बादल – बादलों का बनना, बादलों के प्रकार, बारिश का होना, बादलों का फटना और गरजना, बिजली का चमकना और गिरना

बादल हमारी सृष्टि की एक अद्भुत कृति हैं, जो जलवायु तंत्र को प्रभावित करते हैं। इस पोस्ट में हम बादलों के गठन, विभिन्न प्रकारों, बारिश के तरीकों, बादलों के फटने और गर्जने, तथा बिजली के चमकने और गिरने के बारे में जानेंगे।

Clouds in Hindi

बादल मौसम पूर्वानुमान और चेतावनियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे जलचक्र और पूरे जलवायु तंत्र को संचालित करने में मदद करते हैं। बादलों ने अपनी सुंदरता से  कलाकारों, कवियों, संगीतकारों, फोटोग्राफरों और असंख्य अन्य उत्साही लोगों को प्रेरित किया है।

बादल क्या होते हैं?

बादल (Clouds) वायुमंडल में नमी के घनीभूत होने से बनने वाले जलवाष्प की सूक्ष्म बूंदों या बर्फ के कणों का समूह होते हैं। ये पृथ्वी की सतह से ऊपर हवा में तैरते हैं और विभिन्न प्रकार की मौसमीय स्थितियों को उत्पन्न करते हैं। बादल आकाश में अलग-अलग ऊंचाइयों पर बनते हैं और उनके विभिन्न आकार-प्रकार होते हैं, जैसे कुमुलस (ढेलेदार), स्ट्रेटस (चादरनुमा) और सिरस (पतले और ऊंचे) बादल।

बादल एक जलमंडलीय (hydrometeor) घटक है, जो तरल पानी या बर्फ के छोटे-छोटे कणों, या दोनों से मिलकर बना होता है, जो वायुमंडल में निलंबित रहते हैं और आमतौर पर जमीन को नहीं छूते। इसमें तरल पानी या बर्फ के बड़े कण भी शामिल हो सकते हैं, साथ ही गैर-जलीय तरल या ठोस कण भी हो सकते हैं, जैसे धुएं, धूल या धुंध में पाए जाने वाले कण।

बादलों का बनना (Cloud Formation in Hindi)

बादल कैसे बनते हैं? बादल निर्माण की प्रक्रिया वायुमंडल की स्थिरता से जुड़ी होती है, यानी हवा की उठने की प्रवृत्ति से। वायुमंडल में बादल बनने का सबसे बड़ा संकेतक वायुमंडल की स्थिरता होती है। जब हवा ऊपर उठती है, तो यह ठंडी हो जाती है और संघनित होती है, जिससे बादल बनते हैं।

जब हवा ऊपर उठती है, तो यह ठंडी होती जाती है और उसकी नमी (आर्द्रता) बढ़ने लगती है। एक बिंदु पर, हवा का तापमान और ओसांक (वह तापमान जिस पर नमी पानी की बूंदों में बदलती है) एक जैसे हो जाते हैं। तब हवा पूरी तरह से नमी से भर जाती है। इसके बाद हवा में मौजूद पानी की बूंदें बनने लगती हैं, जिसे संघनन कहते हैं। इससे बादल बनते हैं और थोड़ा गर्मी भी निकलती है, जो हवा को ठंडा होने से थोड़ी रोकती है। इस कारण, हवा अब धीमी गति से ठंडी होती है, जिसे “आर्द्र रुद्धोष्म दर” कहा जाता है।

यदि वायु की ठंडक की दर आर्द्र रुद्धोष्म दर से कम हो (ALR < DALR), तो वायुमंडल स्थिर होता है और हवा ऊपर उठने की बजाय नीचे रहने की कोशिश करती है, इसे “निरपेक्ष स्थिरता (Absolute Stability)” कहते हैं। इस स्थिति में बादल पतले और चौड़े होते हैं, जैसे स्ट्रेटस या निम्बोस्ट्रेटस। इस स्थिति में बारिश या गरज-तूफान नहीं होते।

यदि वायु अस्थिर होती है, तो वह गर्म और हल्की होती है, जिससे वह ऊपर उठती है (WALR < ALR), इस स्थिति को “निरपेक्ष अस्थिरता (Absolute instability)” कहा जाता है। इस स्थिति में बादल ऊँचाई की तरफ तेजी से बढ़ते हैं। जिससे तीव्र गरज-तूफान उत्पन्न हो सकते हैं। इस स्थिति में मौसम अस्थिर रहता है।

बादल बनने के मुख्य कारण होते हैं: धरती का गर्म होना, हवा का स्वतः ऊपर उठना, पहाड़ों के ऊपर से हवा का गुजरना, सतह की हवा का एक जगह इकट्ठा होना, और फ्रंटल सिस्टम के जरिए उठना।

पढ़ें- रुद्धोष्म ह्रास दर और वायुमंडलीय अस्थिरता एवं स्थिरता

Cloud Formation

बादल बनने की प्रक्रिया

बादल बनने की प्रक्रिया को संघनन (Condensation) कहा जाता है। यह प्रक्रिया निम्न प्रकार से तीन चरणों में होती है-

  1. वाष्पीकरण (Evaporation): सूर्य की गर्मी से पृथ्वी की सतह पर मौजूद पानी (नदी, तालाब, समुद्र, आदि) वाष्पित होकर हवा में जलवाष्प के रूप में मिल जाता है। यह जलवाष्प हल्का होता है, इसलिए वह ऊंचाई पर उठता है।
  2. संघनन (Condensation): जैसे-जैसे जलवाष्प ऊंचाई पर उठता है, वहाँ का तापमान कम होता जाता है और हवा ठंडी होती जाती है। ठंडा होने पर हवा में उपस्थित जलवाष्प इकठ्ठा होने लगता है, यानी यह जल की छोटी-छोटी बूंदों या बर्फ के कणों में बदल जाता है।
  3. संघीकरण (Coalescence): संघनन के पश्चात जब छोटी-छोटी बूंदों या बर्फ के कणों का एकीकरण या संघीकरण होने से ये जल की छोटी बूंदें हवा में तैरते हुए एक-दूसरे से मिलकर समूह बना लेती हैं, जिससे बादल का निर्माण होता है। ये सूक्ष्म जल कण हवा के तापमान और नमी के आधार पर विभिन्न प्रकार के बादलों का निर्माण करते हैं।

बारिश का होना

बारिश कैसे होती है? जब बादल बन जाते हैं, तो बारिश होने की प्रक्रिया इस प्रकार होती है-

बादल में मौजूद सूक्ष्म जल बूंदें जब आपस में टकराकर बड़ी हो जाती हैं, तो उनका भार बढ़ने लगता है। जब ये बूंदें इतनी बड़ी हो जाती हैं कि वे हवा में तैर नहीं सकतीं, तो वे गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से धरती की ओर गिरने लगती हैं। ये बूंदे कई रूप में धरती पर गिरती हैं-

  1. वर्षा: बड़ी-बड़ी बूंदें धरती पर बारिश के रूप में गिरती हैं। अगर वातावरण का तापमान बहुत कम होता है, तो ये बूंदें बर्फ या ओले के रूप में भी गिर सकती हैं। बारिश के दौरान, बादलों से पानी की ये बूंदें लगातार गिरती रहती हैं, जिससे वर्षा होती है।
  2. ओले: जब बूंदें तरल के रूप में गिरने की बजाय बर्फ के टुकड़ों के रूप में गिरतीं हैं, तो उसे ओले कहते हैं।
  3. हिमपात: जब पानी किसी ठोस के रूप में गिरता है तो उसे हिमपात कहते हैं।
  4. ओस: सर्दियों के मौसम में पानी बिल्कुल छोटी-छोटी बूंदों के रूप में बरसता है जिसे हम ओस कहते हैं।

बारिश के लिए यह जरूरी है कि वातावरण में पर्याप्त नमी हो और तापमान ऐसा हो कि जलवाष्प घनीभूत होकर बूंदों में परिवर्तित हो सके।

बादलों के प्रकार (Types Of Clouds In Hindi)

बादल निरंतर बदलते रहते हैं और अनगिनत रूपों में दिखाई देते हैं। हालांकि, एक सीमित संख्या में कुछ विशिष्ट रूप होते हैं, जो दुनिया भर में अक्सर देखे जाते हैं, और इन्हें एक वर्गीकरण योजना के अंतर्गत व्यापक रूप से समूहित किया जा सकता है। बादलों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है-

  1. स्वरूप की आधार पर बादल
  2. ऊंचाई के आधार पर बादल

स्वरूप की आधार पर बादलों के प्रकार

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार अधिकांश बादलों के नामों में लैटिन उपसर्ग और प्रत्यय होते हैं, जो मिलकर बादल के गुणों का संकेत देते हैं। इनमें शामिल हैं-

  1. स्तरी बादल (Stratus Clouds)
  2. पक्षाभ बादल (Cirrus Clouds)
  3. कपासी बादल (Cumulus Clouds)
  4. वर्षा बादल (Nimbus Clouds)
  5. मध्यस्तरी बादल (Alto Clouds)

1. स्तरी बादल (Stratus Clouds)

स्तरी बादलों का सबसे ज्यादा क्षैतिज फैलाव होता है। ये बादल परतों के रूप में होते हैं। स्तरी बादल की ऊँचाई आमतौर पर 0 से 2 किमी के बीच होती है। इनकी कुछ प्रमुख श्रेणियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. स्तरी बादल (Stratus (St))
  2. स्तरी कपासी बादल (Stratocumulus (Sc))
  3. बर्षास्तरी बादल (Nimbostratus (Ns))

2. पक्षाभ बादल (Cirrus Clouds)

ये बादल सफेद रंग के, पंखों जैसे दिखते हैं और पतले, फैले हुए होते हैं। ये सबसे ऊंचाई पर बनने वाले बादल हैं, जो 6 किमी से अधिक की ऊँचाई पर पाए जाते हैं। इनका घनत्व कम होता है, जिससे सूर्य की रोशनी आसानी से पृथ्वी तक पहुंच जाती है। इनका निर्माण बर्फ के क्रिस्टलों से होता है, इसी वजह से इन्हें “मोती की माला” भी कहा जाता है। पक्षाभ बादलों की प्रमुख श्रेणियाँ निम्न हैं-

  1. पक्षाभ बादल (Cirrus (Ci))
  2. पक्षाभ कपासी बादल (Cirrocumulus (Cc))
  3. पक्षाभ स्तरी बादल(Cirrostratus (Cs))

3. कपासी बादल (Cumulus Clouds)

कपासी बादल साफ मौसम का संकेत देते हैं। ये बादल आकार में बड़े और घने होते हैं, और आसमान में रुई के ढेर जैसे दिखाई देते हैं। कपासी बादल की ऊँचाई सामान्यतः 600 से 1,800 मीटर के बीच होती है, लेकिन कुछ कपासी बादल इससे भी ऊंचे होते हैं। कपासी बादलों के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें शामिल हैं-

  1. कपासी बादल (Cumulus (Cu))
  2. कपासी वर्षा बादल (Cumulonimbus (Cb))

4. वर्षा बादल (Nimbus Clouds)

वर्षा बादल गहरे काले रंग के होते हैं, जो लगातार वर्षा या हिमवर्षा करते हैं। इनकी सघनता बहुत अधिक होती है, जिससे धरती पर अंधेरा छा जाता है, क्योंकि ये सूर्य की किरणों को पार नहीं होने देते। ये बादल सामान्यतः 600 से 3,000 मीटर की ऊँचाई पर पाए जाते हैं, लेकिन कुछ निंबस बादल इससे भी ऊंचे होते हैं। इन बादलों की प्रमुख श्रेणियाँ निम्न हैं-

  1. वर्षा बादल (Nimbus (Nb))
  2. वर्षास्तरी बादल (Nimbostratus (Ns))

5. मध्यस्तरी बादल (Alto Clouds)

मध्यस्तरी बादल (Alto Clouds) वे बादल होते हैं जो पृथ्वी की सतह से लगभग 2 से 6 किलोमीटर की ऊँचाई पर बनते हैं। ये बादल बारिश या बर्फ की संभावना का संकेत देते हैं, खासकर जब वे गहरे और घने हो जाते हैं। इन बादलों की दो प्रमुख श्रेणियाँ होती हैं-

  1. मध्यस्तरी बादल (Altostratus (As))
  2. मध्यस्तरी कपासी बादल (Altocumulus (Ac))

Types of Clouds

ऊंचाई के आधार पर बादलों के प्रकार

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बादलों को उनकी ऊँचाई और अन्य विशेषताओं के आधार पर, बादलों के दस (10) प्रकार के वंश बताए हैं। इनकी प्रजातियाँ और उनके प्रकारों आदि को मिलाकर लगभग 100 भेद बनते हैं। यहाँ हम बादलों के 10 प्रकारों के बारे में ही चर्चा करेंगे, जिसका विवरण निम्नलिखित है-

  1. उच्च ऊँचाई वाले बादल (6 किमी – 12 किमी)
  2. मध्यम ऊँचाई वाले बादल (2 किमी – 6 किमी)
  3. निम्न ऊँचाई वाले बादल (2 किमी से कम)
  4. ऊर्ध्वाधर रूप से विस्तारित बादल

High Level Clouds in Hindi

उच्च ऊँचाई वाले बादल (6 किमी – 12 किमी)

उच्च स्तर (High Level) बादल आसमान में कुछ किलोमीटर ऊंचाई पर बनते हैं, जिनकी सटीक ऊंचाई उस तापमान पर निर्भर करती है जहाँ वे बनते हैं। ये बादल लगभग 6 से 12 किलोमीटर की ऊंचाई पर होते हैं। उच्च स्तरीय बादल निम्न प्रकार के होते हैं-

1. पक्षाभ बादल (Cirrus Clouds)

ये सबसे अधिक ऊँचाई पर बनने वाले सफेद बादल होते हैं, जो बर्फ के कणों से बने होते हैं। ये सफेद पक्षी के पंखों या रेशम के धागों की तरह दिखाई देते हैं। आमतौर पर ये साफ मौसम का संकेत देते हैं, लेकिन यदि इनमें हुक जैसी संरचना बनने लगे, तो यह चक्रवात के आने का संकेत होता है। इन बादलों का एल्बिडो (सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने की क्षमता) अधिक होता है।

2. पक्षाभ स्तरी बादल (Cirrostratus Clouds)

ये पतली, सफेद और झीनी चादर की तरह होते हैं, जो पूरे आकाश में फैल जाते हैं। ये सूर्य और चंद्रमा के चारों ओर आभामंडल (हेलो) का निर्माण करते हैं। ये बादल अक्सर आने वाले चक्रवात या खराब मौसम का संकेत देते हैं।

3. पक्षाभ कपासी बादल (Cirrocumulus Clouds)

ये ऊँचाई पर स्थित, छोटे-छोटे रुई के गोलों की तरह दिखने वाले बादल होते हैं। इन्हें “मैकेरल बादल” भी कहा जाता है, क्योंकि इनका पैटर्न मछली की त्वचा जैसा दिखता है। ये बादल वर्षा का संकेत नहीं होते, लेकिन ये अक्सर मौसम में बदलाव की पूर्वसूचना देते हैं।

Middle Level Clouds in Hindi

मध्यम ऊँचाई वाले बादल (2 किमी – 6 किमी)

मध्य स्तर (Middle Level) बादल निम्न स्तर और उच्च स्तर के बादलों के बीच में बनते हैं। इनकी ऊंचाई धरती की सतह से 2 से 6 किलोमीटर के बीच होती है। मध्य स्तरीय बादल निम्न प्रकार के होते हैं-

4. मध्यस्तरी बादल (Altostratus Clouds)

ये मध्यम ऊँचाई पर फैले हुए बादल होते हैं, जो सूर्य और चंद्रमा को ढक लेते हैं लेकिन आभामंडल का निर्माण नहीं करते। इन बादलों के साथ वर्षा की संभावना रहती है, खासकर हल्की बारिश या बर्फबारी की।

5. मध्यकपासी बादल (Altocumulus Clouds)

ये बादल मध्यम ऊँचाई पर सफेद या भूरे रंग के छोटे-छोटे गुच्छों की तरह दिखते हैं। ये आमतौर पर समूहों में बिखरे होते हैं और हल्की छाया डालते हैं। मध्यकपासी बादल बारिश का संकेत नहीं होते, लेकिन उनके दिखाई देने पर मौसम में बदलाव की संभावना होती है। इसलिए इन्हें पताका बादल भी कहते हैं।

Low Level Clouds in Hindi

निम्न ऊँचाई वाले बादल (2 किमी से कम)

निम्न स्तर (Low Level) बादल धरती की सतह से एक या दो किलोमीटर की ऊंचाई पर बनते हैं। हालांकि, ये बादल भूमि को छूते हुए भी बन सकते हैं, जिन्हें कुहरा या धुंध कहा जाता है। निम्न ऊँचाई वाले बादल निम्न प्रकार के होते हैं-

6. वर्षा स्तरी बादल (Nimbostratus Clouds)

ये गहरे और मोटे बादल होते हैं जो आकाश को पूरी तरह ढक लेते हैं। इनसे लगातार मध्यम से तीव्र बारिश या बर्फबारी होती है, और अक्सर लंबे समय तक मौसम को धुंधला और नम बनाए रखते हैं।

7. स्तरी बादल (Stratus Clouds)

ये बादल आकाश में एक समान परत के रूप में फैले होते हैं और आकाश को धुंधला कर देते हैं। इनका रूप सपाट और फैला हुआ होता है, और ये आमतौर पर हल्की बूंदाबांदी या धुंध का कारण बनते हैं।

8. स्तरी कपासी बादल (Stratocumulus Clouds)

ये घने बादल होते हैं जो बड़े-बड़े रुई के गोलों की तरह दिखाई देते हैं।

Vertical Level Clouds in Hindi

ऊर्ध्वाधर रूप से विस्तारित बादल

ऊर्ध्व स्तर (Vertical Level) बादल निम्न स्तर से उच्च स्तर बादलों तक फैले हुए होते हैं। ऊर्ध्वाधर रूप से विस्तारित बादल निम्न प्रकार के हो सकते हैं-

9. कपासी बादल (Cumulus Clouds)

ये स्वतंत्र बादल होते हैं, जो आमतौर पर घने और स्पष्ट किनारों वाले होते हैं। इनका आधार सपाट होता है, जबकि शीर्ष गुंबद के आकार का होता है, जिसमें ऊपरी उभार वाला भाग अक्सर गोभी के फूल जैसा दिखता है। सूर्य की रोशनी से चमकने वाले हिस्से ज्यादातर चमकीले सफेद होते हैं, जबकि उनकी नींव अपेक्षाकृत गहरी और लगभग क्षैतिज होती है। आमतौर पर ये वर्षा नहीं लाते, लेकिन इनसे गरज जरूर सुनाई देती है।

10. कपासी वर्षा बादल (Cumulonimbus Clouds)

ये गहरे और ऊँचाई तक फैले हुए स्तंभाकार बादल होते हैं, जिन्हें ‘तड़ितझंझा‘ भी कहा जाता है। इन बादलों से तीव्र वर्षा, गरज के साथ बिजली की चमक और तेज हवाएं कम समय में उत्पन्न होती हैं।

बादलों का फटना

बादल फटने की घटना अचानक और तीव्र बारिश को दर्शाती है, जैसे किसी पानी से भरे गुब्बारे के फूटने पर पानी गिरता है। जब किसी 10×10 किमी के क्षेत्र में एक घंटे में 100 मिमी (10 सेमी) या उससे अधिक बारिश होती है, तो इसे बादल फटना कहा जाता है।

सामान्यतः पूरे भारत में सालभर में औसतन 116 सेमी बारिश होती है। लेकिन जब बादल फटता है, तो एक घंटे में ही उस जगह पर सालाना बारिश का 10-12 प्रतिशत तक बरस जाता है।

हालांकि बादल फटना कहीं भी हो सकता है, लेकिन यह घटना अक्सर पहाड़ी इलाकों में देखी जाती है। यह तब होता है जब बादल गर्म हवा के तेज प्रवाह से बारिश करने में असमर्थ हो जाते हैं। बारिश की बूंदें गिरने के बजाय ऊपर उठने लगती हैं, जिससे बूंदों का आकार बढ़ता जाता है। एक समय ऐसा आता है जब बूंदें भारी हो जाती हैं और बादल उन्हें रोक नहीं पाता, जिसके कारण ये बूंदें अचानक तेजी से गिरने लगती हैं, जिससे बादल फटने की स्थिति उत्पन्न होती है।

अधिकतर पहाड़ी इलाकों में ही बादल फटने की घटनाएं होती हैं, क्योंकि पहाड़ बादलों को रोककर गर्म हवा के ऊपर उठने में सहायता करते हैं, जिससे बादल फटने की संभावना बढ़ जाती है।

बिजली का चमकना

बिजली तब चमकती है जब बादलों के अंदर लगातार हलचल होती रहती है। बारिश के बादल स्थिर चार्ज के रूप में बिजली को संग्रहीत रखते हैं, और बादलों के भीतर की हवा बहुत अशांत रहती है। बादल के निचले हिस्से में मौजूद पानी की बूंदें गर्म हवा (updraft) के कारण ऊंचाई तक पहुंच जाती हैं, जहां अत्यधिक ठंडा वातावरण उन्हें जमा देता है। इस दौरान, ठंडी हवा (downdraft) बर्फ और ओलों को बादल के ऊपरी हिस्से से नीचे की ओर धकेलती है। इसी समय, नीचे जाती हुई बर्फ और ऊपर उठती हुई पानी की बूंदें आपस में टकराती हैं, जिससे इलेक्ट्रॉन्स अलग होने लगते हैं।

इस प्रक्रिया से बादल के ऊपरी हिस्से में धनात्मक (Positive +) और निचले हिस्से में ऋणात्मक (Negative -) आवेश अलग हो जाते हैं। जैसे-जैसे इन दोनों आवेशों का आकार बढ़ता है, बादलों के अंदर इनके बीच एक विशाल चिंगारी उत्पन्न होती है, जिसे हम बिजली चमकना कहते हैं।

बादलों का गरजना

बादल की गर्जना बिजली चमकने के बाद सुनी जाने वाली जोरदार आवाज होती है। जब बिजली चमकती है, तो इसके साथ बिजली के आवेश और चुम्बकीय प्रभाव के कारण जल, बर्फ, और हवा के कण आपस में टकराते हैं। इस टकराव से उत्पन्न तेज आवाज ही बादलों की गर्जना कहलाती है। इसके अलावा, बिजली के अत्यधिक गर्म होने से इसके आसपास की हवा तेजी से गर्म होकर धमाके जैसी आवाज के साथ फैलती है, जिससे गर्जना और भी तेज हो जाती है।

यदि बिजली हमारे करीब कड़कती है, तो हमें तेज टकराहट जैसी आवाज सुनाई देती है, जबकि दूर कड़कने पर बादलों की गहरी गर्जन सुनाई देती है। इसकी वजह यह है कि दूर की आवाज कई वस्तुओं से टकराकर हमारे पास पहुंचती है और इस दौरान हम एक ही आवाज की अलग-अलग कोणों से आने वाली प्रतिध्वनि या गूंज (Echo) सुनते हैं। जब बिजली नजदीक होती है, तो यह आवाज तीखी और तेज होती है।

बादल की गर्जना और बिजली का चमकना दोनों साथ-साथ होते हैं, लेकिन गर्जन की आवाज हमें बाद में सुनाई देती है क्योंकि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज होती है।

बिजली का गिरना

जब बादल के निचले हिस्से में ऋणात्मक आवेश अत्यधिक बढ़ जाता है, तो यह धरती पर मौजूद धनात्मक आवेश की ओर आकर्षित होता है, क्योंकि विपरीत आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। इस स्थिति में, ऋणात्मक आवेश का एक प्रवाह, जिसे “स्टेप्ड लीडर” (stepped leader) कहा जाता है, धरती की ओर बढ़ता है।

धरती पर मौजूद धनात्मक आवेश इस स्टेप्ड लीडर की ओर आकर्षित होता है और ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। यह प्रक्रिया किसी ऊंची चीज़ जैसे पेड़, लाइटनिंग कंडक्टर, या यहां तक कि किसी इंसान के माध्यम से हो सकती है। जब स्टेप्ड लीडर और धरती का धनात्मक आवेश मिलते हैं, तो एक शक्तिशाली विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करंट) पॉजिटिव चार्ज को बादलों की ओर ले जाती है। इस विद्युत धारा को “रिटर्न स्ट्रोक” (return stroke) कहा जाता है, जिसे हम बिजली की एक तेज चमक के रूप में देखते हैं। यही प्रक्रिया बिजली गिरने की घटना बनाती है।

कृत्रिम बादल

जब समुद्र का पानी गर्म होता है, तो भाप बनकर ऊपर जाती है और ठंडी होने पर बादल बन जाती है। ये बादल फिर संघनित होकर बारिश के रूप में वापस गिरते हैं। यही प्रक्रिया कृत्रिम बादल बनाने में भी अपनाई जाती है, बस इसमें रसायनों और विमानों का इस्तेमाल होता है।

मौसम संशोधन में हाइग्रोस्कोपिक धातु एयरोसोल का उपयोग किया जाता है, जो वर्षा को प्रेरित करने के लिए काम आता है। इसमें सिल्वर आयोडाइड का इस्तेमाल होता है, जो बदल निर्माण को बढ़ावा देता है। ये अदृश्य रसायन लगभग 20,000 फीट की ऊँचाई पर फैलाए जाते हैं। जेट विमानों से निकलने वाली भाप और सिल्वर आयोडाइड मिलकर बादल बनाते हैं। एक बार ये रसायन वातावरण में फैल जाते हैं, तो उचित स्थिति मिलने पर बादल के रूप में दिखाई देने लगते हैं।

क्लाउड सीडिंग

क्लाउड सीडिंग एक प्रक्रिया है, जिसके जरिए कृत्रिम तरीके से बादल बनाए जाते हैं और बारिश करवाई जाती है। इसमें रसायनों जैसे सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड, तरल प्रोपेन या ठोस कार्बन डाइऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है। ये रसायन विमान, रॉकेट या जमीन से छोड़े गए उपकरणों की मदद से बादलों तक पहुंचाए जाते हैं।

बादल बनाने के लिए विमान के पंखों पर सिल्वर आयोडाइड फ्लेयर लगाए जाते हैं। ये जलते हैं और सिल्वर आयोडाइड नामक रसायन बनाते हैं, जो बादलों को मोटा और घना करता है, जिससे बारिश की संभावना बढ़ जाती है। इस तकनीक का इस्तेमाल बारिश को बढ़ाने के लिए कई देशों में किया जाता है।

इसके लिए पहले गर्म हवा को ऊपर भेजा जाता है। फिर बादलों को और घना बनाने के लिए कुछ रसायन छिड़के जाते हैं। इसके बाद सिल्वर आयोडाइड का छिड़काव कर बारिश शुरू की जाती है। हालांकि, इन रसायनों से बने बादल और बारिश जहरीले हो सकते हैं, जो पेड़-पौधों और जानवरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में बारिश और बर्फबारी बढ़ाने के लिए किया जाता है, जैसे अमेरिका, चीन और भारत में। अमेरिका में तो इस तकनीक के लिए कंपनियों से किराए पर भी लिया जाता है। चीन में बड़े पैमाने पर कृत्रिम बादल बनाकर बारिश करवाई जाती है, खासतौर से तिब्बत के पठारी इलाकों में। भारत में 2015 में महाराष्ट्र में सूखे से निपटने के लिए पहली बार क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया गया था।

Water Cycle in Hindi

जलचक्र

जलचक्र (Water Cycle) वह प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें पृथ्वी पर जल का निरंतर संचलन होता रहता है। इसे हाइड्रोलॉजिकल साइकिल भी कहा जाता है। जलचक्र के अंतर्गत पानी पृथ्वी की सतह से वायुमंडल तक और फिर वापस पृथ्वी पर विभिन्न अवस्थाओं (ठोस, द्रव, और वाष्प) में घूमता रहता है। इस चक्र के चार प्रमुख चरण होते हैं:

  1. वाष्पीकरण (Evaporation): जब सूर्य की गर्मी से जलाशयों (समुद्र, नदियों, झीलों) से पानी वाष्प बनकर हवा में उड़ता है। पौधों से भी जल वाष्प के रूप में वातावरण में जाता है, जिसे वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहा जाता है।
  2. संघनन (Condensation): जब हवा में उठी जलवाष्प ठंडी होकर बादलों का निर्माण करती है। यह वायुमंडल में छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जमा हो जाती है।
  3. वर्षा (Precipitation): जब संघनन के बाद जलकण भारी हो जाते हैं, तो ये वर्षा, हिमपात या ओलावृष्टि के रूप में धरती पर गिरते हैं।
  4. प्रवाह (Runoff): धरती पर गिरे जल का कुछ हिस्सा जलाशयों, नदियों और समुद्रों में चला जाता है, और कुछ पानी भूमि के अंदर जाकर भूजल के रूप में जमा हो जाता है। यह पानी फिर से वाष्पीकरण और वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से जलचक्र में वापस लौटता है।

यह प्रक्रिया अनवरत रूप से चलती रहती है और पृथ्वी पर जल का संतुलन बनाए रखती है।

Frequently Asked Questions

1.

बादल क्या होते हैं?

बादल वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प के संघनन से बने छोटे-छोटे जलकणों या बर्फ के कणों के समूह होते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि हवा में तैरते रहते हैं और एकत्रित होकर बादल का रूप लेते हैं।

2.

बादलों का निर्माण कैसे होता है?

बादलों का निर्माण वाष्पीकरण और संघनन की प्रक्रिया से होता है। जब सूर्य की गर्मी से जलाशयों और भूमि से जल वाष्प बनकर ऊपर उठता है और ठंडी हवा के संपर्क में आकर जलवाष्प का संघनन होता है। ये जलकण मिलकर बादल बनाते हैं।

3.

बादल किन अवस्थाओं में पाए जाते हैं?

बादल मुख्य रूप से तीन अवस्थाओं में पाए जाते हैं: तरल जलकण (पानी), ठोस कण (बर्फ के क्रिस्टल), और मिश्रित अवस्था (जल और बर्फ दोनों)।

4.

क्या सभी बादलों से बारिश होती है?

नहीं, सभी बादलों से बारिश नहीं होती। केवल वे बादल जो पर्याप्त मात्रा में संघनित जलकणों या बर्फ के कणों को एकत्रित कर लेते हैं और भारी हो जाते हैं, वे वर्षा करते हैं। विशेषकर, निंबस बादल और कुम्युलोनिंबस बादल बारिश के लिए जाने जाते हैं।

5.

बादलों का रंग सफेद या काला क्यों होता है?

बादल सूर्य की रोशनी को परावर्तित करते हैं। जब बादल पतले होते हैं और उनमें जलकण कम होते हैं, तो वे सफेद दिखाई देते हैं। जब बादल घने होते हैं और उनमें जलकणों की मात्रा अधिक होती है, तो वे अधिक सूर्य की रोशनी को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे वे काले या भूरे दिखाई देते हैं।

6.

वर्षा कैसे होती है?

जब बादलों में जलकण या बर्फ के क्रिस्टल इतने बड़े और भारी हो जाते हैं कि वे हवा में तैर नहीं सकते, तब वे गिरने लगते हैं। ये जलकण बारिश के रूप में धरती पर आते हैं। अगर तापमान बहुत कम होता है, तो बर्फ या ओले भी गिर सकते हैं।

7.

बादल क्यों तैरते हैं?

बादल में मौजूद जलकण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, इस वजह से वे हवा के साथ तैरते रहते हैं। इसके अलावा, वातावरण में ऊपर की ओर उठने वाली गर्म हवाएं बादल को तैरने में मदद करती हैं।

8.

बिजली और बादलों की गर्जना कैसे होती है?

जब बादल आपस में रगड़ खाते हैं, तो बिजली पैदा होती है। यह बिजली चमकने के बाद हवा के तेज़ गर्म और ठंडे होने से ध्वनि तरंगे उत्पन्न होती हैं, जिससे बादलों की गर्जना सुनाई देती है।

9.

बादल क्यों फटते हैं?

जब बादल भारी मात्रा में जलवाष्प को रोक नहीं पाते हैं, तो वे अचानक बड़ी मात्रा में पानी गिरा देते हैं। इस घटना को बादल फटना कहा जाता है। यह विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में होता है, जहाँ ऊँचाई की वजह से बादल एक जगह रुक जाते हैं।

10.

क्या बादलों के प्रकारों से मौसम का अंदाजा लगाया जा सकता है?

हाँ, बादलों के प्रकारों से मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। जैसे कि काले और घने बादल बारिश या तूफान का संकेत देते हैं, जबकि पतले और सफेद बादल साफ मौसम का सूचक होते हैं।

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बादल कैसे दिखते हैं?

बादल अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं- सिरस बादल पतले और रेशेदार दिखते हैं। कुम्यलस बादल रुई के ढेर जैसे होते हैं। निंबस बादल काले और भारी दिखते हैं।

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