शिक्षण प्रविधि

समस्या-समाधान प्रविधि – पद, गुण एवं दोष

Samasya Samadhan Pravidhi

समस्या-समाधान प्रविधि (Problem Solving Technique)

समस्या-समाधान प्रविधि बहुत कुछ योजना प्रविधि से मिलती-जुलती है। वुड (Wood) के अनुसार, “समस्या समाधान प्रविधि निर्देश की वह प्रविधि है, जिसके द्वारा सीखने की प्रक्रिया को उन चुनौतीपूर्ण स्थितियों में सृजन द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है, जिनका समाधान करना आवश्यक है।

इस प्रविधि का प्रयोग छात्रों में शिक्षण सम्बन्धी समस्या हल करने की क्षमता उत्पन्न करने के लिये किया जाता है। छात्रों से यह आशा की जाती है कि वे स्वयं अपने प्रयासों द्वारा समस्या का हल निकालें। छात्र समस्या का चयन करते हैं, कारणों की खोज करते हैं तथा नियम प्रविधि के द्वारा उसे पूर्ण करते हैं। छात्र परीक्षण और मूल्यांकन के बाद उस समस्या का उचित मूल्यांकन करते हैं।

यह शिक्षण प्रविधि छात्रों की चिन्तन और तर्क-शक्ति का विकास करती है। छात्र जो भी सीखता है, क्रियाशील होकर ही सीखता है। यदि इसे ज्ञान प्राप्त करने की मनोवैज्ञानिक प्रविधि कहा जाय तो अनुचित नहीं होगा, परन्तु इस प्रविधि का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसका उपयोग प्राथमिक स्तर पर हिन्दी शिक्षण में सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता।

समस्या समाधान प्रविधि के पद (Steps of problem solving technique)

समस्या समाधान प्रविधि में निम्नलिखित पद प्रयोग में लाये जाते हैं:-

1. समस्या का चयन (Selection of problem)

अध्यापक और छात्र मिलकर समस्या का चयन करते हैं। अध्यापक को सदैव छात्रों के सहयोग से ही समस्या का चयन करना चाहिये। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित बातों पर भी ध्यान देना आवश्यक है:-

  1. जिस समस्या (प्रकरण) का चयन किया जाय वह वास्तविक हो।
  2. समस्या (प्रकरण) छात्रों के मानसिक स्तर के अनुकूल होनी चाहिये।
  3. समस्या (प्रकरण) पाठ्य विषय से सम्बन्धित होनी चाहिये।
  4. समस्या (प्रकरण) अधिक जटिल न हो।

2. समस्या चयन का कारण (Cause of problem selection)

छात्रों को यह बताया जाय कि समस्या (प्रकरण) का चयन क्यों किया गया है?

3. समस्या को पूर्ण करना (Completion of problem)

समस्त छात्र अध्यापक के निर्देशन में समस्या के समाधान के लिये कार्य करते हैं।

4. समस्या का हल निकालना (Solving of problem)

अन्त में छात्र समस्या का हल खोज लेते हैं। यह समाधान प्रमाणित या परिलक्षित तथ्यों पर आधारित होता है।

5. समाधान का उपयोग (Use of solution)

छात्र प्रमाणित समाधान का उपयोग करते हैं। छात्रों से आशा की जाती है कि वे समस्या समाधान का प्रयोग अपने व्यक्तिगत जीवन में भी करें।

समस्या समाधान प्रविधि के गुण (Merits of problem solving technique)

समस्या समाधान प्रविधि के निम्नलिखित गुण हैं:-

  1. यह प्रविधि छात्रों की विचार-शक्ति तथा निर्णय-शक्ति का विकास करती है।
  2. किसी समस्या (प्रकरण) का समाधान करते समय छात्रों का मस्तिष्क सक्रिय होता है तथा वे सजग होकर समस्या का समाधान करते हैं।
  3. यह प्रविधि छात्रों को अपने भावी जीवन की सामाजिक समस्याओं को हल करने का प्रशिक्षण प्रदान करती है।
  4. यह प्रविधि छात्रों को स्वाध्याय का प्रशिक्षण प्रदान करती है।
  5. इसके प्रयोग से छात्र तथ्यों का संग्रह एवं उन्हें व्यवस्थित करना सीखते हैं।
  6. यह प्रविधि छात्रों का दृष्टिकोण विकसित करती है।
  7. इससे छात्रों में वैज्ञानिक ढंग से चिन्तन करने की शक्ति का विकास होता है।
  8. यह प्रविधि छात्रों में आत्म-विश्वास उत्पन्न करती है।
  9. इस प्रविधि से छात्र सामूहिक निर्णय लेना सीखते हैं।
  10. यह कक्षा के वातावरण को क्रियाशील बनाती है।

समस्या समाधान प्रविधि के दोष (Demerits of problem solving technique)

समस्या समाधान प्रविधि के निम्नलिखित दोष हैं:-

  1. यह प्रविधि प्राथमिक तथा जूनियर स्तर के छात्रों के लिये उपयुक्त नहीं है।
  2. इसका आवश्यकता से अधिक प्रयोग कक्षा के वातावरण को नीरस बना देता है।
  3. यह आवश्यक नहीं है कि इस प्रविधि से जो परिणाम निकलें वे सन्तोषजनक ही हों।
  4. इस प्रविधि के प्रयोग में पर्याप्त समय लगता है।
  5. इस प्रविधि का प्रयोग योग्य और प्रतिभाशाली अध्यापक ही कर सकते हैं, सामान्य स्तर के अध्यापक नहीं।

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