Poem on Moon in Hindi: चांद की तो जितनी भी तारीफ की जाए उतनी ही कम है, क्योंकि चाँद जगह और व्यक्ति के लिए सुंदरता और आकर्षण का प्रतीक माना जाता है। मेरे दोस्तों, मुझे लगता है कि इसकी सराहना के लिए शब्द ही कम पड़ते हैं। हाँ, दोस्तों, आज हमारा विषय है “चाँद पर कविता” Moon Poem in Hindi। आगे चाँद पर प्रसिद्ध कविताएं Famous Poems on Moon in Hindi दीं जा रहीं हैं।
हम आपके लिए चाँद के बारे में एक अद्वितीय कविता लाए हैं, जिसमें हम चाँद की सुंदरता को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करेंगे। चाँद, प्रकृति का एक अनमोल उपहार है, जो हमें अपनी चाँदनी रातों में आनंद देता है, जैसे कि हम स्वर्ग में हैं। तो चलिए, आगे बढ़कर एक प्यारी सी कविता पर ध्यान देते हैं:
इस कविता के माध्यम से, हम चाँद की अद्वितीय सुंदरता और महत्व का समर्थन करते हैं। यह हमारी प्राकृतिक दुनिया में एक खास स्थान रखता है और हमें सदैव आकर्षित करता है।
Poem on Moon in Hindi (चंद्रमा पर कविता)
1. छैल चिकनिया Small Poem on Moon in Hindi:
छैल चिकनिया नाच रही है।
डार कटीली आँखें पापिन
भिगो रही है जीवन-जल से
भेद-भाव से ऊपर उठकर
घूम-घूम कर गाँव-डगर सब
प्यार-पँजीरी बाँट रही है।
पढ़िए: वीर रस की कविताएं
2. रात का जब है घनघोर साया Chhoti Poem on Moon in Hindi:
रात का जब है घनघोर साया
तब आकाश में चाँद जगमगाया
टिमटिमाते तारों के आँगन में
गोल चकोर मन को भाया
चाँद की शीतल चांदनी ने
दबी आकाँक्षाओं को जगा़या
चाँद कहता है सबसे रो
इंसान तू हार से क्यों घबराया
देख मुझे मेरे दाग देख
मुझ पर बहुतों ने आरोप लगाया
मैं निड़र सफ़ेद चादर ओढ़
आज फिर दोबारा यहीं आया
3. आयी है देखो अम्बर पर Best Poem on Moon in Hindi:
आयी है देखो अम्बर पर,
चंदा की बारात।
तारें आये है बाराती बनकर,
देने सपनों की सौगात।
रौशन है नगरी अम्बर की,
झिलमिल करते तारों से।
चाँद की दुल्हन बनी चंदनिया,
लगती है हजारों में।
होठों पर लिए मुस्कान,
कुछ शरमाई सी, कुछ इतराई है।
तारों की जयमाला है हाथों में,
कर रहे सब मंगलगान।
आज इ़स शुभ-मु़हर्त का,
साक्षी है पूरा अम्बर।
करने स्वागत नव जोड़े का,
छाया नभ में अम्बुद का स्वर।
4. माँ मुझको कुछ रूपये दे दो Poem on Moon in Hindi:
माँ मुझको कुछ रूपये दे दो
आरक्षण करवाना,
धरती पर बढ़ गया प्रदूषण
चंदा पर है जाना
शुद्ध हवा होगी चंदा पर
स्वच्छ मिलेगा पानी
चमकीले तारों के मुख से
सुन्नी नई कहानी
काफी शोर यहाँ सड़कों पर
मुश्किल है जी पाना
रूप बदलने का चंदा से
भेद समझ पाऊंगा
मोबाइल पर बात करूंगा
मैं तुमसे रोजाना
उत्सुकता ने जाल बिछाए
मना नहीं तुम करना
चूर चूर होंगे सब सपने
मुश्किल होगी वरना
फास्ट फूड के जैसा बदला
कितना आज जमाना
पढ़िए: कबीर दास के दोहे
5. चंदा भैया सम्भल के सोना Poem on Moon in Hindi:
चंदा भैया सम्भल के सोना
तुम बादल के बिस्तर पर
कहीं नींद में लुढ़क न जाना
तुम धड़ाम से धरती पर
दिनभर घर से गायब रहकर
तारों के संग खेले हो
थककर चूर हुए घर लौटे
नहीं सांझ से पहले हो
ओढ़ रजाई बदली की तुम
सोए सुध बुध खोकर अब
सू सू मत कर देना भैया
रहता मैं हूँ धरती पर
6. चाँद ने मार रजत का तीर Best Poem on Moon in Hindi:
चाँद ने मार रजत का तीर
निशा का अंचल डाला चीर,
जाग रे, कर मदिराधर पान,
भोर के दुख से हो न अधीर!
इंदु की यह अमंद मुसकान
रहेगी इसी तरह अम्लान,
हमारा हृदय धूलि पर, प्राण,
एक दिन हँस देगी अनजान!
7. ईद का चांद हो गया है कोई Poem on Moon in Hindi:
ईद का चांद हो गया है कोई
जाने किस देश जा बसा है कोई
पूछता हूं मैं सारे रस्तों से
उस के घर का भी रास्ता है कोई
एक दिन मैं ख़ुदा से पूछूं गा
क्या ग़रीबों का भी ख़ुदा है कोई
इक मुझे छोड़ के वो सब से मिला
इस से बढ़ के भी क्या सज़ा है कोई
दिल में थोड़ी सी खोट रखता है
यूं तो सोने से भी खरा है कोई
वो मुझे छोड़ दे कि मेरा रहे
हर क़दम पर ये सोचता है कोई
हाथ तुम ने जहां छुड़ाया था
आज भी उस जगह खड़ा है कोई
फिर भी पहुंचा न उस के दामन तक
ख़ाक बन बन के गो उड़ा है कोई
तुम भी अब जा के सो रहो ‘रहबर`
ये न सोचो कि जागता है कोई
8. नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे Poem on Moon in Hindi:
तू सफेद चाँद, उज्ज्वल चाँद रे
लग रहा आसमान का मोती है
नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे।
बड़े चाँद, ओ प्यारे चाँद रे
तेरी परछाई इस पानी में
नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे।
मुझे पता है तू कल फिर आएगा रे
दुवा मेरी है की तू ऐसे ही चमकता रहे
नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे।
पढ़िए: चेतक की वीरता
9. फीका चाँद Poem on Moon in Hindi:
सुखी टहनी, तन्हा चिड़िया, फीका चाँद
आँखों के सहरा में एक नमी का चाँद
उस माथे को चूमे कितने दिन बीते
जिस माथे की खातिर था एक टिका चाँद
पहले तू लगती थी कितनी बेगाना
कितना मुब्हम होता है पहली का चाँद
कम कैसे हो इन खुशियों से तेरा गम
लहरों में कब बहता है नदी का चाँद
आओ अब हम इसके भी टुकड़े कर ले
ढाका रावलपिंडी और दिल्ली का चाँद
10. चांद धरती पे उतरता कब है Poem on Moon:
आईना रोज़ सँवरता कब है
अक्स पानी पे ठहरता कब है?
हमसे कायम ये भरम है वरना
चाँद धरती पे उतरता कब है?
न पड़े इश्क की नज़र जब तक
हुस्न का रंग निखरता कब है?
हो न मर्ज़ी अगर हवाओं की
रेत पर नाम उभरता कब है?
लाख चाहे ऐ ‘किरण’ दिल फ़िर भी
दर्द वादे से मुकरता कब है?
Chanda Mama Poem in Hindi (चंदा मामा कविता)
11. Chanda Mama पर छोटी कविता:
चंदा मामा आओ न
दूध बताशा खाओ ना
मीठी लोरी गाओ ना
बिस्तर में सो जाओ ना
12. चंदा मामा गोल मटोल Small Poem on Chanda Mama in Hindi:
चंदा मामा गोल मटोल
कुछ तो बोल, कुछ तो बोल
कल तै आधे, आज हो गोल
खोल भी दो अब अपनी पोल
रात होते ही तुम आ जाते,
संग साथ सितारे लाते.
लेकिन दिन मैं कहाँ छीप जाते,
कुछ तो बोल, कुछ तो बोल
जानिए: Wonders of the World in Hindi
13. चंदा मामा कितने प्यारे Chanda Mama Poem in Hindi:
चंदा मामा कितने प्यारे
करते हैं अंधेरे में उजियारे।
अपनी चांदनी चारों ओर फैलाते
सबके मन को यह लुभाते।
कभी बादलों में छिप जाते
तो कभी सामने आकर हमें चढ़ाते।
साथ में अपने तारों को लाते
सुबह-सवेरे गायब हो जाते।
आओ चंदा मामा आओ
यह राज हमें भी बतलाओ।
14. चाँद पर बाल कविता
चंदा मामा चंदा मामा
मटक मटक कर घूम रहे
क्यूँ न पहनों तुम पाजामा
शरमा कर तब बोले मामा
हर दिन नाप बदलता जाए
पाजामा कैसे पूरा आए
15. “चंदा मामा नभ से उतरो” कविता:
चंदा मामा नभ से उतरो
पास हमारे आओ
इतने गोरे कैसे हो तुम
हमको भी बतलाओ
उस साबुन का नाम बताओ
जिससे तुम नहाते हो
क्रीम कौनसी वह है जिसको
नित ही आप लगाते
खूब नहाता क्रीम लगाता
तुम सा ना हो पाता
तुम्हें देखकर ही मम्मी के
झांसे में आ जाता
जाड़े में भी प्रतिदिन मम्मी
हमें रगड़ नहलाती
जब भी मैं रोने लगता हूँ
यह कहकर समझाती
मत रो मेरे मुन्ने राजा
तू दम दम दमकेगा
रोज नहाएगा तो तू भी
चंदा सा चमकेगा
16. चंदा मामा धरती पर Poem on Chanda Mama in Hindi
चंदा मामा धरती पर
बस्ती नई बसाने
किसे किसे चलना है बोलो
मिलकर मौज मनाने
शेर सिंह का सुन सवाल
भालू जी पहले आए
बोले मन करता जाकर
चंदा पर नांच दिखाएं
फिर लोमड़ी उछलकर बोली
ठहरों हम चलते हैं
पर क्या अंगूरों के गुच्छे
वहां खूब फलते हैं
बोला हाथी हमें चाँद पर
जाना है तो माता
देखें हमें कौनसा राकेट
ऊपर ले जा पाता
घोड़ा बोला हम चेतक के
वंशज है जाएगे
एक नया इतिहास वीरता
का हम गढ़ आएँगे
सबने तय पाया चंदा पर
बस्ती नई बसाएं
बड़े मजे से वहां पहुंचकर
मंगल खूब मनाएं
17. नील गगन के चंदा मामा Hindi Poem On Chanda Mama:
नील गगन के चंदा मामा
नील गगन के चंदा मामा,
क्यों करते हो तुम हंगामा।
दूर हमेशा रहने वाले,
ऊंची पेंगे भरने वाले।
पास हमारे आ जाओं तुम,
हमसे आँख चुराओ न तुम
रोज-रोज मैं तुम्हें बुलाता,
याद तेरी लेकर सो जाता।
बात हमारी कभी न मानी,
करते रहे अपनी मनमानी।
मानव तुम तक पहुँच गया है,
राज तुम्हारा समझ गया है।
खोज लिया है तुम पर पानी,
बतलाती है मेरी नानी।
मैं भी एक दिन आऊंगा,
तुमसे हाथ मिलाऊँगा।
18. चंदा मामा नील गगन में Poem On Chanda Mama:
चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।
चमचम चमचम वह तम हरते,
हरदम चलते ही रहते हैं।
कभी नहीं वह रुकते पलभर,
जब मिलते हैं हमसे हंसकर।
हंसो-हंसाओ सदा रहो खुश,
यह संदेश दिया करते हैं।
चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।
19. आसमान में चंदा मामा Short Poem On Chanda Mama In Hindi Language:
आसमान में चंदा मामा,
हरदम हसते रहते हो,
क्या नाना के डर से मामा।
लुकते-छिपते रहते हो,
क्यों होते हो बड़े छोटे,
क्यों कभी दिखाई ना देते,
है इसका क्या राज बताओ,
ज्ञान अदभु़त हमको करवाओ।
20. चंदा मामा, आ जाना, साथ मुझे कल ले जाना Poem On Chanda Mama In Hindi:
चंदा मामा, आ जाना, साथ मुझे कल ले जाना
कल से मेरी छुट्टी है ना आये तो कुट्टी है।
चंदा मामा खाते लड्डू, आसमान की थाली में
लेकिन वे पीते हैं पानी, आकर मेरी प्याली में।
चंदा देता हमें चाँदनी, सूरज देता धूप
मेरी अम्मा मुझे पिलातीं, बना टमाटर सूप।
थपकी दे-दे कर जब अम्मा, मुझे सुलाती रात में
सो जाता चंदा मामा से, करता-करता बात मैं।
21. चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बूर के Famous Poem on Chanda Mama In Hindi:
चंदामामा दूर के, पुए पकाएं बूर के
आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में
प्याली गई टूट मुन्ना गया रूठ
लाएंगे नई प्यालियाँ बजा बजा के तालियाँ
मुन्ने को मनाएंगे हम दूध मलाई खाएंगे,
चंदामामा दूर के, पुए पकाएं बूर के
आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में
उड़नखटोले बैठ के मुन्ना चंदा के घर जाएगा
तारों के संग आँख मिचौली खेल के दिल बहलाएगा
खेल कूद से जब मेरे मुन्ने का दिल भर जाएगा
ठुमक ठुमक मेरा मुन्ना वापस घर को आएगा,
चंदामामा दूर के, पुए पकाएं बूर के
आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में
22. आयी है देखो अम्बर पर Poem on Chanda Mama In Hindi:
आयी है देखो अम्बर पर,
चंदा की बारात।
तारे आये हैं बाराती बनकर,
देने सपनों की सौगात।
रौशन है नगरी अम्बर की,
झिलमिल करते तारों से।
चाँद की दुल्हन बनी चंदनिया,
लगती है हजारों में।
होंठों पर लिए मुस्कान,
कुछ शरमाई सी, कुछ इतराई है।
तारों की जयमाला है हाथों में,
कर रहे सब मंगलगान।
आज इस शुभ-मुहर्त का,
साक्षी है पूरा अम्बर।
करने स्वागत नव जोड़े का,
छाया नभ में अम्बुद का स्वर।
23. चंदामामा दूर के Chanda Mama Poem In Hindi:
चंदामामा दूर के
चंदामामा दूर के
रोज रात में आ जाते है,
पता नहीं है, हमें
ये दिन में कहा जाता है,
कभी आधे कभी गोल
कभी टेड़े कभी मेढे
तुम तो बहुत चतुर हो,
इतने रूप आप कहा से लाते हो
कभी यहाँ और कभी वहा
कभी दूर चले जाते हो
कभी बदलो में तो कभी अंधारो में खो जाते हो
रात को वापस आते हो,
दिन को कहा तुम जाते हो
क्यू नहीं बतलाते हो,
आसमा की दुनिया का दिनभर सैर करने जाते हो
हवा की झौको से मन मस्तक हो जाते हो
तुम अपना दिल बहलाते हो.
रात को तुम आते हो
दिन को कहा खो जाते हो।
24. चंदा मामा आओ ना Chanda Mama Poem In Hindi:
चंदा मामा आओ ना,
दूध बताशा खिलाओ ना,
मुझे मीठी लोरी सुनाओ ना,
हलवा पूरी खाओ ना,
बिस्तर पर सो जाओ ना।
ले जाकर मुझे बादलों में,
मेरा मन बहलाओ ना।
अपने गोदी के पलने में मुझको,
झूला तुम झुलाओं ना।
आसमाँ की दुनिया में,
मुझको तुम सैर कराओ ना।
मस्त पवन के झोंको से,
मेरा सिर सहलाओं ना।
मेरे सपने को सच करने,
चंदा मामा आओ ना।
गा़कर लोरी मीठी-मीठी,
मुझको तुम सुलाओं ना।
25. चंदामामा गोल मटोल Chanda Mama Poem In Hindi:
चंदामामा गोल मटोल,
जब ये जाते हो जाता शोर,
कुछ तो बोल कुछ तो बोल।
कल आधे आज क्यों गोल,
खुद ही खोल दो अपनी पोल।
क्यों कभी आधे और कभी होते हो गोल,
रात में आते हो तुम संग में सितारे लाते हो।
मगर दिन छिप क्यू जाते हो,
किससे तुम घबराते हो,
क्यू तुम छुप जाते हो कुछ तो बोलो।
26. चंदा मामा दूर गगन से Chanda Mama Poem In Hindi:
चंदा मामा दूर गगन से,
मेरे घर भी आओ ना।
गाकर लोरी मीठी-मीठी,
मुझको तुम सुलाओं ना।
ले जाकर मुझे बादलों में,
मेरा मन बहलाओ ना।
अपने गोदी के पलने में मुझको,
झूला तुम झुलाओं ना।
आसमाँ की दुनिया में,
मुझको तुम सैर कराओ ना।
मस्त पवन के झोंको से,
मेरा सिर सहलाओं ना।
मेरे सपने को सच करने,
चंदा मामा आओ ना।
गाकर लोरी मीठी-मीठी,
मुझको तुम सुलाओं ना।
27. हेलो हेलो चंदा मामा Poem on Chanda Mama In Hindi:
हेलो हेलो चंदा मामा,
कैसा है ऊपर सब कुछ ये तो बताना।
भूखे हो तो भी बताना,
खाना खाया क्या वो भी बताना।
आज के मौसम का हाल बताना,
रात को मिलने जल्दी आना चंदा मामा।
हमसे बातें करो न चंदा मामा,
नहीं तो हमे आता है आपसे रूठ जाना।
हमारी बातें बादलों को भी बताना,
थोड़ी देर चंदा मामा को न छुपाना।
थोड़ा सा हँस दिया करो तुम,
हम पर खुशियों की बौछार करो तुम।
अँधेरे में खूब चमको तुम,
उजाला जीवन में हमारे भरो तुम।
रात को हमें रोज मिलो तुम,
बहुत सारी बातें हमसे करो तुम।
कल आओगे न मिलने जरा ये तो बताना,
मुझे आज जल्दी है सोने जाना।
हेलो हेलो चंदा मामा,
कैसा है ऊपर सब कुछ ये तो बताना।
Chand Poem in Hindi (चांद पर कविता)
28. Nikal Aya Chand Poem in Hindi:
आसमान में देखो निकल आया है चांद
रात के अंधेरे को कम करके
देखो कितना इतराया है चांद
चांदी जैसी चांदनी इसकी
चारों तरफ फैलाकर मुस्कुराया है चांद
कभी पूरा तो कभी आधा होकर
सबके मन को भाया है चांद
दिखाकर अपनी निराली कलाएं
बच्चों का मामा कहलाया है चांद
29. Best Poem on Moon in Hindi:
चाँद ने मारा रजत का तीर
निशा का अंचल डाला चीर,
जाग रे, कर मदिराधर पान,
भोर के दुख से हो न अधीर!
इंदु की यह अमंद मुसकान
रहेगी इसी तरह अम्लान,
हमारा हृदय धूलि पर, प्राण,
एक दिन हँस देगी अनजान!
30. चंदा मामा छत पर आना कविता इन हिन्दी:
चंदा मामा चंदा मामा,
कल तुम छत पर आना!
अपने संग चाँदनी लाना
जमकर दूध मलाई खाना
बादल में जा कर छुप जाना।
चन्दा मामा चन्दा मामा,
कल तुम छत पर आना!
साथ हमारे दौड़ लगाना
खेलते हुए जब थक जाना
बादल में जा कर छुप जाना।
चन्दा मामा चन्दा मामा,
कल तुम छत पर आना!
एक कहानी मुझे सुनाना
जब सो जाऊँ नहीं जगाना
बादल में जा कर छुप जाना।
चन्दा मामा चन्दा मामा,
कल तुम छत पर आना!
भले नहीं कुछ भी तुम लाना
मामा का कर्तव्य निभाना
बादल में जा कर छुप जाना।
~ भावना कुमारी
31. ईद का चांद हो गया है कोई Chand Poem in Hindi:
ईद का चांद हो गया है कोई
जाने किस देस जा बसा है कोई
पूछता हूं मैं सारे रस्तों से
उस के घर का भी रास्ता है कोई
एक दिन मैं ख़ुदा से पूछूं गा
क्या ग़रीबों का भी ख़ुदा है कोई
इक मुझे छोड़ के वो सब से मिला
इस से बढ़ के भी क्या सज़ा है कोई
दिल में थोड़ी सी खोट रखता है
यूं तो सोने से भी खरा है कोई
वो मुझे छोड़ दे कि मेरा रहे
हर क़दम पर ये सोचता है कोई
हाथ तुम ने जहां छुड़ाया था
आज भी उस जगह खड़ा है कोई
फिर भी पहुंचा न उस के दामन तक
ख़ाक बन बन के गो उड़ा है कोई
तुम भी अब जा के सो रहो ‘रहबर`
ये न सोचो कि जागता है कोई
32. चाँदनी में साथ छाया Chand Poem in Hindi:
मौन में डूबी निशा है,
मौन-डूबी हर दिशा है,
रात भर में एक ही पत्ता किसी तरु ने गिराया!
चाँदनी में साथ छाया!
एक बार विहंग बोला,
एक बार समीर ड़ोला,
एक बार किसी पखेरू ने परों को फड़फड़ाया!
चाँदनी में साथ छाया!
होठ इसने भी हिलाए,
हाथ इसने भी उठाए,
आज मेरी ही व्यथा के गीत ने सुख संग पाया!
चाँदनी में साथ छाया!
33. चाँद-सितारों, मिलकर गाओ Chand Poem in Hindi:
आज अधर से अधर मिले हैं,
आज बाँह से बाँह मिली,
आज हृदय से हृदय मिले हैं,
मन से मन की चाह मिली,
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!
चाँद-सितारे, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
प्रणय-मिलन व्यापार हुआ है,
कितनी बार धरा पर प्रेयसि-
प्रियतम का अभिसार हुआ है!
चाँद-सितारे, मिलकर बोले।
चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!
आज अधर से अधर अलग है,
आज बाँह से बाँह अलग
आज हृदय से हृदय अलग है,
मन से मन की चाह अलग,
चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!
चाँद-सितारे, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
अटल प्रणय का बंधन टूटे,
कितनी बार धरा के ऊपर
प्रेयसि-प्रियतम के प्रण टूटे?
चाँद-सितारे, मिलकर बोले।
34. चाँद की सवारी Chand Poem in Hindi:
माँ, करके चाँद की सवारी,
मैं घूमूँगा दुनिया सारी।
परियों के देश में जाकर,
देखूँगा दुनिया उनकी निराली।
बादलों से मिलकर सुनुँगा उनसे,
रिमझिम सी बारिश की कहानी।
मस्त हवाओं संग झूम-झूमकर,
हो जाऊंगा मैं भी रूहानी।
पंक्षियों के संग ताल मिलाकर,
उडुंगा चाल मतवाली।
दूर आसमाँ में जाकर,
पा लूंगा सारी आज़ादी।
माँ, करके चाँद सवारी,
हो जाएगी हर इच्छा पूरी हमारी।
तोड़ लाऊंगा आसमाँ से कुछ तारे,
करने माँ, रौशन तेरी दुनिया प्यारी।
35. अंधेरे पाख का चांद Chand Poem in Hindi:
जैसे जेल में लालटेन
चाँद उसी तरह
एक पेड़ की नंगी डाल से झूलता हुआ
और हम
यानी पृथ्वी के सारे के सारे क़ैदी खुश
कि चलो कुछ तो है
जिसमें हम देख सकते हैं
एक-दूसरे का चेहरा!
36. चाँद और कवि Long Chand Poem in Hindi:
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।
जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?
मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते;
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।
आदमी का स्वप्न? है वह बुलबुला जल का
आज उठता और कल फिर फूट जाता है
किन्तु, फिर भी धन्य; ठहरा आदमी ही तो?
बुलबुलों से खेलता, कविता बनाता है।
मैं न बोला किन्तु मेरी रागिनी बोली,
देख फिर से चाँद! मुझको जानता है तू?
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं? है यही पानी?
आग को भी क्या नहीं पहचानता है तू?
मैं न वह जो स्वप्न पर केवल सही करते,
आग में उसको गला लोहा बनाती हूँ,
और उस पर नींव रखता हूँ नये घर की,
इस तरह दीवार फौलादी उठाती हूँ।
मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
वाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।
स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे,
रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।
37. यह चाँद नया है नाव नई आशा की Chand Poem in Hindi:
यह चाँद नया है नाव नई आशा की।
आज खड़ी हो छत पर तुमने
होगा चाँद निहारा,
फूट पड़ी होगी नयनों से
सहसा जल की धारा,
इसके साथ जुड़ीं जीवन की
कितनी मधुमय घड़ियाँ,
यह चाँद नया है नाव नई आशा की।
सात समुंदर बीच पड़े हैं
हम दो दूर किनारे,
किंतु गगन में चमक रहे हैं
दो तारे अनियारे,
मैं इनके ही संग-सहारे
स्वप्न तरी में बैठा
गाता आ जाऊँगा तुम तक एकाकी।
यह चाँद नया है नाव नई आशा की।
38. चांद एक दिन Chand Ek Din Poem in Hindi (रामधारी सिंह “दिनकर”):
हठ कर बैठा चान्द एक दिन, माता से यह बोला,
सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।
सन-सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ,
ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ।
आसमान का सफ़र और यह मौसम है जाड़े का,
न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का।
बच्चे की सुन बात, कहा माता ने “अरे सलोने”,
कुशल करे भगवान, लगे मत तुझको जादू टोने।
जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ,
एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ।
कभी एक अँगुल भर चौड़ा, कभी एक फ़ुट मोटा,
बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा।
घटता-बढ़ता रोज़, किसी दिन ऐसा भी करता है
नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है
अब तू ही ये बता, नाप तेरी किस रोज़ लिवाएँ
सी दे एक झिंगोला जो हर रोज़ बदन में आए।
हंसकर बोला चान्द, अरे माता, तू इतनी भोली।
दुनिया वालों के समान क्या तेरी मति भी डोली?
घटता-बढ़ता कभी नहीं मैं वैसा ही रहता हूँ।
केवल भ्रमवश दुनिया को घटता-बढ़ता लगता हूंँ।
आधा हिस्सा सदा उजाला, आधा रहता काला।
इस रहस्य को समझ न पाता भ्रमवश दुनिया वाला।
अपना उजला भाग धरा को क्रमशः दिखलाता हूँ।
एक्कम दूज तीज से बढ़ता पूनम तक जाता हूँ।
फिर पूनम के बाद प्रकाशित हिस्सा घटता जाता।
पन्द्रहवाँ दिन आते-आते पूर्ण लुप्त हो जाता।
दिखलाई मैं भले पड़ूँ ना यात्रा हरदम जारी।
पूनम हो या रात अमावस चलना ही लाचारी।
चलता रहता आसमान में नहीं दूसरा घर है।
फ़िक्र नहीं जादू-टोने की सर्दी का, बस, डर है।
दे दे पूनम की ही साइज का कुर्ता सिलवा कर।
आएगा हर रोज़ बदन में इसकी मत चिन्ता कर
अब तो सर्दी से भी ज़्यादा एक समस्या भारी।
जिसने मेरी इतने दिन की इज़्ज़त सभी उतारी।
कभी अपोलो मुझको रौंदा लूना कभी सताता।
मेरी कँचन-सी काया को मिट्टी का बतलाता।
मेरी कोमल काया को कहते राकेट वाले
कुछ ऊबड़-खाबड़ ज़मीन है, कुछ पहाड़, कुछ नाले ।
चन्द्रमुखी सुन कौन करेगी गौरव निज सुषमा पर?
खुश होगी कैसे नारी ऐसी भद्दी उपमा पर।
कौन पसन्द करेगा ऐसे गड्ढों और नालों को ?
किसकी नज़र लगेगी अब चन्दा से मुख वालों को ?
चन्द्रयान भेजा अमरीका ने भेद और कुछ हरने।
रही सही जो पोल बची थी उसे उजागर करने।
एक सुहाना भ्रम दुनिया का क्या अब मिट जाएगा?
नन्हा-मुन्ना क्या चन्दा की लोरी सुन पाएगा?
अब तो तू ही बतला दे माँ कैसे लाज बचाऊँ?
ओढ़ अन्धेरे की चादर क्या सागर में छिप जाऊँ?
~ रामधारी सिंह “दिनकर”
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