Articles Written & Updated by Priya Mem:

80+ Kabir ke Dohe: कबीरदास के दोहे, जो देते हैं जीवन का असली ज्ञान

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Kabirdas Ke Dohe “गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय। बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय॥” यह कबीर के प्रसिद्ध दोहों में से एक है। इस प्रष्ठ में कबीरदास के...

माटी कहे कुम्हार से तु क्या रौंदे मोय – कबीरदास का दोहा

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माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय। एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय॥ जानिए इस दोहे का अर्थ एवं भावार्थ, व्याख्या और सार, संदेश एवं शिक्षा।

मलिन आवत देख के कलियन कहे पुकार – कबीरदास का दोहा

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मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार। फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार॥ जानिए इस दोहे का अर्थ एवं भावार्थ, व्याख्या और सार, संदेश एवं शिक्षा।

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय – कबीरदास का दोहा

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बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥ जानिए इस दोहे का अर्थ एवं भावार्थ, व्याख्या और सार, संदेश एवं शिक्षा।

पाहन पूजें हरि मिलें तो मैं पूजूँ पहार – कबीरदास का दोहा

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पाहन पूजें हरि मिलें, तो मैं पूजूँ पहार। याते तो चक्की भली, पीस खाय संसार॥ - जानिए अर्थ एवं भावार्थ, व्याख्या और सार, संदेश एवं शिक्षा।

नहाये धोये क्या हुआ जो मन मैल न जाए – कबीरदास का दोहा

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नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए। मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए॥ - जानिए अर्थ एवं भावार्थ, व्याख्या और सार, संदेश एवं शिक्षा।

बड़ा भया तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर – कबीरदास का दोहा

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बड़ा भया तो क्या भया जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर॥ - जानिए अर्थ एवं भावार्थ, व्याख्या और सार, संदेश एवं शिक्षा।

दुख में सुमिरन सब करैं सुख में करै न कोय – कबीरदास का दोहा

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दुःख में सुमिरन सब करैं, सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करैं, दुःख काहे को होय॥ - जानिए अर्थ एवं भावार्थ, व्याख्या और सार, संदेश एवं शिक्षा।

जग में बैरी कोई नहीं जो मन शीतल होए – कबीरदास का दोहा

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जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होए। यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोए॥ - जानिए अर्थ एवं भावार्थ, व्याख्या और सार, संदेश एवं शिक्षा।