मानवता के मन मन्दिर में – Manavta ke Man Mandir me – हिन्दी प्रार्थना/कविता/गीत/वंदना

Manavta ke Man Mandir mein
हिन्दी प्रार्थना/कविता/गीत/वंदना: मानवता के मन मन्दिर में, ज्ञान का दीप जला दो, करुणा निधान भगवान मेरे, भारत को स्वर्ग बना दो॥

मानवता के मन मन्दिर में

मानवता के मन मन्दिर में,
ज्ञान का दीप जला दो,
करुणा निधान भगवान मेरे,
भारत को स्वर्ग बना दो॥

करुणा निधान भगवान मेरे,
भारत को स्वर्ग बना दो॥

दुःख दरिद्रता का नाश करो,
मानव के कष्ट मिटा दो,
अमृत की वर्षा बरसाकर,
भूख की आग मिटा दो,
खेतों में हरियाली भर दो,
धान के ढेर लगा दो॥

करुणा निधान भगवान मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो॥

मानवता के मन मन्दिर में
ज्ञान का दीप जला दो
करुणा निधान भगवान मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो॥

नव प्रभात फिर महक उठे,
मेरे भारत की फुलवारी!
सब हो एक समान जगत में,
कोई न रहे भिखारी!
एक बार माँ वसुंधरा को
नव शृंगार करा दो॥

करुणा निधान भगवान मेरे,
भारत को स्वर्ग बना दो!
भारत को स्वर्ग बना दो,
भारत को स्वर्ग बना दो॥


Manavta ke Man Mandir mein

maanavata ke man mandir mein
gyaan ka deep jala do
karuna nidaan bhagavaan mere
bhaarat ko svarg bana do

karuna nidaan bhagavaan mere
bhaarat ko svarg bana do

dukh daridrata ka naash karo
maanav kee vipatti mita do
amrt ​​​​ka varshaakar
bhookh kee aag ka paanee do
kheto mein hariyaalee bhar do
dhaan ke dher laga do

karuna nidaan bhagavaan mere
bhaarat ko svarg bana do

maanavata ke man mandir mein
gyaan ka deep jala do
karuna nidaan bhagavaan mere
bhaarat ko svarg bana do

nav prabhaat phir mahak uthe
mere bhaarat kee phulavaaree
sab ho ek dhaarmik jagat mein
nahin rahe bhikhaaree
ek baar maan vasundhara ko
nav shrrngaar karen

karuna nidaan bhagavaan mere
bhaarat ko svarg bana do
bhaarat ko svarg bana do
bhaarat ko svarg bana do

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