसना
जी भर गाना
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व हो गया आज-
साजन! होली आई है!
हंसाने हमको आई है!
साजन! होली आई है!
इसी बहाने
क्षण भर गा लें
दुखमय जीवन को बहला लें
ले मस्ती की आग-
साजन! होली आई है!
जलाने जग को आई है!
साजन! होली आई है!
रंग उड़ाती
मधु बरसाती
कण-कण में यौवन बिखराती,
ऋतु वसंत का राज-
लेकर होली आई है!
जिलाने हमको आई है!
साजन! होली आई है!
खूनी और बर्बर
लड़कर-मरकर-
मधकर नर-शोणित का सागर
पा न सका है आज-
सुधा वह हमने पाई है!
साजन! होली आई है!
साजन! होली आई है!
यौवन की जय!
जीवन की लय!
गूंज रहा है मोहक मधुमय
उड़ते रंग-गुलाल
मस्ती जग में छाई है
साजन! होली आई है!
3. रंग बरसत ब्रज में होरी का (शिवदीन राम जोशी) Holi Poem in Hindi
रंग बरसत ब्रज में होरी का!
बरसाने की मस्त गुजरिया,
नखरा वृषभानु किशोरी का!
गुवाल बाल नन्दलाल अनुठा,
वादा करे सब से झूठा!
माखन चोर रसिक मन मोहन,
रूप निहारत गौरी का!
मारत हैं पिचकारी कान्हा,
धूम माचवे और दीवाना!
चंग बजा कर रंग उडावे,
काम करें बरजोरी का!
ब्रज जन मस्त मस्त मस्ताना,
नांचे कूदे गावे गाना!
नन्द महर घर आनंद छाया,
खुल गए फाटक मोरी का!
कहे शिवदीन सगुण सोही निरगुण,
परमानन्द होगया सुण-सुण!
नांचै नृत्य धुन धमाल,
देखो अहीरों की छोरी का!
4. आई होली, आई होली (रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) Holi Poem in Hindi
आई होली, आई होली।
रंग-बिरंगी आई होली।
मुन्नी आओ, चुन्नी आओ,
रंग भरी पिचकारी लाओ,
मिल-जुल कर खेलेंगे होली।
रंग-बिरंगी आई होली।।
मठरी खाओ, गुंझिया खाओ,
पीला-लाल गुलाल उड़ाओ,
मस्ती लेकर आई होली।
रंग-बिरंगी आई होली।।
रंगों की बौछार कहीं है,
ठण्डे जल की धार कहीं है,
भीग रही टोली की टोली।
रंग-बिरंगी आई होली।।
परसों विद्यालय जाना है,
होम-वर्क भी जंचवाना है,
मेहनत से पढ़ना हमजोली।
रंग-बिरंगी आई होली।।
5. फूलों ने होली फूलों से खेली (केदारनाथ अग्रवाल) Holi Poem in Hindi
फूलों ने होली फूलों से खेली
लाल गुलाबी पीत-परागी
रंगों की रँगरेली पेली
काम्य कपोली कुंज किलोली
अंगों की अठखेली ठेली
मत्त मतंगी मोद मृदंगी
प्राकृत कंठ कुलेली रेली
6. होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को (हरिवंशराय बच्चन) Holi Poem in Hindi
यह मिट्टी की चतुराई है,
रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,
आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो।
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को!
निकट हुए तो बनो निकटतर
और निकटतम भी जाओ,
रूढ़ि-रीति के और नीति के
शासन से मत घबराओ,
आज नहीं बरजेगा कोई, मनचाही कर लो।
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो!
प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,
जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो।
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो,
भूल शूल से भरे वर्ष के वैर-विरोधों को,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!
7. होली (मैथिलीशरण गुप्त) Poem on Holi in Hindi
जो कुछ होनी थी, सब होली!
धूल उड़ी या रंग उड़ा है,
हाथ रही अब कोरी झोली।
आँखों में सरसों फूली है,
सजी टेसुओं की है टोली।
पीली पड़ी अपत, भारत-भू,
फिर भी नहीं तनिक तू डोली!
8. रस रंग भरे मन में होली (रीता ठाकुर) Poem on Holi in Hindi
रस रंग भरे मन में होली,
जीवन में प्रेम भरे होली।
मुस्कान रचे सब अधरन पर,
मिल जुल कर सब खेलें होली।
गले लगें सब मन मीत बने,
रंगों से मन का गीत लिखें।
जीवन में मधुर संगीत भरें ,
भूले बिसरों को याद करें।
जो संग में थे पिछली होली,
रस रंग भरे मन में होली।
9. खेलूँगी कभी न होली (सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”) Poem on Holi in Hindi
खेलूँगी कभी न होली
उससे जो नहीं हमजोली ।
यह आँख नहीं कुछ बोली,
यह हुई श्याम की तोली,
ऐसी भी रही ठठोली,
गाढ़े रेशम की चोली-
अपने से अपनी धो लो,
अपना घूँघट तुम खोलो,
अपनी ही बातें बोलो,
मैं बसी पराई टोली ।
जिनसे होगा कुछ नाता,
उनसे रह लेगा माथा,
उनसे हैं जोडूँ-जाता,
मैं मोल दूसरे मोली
10. खेलन चली होरी गोरी मोहन संग (रसूल) Poem on Holi in Hindi
खेलन चली होरी गोरी मोहन संग ।
कोई लचकत कोई हचकत आवे
कोई आवत अंग मोड़ी ।
कोई सखी नाचत, कोई ताल बजावत
कोई सखी गावत होरी ।
मोहन संग खेलन चली होरी, गोरी ।
सास ननद के चोरा-चोरी,
अबहीं उमर की थोड़ी ।
कोई सखी रंग घोल-घोल के
मोहन अंग डाली बिरजवा की छोरी ।
मोहन संग खेलन चली होरी, गोरी ।
का के मुख पर तिलक बिराजे,
का के मुख पर रोड़ी ।
गोरी के मुख पर तिलक विराजे,
सवरों के मुख पर रोड़ी ।
मोहन संग खेलन चली होरी, गोरी ।
कहत रसूल मोहन बड़ा रसिया
खिलत रंग बनाई ।
भर पिचकारी जोबन पर मारे
भींजत सब अंग साड़ी ।
हंसत मुख मोड़ी ।
मोहन संग खेलन चली होरी, गोरी ।
11. आज बिरज में होरी रे रसिया (ब्रजभाषा) Poem on Holi in Hindi
आज बिरज में होरी रे रसिया॥
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥ आज . . .
कौन के हाथ कनक पिचकारी,
कौन के हाथ कमोरी रे रसिया॥ आज . . .
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी,
राधा के हाथ कमोरी रे रसिया॥ आज . . .
अपने-अपने घर से निकसीं,
कोई श्यामल, कोई गोरी रे रसिया॥ आज . . .
उड़त गुलाल लाल भये बादर,
केशर रंग में घोरी रे रसिया॥ आज . . .
बाजत ताल मृदंग झांझ ढप,
और नगारे की जोड़ी रे रसिया॥ आज . . .
कै मन लाल गुलाल मँगाई,
कै मन केशर घोरी रे रसिया॥ आज . . .
सौ मन लाल गुलाल मगाई,
दस मन केशर घोरी रे रसिया॥ आज . . .
‘चन्द्रसखी’ भज बाल कृष्ण छबि,
जुग-जुग जीयौ यह जोरी रे रसिया॥ आज . . .
12. मार दी तुझे पिचकारी (सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”) Poem on Holi in Hindi
मार दी तुझे पिचकारी,
कौन री, रँगी छबि यारी ?
फूल -सी देह,-द्युति सारी,
हल्की तूल-सी सँवारी,
रेणुओं-मली सुकुमारी,
कौन री, रँगी छबि वारी ?
मुसका दी, आभा ला दी,
उर-उर में गूँज उठा दी,
फिर रही लाज की मारी,
मौन री रँगी छबि प्यारी।
13. तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है (हरिवंशराय बच्चन) Poem on Holi in Hindi
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
देखी मैंने बहुत दिनों तक
दुनिया की रंगीनी,
किंतु रही कोरी की कोरी
मेरी चादर झीनी,
तन के तार छूए बहुतों ने
मन का तार न भीगा,
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
अंबर ने ओढ़ी है तन पर
चादर नीली-नीली,
हरित धरित्री के आँगन में
सरसों पीली-पीली,
सिंदूरी मंजरियों से है
अंबा शीश सजाए,
रोलीमय संध्या ऊषा की चोली है।
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
14. बरसाने की होली में – अवनीश सिंह चौहान
लाल-गुलाबी
बजीं तालियाँ
बरसाने की होली में
बजे नगाड़े
ढम-ढम-ढम-ढम
चूड़ी खन-खन,
पायल छम-छम
सिर-टोपी पर
भँजीं लाठियाँ
ठुमके ग्वाले
तक-धिन-तक-धिन
ब्रजवासिन की
सुनें गालियाँ
ब्रज की मीठी बोली में
मिलें-मिलायें
गोरे-काले
मौज उड़ायें
देखन वाले
तस्वीरों में
जड़ते जायें
मन लहराये-
फगुनाये दिन
प्रेम बहा
सब तोड़ जालियाँ
दिलवालों की टोली में
चटक हुआ रंग
फुलवारी का
फसलों की
हरियल साड़ी का
पक जाने पर
भइया, दाने
घर आयेंगे
खेतों से बिन
गदरायीं हैं
अभी बालियाँ
बैठीं अपनी डोली में
15. होरी गीत-होरी खेले कुंवर नंद लाल (धीरज पंडित) Holi Poem in Hindi
होरी खेले कुँवर नंद लाल
सखा संग बरजोरी…होरी खेले….
भरी-भरी केऽ मारे पिचकारी
भींगी-भंगी सखियन दै छै गारी
होरी के यही कमाल सखा संग बरजोरी… होरी…
राधा भींगेऽ रूकमणि भींगेंऽ
कान्हा केऽ संग गोपी भींगंेऽ
उड़े अबीर गुलाल-सखा संग बरजोरी… होरीकृ
प्रेम सऽ भींगे चोली-साड़ी
अम्बर लाल रूमाल कऽ गारी
ताही बीच उठे धमाल-सखा संग बरजोरी… होरी…
बाजे-ढोलक-झाल-मंजीरा
गांवेऽ दे-दे ताल जोगिरा
रहैऽ न´ कोनो मलाल-सखा संख्या बरजोरी… होरी…
भारत मऽ वृन्दावन नीकोऽ
नर-नारी मऽ प्रेम कऽ सीखोऽ
नर-नारी मऽ प्रेम कऽ सीखोऽ
”धीरज“ केऽ यही सवाल-सखा संग बरजोरी
होरी खेले कुँवर नंद लाल
सखा संग बरजोरी…
16. हरजाई ने खेली है संग मेरे ऐसी होली (अभिषेक कुमार अम्बर) Holi Poem in Hindi
हरजाई ने खेली है संग मेरे ऐसी होली
तन मन है मेरा भीगा भीगी है मेरी चोली।
आई है आज होली आई है आज होली
जी भर के खेलों यारो कर लो हंसी ठिठोली।
बिजली गिरा रही हैं सूरत ये भोली भोली
इनकी अदाएं सीनों पे बन के चलती गोली।
निकले हैं अपने हाथों में ले के रंग बांके
गोरी के गाल रँगने करने हंसी ठिठोली।
राधा तो छुप गई है बच कर कदम्ब पीछे
गोपाल ढूंढते हैं ग्वालों की ले के टोली।
जब तूने अपने रंग में हमको रंगा था साजन
अब तक न भूल पाए हम वो हसीन होली।
होली पर छोटी कविताएं (Short Poem on Holi in Hindi):
17. होरी खेलन आयो स्याम (ब्रजभाषा) Holi Poem in Hindi
होरी खेलन आयो श्याम,
आज याए रंग में बोरो री
आज याए रंग में बोरो री,
आज याए रंग में बोरो री
याकी हरे बाँस की बाँसुरिया,
याए तोरि मरोरो री…
होरी खेलन आयो श्याम…
18. होली (दीनदयाल शर्मा) Holi Poem in Hindi
रंगों का त्यौंहार जब आए
टाबर टोल़ी के मन भाए।
नीला पीला लाल गुलाबी
रंग आपस में खूब रचाए।
रंग की भर मारें पिचकारी
‘होली है’ का शोर मचाए।
सूरत सबकी एक-सी लगती
इक दूजा पहचान न पाए।
बुरा न माने इस दिन कोई
सारा ही रंग में रच जाए।।
19. आई-आई रे होली – अज्ञात
आई-आई रे होली,
खेलो फाग बीच बरसाने में।
पीली-पीली गुरनारी
रंग भर पिचकारी
देखो मुख पे है मारी
भीगी अंगिया है सारी
आई-आई रे होली आई
आज बिरज में होरी रे रसिया
होरी तो होरी बरजोरी रे रसिया
उड़त अबीर गुलाल कुमकुमा
केशर की पिचकारी रे रसिया।
20. रंग-रंगीली आई होली Poem in Hindi
रंग-रंगीली आई होली
खुशियों को अपने संग लाई होली।
सभी को अपने रंग में रंगने को
अपनों को संग लाई होली।
बुराइयों को मिटाने को,
अच्छाई की लौ जलाने आई होली।
21. होरी खेलत हैं गिरधारी (मीराबाई) Holi Poem in Hindi
होरी खेलत हैं गिरधारी।
मुरली चंग बजत डफ न्यारो।
संग जुबती ब्रजनारी।।
चंदन केसर छिड़कत मोहन
अपने हाथ बिहारी।
भरि भरि मूठ गुलाल लाल संग
स्यामा प्राण पियारी।
गावत चार धमार राग तहं
दै दै कल करतारी।।
फाग जु खेलत रसिक सांवरो
बाढ्यौ रस ब्रज भारी।
मीरा कूं प्रभु गिरधर मिलिया
मोहनलाल बिहारी।।
22. होरी खेल रहे नंदलाल (शिवदीन राम जोशी) Holi Poem in Hindi
होरी खेल रहे नंदलाल, मारे भर-भर पिचकारी ।
ब्रज बालाएँ भीगी रंग में, भीगी राधा की सारी ।
भरे कड़ावा रंग-रंग के, भीगे साथी कृष्ण संग के,
नंद यशोदा के शुभ द्वारे, धूम मची भारी ।
ब्रज वृन्दावन बना सुहाना, मीत प्रीत का गा रहे गाना,
सुर ब्रह्मादी देखन आए, आए हैं त्रिपुरारी ।
संत सज्जनों का उर हरषा, करें इन्द्र फूलन की वरषा,
अमृत बूँद झरे झरना ज्यू, नाचे ब्रज की नारी ।
राधा कृष्ण गुलाल लाल से, राधा खेले नंदलाल से,
कहे शिवदीन छटा क्या बरणू, जय श्रीराधा प्यारी ।
23. होरी खेलूँगी तोते नाय Holi Poem in Hindi
होरी खेलूँगी श्याम तोते नाय हारूँ
उड़त गुलाल लाल भए बादर,
भर गडुआ रंग को डारूँ
होरी में तोय गोरी बनाऊँ लाला,
पाग झगा तरी फारूँ
औचक छतियन हाथ चलाए,
तोरे हाथ बाँधि गुलाल मारूँ।
24. मोसों होरी खेलन आयो (राग कान्हरौ) – घनानंद
मोसों होरी खेलन आयौ ।
लटपटी पाग, अटपटे बैनन,
नैनन बीच सुहायौ ॥
डगर-डगर में, बगर-बगर में,
सबहिंन के मन भायौ ।
‘आनँदघन’ प्रभु कर दृग मींड़त,
हँसि-हँसि कंठ लगायौ ॥
25. मोहन खेल रहे है होरी – शिवदीन राम जोशी
मोहन खेल रहे है होरी ।
गुवाल बाल संग रंग अनेकों, धन्य-धन्य यह होरी ।
वो गुलाल राधे ले आई, मन मोहन पर ही बरसाई,
नन्दलाल भी लाल होगये, लाल-लाल वृज गौरी ।
गुवाल सखा सब चंग बजावें, कृष्ण संग में नाचें गावें,
ऐसी धूम मचाई कान्हा, मस्त मनोहर जोरी ।
नन्द महर घर रंग रँगीला,रंग-रंग से होगया पीला,
बहुत सजीली राधे रानी, वे अहिरों की छोरी ।
शोभा देख लुभाये शिवजी, सती सयानी के हैं पिवजी,
शिवदीन लखी होरी ये रंग में, रंग दई चादर मोरी ।
26. मोहन हो-हो, हो-हो होरी (राग सारंग) – रसखान
मोहन हो-हो, हो-हो होरी ।
काल्ह हमारे आँगन गारी दै आयौ, सो को री ॥
अब क्यों दुर बैठे जसुदा ढिंग, निकसो कुंजबिहारी ।
उमँगि-उमँगि आई गोकुल की , वे सब भई धन बारी ॥
तबहिं लला ललकारि निकारे, रूप सुधा की प्यासी ।
लपट गईं घनस्याम लाल सों, चमकि-चमकि चपला सी ॥
काजर दै भजि भार भरु वाके, हँसि-हँसि ब्रज की नारी ।
कहै ’रसखान’ एक गारी पर, सौ आदर बलिहारी ॥
27. आओ खेलें होली (रंजना भाटिया) Holi Poem in Hindi
मस्त बयार बहे
रंगों की बौछार चले
रंगे सब तन मन
चढ़े अब फागुनी रंग
कान्हा की बांसुरी संग
भीगे तपते मन की रंगोली
आओ खेले होली ……
टूट जाए हर बन्ध
शब्दों का रचे छंद
महके महुआ की गंध
छलके फ्लाश रंग
मिटे हर दिल की दूरी
आओ खेले होली ……
बहक जाए हर धड़कन
खनक जाए हर कंगन
बचपन का फिर हो संग
हर तरफ छाए रास रंग
ऐसी सजे फिर
मस्तानों की टोली
आओ खेले होली …..
कान्हा का रास रसे
राधा सी प्रीत सजे
नयनो से हो बात अनबोली
आओ खेले होली ….
28. रसिया रस लूटो होली में (फाग) Holi Poem in Hindi
रसिया रस लूटो होली में,
राम रंग पिचुकारि, भरो सुरति की झोली में
हरि गुन गाओ, ताल बजाओ, खेलो संग हमजोली में
मन को रंग लो रंग रंगिले कोई चित चंचल चोली में
होरी के ई धूमि मची है, सिहरो भक्तन की टोली में
29. रे रंग डारि दियो राधा पर (शिवदीन राम जोशी) Holi Poem in Hindi
रे रंग डारि दियो राधा पर, प्यारा प्रेमी कृष्ण गोपाल।
तन मन भीगा अंग-अंग भीगा, राधा हुई निहाल॥ रे…
गोप्या रंग रंगीली रंग में, ग्वाल सखा कान्हा के संग में।
चंग बजावे रसिया गावे, गांवें राग धमाल॥ रे….
श्यामा श्याम यमुन तट साजे, मधुर अनुपम बाजा बाजे।
रंग भरी पिचकारी मारे, हँसे सभी ब्रिजबाल॥ रे…
मोर मुकुट पीताम्बर वारा, निरखे गोप्यां रूप तिहारा।
राधा कृष्ण मनोहर जोड़ी, काटत जग जंजाल॥ रे…
शिवदीन रंगमय बादल छाया, मनमोहन प्रभू रंग रचाया।
गुण गावां गावां गुण कृष्णा, मोहे बरषाने ले चाल॥ रे…
30. होली के छंद (शिवदीन राम जोशी) Poem on Holi in Hindi
(क) होरी है होरी आज
होरी है होरी आज, खेलो ब्रजराज कृष्ण,
ब्रजबाला संग रंग डारे बरजोरी है।
राधा कृष्ण रंगे रंग, गुवालिये बजावे चंग,
नांच रही झूंम-झूंम अहीरों की छोरी है।
श्यामाजी नचाय रहे श्याम गीत गाय रहे,
शिवदीन मन लुभाय रहे धन्य-धन्य होरी है।
मोहन बांह मरोरी कछु बोली नाय गोरी,
झांकी झांक दौरी देखो नवल किशोरी है।
(ख) फागुन में खेले फाग रसिया
फागुन में खेले फाग रसिया गाये ग्वाल बाल,
आलीरी नंदलाल मुरली बजाई है।
ब्रज की ये नारी कभी हिम्मत ना हारी,
श्याम मारे पिचकारी और श्यामा मन भाई है।
ग्वालन की टोली करें गोपियां ठिठोली,
राधे हँस बोली देत कृष्ण को बधाई है।
शिवदीन ये वसंत और लाई है बहार नई,
साजे ब्रजराज आज बाजे शहनाई है।
(ग) कलाधर-किशोरी युगल
कलाधर-किशोरी युगल जोरी कृष्ण राधे की,
मोर मुकुट मुरलीधर, मुरली बजावें है।
श्यामा संग सांचे, श्याम रंग-रंग राचे,
नांच-नांच नांचे, नांच गोपियां नचावे है।
मारी पिचकारी भारी, गिरधारी खेले फाग,
धन्य भाग रंग राग, रागनियां गावे है।
कहता शिवदीनलाल सजे बहुत श्याम लाल,
डारके गुलाल लाल, लाल मन लुभावे है।
(घ) फागुन में फाग
फागुन में फाग, खेले नंदलाल गुवाल बाल,
गोपिन के गुलाल लगा गावें रसिक होरी हैं।
नैन मटकाय हाय मारी पिचकारी कान्ह,
नारी दें गारी नारी पकरे बरजोरी हैं।
राधे रसीली पीली भंग रंग घोर-घोर,
डारे चित्तचोर यह श्यामा नहीं भोरी है।
कहता शिवदीन रसिक रसीली नचाय रही,
रसिया कृष्ण चन्द्र संग अहिरों की छोरी है।
(ङ) रंग रंग के रंगे हैं
रंग रंग के रंगे हैं, रंगीले रंग-रंग में,
रंगे-रंगे कृष्ण चन्द्र, गहरे रंगे रंग में।
बजे ताल रंग में, है कमाल रंग में,
गावें गाल रंग में, वे रंग के उमंग में।
शिवदीन संग-संग में, भीग गये रंग में,
लहर के तरंग में, राग रंग चंग में।
ग्वाल बाल रंग में, नंदलाल रंग में,
लाल-लाल रंग में, वो श्यामा श्याम संग में।
(च) मंगल सुमंगल सदा ही
मंगल सुमंगल सदा ही, आनन्द रहे नन्दलाल,
तू गुलाल डार , देख सखी आ रही।
राधे मतवाली आली, चाली रंग डारन को,
गोपियां निराली गाली, श्याम को सुना रही।
सुन-सुन के श्यामलाल, संग-संग गुवाल बाल,
बाजत मृदंग ताल, राधेजी गा रही।
कहता शिवदीन लाल, ऐसी गुलाल उडी,
बादर बन लाल, लाली चहुं ओर छा रही।
(छ) फगवा हम गाय रही
फगवा हम गाय रही घनश्याम गुलाल लगाय बिगार दी सारी,
पकरो घनश्याम को श्यामा कहे उनहूं को बना दई सुन्दर नारी।
आंखी में काजर बेंदी लगा वेतो भागी गये बन में बनवारी,
शिवदीन सरावत गोप वे गोपिका धन्य बनी बनी श्याम की प्यारी।
(ज) गोकुल व बरसाने की नार
गोकुल व बरसाने की नार बजाय-बजाय बजा रही तारी,
अरू वृन्दावन की बनी वे बनी, बनके ठनके अरी दे रही गारी।
श्याम को श्यामा सजाय सजी अहो और गुलाल लगावत प्यारी,
शिवदीन वे जोरी से जोरी मिली ब्रज खेलत होरी है बांके बिहारी।
(झ) ब्रज गोरी होरी यहां खेल रहे ब्रजराज
ब्रज गोरी होरी यहां खेल रहे ब्रजराज,
रंग डारेगें गुवालिया होना ना नाराज।
होना ना नाराज आज होली है होली,
राधा भीगी भीग गई रेशम की चोली।
मोहन पीताम्बर तेरा राधा ना ले जाय,
शिवदीन रसिक रसिया पिया प्रेम सुधा बरसाय।
… राम गुण गायरे।।
(ञ) ब्रज वृन्दावन धाम रंग से रँगा रंगीला
ब्रज वृन्दावन धाम रंग से रँगा रंगीला,
हरा मोतियां लाल रंग है प्यारा पीला।
धूम धाम से खेल, खेल रहे होरी देखो,
श्यामा श्याम सुजान और संग गोरी देखो।
चहुं ओर पिचकारियां रंग-रंग की धार,
शिवदीन सरस रस रसिक जन पीवें करि-करि प्यार।
…राम गुण गायरे।।
31. रंग बरसे भीगे चुनर वाली (हरिवंश राय बच्चन) Poem on Holi in Hindi
रंग बरसे…
भीगे चुनरवाली रंग बरसे
होली है
अरे कयने मारी पिचकारी
तोरी भीगी अंगिया
ओ रंगरसिया रंगरसिया हो
रंग बरसे…
भीगे चुनरवाली रंग बरसे
ओ रंग बरसे भीगे चुनरवाली
रंग बरसे…
सोने की थाली में जो ना परोसा
खाए गोरी का यार
बलम तरसे रंग बरसे
ओ रंग बरसे भीगे
चुनरवाली रंग बरसे
लौंगा इलायची का बीड़ा लगाया
चाबे गोरी का यार
बलम तरसे रंग बरसे
ओ रंग बरसे भीगे
चुनरवाली रंग बरसे
बेला चमेली का सेज बिछाया
सोए गोरी का यार
बलम तरसे रंग बरसे होली है!
ओ रंग बरसे भीगे
चुनरवाली रंग बरसे
ओ रंग बरसे भीगे
चुनरवाली रंग बरसे
32. होली खेले रघुवीरा (डॉ हरिवंशराय बच्चन) Poem on Holi in Hindi
होली खेले रघुवीरा अवध मा,
होली खेले रघुवीरा,
होली खेले रघुवीरा, होली खेले रघुवीरा,
होली खेले रघुवीरा अवध मा,
होली खेले रघुवीरा………….
किनका के हाथ कनक पिचकारी,
किनका के हाथ अबीर झोली
मोहे होली में कर दियो लाल रे,
ऐसो चटक रंग डारो,
ऐसो चटक रंग डारो, ऐसो चटक रंग डारो,
ऐसो चटक रंग डारो, अवध मा………..
होली खेले रघुवीरा,
राम के हाथ कनक पिचकारी,
सीता हाथ अबीर झोली,
रंग डारो, रंग डारो,
रंग डारो श्याम खेले होली, रंग डारो,
गोविंदा आला रे आला,
जरा रंग तो ना डाल नंदलाला……..
होली क्यों मनाई जाती है? इससे जुड़ी परंपरा क्या है?
होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे रंगों का पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। सबसे प्रमुख कथा भक्त प्रह्लाद, उनके पिता हिरण्यकशिपु और होलिका से संबंधित है। हिरण्यकशिपु, एक अत्याचारी राजा, स्वयं को भगवान मानता था, जबकि उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। पुत्र की भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन वह असफल रहा। अंततः, उसने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को आग में जलाने का आग्रह किया, क्योंकि होलिका को वरदान था कि आग उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकती। होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका स्वयं जलकर भस्म हो गई। इस घटना के उपलक्ष्य में होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
इसके अतिरिक्त, होली का संबंध भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम से भी जोड़ा जाता है। कृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ रंग खेलकर इस त्योहार को उल्लासपूर्ण बनाया, जिससे यह प्रेम और रंगों का प्रतीक बन गया।
होली के त्योहार से क्या संदेश मिलता है?
होली का त्योहार सामाजिक एकता, प्रेम, और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। रंगों के माध्यम से लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक-दूसरे के साथ खुशियाँ बांटते हैं, जो समाज में सद्भावना और भाईचारे को बढ़ावा देता है।