कार्यगोष्ठी प्रविधि (Work Seminar Technique)
कार्यगोष्ठी प्रविधि, वह शिक्षण प्रविधि है जिसमें अध्यापक और छात्र मिलकर विषय की समस्याओं एवं कठिनाइयों का चयन करते हैं तथा प्रत्येक छात्र को उसकी रुचि का क्षेत्र प्रदान कर दिया जाता है। तत्पश्चात् सामूहिक चर्चा होती है तथा अन्त में निर्धारित कार्य का मूल्यांकन किया जाता है।
कार्यगोष्ठी प्रविधि के प्रयोग का मुख्य उद्देश्य छात्रों में उत्तरदायित्व एवं अनुशासन की भावना तथा स्वयं कार्य में लीन रहने की प्रवृत्ति उत्पन्न करना है।
कार्यगोष्ठी प्रविधि के कार्य पद (Steps of work seminar technique)
कार्यगोष्ठी प्रविधि के कार्य पद निम्नलिखित हैं:-
1. समस्याओं का चयन (Selection of problems)
कार्यगोष्ठी के सभी सदस्य मिलकर एक सभा का निर्माण करते हैं। इस सभा में अध्यापक भी भाग लेता है। सभा के प्रत्येक सदस्य द्वारा लिखित या मौखिक रूप में अपने कार्य-क्षेत्र की जटिल या अनुभव की गयी समस्या प्रस्तुत की जाती है।
2. समस्याओं का वर्गीकरण (Classification of problems)
साधारण सभा द्वारा चयन की गयी समस्याओं को उचित रूप प्रदान कर उनके आन्तरिक सम्बन्धित क्षेत्र के आधार पर समस्याओं का वर्गीकरण किया जाता है।
3. सामूहिक परिचर्चा (Group discussion)
अध्यापक के मार्गदर्शन में समस्याओं पर सामूहिक चर्चा की जाती है। समस्या के कारण, समाधान, कार्य-प्रविधि तथा सन्दर्भअध्ययन आदि पर चर्चा कर प्रकाश डाला जाता है।
4. वर्गवार कार्य (Class-wise work)
सभी सदस्य अपने वर्ग में अपनी रुचि की एक ही समस्या पर कार्य करते हैं। प्रत्येक सदस्य अपना कार्य, अपने वर्ग के सम्मुख रखकर उसमें अपने वर्ग के साथियों से अनुकूल कार्य कराता है। वर्ग का नेता सम्पादन का कार्य करता है।
5. कार्य को अन्तिम रूप देना (Ending form of work)
सम्पादन के पश्चात् सम्पादित कार्य साधारण सभा में प्रस्तुत किया जाता है। जहाँ पर्याप्त विचार-विमर्श के पश्चात् संशोधन के साथ उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
6. कार्य का मूल्यांकन (Evaluation of work)
अन्त में साधारण सभा के द्वारा सम्पूर्ण कार्य का मूल्यांकन किया जाता है और भविष्य के लिये आवश्यक निर्णय लिये जाते हैं।
कार्यगोष्ठी प्रविधि की विशेषताएँ (Characteristics of work seminar technique)
कार्यगोष्ठी प्रविधि को यदि सावधानीपूर्वक देखा जाय तो हमें ज्ञात होगा कि कार्यगोष्ठी प्रविधि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:-
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इस प्रविधि के अपनाने से अन्तर्दृष्टि का विकास होता है।
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यह प्रविधि सामाजिक व्यवहार एवं जीवन सम्बन्धी विभिन्न कौशलों का अर्जन कराने में सहायक है।
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यह प्रविधि समाजीकृत अभिव्यक्ति का एक व्यवस्थित एवं व्यावहारिक उद्देश्य है।
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इससे छात्रों में स्वाध्याय और गम्भीर अध्ययन की प्रवृत्ति का विकास होता है।
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यह प्रविधि छात्रों में परस्पर सहयोग की भावना का विकास करती है।
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इससे छात्रों की रुचि का परिष्कार होता है।
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निरीक्षण एवं पर्यावलोकन की क्षमताओं का विकास करने में यह प्रविधि सहायक होती है।
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परस्पर परामर्श करने से छात्रों की तार्किक शक्ति का विकास होता है।