Holi ki Kahani: होलिका दहन कहानी, कविताएं और गज़ल, मंगलकामनायें

होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि अच्छाई की जीत का पर्व है। पढ़ें होलिका दहन की पौराणिक कथा, भक्त प्रह्लाद की भक्ति और बुराई के अंत की कहानी.

Holika Dahan - Holi ki Kahani

होली का त्योहार हर वर्ष बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बनकर आता है। यह पर्व भक्त प्रह्लाद की अटूट भक्ति और हिरण्यकश्यपहोलिका के अहंकार के विनाश की याद दिलाता है। तभी से होली का त्योहार भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है और सद्भावना का संदेश देता है।

होली की कहानी | Holi ki Kahani

होली की शुरुआत होलिका दहन से होती है, जो त्योहार से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग लकड़ियों और उपलों का ढेर बनाकर शुभ मुहूर्त में उसमें अग्नि प्रज्वलित करते हैं। नई फसल (जैसे गेहूं, जौ आदि) की बालियों को इस अग्नि में भूनकर आराध्य को अर्पित किया जाता है। अगले दिन धुलेंडी यानी रंगों वाली होली खेली जाती है।

होलिका दहन: बुराई के अंत की कथा

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक एक अहंकारी असुर राजा था, जिसने कठोर तपस्या कर कई वरदान प्राप्त किए। स्वयं को अमर मानकर उसने अपनी प्रजा को आदेश दिया कि वे केवल उसकी पूजा करें। परंतु उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। जब उसने पिता की बात मानने से इंकार कर दिया, तो क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे कई तरीकों से मरवाने की कोशिश की, लेकिन हर बार ईश्वर की कृपा से वह सुरक्षित बच निकला।

अंत में, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता ली, जिसे यह वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का निश्चय किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित बच गया। इस घटना की स्मृति में हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

होलिका दहन पर कुछ अनोखी कविताएं और ग़ज़ल

Holika Dahan se judi kuch anokhi kavitayen aur gazalen आगे दीं गईं हैं-

1. कविता: “होलिका जली, प्रह्लाद हँसा”

– बुराई पर अच्छाई की विजय

अग्नि जली, पर भक्त न जला,
सत्य का दीप कभी न बुझा।
होलिका के गर्व की राख बनी,
प्रह्लाद की भक्ति थी अमर बनी।।

हिरण्यकश्यप के छल को देखो,
हर युग में सत्य प्रबल ही देखो।
जो सत्य की राह चले सदा,
विष्णु कृपा का बने ध्वजा।।

2. कविता: “होलिका की राख”

– जीवन का एक संदेश

होलिका की राख कहती है,
जो जलता है, मिट जाता है।
अहंकार की आग में जो तपता,
एक दिन खुद जल जाता है।।

प्रह्लाद की भक्ति जो पाले,
विष्णु चरण में ध्यान लगा ले।
भवसागर से पार वही पाए,
जो प्रेम, सत्य का दीप जलाए।।

3. ग़ज़ल: “होलिका की अग्नि में जल जाएं ग़म”

मत जलो जलन में, ये आग बुरी होती है,
हवा चलती है जब, राख उड़ी होती है।

होली में रंग प्यार के घोल दो,
नफरत की होलिका जलने दो।

हर गली मोहब्बत की महक हो,
हर दिल में नेकी की चमक हो।

होलिका की अग्नि में जल जाएं ग़म,
खुशियों से भर जाए रंगों की धरम।

4. कविता: “रंगों से लिखें हम प्रेम कहानी”

होलिका जले, अहंकार मिटे,
दिलों में प्रेम की हो सौगात।
स्नेह रंगों से रंगें सभी को,
सबमें हो आपस की बात।।

प्रीत के रंग, होठों पे हंसी,
सब संग खेलें ये होली।
रंगों से लिखें हम प्रेम कहानी,
हर दिल में हो अपनापन बोली।।

होलिका दहन पर बधाईयां एवं शुभकामनाएँ

होलिका दहन के अवसर इस प्रकार Holika Dahan Wishes दे सकते हैं,  Holika Dahan Wishes in Hindi:

बुराई का नाश हो, अच्छाई की जीत हो,
प्रह्लाद जैसी भक्ति हो, हर मन में प्रीत हो।
होलिका दहन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Holika Dahan Wish Messages in Hindi 1

बुराई की होती है हार,
सचाई का होता है जयकार,
होलिका दहन का ये पावन पर्व,
लाए जीवन में खुशियों की बहार।
होलिका दहन की शुभकामनाएँ!

Holika Dahan Wish Messages in Hindi 2

नफरत की ज्वाला बुझा दो,
प्यार के रंगों से रिश्ता सजा दो।
होली और होलिका दहन का पर्व,
आपके जीवन में खुशहाली ला दो।
होलिका दहन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Holika Dahan Wish Messages in Hindi 3

सुख, समृद्धि और प्रेम की बौछार हो,
होलिका की अग्नि में हर दुख की हार हो।
आपका जीवन रंगों से सजा रहे,
होली की खुशियाँ हर द्वार हो।
होलिका दहन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

होलिका दहन सिर्फ अग्नि नहीं, यह बुराई के अंत और अच्छाई की विजय का संदेश है। प्रेम, भक्ति और सच्चाई के रंगों 🎨 से जीवन को संवारें।

🔥 आपको और आपके परिवार को होलिका दहन की ढेरों बधाइयाँ! 🔥

FAQs

1.

होलिका दहन क्यों मनाया जाता है?

होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह भक्त प्रह्लाद की भक्ति और हिरण्यकश्यप के अहंकार के अंत की याद में मनाया जाता है।

2.

होलिका दहन की पौराणिक कथा क्या है?

कथा के अनुसार, असुर राजा हिरण्यकश्यप ने अपने भक्त पुत्र प्रह्लाद को मारने की साजिश की। होलिका, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान था, प्रह्लाद को गोद में लेकर जल गई, लेकिन विष्णु भक्ति के कारण प्रह्लाद सुरक्षित रहा।

3.

होलिका दहन किस दिन और कैसे किया जाता है?

होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की रात को किया जाता है। इस दिन लकड़ियों और उपलों का ढेर जलाकर बुराइयों को त्यागने का संकल्प लिया जाता है।

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