Mira Bai Poems in Hindi “मीराबाई” बचपन से ही कृष्ण की भक्त थीं। गोपियों की भाँति मीरा माधुर्य भाव से कृष्ण की उपासना करती थीं। मीरा जिन पदों को गाती थीं तथा भाव-विभोर होकर नृत्य करती थीं, वे ही गेय पद उनकी रचना कहलाए। ‘नरसीजी का मायरा‘, ‘राग गोविन्द‘, ‘राग सोरठ के पद‘, ‘गीतगोविन्द की टीका‘, ‘मीराबाई की मल्हार‘, ‘राग विहाग‘ एवं फुटकर पद, तथा ‘गरवा गीत’ आदि मीरा की प्रसिद्ध रचनाएँ (Meera Bai Poem in Hindi) हैं।
कृष्णभक्त मीरा जी का जन्म सन् 1498 ई० के लगभग राजस्थान में मेड़ता के पास चौकड़ी ग्राम में हुआ था। उनका विवाह उदयपुर के राणा साँगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ था। विवाह के कुछ ही समय बाद उनके पति की मृत्यु हो गयी। वे कृष्ण को ही अपना पति कहती थीं और लोक-लाज खोकर कृष्ण के प्रेम में लीन रहती थीं। मीरा की मृत्यु द्वारका में सन् 1546 ई० के आसपास मानी जाती है।
पढ़ें- मीराबाई का सम्पूर्ण जीवन परिचय।
गिरिधर नागर (Giridhar Nagar Poem in Hindi)
मीराबाई जब कोई पद लिखती हैं तो वे श्री कृष्ण के लिय सम्बोधन के रूप “गिरिधर नागर” शब्द का प्रयोग करती हैं, वे यह लाइन “मीरा के प्रभु गिरधर नागर” अधिकांशतः पदों में हू-ब-हू प्रयोग करतीं हैं। मीराबाई की कविताएं पदावली के रूप में प्रसिद्ध हैं, उनकी एक पदावली वहुत ही प्रसिद्ध हैं जो इस प्रकार है-
Mirabai Poems in Hindi
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।।
तात मात भ्रात बन्धु, आपनो न कोई॥
छाँड़ि दई कुल की कानि, कहा करिहै कोई।
संतन ढिंग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोई॥
असुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेलि बोई॥
अब तो बेल फैल गई, आणंद फल होई॥
भगति देखि राजी हुई, जगत देखि रोई।
दासी मीरा लाल गिरधर, तारो अब मोई॥
1. नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो Mira Bai Poem in Hindi:
नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो॥
थांरा देसा में राणा साध नहीं छै, लोग बसे सब कूड़ो।
गहणा गांठी राणा हम सब त्यागा, त्याग्यो कररो चूड़ो॥
काजल टीकी हम सब त्याग्या, त्याग्यो है बांधन जूड़ो।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बर पायो छै रूड़ो॥
2. हरि तुम हरो जन की भीर Mira Bai Poem in Hindi:
हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढायो चीर॥
भक्त कारण रूप नरहरि, धरयो आप शरीर।
हिरणकश्यपु मार दीन्हों, धरयो नाहिंन धीर॥
बूडते गजराज राखे, कियो बाहर नीर।
दासि ‘मीरा लाल गिरिधर, दु:ख जहाँ तहँ पीर॥
3. नैना निपट बंकट छबि अटके Mira Bai Poem in Hindi:
नैना निपट बंकट छबि अटके।
देखत रूप मदनमोहन को, पियत पियूख न मटके।
बारिज भवाँ अलक टेढी मनौ, अति सुगंध रस अटके॥
टेढी कटि, टेढी कर मुरली, टेढी पाग लट लटके।
‘मीरा प्रभु के रूप लुभानी, गिरिधर नागर नट के॥
4. मोती मूँगे उतार बनमाला पोई Mira Bai Poem in Hindi:
मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥
अंसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥
दूध की मथनिया बडे प्रेम से बिलोई।
माखन जब काढि लियो छाछ पिये कोई॥
भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी ‘मीरा लाल गिरिधर तारो अब मोही॥
5. बादल देख डरी MiraBai Poem in Hindi:
बादल देख डरी हो, स्याम, मैं बादल देख डरी
श्याम मैं बादल देख डरी
काली-पीली घटा ऊमड़ी बरस्यो एक घरी
जित जाऊं तित पाणी पाणी हुई सब भोम हरी
जाके पिया परदेस बसत है भीजे बाहर खरी
मीरा के प्रभु गिरधर नागर कीजो प्रीत खरी
श्याम मैं बादल देख डरी॥
6. पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो Mira Bai Poem in Hindi:
पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरू, किरपा कर अपनायो॥
जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।
खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो॥
सत की नाँव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तर आयो।
‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस पायो॥
7. पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे Mira Bai Poem in Hindi:
पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे।
मैं तो मेरे नारायण की आपहि हो गई दासी रे।
लोग कहै मीरा भई बावरी न्यात कहै कुलनासी रे॥
विष का प्याला राणाजी भेज्या पीवत मीरा हाँसी रे।
‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर सहज मिले अविनासी रे॥
8. श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो Mira Bai Poem in Hindi:
श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो।
औरन सूँ खेलै धमार, म्हासूँ मुखहुँ न बोले हो॥
म्हारी गलियाँ ना फिरे वाके, आँगन डोलै हो।
म्हारी अँगुली ना छुए वाकी, बहियाँ मरोरै हो॥
म्हारो अँचरा ना छुए वाको, घूँघट खोलै हो।
‘मीरा’ को प्रभु साँवरो, रंग रसिया डोलै हो॥
9. तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार MiraBai Poem in Hindi:
तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार।
मुरली तेरी मन हर्यो, बिसर्यो घर-व्यौहार॥
जब तें सवननि धुनि परि, घर आँगण न सुहाइ।
पारधि ज्यूँ चूकै नहीं, मृगी बेधी दइ आइ॥
पानी पीर न जानई ज्यों मीन तड़फि मरि जाइ।
रसिक मधुप के मरम को नहिं समुझत कमल सुभाइ॥
दीपक को जो दया नहिं, उड़ि-उड़ि मरत पतंग।
‘मीरा’ प्रभु गिरिधर मिले, जैसे पाणी मिलि गयो रंग॥
10. बरसै बदरिया सावन की Mira Bai Poem in Hindi:
बरसै बदरिया सावन की,
सावन की मनभावन की ।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा,
भनक सुनी हरि आवन की ॥
उमड घुमड चहुं दिस से आयो,
दामण दमके झर लावन की ।
नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै,
सीतल पवन सुहावन की ॥
मीरा के प्रभु गिरघर नागर,
आनन्द मंगल गावन की ॥
11. मन रे पासि हरि के चरन Mira Bai Poem in Hindi:
मन रे परसि हरि के चरन।
सुभग सीतल कमल- कोमल त्रिविध – ज्वाला- हरन।
जो चरन प्रह्मलाद परसे इंद्र- पद्वी- हान।।
जिन चरन ध्रुव अटल कींन्हों राखि अपनी सरन।
जिन चरन ब्राह्मांड मेंथ्यों नखसिखौ श्री भरन।।
जिन चरन प्रभु परस लनिहों तरी गौतम धरनि।
जिन चरन धरथो गोबरधन गरब- मधवा- हरन।।
दास मीरा लाल गिरधर आजम तारन तरन।।
12. प्रभु कब रे मिलोगे Mira Bai Poem in Hindi:
प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े।।टेक।।
अन्न नहीं भावे नींद न आवे विरह सतावे मोय।
घायल ज्यूं घूमूं खड़ी रे म्हारो दर्द न जाने कोय।।१।।
दिन तो खाय गमायो री, रैन गमाई सोय।
प्राण गंवाया झूरता रे, नैन गंवाया दोनु रोय।।२।।
जो मैं ऐसा जानती रे, प्रीत कियाँ दुख होय।
नगर ढुंढेरौ पीटती रे, प्रीत न करियो कोय।।३।।
पन्थ निहारूँ डगर भुवारूँ, ऊभी मारग जोय।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम मिलयां सुख होय।।४।।
13. तुम बिन नैण दुखारा Mira Bai Poem in Hindi:
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
तन मन धन सब भेंट धरूंगी भजन करूंगी तुम्हारा।
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये मोमें औगुण सारा।।
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
मैं निगुणी कछु गुण नहिं जानूं तुम सा बगसणहारा।।
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे तुम बिन नैण दुखारा।।
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
14. हरो जन की भीर Mira Bai Poem in Hindi:
हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, चट बढ़ायो चीर।।
भगत कारण रूप नर हरि, धरयो आप समीर।।
हिरण्याकुस को मारि लीन्हो, धरयो नाहिन धीर।।
बूड़तो गजराज राख्यो, कियौ बाहर नीर।।
दासी मीरा लाल गिरधर, चरणकंवल सीर।।
15. म्हारो अरजी Mira Bai Poem in Hindi:
तुम सुणो जी म्हारो अरजी।
भवसागर में बही जात हूँ काढ़ो तो थारी मरजी।
इण संसार सगो नहिं कोई सांचा सगा रघुबरजी।।
मात-पिता और कुटम कबीलो सब मतलब के गरजी।
मीरा की प्रभु अरजी सुण लो चरण लगावो थारी मरजी।।
16. मेरो दरद न जाणै कोय Mira Bai Poem in Hindi:
हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय।
घायल की गति घायल जाणै, जो कोई घायल होय।
जौहरि की गति जौहरी जाणै, की जिन जौहर होय।
सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस बिध होय।
गगन मंडल पर सेज पिया की किस बिध मिलणा होय।
दरद की मारी बन-बन डोलूँ बैद मिल्या नहिं कोय।
मीरा की प्रभु पीर मिटेगी, जद बैद सांवरिया होय।
17. राखौ कृपानिधान Mira Bai Poem in Hindi:
अब मैं सरण तिहारी जी, मोहि राखौ कृपा निधान।
अजामील अपराधी तारे, तारे नीच सदान।
जल डूबत गजराज उबारे, गणिका चढ़ी बिमान।
और अधम तारे बहुतेरे, भाखत संत सुजान।
कुबजा नीच भीलणी तारी, जाणे सकल जहान।
कहं लग कहूँ गिणत नहिं आवै, थकि रहे बेद पुरान।
मीरा दासी शरण तिहारी, सुनिये दोनों कान।
18. कोई कहियौ रे Mira Bai Poem in Hindi:
कोई कहियौ रे प्रभु आवन की,
आवनकी मनभावन की।
आप न आवै लिख नहिं भेजै ,
बाण पड़ी ललचावन की।
ए दोउ नैण कह्यो नहिं मानै,
नदियां बहै जैसे सावन की।
कहा करूं कछु नहिं बस मेरो,
पांख नहीं उड़ जावनकी।
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे,
चेरी भै हूँ तेरे दांवन की।
19. दूखण लागे नैन Mira Bai Poem in Hindi:
दरस बिन दूखण लागे नैन।
जबसे तुम बिछुड़े प्रभु मोरे, कबहुं न पायो चैन।
सबद सुणत मेरी छतियां, कांपै मीठे लागै बैन।
बिरह व्यथा कांसू कहूं सजनी, बह गई करवत ऐन।
कल न परत पल हरि मग जोवत, भई छमासी रैन।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, दुख मेटण सुख देन।
20. कल नाहिं पड़त जिस Mira Bai Poem in Hindi:
सखी मेरी नींद नसानी हो।
पिवको पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो।
सखियन मिलकर सीख दई मन, एक न मानी हो।
बिन देख्यां कल नाहिं पड़त जिय, ऐसी ठानी हो।
अंग-अंग ब्याकुल भई मुख, पिय पिय बानी हो।
अंतर बेदन बिरहकी कोई, पीर न जानी हो।
ज्यूं चातक घनकूं रटै, मछली जिमि पानी हो।
मीरा ब्याकुल बिरहणी, सुध बुध बिसरानी हो।
21. आय मिलौ मोहि Mira Bai Poem in Hindi:
राम मिलण के काज सखी, मेरे आरति उर में जागी री।
तड़पत-तड़पत कल न परत है, बिरहबाण उर लागी री।
निसदिन पंथ निहारूँ पिवको, पलक न पल भर लागी री।
पीव-पीव मैं रटूँ रात-दिन, दूजी सुध-बुध भागी री।
बिरह भुजंग मेरो डस्यो कलेजो, लहर हलाहल जागी री।
मेरी आरति मेटि गोसाईं, आय मिलौ मोहि सागी री।
मीरा ब्याकुल अति उकलाणी, पिया की उमंग अति लागी री।
22. लोक-लाज तजि नाची Mira Bai Poem in Hindi:
मैं तो सांवरे के रंग राची।
साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू, लोक-लाज तजि नाची।।
गई कुमति, लई साधुकी संगति, भगत, रूप भै सांची।
गाय गाय हरिके गुण निस दिन, कालब्यालसूँ बांची।।
उण बिन सब जग खारो लागत, और बात सब कांची।
मीरा श्रीगिरधरन लालसूँ, भगति रसीली जांची।।
23. मैं बैरागण हूंगी Mira Bai Poem in Hindi:
बाला मैं बैरागण हूंगी।
जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे, सोही भेष धरूंगी।
सील संतोष धरूँ घट भीतर, समता पकड़ रहूंगी।
जाको नाम निरंजन कहिये, ताको ध्यान धरूंगी।
गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा, मन मुद्रा पैरूंगी।
प्रेम पीतसूँ हरिगुण गाऊँ, चरणन लिपट रहूंगी।
या तन की मैं करूँ कीगरी, रसना नाम कहूंगी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, साधां संग रहूंगी।
24. बसो मोरे नैनन में Mira Bai Poem in Hindi:
बसो मोरे नैनन में नंदलाल।
मोहनी मूरति सांवरि सूरति, नैणा बने बिसाल।
अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती-माल।।
छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल।
मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल।।
25. मोरे ललन MiraBai Poem in Hindi:
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।
रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।।
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।।
उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढ़े द्वारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।
ग्वाल बाल सब करत कुलाहल जय जय सबद उचारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर शरण आयाकूं तारे।।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।।
26. चितवौ जी मोरी ओर Mira Bai Poem in Hindi:
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर।
हम चितवत तुम चितवत नाहीं
मन के बड़े कठोर।
मेरे आसा चितनि तुम्हरी
और न दूजी ठौर।
तुमसे हमकूँ एक हो जी
हम-सी लाख करोर।।
कब की ठाड़ी अरज करत हूँ
अरज करत भै भोर।
मीरा के प्रभु हरि अबिनासी
देस्यूँ प्राण अकोर।।
27. प्राण अधार Mira Bai Poem in Hindi:
हरि मेरे जीवन प्राण अधार।
और आसरो नांही तुम बिन, तीनू लोक मंझार।।
हरि मेरे जीवन प्राण अधार
आपबिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार।
हरि मेरे जीवन प्राण अधार
मीरा कहै मैं दासि रावरी, दीज्यो मती बिसार।।
हरि मेरे जीवन प्राण अधार
28. दूसरो न कोई Mira Bai Poem in Hindi:
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई।।
छांडि दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई।
संतन ढिग बैठि बैठि लोकलाज खोई।।
चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई।
मोती मूंगे उतार बनमाला पोई।।
अंसुवन जल सीचि सीचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेल फैल गई आंणद फल होई।।
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई।
माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई।।
भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही।।
29. म्हारे घर MiraBai Poem in Hindi:
म्हारे घर होता जाज्यो राज।
अबके जिन टाला दे जाओ सिर पर राखूं बिराज।।
म्हे तो जनम जनमकी दासी थे म्हांका सिरताज।
पावणड़ा म्हांके भलां ही पधारया सब ही सुघारण काज।।
म्हे तो बुरी छां थांके भली छै घणेरी तुम हो एक रसराज।
थाने हम सब ही की चिंता (तुम) सबके हो गरीब निवाज।।
सबके मुकुट-सिरोमणि सिर पर मानो पुन्य की पाज।
मीराके प्रभु गिरधर नागर बांह गहे की लाज।।
30. मैं अरज करूँ Mira Bai Poem in Hindi:
प्रभुजी मैं अरज करुँ छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार।।
इण भव में मैं दुख बहु पायो संसा-सोग निवार।
अष्ट करम की तलब लगी है दूर करो दुख-भार।।
यों संसार सब बह्यो जात है लख चौरासी री धार।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर आवागमन निवार।।
31. प्रभु, कबरे मिलोगे Mira Bai Poem in Hindi:
प्रभुजी थे कहाँ गया, नेहड़ो लगाय।
छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेम की बाती बलाय।।
बिरह समंद में छोड़ गया छो हकी नाव चलाय।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे तुम बिन रह्यो न जाय।।
32. मीरा दासी जनम जनम की Mira Bai Poem in Hindi:
प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय।।
जल बिन कमल, चंद बिन रजनी, ऐसे तुम देख्याँ बिन सजनी।
आकुल व्याकुल फिरूँ रैन दिन, बिरह कालजो खाय।।
दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवे बैना।
कहा कहूँ कछु कहत न आवै, मिलकर तपत बुझाय।।
क्यूँ तरसावो अन्तरजामी, आय मिलो किरपाकर स्वामी।
मीरा दासी जनम-जनम की, पड़ी तुम्हारे पाय।।
33. आली रे! Mira Bai Poem in Hindi:
आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी।
चित्त चढ़ो मेरे माधुरी मूरत उर बिच आन अड़ी।
कब की ठाढ़ी पंथ निहारूँ अपने भवन खड़ी।।
कैसे प्राण पिया बिन राखूँ जीवन मूल जड़ी।
मीरा गिरधर हाथ बिकानी लोग कहै बिगड़ी।।
34. प्रभु गिरधर नागर Mira Bai Poem in Hindi:
बरसै बदरिया सावन की
सावन की मनभावन की।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा
भनक सुनी हरि आवन की।
उमड़ घुमड़ चहुँ दिसि से आयो
दामण दमके झर लावन की।
नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै
सीतल पवन सोहावन की।
मीराके प्रभु गिरधर नागर
आनंद मंगल गावन की।
35. राख अपनी सरण Mira Bai Poem in Hindi:
मन रे परसि हरिके चरण।
सुभग सीतल कंवल कोमल,त्रिविध ज्वाला हरण।
जिण चरण प्रहलाद परसे, इंद्र पदवी धरण।।
जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे, राख अपनी सरण।
जिण चरण ब्रह्मांड भेट्यो, नखसिखां सिर धरण।।
जिण चरण प्रभु परसि लीने, तेरी गोतम घरण।
जिण चरण कालीनाग नाथ्यो, गोप लीला-करण।।
जिण चरण गोबरधन धारयो, गर्व मघवा हरण।
दासि मीरा लाल गिरधर, अगम तारण तरण।।
36. आज्यो म्हारे देस Mira Bai Poem in Hindi:
बंसीवारा आज्यो म्हारे देस। सांवरी सुरत वारी बेस।।
ॐ-ॐ कर गया जी, कर गया कौल अनेक।
गिणता-गिणता घस गई म्हारी आंगलिया री रेख।।
मैं बैरागिण आदिकी जी थांरे म्हारे कदको सनेस।
बिन पाणी बिन साबुण जी, होय गई धोय सफेद।।
जोगण होय जंगल सब हेरूं छोड़ा ना कुछ सैस।
तेरी सुरत के कारणे जी म्हे धर लिया भगवां भेस।।
मोर-मुकुट पीताम्बर सोहै घूंघरवाला केस।
मीरा के प्रभु गिरधर मिलियां दूनो बढ़ै सनेस।।
37. कीजो प्रीत खरी MiraBai Poem in Hindi:
बादल देख डरी हो, स्याम! मैं बादल देख डरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।
काली-पीली घटा ऊमड़ी बरस्यो एक घरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।
जित जाऊँ तित पाणी पाणी हुई भोम हरी।।
जाका पिय परदेस बसत है भीजूं बाहर खरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।
मीरा के प्रभु हरि अबिनासी कीजो प्रीत खरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।
38. मीरा के प्रभु गिरधर नागर Mira Bai Poem in Hindi:
गली तो चारों बंद हुई हैं, मैं हरिसे मिलूँ कैसे जाय।।
ऊंची-नीची राह रपटली, पांव नहीं ठहराय।
सोच सोच पग धरूँ जतन से, बार-बार डिग जाय।।
ऊंचा नीचां महल पिया का म्हांसूँ चढ्यो न जाय।
पिया दूर पथ म्हारो झीणो, सुरत झकोला खाय।।
कोस कोस पर पहरा बैठया, पैग पैग बटमार।
हे बिधना कैसी रच दीनी दूर बसायो लाय।।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर सतगुरु दई बताय।
जुगन-जुगन से बिछड़ी मीरा घर में लीनी लाय।।
39. शरण गही प्रभु तेरी Mira Bai Poem in Hindi:
सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।
तुम(तो) पतित अनेक उधारे, भव सागर से तारे।।
मैं सबका तो नाम न जानूं कोइ कोई नाम उचारे।
अम्बरीष सुदामा नामा, तुम पहुँचाये निज धामा।
ध्रुव जो पाँच वर्ष के बालक, तुम दरस दिये घनस्यामा।
धना भक्त का खेत जमाया, कबिरा का बैल चराया।।
सबरी का जूंठा फल खाया, तुम काज किये मन भाया।
सदना औ सेना नाई को तुम कीन्हा अपनाई।।
करमा की खिचड़ी खाई तुम गणिका पार लगाई।
मीरा प्रभु तुमरे रंग राती या जानत सब दुनियाई।।
40. प्रभु किरपा कीजौ Mira Bai Poem in Hindi:
स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान।।
स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान।
सबमें महिमा थांरी देखी कुदरत के कुरबान।।
बिप्र सुदामा को दालद खोयो बाले की पहचान।
दो मुट्ठी तंदुलकी चाबी दीन्हयों द्रव्य महान।
भारत में अर्जुन के आगे आप भया रथवान।
अर्जुन कुलका लोग निहारयां छुट गया तीर कमान।
ना कोई मारे ना कोइ मरतो, तेरो यो अग्यान।
चेतन जीव तो अजर अमर है, यो गीतारों ग्यान।।
मेरे पर प्रभु किरपा कीजौ, बांदी अपणी जान।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल में ध्यान।।
41. सखी री Mira Bai Poem in Hindi:
हे मेरो मनमोहना आयो नहीं सखी री।
कैं कहुँ काज किया संतन का।
कैं कहुँ गैल भुलावना।।
हे मेरो मनमोहना।
कहा करूँ कित जाऊँ मेरी सजनी।
लाग्यो है बिरह सतावना।।
हे मेरो मनमोहना।।
मीरा दासी दरसण प्यासी।
हरि-चरणां चित लावना।।
हे मेरो मनमोहना।।
42. पपैया रे! Mira Bai Poem in Hindi:
पपैया रे पिवकी बाणि न बोल।
सुणि पावेली बिरहणी रे थारी रालेली पांख मरोड़।।
चांच कटाऊँ पपैया रे ऊपर कालोर लूण।
पिव मेरा मैं पिव की रे तू पिव कहै स कूण।।
थारा सबद सुहावणा रे जो पिव मेला आज।
चांच मंढाऊँ थारी सोवनी रे तू मेरे सिरताज।।
प्रीतम कूं पतियां लिखूं रे कागा तूं ले जाय।
जाइ प्रीतम जासूं यूं कहै रे थांरि बिरहण धान न खाय।।
मीरा दासी ब्याकुली रे पिव-पिव करत बिहाय।
बेगि मिलो प्रभु अंतरजामी तुम बिनु रह्यौ न जाय।।
43. होरी खेलत हैं गिरधारी Mira Bai Poem in Hindi:
होरी खेलत हैं गिरधारी।
मुरली चंग बजत डफ न्यारो।
संग जुबती ब्रजनारी।।
चंदन केसर छिड़कत मोहन
अपने हाथ बिहारी।
भरि भरि मूठ गुलाल लाल संग
स्यामा प्राण पियारी।
गावत चार धमार राग तहं
दै दै कल करतारी।।
फाग जु खेलत रसिक सांवरो
बाढ्यौ रस ब्रज भारी।
मीरा कूं प्रभु गिरधर मिलिया
मोहनलाल बिहारी।।
44. साजन घर आया हो Mira Bai Poem in Hindi:
सहेलियाँ साजन घर आया हो।
बहोत दिनां की जोवती बिरहिण पिव पाया हो।।
रतन करूँ नेवछावरी ले आरति साजूं हो।
पिवका दिया सनेसड़ा ताहि बहोत निवाजूं हो।।
पांच सखी इकठी भई मिलि मंगल गावै हो।
पिया का रली बधावणा आणंद अंग न मावै हो।
हरि सागर सूं नेहरो नैणां बंध्या सनेह हो।
मरा सखी के आगणै दूधां बूठा मेह हो।।
45. चाकर राखो जी Mira Bai Poem in Hindi:
स्याम! मने चाकर राखो जी
गिरधारी लाला! चाकर राखो जी।
चाकर रहसूं बाग लगासूं नित उठ दरसण पासूं।
ब्रिंदाबन की कुंजगलिन में तेरी लीला गासूं।।
चाकरी में दरसण पाऊँ सुमिरण पाऊँ खरची।
भाव भगति जागीरी पाऊँ, तीनूं बाता सरसी।।
मोर मुकुट पीताम्बर सोहै, गल बैजंती माला।
ब्रिंदाबन में धेनु चरावे मोहन मुरलीवाला।।
हरे हरे नित बाग लगाऊँ, बिच बिच राखूं क्यारी।
सांवरिया के दरसण पाऊँ, पहर कुसुम्मी सारी।
जोगी आया जोग करणकूं, तप करणे संन्यासी।
हरी भजनकूं साधू आया ब्रिंदाबन के बासी।।
मीरा के प्रभु गहिर गंभीरा सदा रहो जी धीरा।
आधी रात प्रभु दरसन दीन्हें, प्रेमनदी के तीरा।।
46. सांचो प्रीतम Mira Bai Poem in Hindi:
मैं गिरधर के घर जाऊँ।
गिरधर म्हांरो सांचो प्रीतम देखत रूप लुभाऊँ।।
रैण पड़ै तबही उठ जाऊँ भोर भये उठिआऊँ।
रैन दिना वाके संग खेलूं ज्यूं त्यूं ताहि रिझाऊँ।।
जो पहिरावै सोई पहिरूं जो दे सोई खाऊँ।
मेरी उणकी प्रीति पुराणी उण बिन पल न रहाऊँ।
जहाँ बैठावें तितही बैठूं बेचै तो बिक जाऊँ।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर बार बार बलि जाऊँ।।
47. सुभ है आज घरी Mira Bai Poem in Hindi:
तेरो कोई नहिं रोकणहार, मगन होइ मीरा चली।।
लाज सरम कुल की मरजादा, सिरसै दूर करी।
मान-अपमान दोऊ धर पटके, निकसी ग्यान गली।।
ऊँची अटरिया लाल किंवड़िया, निरगुण-सेज बिछी।
पंचरंगी झालर सुभ सोहै, फूलन फूल कली।
बाजूबंद कडूला सोहै, सिंदूर मांग भरी।
सुमिरण थाल हाथ में लीन्हों, सौभा अधिक खरी।।
सेज सुखमणा मीरा सौहै, सुभ है आज घरी।
तुम जाओ राणा घर अपणे, मेरी थांरी नांहि सरी।।
48. राम रतन धन पायो Mira Bai Poem in Hindi:
पायो जी म्हे तो राम रतन धन पायो।।
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।।
जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।।
खायो न खरच चोर न लेवे, दिन-दिन बढ़त सवायो।।
सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।।
“मीरा” के प्रभु गिरधर नागर, हरस हरस जश गायो।।
49. भजन बिना नरफीको Mira Bai Poem in Hindi:
आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको।।
घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा, दरसन गोविन्द जी को।।१।।
निरमल नीर बहत जमुना में, भोजन दूध दही को।
रतन सिंघासण आपु बिराजैं, मुकुट धरयो तुलसी को।।२।।
कुंजन कुंजन फिरत राधिका, सबद सुणत मुरली को।
“मीरा” के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको।।३।।
50. तुमरे दरस बिन बावरी Mira Bai Poem in Hindi:
दूर नगरी, बड़ी दूर नगरी-नगरी
कैसे मैं तेरी गोकुल नगरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी
रात को कान्हा डर माही लागे,
दिन को तो देखे सारी नगरी। दूर नगरी…
सखी संग कान्हा शर्म मोहे लागे,
अकेली तो भूल जाऊँ तेरी डगरी। दूर नगरी…
धीरे-धीरे चलूँ तो कमर मोरी लचके
झटपट चलूँ तो छलकाए गगरी। दूर नगरी…
मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर,
तुमरे दरस बिन मैं तो हो गई बावरी। दूर नगरी…
51. भजो रे मन गोविन्दा Mira Bai Poem in Hindi:
नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा,
श्याम सुन्दर मुख चन्दा, भजो रे मन गोविन्दा।
तू ही नटवर, तू ही नागर, तू ही बाल मुकुन्दा ,
सब देवन में कृष्ण बड़े हैं, ज्यूं तारा बिच चंदा।
सब सखियन में राधा जी बड़ी हैं, ज्यूं नदियन बिच गंगा,
ध्रुव तारे, प्रहलाद उबारे, नरसिंह रूप धरता।
कालीदह में नाग ज्यों नाथो, फण-फण निरत करता ;
वृन्दावन में रास रचायो, नाचत बाल मुकुन्दा।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, काटो जम का फंदा।
52. लाज राखो महाराज Mira Bai Poem in Hindi:
अब तो निभायां सरेगी बाँह गहे की लाज।
समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज।।
भवसागर संसार अपरबल जामे तुम हो जहाज।
गिरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज।।
जुग जुग भीर हरी भगतन की दीनी मोक्ष समाज।
“मीरा” शरण गही चरणन की लाज रखो महाराज।।
53. म्हारो प्रणाम Mira Bai Poem in Hindi:
म्हारो प्रणाम बांके बिहारी को।
मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे।
कुण्डल अलका कारीको म्हारो प्रणाम
अधर मधुर कर बंसी बजावै।
रीझ रीझौ राधाप्यारीको म्हारो प्रणाम
यह छबि देख मगन भई मीरा।
मोहन गिरवरधारीको म्हारो प्रणाम
54. मीरा की विनती छै जी Mira Bai Poem in Hindi:
दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी !
ओ जी! अन्तरजामी ओ राम ! खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी
आप बिन मोहे कल ना पडत है जी !
ओजी! तडपत हूँ दिन रैन रैन में नीर ढले है जी
गुण तो प्रभुजी मों में एक नहीं छै जी !
ओ जी अवगुण भरे हैं अनेक, अवगुण म्हारां माफ करीज्यो जी
भगत बछल प्रभु बिड़द कहाये जी !
ओ जी! भगतन के प्रतिपाल, सहाय आज म्हांरी बेगि करीज्यो जी
दासी मीरा की विनती छै जी !
ओजी! आदि अन्त की ओ लाज , आज म्हारी राख लीज्यो जी!
55. माई री! Mira Bai Poem in Hindi:
माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल।
कोई कहै छानै, कोई कहै छुपकै, लियो री बजंता ढोल।
कोई कहै मुहंघो, कोई कहै सुहंगो, लियो री तराजू तोल।
कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अमोलिक मोल।
या ही कूं सब जाणत है, लियो री आँखी खोल।
मीरा कूं प्रभु दरसण दीज्यो, पूरब जनम को कोल।
56. राम-नाम-रस पीजै Mira Bai Poem in Hindi:
राम-नाम-रस पीजै।
मनवा! राम-नाम-रस पीजै।
तजि कुसंग सतसंग बैठि नित, हरि-चर्चा सुणि लीजै।
काम क्रोध मद मोह लोभ कूं, चित से बाहय दीजै।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, ता के रंग में भीजै।
57. मेरो मन राम-हि-राम रटै Mira Bai Poem in Hindi:
मेरो मन राम-हि-राम रटै।
राम-नाम जप लीजै प्राणी! कोटिक पाप कटै।
जनम-जनम के खत जु पुराने, नामहि लेत फटै।
कनक-कटोरै इमरत भरियो, नामहि लेत नटै।
मीरा के प्रभु हरि अविनासी तन-मन ताहि पटै।
58. हरि बिन कूण गती मेरी Mira Bai Poem in Hindi:
हरि बिन कूण गती मेरी।
तुम मेरे प्रतिपाल कहिये मैं रावरी चेरी॥
आदि अंत निज नाँव तेरो हीयामें फेरी।
बेर बेर पुकार कहूं प्रभु आरति है तेरी॥
यौ संसार बिकार सागर बीच में घेरी।
नाव फाटी प्रभु पाल बाँधो बूड़त है बेरी॥
बिरहणि पिवकी बाट जोवै राखल्यो नेरी।
दासि मीरा राम रटत है मैं सरण हूं तेरी॥
59. मीरा को प्रभु साँची दासी बनाओ Mira Bai Poem in Hindi:
मीरा को प्रभु साँची दासी बनाओ।
झूठे धंधों से मेरा फंदा छुड़ाओ॥
लूटे ही लेत विवेक का डेरा।
बुधि बल यदपि करूं बहुतेरा॥
हाय!हाय! नहिं कछु बस मेरा।
मरत हूं बिबस प्रभु धाओ सवेरा॥
धर्म उपदेश नितप्रति सुनती हूं।
मन कुचाल से भी डरती हूं॥
सदा साधु-सेवा करती हूं।
सुमिरण ध्यान में चित धरती हूं॥
भक्ति-मारग दासी को दिखलाओ।
मीरा को प्रभु सांची दासी बनाओ॥
60. सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी Mira Bai Poem in Hindi:
सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।
तुम (तो) पतित अनेक उधारे, भवसागर से तारे॥
मैं सबका तो नाम न जानूं, कोई कोई नाम उचारे।
अम्बरीष सुदामा नामा, तुम पहुंचाये निज धामा॥
ध्रुव जो पांच वर्ष के बालक, तुम दरस दिये घनस्यामा।
धना भक्त का खेत जमाया, कबिरा का बैल चराया॥
सबरी का जूंठा फल खाया, तुम काज किये मनभाया।
सदना औ सेना नाई को तुम कीन्हा अपनाई॥
करमा की खिचड़ी खाई, तुम गणिका पार लगाई।
मीरां प्रभु तुरे रंगराती या जानत सब दुनियाई॥
61. प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय Mira Bai Poem in Hindi:
प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय॥
जल बिन कमल, चंद बिन रजनी। ऐसे तुम देख्यां बिन सजनी॥
आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन, बिरह कलेजो खाय॥
दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवै बैना॥
कहा कहूं कछु कहत न आवै, मिलकर तपत बुझाय॥
क्यूं तरसावो अंतरजामी, आय मिलो किरपाकर स्वामी॥
मीरां दासी जनम जनम की, पड़ी तुम्हारे पाय॥
62. अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज Mira Bai Poem in Hindi:
अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज।
समरथ सरण तुम्हारी सइयां, सरब सुधारण काज॥
भवसागर संसार अपरबल, जामें तुम हो झयाज।
निरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज॥
जुग जुग भीर हरी भगतन की, दीनी मोच्छ समाज।
मीरां सरण गही चरणन की, लाज रखो महाराज॥
63. स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान Mira Bai Poem in Hindi:
स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान।
स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान॥
सब में महिमा थांरी देखी कुदरत के करबान।
बिप्र सुदामा को दालद खोयो बाले की पहचान॥
दो मुट्ठी तंदुल कि चाबी दीन्ह्यों द्रव्य महान।
भारत में अर्जुन के आगे आप भया रथवान॥
अर्जुन कुलका लोग निहार्या छुट गया तीरकमान।
कोई मारे ना कोई मरतो, तेरो यो अग्यान।
चेतन जीव तो अजर अमर है, यो गीतारो ग्यान॥
मेरे पर प्रभु किरपा कीजो, बांदी अपणी जान।
मीरां के प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल में ध्यान॥
64. गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय Mira Bai Poem in Hindi:
गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय।
ऊंची नीची राह लपटीली, पांव नहीं ठहराय।
सोच सोच पग धरूं जतनसे, बार बार डिग जाय॥
ऊंचा नीचा महल पियाका म्हांसूं चढ़्यो न जाय।
पिया दूर पंथ म्हारो झीणो, सुरत झकोला खाय॥
कोस कोस पर पहरा बैठ्या, पैंड़ पैंड़ बटमार।
है बिधना, कैसी रच दीनी दूर बसायो म्हांरो गांव॥
मीरा के प्रभु गिरधर नागर सतगुरु दई बताय।
जुगन जुगन से बिछड़ी मीरा घर में लीनी लाय॥
65. दरस बिनु दूखण लागे नैन Mira Bai Poem in Hindi:
दरस बिनु दूखण लागे नैन।
जबसे तुम बिछुड़े प्रभु मोरे, कबहुं न पायो चैन॥
सबद सुणत मेरी छतियां कांपे, मीठे लागे बैन।
बिरह कथा कांसूं कहूं सजनी, बह गई करवत ऐन॥
कल न परत पल हरि मग जोवत, भई छमासी रैन।
मीरा के प्रभू कब र मिलोगे, दुखमेटण सुखदैन॥
66. मैं बिरहणि बैठी जागूं Mira Bai Poem in Hindi:
मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली॥
बिरहणी बैठी रंगमहल में, मोतियन की लड़ पोवै।
इक बिहरणि हम ऐसी देखी, अंसुवन की माला पोवै॥
तारा गिण गिण रैण बिहानी , सुख की घड़ी कब आवै।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, जब मोहि दरस दिखावै॥
67. साजन, सुध ज्यूं जाणो लीजै हो Mira Bai Poem in Hindi:
साजन, सुध ज्यूं जाणो लीजै हो।
तुम बिन मोरे और न कोई, क्रिपा रावरी कीजै हो॥
दिन नहीं भूख रैण नहीं निंदरा, यूं तन पल पल छीजै हो।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर , मिल बिछड़न मत कीजै हो॥
68. राम मिलण के काज सखी Mira Bai Poem in Hindi:
राम मिलण के काज सखी, मेरे आरति उर में जागी री॥
तड़फत तड़फत कल न परत है, बिरहबाण उर लागी री।
निसदिन पंथ निहारूं पिव को, पलक न पल भरि लागी री॥
पीव पीव मैं रटूं रात दिन, दूजी सुध बुध भागी री।
बिरह भुजंग मेरो डस्यो है कलेजो, लहर हलाहल जागी री॥
मेरी आरति मैटि गोसाईं, आय मिलौ मोहि सागी री।
मीरा व्याकुल अति उकलाणी, पिया की उमंग अति लागी री॥
69. गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा Mira Bai Poem in Hindi:
गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा॥
चरण कंवल को हंस हंस देखूं, राखूं नैणां नेरा।
निरखणकूं मोहि चाव घणेरो, कब देखूं मुख तेरा॥
व्याकुल प्राण धरत नहिं धीरज, मिल तूं मीत सबेरा।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर ताप तपन बहुतेरा॥
70. मैं हरि बिन क्यों जिऊं री माइ Mira Bai Poem in Hindi:
मैं हरि बिन क्यों जिऊं री माइ॥
पिव कारण बौरी भई, ज्यूं काठहि घुन खाइ॥
ओखद मूल न संचरै, मोहि लाग्यो बौराइ॥
कमठ दादुर बसत जल में जलहि ते उपजाइ।
मीन जल के बीछुरे तन तलफि करि मरि जाइ॥
पिव ढूंढण बन बन गई, कहुं मुरली धुनि पाइ।
मीरा के प्रभु लाल गिरधर मिलि गये सुखदाइ॥
71. तुम्हरे कारण सब छोड्या Mira Bai Poem in Hindi:
तुम्हरे कारण सब छोड्या, अब मोहि क्यूं तरसावौ हौ।
बिरह-बिथा लागी उर अंतर, सो तुम आय बुझावौ हो॥
अब छोड़त नहिं बड़ै प्रभुजी, हंसकर तुरत बुलावौ हौ।
मीरा दासी जनम जनम की, अंग से अंग लगावौ हौ॥
72. करुणा सुणो स्याम मेरी Mira Bai Poem in Hindi:
करुणा सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी॥
दरसण कारण भई बावरी बिरह-बिथा तन घेरी।
तेरे कारण जोगण हूंगी, दूंगी नग्र बिच फेरी॥
कुंज बन हेरी-हेरी॥
अंग भभूत गले मृगछाला, यो तप भसम करूं री।
अजहुं न मिल्या राम अबिनासी बन-बन बीच फिरूं री॥
रोऊं नित टेरी-टेरी॥
जन मीरा कूं गिरधर मिलिया दुख मेटण सुख भेरी।
रूम रूम साता भइ उर में, मिट गई फेरा-फेरी॥
रहूं चरननि तर चेरी॥
73. पिव की वाणि न बोल Mira Bai Poem in Hindi:
पपइया रे, पिव की वाणि न बोल।
सुणि पावेली बिरहुणी रे, थारी रालेली पांख मरोड़॥
चोंच कटाऊं पपइया रे, ऊपर कालोर लूण।
पिव मेरा मैं पीव की रे, तू पिव कहै स कूण॥
थारा सबद सुहावणा रे, जो पिव मेंला आज।
चोंच मंढ़ाऊं थारी सोवनी रे, तू मेरे सिरताज॥
प्रीतम कूं पतियां लिखूं रे, कागा तू ले जाय।
जाइ प्रीतम जासूं यूं कहै रे, थांरि बिरहस धान न खाय॥
मीरा दासी व्याकुल रे, पिव पिव करत बिहाय।
बेगि मिलो प्रभु अंतरजामी, तुम विन रह्यौ न जाय॥
74. पिया मोहि दरसण दीजै हो Mira Bai Poem in Hindi:
पिया मोहि दरसण दीजै हो।
बेर बेर मैं टेरहूं, या किरपा कीजै हो॥
जेठ महीने जल बिना पंछी दुख होई हो।
मोर असाढ़ा कुरलहे घन चात्रा सोई हो॥
सावण में झड़ लागियो, सखि तीजां खेलै हो।
भादरवै नदियां वहै दूरी जिन मेलै हो॥
सीप स्वाति ही झलती आसोजां सोई हो।
देव काती में पूजहे मेरे तुम होई हो॥
मंगसर ठंड बहोती पड़ै मोहि बेगि सम्हालो हो।
पोस महीं पाला घणा,अबही तुम न्हालो हो॥
महा महीं बसंत पंचमी फागां सब गावै हो।
फागुण फागां खेलहैं बणराय जरावै हो।
चैत चित्त में ऊपजी दरसण तुम दीजै हो।
बैसाख बणराइ फूलवै कोमल कुरलीजै हो॥
काग उड़ावत दिन गया बूझूं पंडित जोसी हो।
मीरा बिरहण व्याकुली दरसण कद होसी हो॥
75. म्हारी सुध ज्यूं जानो त्यूं लीजो Mira Bai Poem in Hindi:
म्हारी सुध ज्यूं जानो त्यूं लीजो॥
पल पल ऊभी पंथ निहारूं, दरसण म्हाने दीजो।
मैं तो हूं बहु औगुणवाली, औगण सब हर लीजो॥
मैं तो दासी थारे चरण कंवलकी, मिल बिछड़न मत कीजो।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरि चरणां चित दीजो॥
76. साजन घर आओनी मीठा बोला Mira Bai Poem in Hindi:
साजन घर आओनी मीठा बोला॥
कदकी ऊभी मैं पंथ निहारूं थारो, आयां होसी मेला॥
आओ निसंक, संक मत मानो, आयां ही सुक्ख रहेला॥
तन मन वार करूं न्यौछावर, दीज्यो स्याम मोय हेला॥
आतुर बहुत बिलम मत कीज्यो, आयां हो रंग रहेला॥
तुमरे कारण सब रंग त्याग्या, काजल तिलक तमोला॥
तुम देख्या बिन कल न पड़त है, कर धर रही कपोला॥
मीरा दासी जनम जनम की, दिल की घुंडी खोला॥
77. म्हारे जनम-मरण साथी थांने नहीं बिसरूं दिनराती Mira Bai Poem in Hindi:
म्हारे जनम-मरण साथी थांने नहीं बिसरूं दिनराती॥
थां देख्या बिन कल न पड़त है, जाणत मेरी छाती।
ऊंची चढ़-चढ़ पंथ निहारूं रोय रोय अंखियां राती॥
यो संसार सकल जग झूठो, झूठा कुलरा न्याती।
दोउ कर जोड्यां अरज करूं छूं सुण लीज्यो मेरी बाती॥
यो मन मेरो बड़ो हरामी ज्यूं मदमाती हाथी।
सतगुर हस्त धर्यो सिर ऊपर आंकुस दै समझाती॥
पल पल पिवको रूप निहारूं, निरख निरख सुख पाती।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर हरिचरणा चित राती॥
78. थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ Mira Bai Poem in Hindi:
थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,मैं हाजिर-नाजिर कद की खड़ी॥
साजणियां दुसमण होय बैठ्या, सबने लगूं कड़ी।
तुम बिन साजन कोई नहिं है, डिगी नाव मेरी समंद अड़ी॥
दिन नहिं चैन रैण नहीं निदरा, सूखूं खड़ी खड़ी।
बाण बिरह का लग्या हिये में, भूलुं न एक घड़ी॥
पत्थर की तो अहिल्या तारी बन के बीच पड़ी।
कहा बोझ मीरा में करिये सौ पर एक धड़ी॥
79. तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी Mira Bai Poem in Hindi:
तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी॥
भवसागर में बही जात हौं, काढ़ो तो थारी मरजी।
इण संसार सगो नहिं कोई, सांचा सगा रघुबरजी॥
मात पिता औ कुटुम कबीलो सब मतलब के गरजी।
मीरा की प्रभु अरजी सुण लो चरण लगाओ थारी मरजी॥
80. स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो Mira Bai Poem in Hindi:
स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो।
या भवसागर मंझधार में थे ही निभावण हो॥
म्हाने औगण घणा रहै प्रभुजी थे ही सहो तो सहो।
मीरा के प्रभु हरि अबिनासी लाज बिरद की बहो॥
81. मेरे नैना निपट बंकट छबि अटके Mira Bai Poem in Hindi:
मेरे नैना निपट बंकट छबि अटके॥
देखत रूप मदनमोहनको पियत पियूख न मटके।
बारिज भवां अलक टेढ़ी मनौ अति सुगंधरस अटके॥
टेढ़ी कटि टेढ़ी कर मुरली टेढ़ी पाग लर लटके।
मीरा प्रभु के रूप लुभानी गिरधर नागर नटके॥
82. या मोहन के रूप लुभानी Mira Bai Poem in Hindi:
या मोहन के रूप लुभानी।
सुंदर बदन कमलदल लोचन, बांकी चितवन मंद मुसकानी॥
जमना के नीरे तीरे धेनु चरावै, बंसी में गावै मीठी बानी।
तन मन धन गिरधर पर बारूं, चरणकंवल मीरा लपटानी॥
83. बड़े घर ताली लागी रे Mira Bai Poem in Hindi:
बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे॥
छालरिये म्हारो चित नहीं रे, डाबरिये कुण जाव।
गंगा जमना सूं काम नहीं रे, मैंतो जाय मिलूं दरियाव॥
हाल्यां मोल्यांसूं काम नहीं रे, सीख नहीं सिरदार।
कामदारासूं काम नहीं रे, मैं तो जाब करूं दरबार॥
काच कथीरसूं काम नहीं रे, लोहा चढ़े सिर भार।
सोना रूपासूं काम नहीं रे, म्हारे हीरांरो बौपार॥
भाग हमारो जागियो रे, भयो समंद सूं सीर।
अम्रित प्याला छांडिके, कुण पीवे कड़वो नीर॥
पीपाकूं प्रभु परचो दियो रे, दीन्हा खजाना पूर।
मीरा के प्रभु गिरघर नागर, धणी मिल्या छै हजूर॥
84. जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम Mira Bai Poem in Hindi:
जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम॥
आज आनंद उमंगि भयो है जीव लहै सुखधाम।
पांच सखी मिलि पीव परसिकैं आनंद ठामूं ठाम॥
बिसरि गयो दुख निरखि पियाकूं, सुफल मनोरथ काम।
मीराके सुखसागर स्वामी भवन गवन कियो राम॥
85. हरी मेरे जीवन प्रान अधार Mira Bai Poem in Hindi:
हरी मेरे जीवन प्रान अधार।
और आसरो नाहीं तुम बिन तीनूं लोक मंझार॥
आप बिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार।
मीरा कहै मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार॥
86. आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है Mira Bai Poem in Hindi:
आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है॥
लागत बेहाल भई, तनकी सुध बुध गई ,
तन मन सब व्यापो प्रेम, मानो मतवारी है॥
सखियां मिल दोय चारी, बावरी सी भई न्यारी,
हौं तो वाको नीके जानौं, कुंजको बिहारी॥
चंदको चकोर चाहे, दीपक पतंग दाहै,
जल बिना मीन जैसे, तैसे प्रीत प्यारी है॥
बिनती करूं हे स्याम, लागूं मैं तुम्हारे पांव,
मीरा प्रभु ऐसी जानो, दासी तुम्हारी है॥
87. राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं Mira Bai Poem in Hindi:
राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं॥
राम नाम बिन नहीं आवड़े, हिबड़ो झोला खाय।
भोजनिया नहीं भावे म्हांने, नींदडलीं नहिं आय॥
विष को प्यालो भेजियो जी, `जाओ मीरा पास,’
कर चरणामृत पी गई, म्हारे गोविन्द रे बिसवास॥
बिषको प्यालो पीं गई जीं,भजन करो राठौर,
थांरी मीरा ना मरूं, म्हारो राखणवालो और॥
छापा तिलक लगाइया जीं, मन में निश्चै धार,
रामजी काज संवारियाजी, म्हांने भावै गरदन मार॥
पेट्यां बासक भेजियो जी, यो छै मोतींडारो हार,
नाग गले में पहिरियो, म्हारे महलां भयो उजियार॥
राठोडांरीं धीयड़ी दी, सींसाद्यो रे साथ।
ले जाती बैकुंठकूं म्हांरा नेक न मानी बात॥
मीरा दासी श्याम की जी, स्याम गरीबनिवाज।
जन मीरा की राखज्यो कोइ, बांह गहेकी लाज॥
88. राम नाम मेरे मन बसियो Mira Bai Poem in Hindi:
राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊं ए माय।
मैं मंदभागण परम अभागण, कीरत कैसे गाऊं ए माय॥
बिरह पिंजरकी बाड़ सखी रीं,उठकर जी हुलसाऊं ए माय।
मनकूं मार सजूं सतगुरसूं, दुरमत दूर गमाऊं ए माय॥
डंको नाम सुरतकी डोरी, कड़ियां प्रेम चढ़ाऊं ए माय।
प्रेम को ढोल बन्यो अति भारी, मगन होय गुण गाऊं ए माय॥
तन करूं ताल मन करूं ढफली, सोती सुरति जगाऊं ए माय।
निरत करूं मैं प्रीतम आगे, तो प्रीतम पद पाऊं ए माय॥
मो अबलापर किरपा कीज्यौ, गुण गोविन्दका गाऊं ए माय।
मीराके प्रभु गिरधर नागर, रज चरणनकी पाऊं ए माय॥
89. राणाजी, थे क्यांने राखो म्हांसूं बैर Mira Bai Poem in Hindi:
राणाजी, थे क्यांने राखो म्हांसूं बैर।
थे तो राणाजी म्हांने इसड़ा लागो, ज्यूं बृच्छन में कैर।
महल अटारी हम सब त्याग्या, त्याग्यो थारो बसनो सैर॥
काजल टीकी राणा हम सब त्याग्या, भगती-चादर पैर।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर इमरित कर दियो झैर॥
90. राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां Mira Bai Poem in Hindi:
राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां।
चरणामृत को नेम हमारे, नित उठ दरसण जास्यां॥
हरि मंदर में निरत करास्यां, घूंघरियां धमकास्यां।
राम नाम का झाझ चलास्यां भवसागर तर जास्यां॥
यह संसार बाड़ का कांटा ज्या संगत नहीं जास्यां।
मीरा कहै प्रभु गिरधर नागर निरख परख गुण गास्यां॥
91. आली, म्हांने लागे वृन्दावन नीको Mira Bai Poem in Hindi:
आली, म्हांने लागे वृन्दावन नीको।
घर घर तुलसी ठाकुर पूजा दरसण गोविन्दजी को॥
निरमल नीर बहत जमुना में, भोजन दूध दही को।
रतन सिंघासन आप बिराजैं, मुगट धर्यो तुलसी को॥
कुंजन कुंजन फिरति राधिका, सबद सुनन मुरली को।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बजन बिना नर फीको॥
92. या ब्रज में कछु देख्यो री टोना Mira Bai Poem in Hindi:
या ब्रज में कछु देख्यो री टोना॥
लै मटकी सिर चली गुजरिया, आगे मिले बाबा नंदजी के छोना।
दधिको नाम बिसरि गयो प्यारी, लेलेहु री कोउ स्याम सलोना॥
बिंद्राबनकी कुंज गलिन में, आंख लगाय गयो मनमोहना।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सुंदर स्याम सुधर रसलौना॥
93. चालो मन गंगा जमुना तीर Mirabai Poem in Hindi:
चालो मन गंगा जमुना तीर।
गंगा जमुना निरमल पाणी सीतल होत सरीर।
बंसी बजावत गावत कान्हो, संग लियो बलबीर॥
मोर मुगट पीताम्बर सोहे कुण्डल झलकत हीर।
मीराके प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल पर सीर॥
94. मैं गिरधर रंग-राती, सैयां मैं Mirabai Poem in Hindi:
मैं गिरधर रंग-राती, सैयां मैं॥
पचरंग चोला पहर सखी री, मैं झिरमिट रमवा जाती।
झिरमिटमां मोहि मोहन मिलियो, खोल मिली तन गाती॥
कोईके पिया परदेस बसत हैं, लिख लिख भेजें पाती।
मेरा पिया मेरे हीय बसत है, ना कहुं आती जाती॥
चंदा जायगा सूरज जायगा, जायगी धरण अकासी।
पवन पाणी दोनूं ही जायंगे, अटल रहे अबिनासी॥
और सखी मद पी-पी माती, मैं बिन पियां ही माती।
प्रेमभठी को मैं मद पीयो, छकी फिरूं दिनराती॥
सुरत निरत को दिवलो जोयो, मनसाकी कर ली बाती।
अगम घाणि को तेल सिंचायो, बाल रही दिनराती॥
जाऊंनी पीहरिये जाऊंनी सासरिये, हरिसूं सैन लगाती।
मीराके प्रभु गिरधर नागर, हरिचरणां चित लाती॥
95. फागुन के दिन चार होली खेल मना रे Mirabai Poem in Hindi:
फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥
बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे।
बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥
सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे।
उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे॥
घटके सब पट खोल दिये हैं लोकलाज सब डार रे।
मीराके प्रभु गिरधर नागर चरणकंवल बलिहार रे॥
96. सखी री लाज बैरण भई Mirabai Poem in Hindi:
सखी री लाज बैरण भई।
श्रीलाल गोपालके संग काहें नाहिं गई॥
कठिन क्रूर अक्रूर आयो साज रथ कहं नई।
रथ चढ़ाय गोपाल ले गयो हाथ मींजत रही॥
कठिन छाती स्याम बिछड़त बिरहतें तन तई।
दासि मीरा लाल गिरधर बिखर क्यूं ना गई॥
97. मीरा मगन भई हरि के गुण गाय Mirabai Poem in Hindi:
मीरा मगन भई हरि के गुण गाय॥
सांप पिटारा राणा भेज्या, मीरा हाथ दिया जाय।
न्हाय धोय जब देखन लागी, सालिगराम गई पाय॥
जहरका प्याला राणा भेज्या, इम्रत दिया बनाय।
न्हाय धोय जब पीवन लागी, हो गई अमर अंचाय॥
सूली सेज राणा ने भेजी, दीज्यो मीरा सुवाय।
सांझ भई मीरा सोवण लागी, मानो फूल बिछाय॥
मीरा के प्रभु सदा सहाई, राखे बिघन हटाय।
भजन भाव में मस्त डोलती, गिरधर पर बलि जाय॥
98. नहिं एसो जनम बारंबार Mirabai Poem in Hindi:
नहिं एसो जनम बारंबार॥
का जानूं कछु पुन्य प्रगटे मानुसा-अवतार।
बढ़त छिन-छिन घटत पल-पल जात न लागे बार॥
बिरछके ज्यूं पात टूटे, लगें नहीं पुनि डार।
भौसागर अति जोर कहिये अनंत ऊंड़ी धार॥
रामनाम का बांध बेड़ा उतर परले पार।
ज्ञान चोसर मंडा चोहटे सुरत पासा सार॥
साधु संत महंत ग्यानी करत चलत पुकार।
दासि मीरा लाल गिरधर जीवणा दिन च्यार॥
99. मोहि लागी लगन गुरुचरणन की Mirabai Poem in Hindi:
मोहि लागी लगन गुरुचरणन की।
चरण बिना कछुवै नाहिं भावै, जगमाया सब सपननकी॥
भौसागर सब सूख गयो है, फिकर नाहिं मोहि तरननकी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर आस वही गुरू सरननकी॥
100. देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे Mirabai Poem in Hindi:
देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे॥
फाटी तो फूलडियां पांव उभाणे चरण घसे।
बालपणेका मिंत सुदामां अब क्यूं दूर बसे॥
कहा भावजने भेंट पठाई तांदुल तीन पसे।
कित गई प्रभु मोरी टूटी टपरिया हीरा मोती लाल कसे॥
कित गई प्रभु मोरी गउअन बछिया द्वारा बिच हसती फसे।
मीराके प्रभु हरि अबिनासी सरणे तोरे बसे॥
101. सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार Mirabai Poem in Hindi:
सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार॥
लगनी लहंगो पहर सुहागण, बीतो जाय बहार।
धन जोबन है पावणा रो, मिलै न दूजी बार॥
राम नाम को चुड़लो पहिरो, प्रेम को सुरमो सार।
नकबेसर हरि नाम की री, उतर चलोनी परलै पार॥
ऐसे बर को क्या बरूं, जो जनमें औ मर जाय।
वर वरिये इक सांवरो री, चुड़लो अमर होय जाय॥
मैं जान्यो हरि मैं ठग्यो री, हरि ठगि ले गयो मोय।
लख चौरासी मोरचा री, छिन में गेर्या छे बिगोय॥
सुरत चली जहां मैं चली री, कृष्ण नाम झणकार।
अविनासी की पोल मरजी मीरा करै छै पुकार॥
102. अब तौ हरी नाम लौ लागी Mirabai Poem in Hindi:
अब तौ हरी नाम लौ लागी।
सब जगको यह माखनचोरा, नाम धर्यो बैरागीं॥
कित छोड़ी वह मोहन मुरली, कित छोड़ी सब गोपी।
मूड़ मुड़ाइ डोरि कटि बांधी, माथे मोहन टोपी॥
मात जसोमति माखन-कारन, बांधे जाके पांव।
स्यामकिसोर भयो नव गौरा, चैतन्य जाको नांव॥
पीतांबर को भाव दिखावै, कटि कोपीन कसै।
गौर कृष्ण की दासी मीरा, रसना कृष्ण बसै॥
103. घर आवो जी सजन मिठ बोला Mirabai Poem in Hindi:
घर आवो जी सजन मिठ बोला।
तेरे खातर सब कुछ छोड्या, काजर, तेल तमोला॥
जो नहिं आवै रैन बिहावै, छिन माशा छिन तोला।
‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर, कर धर रही कपोला॥
104. देखोरे देखो जसवदा मैय्या तेरा लालना Mirabai Poem in Hindi:
देखोरे देखो जसवदा मैय्या तेरा लालना। तेरा लालना मैय्यां झुले पालना॥
बाहार देखे तो बारारे बरसकु। भितर देखे मैय्यां झुले पालना॥
जमुना जल राधा भरनेकू निकली। परकर जोबन मैय्यां तेरा लालना॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। हरिका भजन नीत करना॥
105. जसवदा मैय्यां नित सतावे कनैय्यां Mirabai Poem in Hindi:
जसवदा मैय्यां नित सतावे कनैय्यां। वाकु भुरकर क्या कहुं मैय्यां॥
बैल लावे भीतर बांधे। छोर देवता सब गैय्यां॥
सोते बालक आन जगावे। ऐसा धीट कनैय्यां॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। हरि लागुं तोरे पैय्यां॥ जसवदा०॥
106. कालोकी रेन बिहारी Mirabai Poem in Hindi:
कालोकी रेन बिहारी। महाराज कोण बिलमायो॥
काल गया ज्यां जाहो बिहारी। अही तोही कौन बुलायो॥
कोनकी दासी काजल सार्यो। कोन तने रंग रमायो॥
कंसकी दासी काजल सार्यो। उन मोहि रंग रमायो॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। कपटी कपट चलायो॥
107. सांवरो रंग मिनोरे Mirabai Poem in Hindi:
सांवरो रंग मिनोरे। सांवरो रंग मिनोरे॥
चांदनीमें उभा बिहारी महाराज॥
काथो चुनो लविंग सोपारी। पानपें कछु दिनों॥
हमारो सुख अति दुःख लागे। कुबजाकूं सुख कीनो॥
मेरे अंगन रुख कदमको। त्यांतल उभो अति चिनो॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। नैननमें कछु लीनो॥
108. जल भरन कैशी जाऊंरे Mirabai Poem in Hindi:
जल भरन कैशी जाऊंरे। जशोदा जल भरन॥
वाटेने घाटे पाणी मागे मारग मैं कैशी पाऊं॥
आलीकोर गंगा पलीकोर जमुना। बिचमें सरस्वतीमें नहावूं॥
ब्रिंदावनमें रास रच्चा है। नृत्य करत मन भावूं॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हेते हरिगुण गाऊं॥
109. कान्हो काहेकूं मारो मोकूं कांकरी Mirabai Poem in Hindi:
कान्हो काहेकूं मारो मोकूं कांकरी। कांकरी कांकरी कांकरीरे॥
गायो भेसो तेरे अवि होई है। आगे रही घर बाकरीरे॥ कानो॥
पाट पितांबर काना अबही पेहरत है। आगे न रही कारी घाबरीरे॥
मेडी मेहेलात तेरे अबी होई है। आगे न रही वर छापरीरे॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। शरणे राखो तो करूं चाकरीरे॥
110. ज्यानो मैं राजको बेहेवार उधवजी Mirabai Poem in Hindi:
ज्यानो मैं राजको बेहेवार उधवजी। मैं जान्योही राजको बेहेवार।
आंब काटावो लिंब लागावो। बाबलकी करो बाड॥
चोर बसावो सावकार दंडावो। नीती धरमरस बार॥
मेरो कह्यो सत नही जाणयो। कुबजाके किरतार॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर।
111. मेरे तो आज साचे राखे हरी साचे Mirabai Poem in Hindi:
मेरे तो आज साचे राखे हरी साचे। सुदामा अति सुख पायो दरिद्र दूर करी॥मे०॥
साचे लोधि कहे हरी हाथ बंधाये। मारखाधी ते खरी॥ मे०॥
साच बिना प्रभु स्वप्नामें न आवे। मरो तप तपस्या करी॥ मे०॥
मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। बल जाऊं गडी गडीरे॥ मे०॥
112. कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे Mirabai Poem in Hindi:
कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे॥
छोड कनैया ओढणी हमारी। माट महिकी काना मेरी फुटे॥ को०॥
छोड कनैया मैयां हमारी। लड मानूकी काना मेरी तूटे॥ को०॥
छोडदे कनैया चीर हमारो। कोर जरीकी काना मेरी छुटे॥ को०॥
मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। लागी लगन काना मेरी नव छूटे॥ को०॥
113. रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम Mirabai Poem in Hindi:
रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम। तेरे कोडी लगे नही दाम॥
नरदेहीं स्मरणकूं दिनी। बिन सुमरे वे काम॥
बालपणें हंस खेल गुमायो। तरुण भये बस काम॥
पाव दिया तोये तिरथ करने। हाथ दिया कर दान॥
नैन दिया तोये दरशन करने। श्रवन दिया सुन ज्ञान॥
दांत दिया तेरे मुखकी शोभा। जीभ दिई भज राम॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। है जीवनको काम॥
114. कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे Mirabai Poem in Hindi:
कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे॥
कारेको विश्वास न कीजे अतिसे भूल परे॥
काली जात कुजात कहीजे। ताके संग उजरे॥
श्याम रूप कियो भ्रमरो। फुलकी बास भरे॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। कारे संग बगरे॥
115. माई तेरी काना कोन गुनकारो Mirabai Poem in Hindi:
माई तेरी काना कोन गुनकारो। जबही देखूं तबही द्वारहि ठारो॥
गोरी बावो नंद गोरी जशू मैया। गोरो बलिभद्र बंधु तिहारे॥ मा०॥
कारो करो मतकर ग्वालनी। ये कारो सब ब्रजको उज्जारो॥ मा०॥
जमुनाके नीरे तीरे धेनु चराबे। मधुरी बन्सी बजावत वारो॥ मा०॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल मोहि लागत प्यारो॥ मा०॥
116. आज मेरेओ भाग जागो साधु आये पावना Mirabai Poem in Hindi:
आज मेरेओ भाग जागो साधु आये पावना॥
अंग अंग फूल गये तनकी तपत गये।
सद्गुरु लागे रामा शब्द सोहामणा॥ आ०॥
नित्य प्रत्यय नेणा निरखु आज अति मनमें हरखू।
बाजत है ताल मृदंग मधुरसे गावणा॥ आ०॥
मोर मुगुट पीतांबर शोभे छबी देखी मन मोहे।
मीराबाई हरख निरख आनंद बधामणा॥ आ०॥
117. जो तुम तोडो पियो मैं नही तोडू Mirabai Poem in Hindi:
जो तुम तोडो पियो मैं नही तोडू। तोरी प्रीत तोडी कृष्ण कोन संग जोडू॥
तुम भये तरुवर मैं भई पखिया। तुम भये सरोवर मैं तोरी मछिया॥ जो०॥
तुम भये गिरिवर मैं भई चारा। तुम भये चंद्रा हम भये चकोरा॥ जो०॥
तुम भये मोती प्रभु हम भये धागा। तुम भये सोना हम भये स्वागा॥ जो०॥
बाई मीरा कहे प्रभु ब्रजके बाशी। तुम मेरे ठाकोर मैं तेरी दासी॥ जो०॥
118. मन अटकी मेरे दिल अटकी Mirabai Poem in Hindi:
मन अटकी मेरे दिल अटकी। हो मुगुटकी लटक मन अटकी॥
माथे मुकुट कोर चंदनकी। शोभा है पीरे पटकी॥ मन०॥
शंख चक्र गदा पद्म बिराजे। गुंजमाल मेरे है अटकी॥ मन०॥
अंतर ध्यान भये गोपीयनमें। सुध न रही जमूना तटकी॥ मन०॥
पात पात ब्रिंदाबन धुंडे। कुंज कुंज राधे भटकी॥ मन०॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। सुरत रही बनशी बटकी॥ मन०॥
फुलनके जामा कदमकी छैया। गोपीयनकी मटुकी पटकी॥ मन०॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जानत हो सबके घटकी॥ मन अटकी०॥
119. भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे Mirabai Poem in Hindi:
भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे॥
शीतल चंदन बेल पतरवा मस्तक गंगा धरीरे॥
अर्धांगी गौरी पुत्र गजानन चंद्रकी रेख धरीरे॥
शिव शंकरके तीन नेत्र है अद्भूत रूप धरोरे॥
आसन मार सिंहासन बैठे शांत समाधी धरोरे॥
मीरा कहे प्रभुका जस गांवत शिवजीके पैयां परोरे॥
120. चालो मान गंगा जमुना तीर गंगा जमुना तीर Mirabai Poem in Hindi:
चालो मान गंगा जमुना तीर गंगा जमुना तीर॥
गंगा जमुना निरमल पानी शीतल होत सरीस॥
बन्सी बजावत गावत काना संग लीये बलवीर॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडल झलकत हीर॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरनकमल शीर॥
121. नाथ तुम जानतहो सब घटकी Mirabai Poem in Hindi:
नाथ तुम जानतहो सब घटकी। मीरा भक्ति करे प्रगटकी॥
ध्यान धरी प्रभु मीरा संभारे पूजा करे अट पटकी।
शालिग्रामकूं चंदन चढत है भाल तिलक बिच बिंदकी॥
राम मंदिरमें मीराबाई नाचे ताल बजावे चपटी।
पाऊमें नेपुर रुमझुम बाजे। लाज संभार गुंगटकी॥
झेर कटोरा राणाजिये भेज्या संत संगत मीरा अटकी।
ले चरणामृत मिराये पिधुं होगइ अमृत बटकी॥
सुरत डोरीपर मीरा नाचे शिरपें घडा उपर मटकी।
मीराके प्रभु गिरिधर नागर सुरति लगी जै श्रीनटकी॥
122. हरिनाम बिना नर ऐसा है Mirabai Poem in Hindi:
हरिनाम बिना नर ऐसा है। दीपकबीन मंदिर जैसा है॥
जैसे बिना पुरुखकी नारी है। जैसे पुत्रबिना मातारी है।
जलबिन सरोबर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥
जैसे सशीविन रजनी सोई है। जैसे बिना लौकनी रसोई है।
घरधनी बिन घर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥
ठुठर बिन वृक्ष बनाया है। जैसा सुम संचरी नाया है।
गिनका घर पूतेर जैसा है। हरिनम बिना नर ऐसा है॥
मीराबाई कहे हरिसे मिलना। जहां जन्ममरणकी नही कलना।
बिन गुरुका चेला जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥
123. क्या करूं मैं बनमें गई घर होती Mirabai Poem in Hindi:
क्या करूं मैं बनमें गई घर होती। तो शामकू मनाई लेती॥
गोरी गोरी बईया हरी हरी चुडियां। झाला देके बुलालेती॥
अपने शाम संग चौपट रमती। पासा डालके जीता लेती॥
बडी बडी अखिया झीणा झीणा सुरमा। जोतसे जोत मिला लेती॥
मीराबाई कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल लपटा लेती॥
124. होरी खेलनकू आई राधा प्यारी हाथ लिये पिचकरी Mirabai Poem in Hindi:
होरी खेलनकू आई राधा प्यारी हाथ लिये पिचकरी॥
कितना बरसे कुंवर कन्हैया कितना बरस राधे प्यारी॥ हाथ०॥
सात बरसके कुंवर कन्हैया बारा बरसकी राधे प्यारी॥ हाथ०॥
अंगली पकड मेरो पोचो पकड्यो बैयां पकड झक झारी॥ हाथ०॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर तुम जीते हम हारी॥ हाथ०॥
125. मोहन आवनकी साई किजोरे Mirabai Poem in Hindi:
मोहन आवनकी साई किजोरे। आवनकी मन भावनकी॥ कोई०॥
आप न आवे पतिया न भेजे | ए बात ललचावनकी॥को०॥
बिन दरशन व्याकुल भई सजनी। जैशी बिजलीयां श्रावनकी॥ को०॥
क्या करूं शक्ति जाऊं मोरी सजनी। पांख होवे तो उडजावनकी॥ को०॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर | इच्छा लगी हरी बतलावनकी॥ को०॥
126. मत डारो पिचकारी Mirabai Poem in Hindi:
मत डारो पिचकारी। मैं सगरी भिजगई सारी॥
जीन डारे सो सनमुख रहायो। नहीं तो मैं देउंगी गारी॥ मत०॥
भर पिचकरी मेरे मुखपर डारी। भीजगई तन सारी॥ मत०॥
लाल गुलाल उडावन लागे। मैं तो मनमें बिचारी॥ मत०॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल बलहारी॥ मत०॥
127. राधाजी को लागे बिंद्रावनमें नीको Mirabai Poem in Hindi:
राधाजी को लागे बिंद्रावनमें नीको॥
ब्रिंदाबन में तुलसी को वडलो जाको पानचरीको॥ रा०॥
ब्रिंदावन में धेनु बहोत है भोजन दूध दहीं को॥ रा०॥
ब्रिंदावन में रास रची है दरशन कृष्ण जी को॥ रा०॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर हरि बिना सब रंग फिको॥ रा०॥
128. मेरी लाज तुम रख भैया Mirabai Poem in Hindi:
मेरी लाज तुम रख भैया। नंदजीके कुंवर कनैया॥
बेस प्यारे काली नागनाथी। फेणपर नृत्य करैया॥ मे०॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। मुखपर मुरली बजैया॥ मे०॥
मोर मुगुट पीतांबर शोभे। कान कुंडल झलकैया॥ मे०॥
ब्रिंदावनके कुंज गलिनमें नाचत है दो भैया॥ मे०॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल लपटैया॥ ने०॥
129. मन मोहन दिल का प्यारा Mirabai Poem in Hindi:
मन मोहन दिल का प्यारा॥
माता जसोदा पालना हलावे। हातमें लेकर दोरा॥
कबसे अंगनमों खडी है राधा। देखे किसनका चेहरा॥
मोर मुगुट पीतांबर शोभे। गळा मोतनका गजरा॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरन कमल बलहारी॥
130. काना तोरी घोंगरीया पहरी होरी खेले Mirabai Poem in Hindi:
काना तोरी घोंगरीया पहरी होरी खेले किसन गिरधारी॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावत खेलत राधा प्यारी॥
आली कोरे जमुना बीचमों राधा प्यारी॥
मोर मुगुट पीतांबर शोभे कुंडलकी छबी न्यारी॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर चरनकमल बलहारी॥
131. भीजो मोरी नवरंग चुनरी Mirabai Poem in Hindi:
भीजो मोरी नवरंग चुनरी। काना लागो तैरे नाव॥
गोरस लेकर चली मधुरा। शिरपर घडा झोले खाव॥
त्रिभंगी आसन गोवर्धन धरलीयो। छिनभर मुरली बजावे॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरन कमल चित लागो तोरे पाव॥
132. सुमन आयो बदरा Mirabai Poem in Hindi:
सुमन आयो बदरा। श्यामबिना सुमन आयो बदरा॥
सोबत सपनमों देखत शामकू। भरायो नयन निकल गयो कचरा॥
मथुरा नगरकी चतुरा मालन। शामकू हार हमकू गजरा॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। समय गयो पिछे मीट गया झगरा॥
133. मैया मोकू खिजावत बलजोर Mirabai Poem in Hindi:
मैया मोकू खिजावत बलजोर। मैया मोकु खिजावत॥
जशोदा माता मील ली जाबे। लायो जमुनाको तीर॥
जशोदाही गोरी नंदही गोरा। तुम क्यौं भयो शाम सरीर॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। नयनमों बरखत नीर॥
134. फिर बाजे बरनै हरीकी मुरलीया सुनोरे Mirabai Poem in Hindi:
फिर बाजे बरनै हरीकी मुरलीया सुनोरे। सखी मेरो मन हरलीनो॥
गोकुल बाजी ब्रिंदाबन बाजी। ज्याय बजी वो तो मथुरा नगरीया॥
तूं तो बेटो नंद बाबाको। मैं बृषभानकी पुरानी गुजरियां॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हरिके चरनकी मैं तो बलैया॥
135. फूल मंगाऊं हार बनाऊ Mirabai Poem in Hindi:
फूल मंगाऊं हार बनाऊ। मालीन बनकर जाऊं॥
कै गुन ले समजाऊं। राजधन कै गुन ले समाजाऊं॥
गला सैली हात सुमरनी। जपत जपत घर जाऊं॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। बैठत हरिगुन गाऊं॥
136. आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई Mirabai Poem in Hindi:
आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई।
मातापिता भाईबंद सात नही कोई।
मेरो मन रामनाम दुजा नही कोई॥
साधु संग बैठे लोक लाज खोई। अब तो बात फैल गई।
जानत है सब कोई॥
आवचन जल छीक छीक प्रेम बोल भई। अब तो मै फल भई।
आमरूत फल भई॥
शंख चक्र गदा पद्म गला। बैजयंती माल सोई।
मीरा कहे नीर लागो होनियोसी हो भई॥
137. नामोकी बलहारी गजगणिका तारी Mirabai Poem in Hindi:
नामोकी बलहारी गजगणिका तारी॥
गणिका तारी अजामेळ उद्धरी। तारी गौतमकी नारी॥
झुटे बेर भिल्लणी के खावे। कुबजा नार उद्धारी॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरण कमल बलिहारी॥
138. लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी Mirabai Poem in Hindi:
लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी॥
रामलक्ष्मण दोनों भीतर। बीचमें सीता प्यारी॥
चलत चलत मोहे छाली पड गये। तुम जीते मैं हारी॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलिहारी॥
139. प्रभु तुम कैसे दीनदयाळ Mirabai Poem in Hindi:
प्रभु तुम कैसे दीनदयाळ॥
मथुरा नगरीमों राज करत है बैठे। नंदके लाल॥
भक्तनके दुःख जानत नहीं। खेले गोपी गवाल॥
मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। भक्तनके प्रतिपाल॥
140. कोई देखोरे मैया Mirabai Poem in Hindi:
कोई देखोरे मैया। शामसुंदर मुरलीवाला॥
जमुनाके तीर धेनु चरावत। दधी घट चोर चुरैया॥
ब्रिंदाजीबनके कुंजगलीनमों। हमकू देत झुकैया॥
ईत गोकुल उत मथुरा नगरी। पकरत मोरी भय्या॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बजैया॥
141. जल कैशी भरुं जमुना भयेरी Mirabai Poem in Hindi:
जल कैशी भरुं जमुना भयेरी॥
खडी भरुं तो कृष्ण दिखत है। बैठ भरुं तो भीजे चुनडी॥
मोर मुगुटअ पीतांबर शोभे। छुम छुम बाजत मुरली॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चणरकमलकी मैं जेरी॥
142. भज मन शंकर भोलानाथ भज मन Mirabai Poem in Hindi:
भज मन शंकर भोलानाथ भज मन॥
अंग विभूत सबही शोभा। ऊपर फुलनकी बास॥
एकहि लोटाभर जल चावल। चाहत ऊपर बेलकी पात॥
मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। पूजा करले समजे आपहि आप॥
143. मदन गोपाल नंदजीको लाल प्रभुजी Mirabai Poem in Hindi:
मदन गोपाल नंदजीको लाल प्रभुजी॥
बालपनकी प्रीत बिखायो। नवनीत धरियो नंदलाल॥
कुब्जा हीनकी तुम पत राखो। हम ब्रीज नारी भई बेहाल॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हम जपे यही जपमाल॥
144. साधुकी संगत पाईवो Mirabai Poem in Hindi:
साधुकी संगत पाईवो। ज्याकी पुरन कमाई वो॥
पिया नामदेव और कबीरा। चौथी मिराबाई वो॥
केवल कुवा नामक दासा। सेना जातका नाई वो॥
धनाभगत रोहिदास चह्यारा। सजना जात कसाईवो॥
त्रिलोचन घर रहत ब्रीतिया। कर्मा खिचडी खाईवो॥
भिल्लणीके बोर सुदामाके चावल। रुची रुची भोग लगाईरे॥
रंका बंका सूरदास भाईं। बिदुरकी भाजी खाईरे॥
ध्रुव प्रल्हाद और बिभीषण। उनकी क्या भलाईवो॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। ज्योतीमें ज्योती लगाईवो॥
145. कृष्णमंदिरमों मिराबाई नाचे Mirabai Poem in Hindi:
कृष्णमंदिरमों मिराबाई नाचे तो ताल मृदंग रंग चटकी।
पावमों घुंगरू झुमझुम वाजे। तो ताल राखो घुंगटकी॥
नाथ तुम जान है सब घटका मीरा भक्ति करे पर घटकी॥
ध्यान धरे मीरा फेर सरनकुं सेवा करे झटपटको।
सालीग्रामकूं तीलक बनायो भाल तिलक बीज टबकी॥
बीख कटोरा राजाजीने भेजो तो संटसंग मीरा हटकी।
ले चरणामृत पी गईं मीरा जैसी शीशी अमृतकी॥
घरमेंसे एक दारा चली शीरपर घागर और मटकी।
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जैसी डेरी तटवरकी॥
146. कौन भरे जल जमुना Mirabai Poem in Hindi:
कौन भरे जल जमुना। सखीको०॥
बन्सी बजावे मोहे लीनी। हरीसंग चली मन मोहना॥
शाम हटेले बडे कवटाले। हर लाई सब ग्वालना॥
कहे मीरा तुम रूप निहारो। तीन लोक प्रतिपालना॥
147. कीसनजी नहीं कंसन घर जावो Mirabai Poem in Hindi:
कीसनजी नहीं कंसन घर जावो। राणाजी मारो नही॥
तुम नारी अहल्या तारी। कुंटण कीर उद्धारो॥
कुबेरके द्वार बालद लायो। नरसिंगको काज सुदारो॥
तुम आये पति मारो दहीको। तिनोपार तनमन वारो॥
जब मीरा शरण गिरधरकी। जीवन प्राण हमारो॥
148. गोपाल राधे कृष्ण गोविंद Mirabai Poem in Hindi:
गोपाल राधे कृष्ण गोविंद॥ गोविंद॥
बाजत झांजरी और मृंदग। और बाजे करताल॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गलां बैजयंती माल॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। भक्तनके प्रतिपाल॥
149. गांजा पीनेवाला जन्मको लहरीरे Mirabai Poem in Hindi:
गांजा पीनेवाला जन्मको लहरीरे॥
स्मशानावासी भूषणें भयंकर। पागट जटा शीरीरे॥
व्याघ्रकडासन आसन जयाचें। भस्म दीगांबरधारीरे॥
त्रितिय नेत्रीं अग्नि दुर्धर। विष हें प्राशन करीरे॥
मीरा कहे प्रभू ध्यानी निरंतर। चरण कमलकी प्यारीरे॥
150. आयी देखत मनमोहनकू Mirabai Poem in Hindi:
आयी देखत मनमोहनकू। मोरे मनमों छबी छाय रही॥
मुख परका आचला दूर कियो। तब ज्योतमों ज्योत समाय रही॥
सोच करे अब होत कंहा है। प्रेमके फुंदमों आय रही॥
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर। बुंदमों बुंद समाय रही॥
151. हृदय तुमकी करवायो Mirabai Poem in Hindi:
हृदय तुमकी करवायो। हूं आलबेली बेल रही कान्हा॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। मुरली क्यौं बजावे कान्हा॥
ब्रिंदाबनमों कुंजगलनमों। गड उनकी चरन धुलाई॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। घर घर लेऊं बलाई॥
152. मनमोहन गिरिवरधारी Mirabai Poem in Hindi:
मनमोहन गिरिवरधारी॥
मोर मुकुट पीतांबरधारी। मुरली बजावे कुंजबिहारी॥
हात लियो गोवर्धन धारी। लिला नाटकी बांकी गत है न्यारी॥
ग्वाल बाल सब देखन आयो। संग लिनी राधा प्यारी॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। आजी आईजी हमारी फेरी॥
153. माई मेरो मोहनमें मन हारूं Mirabai Poem in Hindi:
माई मेरो मोहनमें मन हारूं॥
कांह करुं कीत जाऊं सजनी। प्रान पुरससु बरयो॥
हूं जल भरने जातथी सजनी। कलस माथे धरयो॥
सावरीसी कीसोर मूरत। मुरलीमें कछु टोनो करयो॥
लोकलाज बिसार डारी। तबही कारज सरयो॥
दास मीरा लाल गिरिधर। छान ये बर बरयो॥
154. राम बिन निंद न आवे Mirabai Poem in Hindi:
राम बिन निंद न आवे। बिरह सतावे प्रेमकी आच ठुरावे॥
पियाकी जोतबिन मो दर आंधारो दीपक कदायन आवे।
पियाजीबिना मो सेज न आलुनी जाननरे ए बिहावे।
कबु घर आवे घर आवे॥
दादर मोर पपीया बोले कोयल सबद सुनावे।
गुमट घटा ओल रहगई दमक चमक दुरावे। नैन भर आवें॥
काहां करूं कितना उसखेरू बदन कोई न बनवे।
बिरह नाग मेरि काया डसी हो। लहर लहर जीव जावे जडी घस लावे॥
कहोरी सखी सहली सजनी पियाजीनें आने मिलावे।
मीराके प्रभु कबरी मिलेगे मोहनमो मन भावे। कबहूं हस हस बतलावे॥
155. हमरे चीर दे बनवारी Mirabai Poem in Hindi:
लेकर चीर कदंब पर बैठे। हम जलमां नंगी उघारी॥१॥
तुमारो चीर तो तब नही। देउंगा हो जा जलजे न्यारी॥२॥
ऐसी प्रभुजी क्यौं करनी। तुम पुरुख हम नारी॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुम जीते हम हारी॥४॥
156. फरका फरका जो बाई हरीकी मुरलीया Mirabai Poem in Hindi:
फरका फरका जो बाई हरीकी मुरलीया। सुनोरे सखी मारा मन हरलीया॥
गोकुल बाजी ब्रिंदाबन बाजी। और बाजी जाहा मथुरा नगरीया॥
तुम तो बेटो नंदबावांके। हम बृषभान पुराके गुजरीया॥
यहां मधुबनके कटा डारूं बांस। उपजे न बांस मुरलीया॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमलकी लेऊंगी बलय्या॥
157. शरणागतकी लाज Mirabai Poem in Hindi:
शरणागतकी लाज। तुमकू शणागतकी लाज॥
नाना पातक चीर मेलाय। पांचालीके काज॥
प्रतिज्ञा छांडी भीष्मके। आगे चक्रधर जदुराज॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। दीनबंधु महाराज॥
158. हातीं घोडा महाल खजीना Mirabai Poem in Hindi:
हातीं घोडा महाल खजीना दे दवलतपर लातरे।
करीयो प्रभुजीकी बात सबदीन करीयो प्रभूजीकी बात॥
मा बाप और बेहेन भाईं कोई नही आयो सातरे॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर भजन करो दिन रातरे॥
159. मै तो बासुरी सुनूंगी Mirabai Poem in Hindi:
बासुरी सुनूंगी। मै तो बासुरी सुनूंगी। बनसीवालेकूं जान न देऊंगी॥
बनसीवाला एक कहेगा। एकेक लाख सुनाऊंगी॥
ब्रिंदाबनके कुजगलनमों। भर भर फूल छिनाऊंगी॥
ईत गोकुल उत मथुरा नगरी। बीचमें जाय अडाऊंगी॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल लपटाऊंगी॥
160. बन जाऊं चरणकी दासी रे Mirabai Poem in Hindi:
बन जाऊं चरणकी दासी रे। दासी मैं भई उदासी॥
और देव कोई न जाणूं। हरिबिन भई उदासी॥
नहीं न्हावूं गंगा नहीं न्हावूं जमुना। नहीं न्हावूं प्रयाग कासी॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलकी प्यासी॥
161. मागत माखन रोटी Mirabai Poem in Hindi:
मागत माखन रोटी। गोपाळ प्यारो मागत माखन रोटी॥
मेरे गोपालकू रोटी बना देऊंगी। एक छोटी एक मोटी॥
मेरे गोपालकू बीहा करुंगी। बृषभानकी बेटी॥
मेरे गोपालकू झबला शिवाऊंगी। मोतनकी लड छुटी॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलपा लोटी॥
162. मेरो मन हरलियो राज रणछोड Mirabai Poem in Hindi:
मेरो मन हरलियो राज रणछोड। मेरो मन०॥
त्रिकम माधव और पुरुषोत्तम ने। कुबेर कल्याणनी जोड॥
राधां रुक्मिणी और सतभामा। जांबुक करणी जोड॥
चार मास रत्नागर गाजे। गोमती करत कलोल॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हरी मारा दलडाना चोर॥
163. जशोदा मैया मै नही दधी खायो Mirabai Poem in Hindi:
जशोदा मैया मै नही दधी खायो॥
प्रात समये गौबनके पांछे। मधुबन मोहे पठायो॥
सारे दिन बन्सी बन भटके। तोरे आगे आयो॥
ले ले अपनी लकुटी कमलिया। बहुतही नाच नचायो॥
तुम तो धोठा पावनको छोटा। ये बीज कैसो पायो॥
ग्वाल बाल सब द्वारे ठाडे है। माखन मुख लपटायो॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जशोमती कंठ लगायो॥
164. तेरे सावरे मुखपरवारी Mirabai Poem in Hindi:
तेरे सावरे मुखपरवारी। वारी वारी बलिहारी॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडलकी छबि न्यारी न्यारी॥
ब्रिंदामनमों धेनु चरावे। मुरली बजावत प्यारी॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल चित्त वारी॥
165. तोरी सावरी सुरत नंदलालाजी Mirabai Poem in Hindi:
तोरी सावरी सुरत नंदलालाजी॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावत। कारी कामली वालाजी॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडल झळकत लालाजी॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। भक्तनके प्रतिपालाजी॥
166. थारो विरुद्ध घेटे कैसी भाईरे Mirabai Poem in Hindi:
थारो विरुद्ध घेटे कैसी भाईरे॥
सैना नायको साची मीठी। आप भये हर नाईरे॥
नामा शिंपी देवल फेरो। मृतीकी गाय जिवाईरे॥
राणाने भेजा बिखको प्यालो। पीबे मिराबाईरे॥
167. कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी Mirabai Poem in Hindi:
कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी। तोरि बनसरी लागी मोकों प्यारीं॥
दहीं दुध बेचने जाती जमुना। कानानें घागरी फोरी॥
सिरपर घट घटपर झारी। उसकूं उतार मुरारी॥
सास बुरीरे ननंद हटेली। देवर देवे मोको गारी॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल बलहारी॥
168. हरि गुन गावत नाचूंगी Mirabai Poem in Hindi:
हरि गुन गावत नाचूंगी॥
आपने मंदिरमों बैठ बैठकर। गीता भागवत बाचूंगी॥
ग्यान ध्यानकी गठरी बांधकर। हरीहर संग मैं लागूंगी॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सदा प्रेमरस चाखुंगी॥
169. झुलत राधा संग Mirabai Poem in Hindi:
झुलत राधा संग। गिरिधर झूलत राधा संग॥
अबिर गुलालकी धूम मचाई। भर पिचकारी रंग॥ गिरि०॥
लाल भई बिंद्रावन जमुना। केशर चूवत रंग॥ गिरि०॥
नाचत ताल आधार सुरभर। धिमी धिमी बाजे मृदंग॥ गिरि०॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलकू दंग॥ गिरि०॥
170. कृष्ण करो जजमान Mirabai Poem in Hindi:
कृष्ण करो जजमान॥
जाकी किरत बेद बखानत। सांखी देत पुरान॥
मोर मुकुट पीतांबर सोभत। कुंडल झळकत कान॥
मीराके प्रभू गिरिधर नागर। दे दरशनको दान॥
171. तुम बिन मेरी कौन खबर ले Mirabai Poem in Hindi:
तुम बिन मेरी कौन खबर ले। गोवर्धन गिरिधारीरे॥
मोर मुगुट पीतांबर सोभे। कुंडलकी छबी न्यारीरे॥ तुम०॥
भरी सभामों द्रौपदी ठारी। राखो लाज हमारी रे॥ तुम०॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल बलहारीरे॥ तुम०॥
172. किन्ने देखा कन्हया प्यारा की मुरलीवाला Mirabai Poem in Hindi:
किन्ने देखा कन्हया प्यारा की मुरलीवाला॥
जमुनाके नीर गंवा चरावे। खांदे कंबरिया काला॥
मोर मुकुट पितांबर शोभे। कुंडल झळकत हीरा॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरन कमल बलहारा॥
173. माई मैनें गोविंद लीन्हो मोल Mirabai Poem in Hindi:
माई मैनें गोविंद लीन्हो मोल॥
कोई कहे हलका कोई कहे भारी। लियो है तराजू तोल॥ मा०॥
कोई कहे ससता कोई कहे महेंगा। कोई कहे अनमोल॥ मा०॥
ब्रिंदाबनके जो कुंजगलीनमों। लियों बंजंता ढोल॥ मा०॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। पुरब जनमके बोल॥ मा०॥
174. राधा प्यारी दे डारोजी बनसी हमारी Mirabai Poem in Hindi:
राधा प्यारी दे डारोजी बनसी हमारी।
ये बनसीमें मेरा प्रान बसत है वो बनसी गई चोरी॥
ना सोनेकी बन्सी न रुपेकी। हरहर बांसकी पेरी॥
घडी एक मुखमें घडी एक करमें। घडी एक अधर धरी॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलपर वारी। राधा प्यारी दे०॥
175. चरन रज महिमा मैं जानी Mirabai Poem in Hindi:
चरन रज महिमा मैं जानी। याहि चरनसे गंगा प्रगटी।
भगिरथ कुल तारी॥ चरण०॥
याहि चरनसे बिप्र सुदामा। हरि कंचन धाम दिन्ही॥ च०॥
याहि चरनसे अहिल्या उधारी। गौतम घरकी पट्टरानी॥ च०॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलसे लटपटानी॥ च०॥
176. बन्सी तूं कवन गुमान भरी Mirabai Poem in Hindi:
बन्सी तूं कवन गुमान भरी॥
आपने तनपर छेदपरंये बालाते बिछरी॥
जात पात हूं तोरी मय जानूं तूं बनकी लकरी॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर राधासे झगरी बन्सी॥
177. लाज रखो तुम मेरी प्रभूजी Mirabai Poem in Hindi:
लाज रखो तुम मेरी प्रभूजी। लाज रखो तुम मेरी॥
जब बैरीने कबरी पकरी। तबही मान मरोरी॥ प्रभुजी०॥
मैं गरीब तुम करुनासागर। दुष्ट करत बलजोरी॥ प्रभुजी०॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुम पिता मैं छोरी॥ प्रभुजी०॥
178. मोरी आंगनमों मुरली बजावेरे Mirabai Poem in Hindi:
मोरी आंगनमों मुरली बजावेरे। खिलावना देवूंगी॥
नाच नाच मोरे मन मोहन। मधुर गीत सुनावुंगी॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हरिके चरन बल जाऊंगी॥
179. मैं तो तेरे भजन भरोसे अबिनासी Mirabai Poem in Hindi:
मैं तो तेरे भजन भरोसे अबिनासी॥ मैतो०॥ध्रु०॥
तीरथ बरतते कछु नहीं कीनो। बन फिरे हैं उदासी॥ मैंतो० तेरे॥
जंतर मंतर कछु नहीं जानूं। बेद पठो नहीं कासी॥ मैतो० तेरे॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। भई चरणकी दासी॥ मैतो० तेरे॥
180. तोती मैना राधे कृष्ण बोल Mirabai Poem in Hindi:
तोती मैना राधे कृष्ण बोल। तोती मैना राधे कृष्ण बोल॥ध्रु०॥
येकही तोती धुंडत आई। लकट किया अनी मोल॥तोती मै०॥
दाना खावे तोती पानी पीवे। पिंजरमें करत कल्लोळ॥ तो०॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। हरिके चरण चित डोल॥ तो०॥
181. भजु मन चरन कँवल अविनासी Mirabai Poem in Hindi:
भजु मन चरन कँवल अविनासी।
जेताइ दीसे धरण-गगन-बिच, तेताई सब उठि जासी।
कहा भयो तीरथ व्रत कीन्हे, कहा लिये करवत कासी।
इस देही का गरब न करना, माटी मैं मिल जासी।
यो संसार चहर की बाजी, साँझ पडयाँ उठ जासी।
कहा भयो है भगवा पहरयाँ, घर तज भए सन्यासी।
जोगी होय जुगति नहिं जाणी, उलटि जनम फिर जासी।
अरज करूँ अबला कर जोरें, स्याम तुम्हारी दासी।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, काटो जम की फाँसी।
182. अच्छे मीठे फल चाख चाख Mirabai Poem in Hindi:
अच्छे मीठे फल चाख चाख, बेर लाई भीलणी।
ऐसी कहा अचारवती, रूप नहीं एक रती।
नीचे कुल ओछी जात, अति ही कुचीलणी।
जूठे फल लीन्हे राम, प्रेम की प्रतीत त्राण।
उँच नीच जाने नहीं, रस की रसीलणी।
ऎसी कहा वेद पढी, छिन में विमाण चढी।
हरि जू सू बाँध्यो हेत, बैकुण्ठ में झूलणी।
दास मीरा तरै सोई, ऎसी प्रीति करै जोइ।
पतित पावन प्रभु, गोकुल अहीरणी।
183. झूठी जगमग जोति Mirabai Poem in Hindi:
आवो सहेल्या रली करां हे, पर घर गावण निवारि।
झूठा माणिक मोतिया री, झूठी जगमग जोति।
झूठा सब आभूषण री, सांचि पियाजी री पोति।
झूठा पाट पटंबरारे, झूठा दिखणी चीर।
सांची पियाजी री गूदडी, जामे निरमल रहे सरीर।
छप्प भोग बुहाई दे है, इन भोगिन में दाग।
लूण अलूणो ही भलो है, अपणो पियाजी को साग।
देखि बिराणै निवांण कूं हे, क्यूं उपजावै खीज।
कालर अपणो ही भलो है, जामें निपजै चीज।
छैल बिराणे लाख को हे अपणे काज न होइ।
ताके संग सीधारतां हे, भला न कहसी कोइ।
वर हीणों आपणों भलो हे, कोढी कुष्टि कोइ।
जाके संग सीधारतां है, भला कहै सब लोइ।
अबिनासी सूं बालवां हे, जिपसूं सांची प्रीत।
मीरा कूं प्रभु मिल्या हे, ऐहि भगति की रीत॥
184. अब तो मेरा राम Mirabai Poem in Hindi:
अब तो मेरा राम नाम दूसरा न कोई॥
माता छोडी पिता छोडे छोडे सगा भाई।
साधु संग बैठ बैठ लोक लाज खोई॥
सतं देख दौड आई, जगत देख रोई।
प्रेम आंसु डार डार, अमर बेल बोई॥
मारग में तारग मिले, संत राम दोई।
संत सदा शीश राखूं, राम हृदय होई॥
अंत में से तंत काढयो, पीछे रही सोई।
राणे भेज्या विष का प्याला, पीवत मस्त होई॥
अब तो बात फैल गई, जानै सब कोई।
दास मीरा लाल गिरधर, होनी हो सो होई॥
185. जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन Mirabai Poem in Hindi:
जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन।
रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे।
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे।
उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढ़े द्वारे ।
ग्वाल बाल सब करत कोलाहल जय जय सबद उचारे ।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर शरण आया कूं तारे ॥
186. मोहन गिरवरधारी को म्हारो प्रणाम Mirabai Poem in Hindi:
म्हारो प्रणाम बांकेबिहारीको।
मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे।
कुण्डल अलका कारीको म्हारो प्रणाम॥
अधर मधुर कर बंसी बजावै।
रीझ रीझौ राधाप्यारीको म्हारो प्रणाम॥
यह छबि देख मगन भ मीरा।
मोहन गिरवरधारीको म्हारो प्रणाम॥
187. मीरा शरण गही चरणन की लाज रखो महाराज Mirabai Poem in Hindi:
अब तो निभायां सरेगी बांह गहे की लाज।
समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज॥
भवसागर संसार अपरबल जामे तुम हो जहाज।
गिरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज॥
जुग जुग भीर हरी भगतन की दीनी मोक्ष समाज।
मीरा शरण गही चरणन की लाज रखो महाराज॥
188. मीरा के प्रभु गिरधर नागर काटो जम का फंदा Mirabai Poem in Hindi:
नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा
श्याम सुन्दर मुख चन्दा भजो रे मन गोविन्दा।
तू ही नटवर तू ही नागर तू ही बाल मुकुन्दा
सब देवन में कृष्ण बड़े हैं ज्यूं तारा बिच चंदा।
सब सखियन में राधा जी बड़ी हैं ज्यूं नदियन बिच गंगा
ध्रुव तारे प्रहलाद उबारे नरसिंह रूप धरता।
कालीदह में नाग ज्यों नाथो फण-फण निरत करता
वृन्दावन में रास रचायो नाचत बाल मुकुन्दा।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर काटो जम का फंदा॥
189. दूर नगरी बड़ी दूर नगरी Mirabai Poem in Hindi:
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी-नगरी
कैसे आऊं मैं तेरी गोकुल नगरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी
रात को आऊं कान्हा डर माही लागे
दिन को आऊं तो देखे सारी नगरी। दूर नगरी॥।
सखी संग आऊं कान्हा शर्म मोहे लागे
अकेली आऊं तो भूल जाऊं तेरी डगरी। दूर नगरी॥॥।
धीरे-धीरे चलूं तो कमर मोरी लचके
झटपट चलूं तो छलका गगरी। दूर नगरी॥॥
मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर
तुमरे दरस बिन मैं तो हो गई बावरी। दूर नगरी॥॥
190. आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको Mirabai Poem in Hindi:
आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको॥
घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा दरसन गोविन्द जी को॥
निरमल नीर बहत जमुना में भोजन दूध दही को।
रतन सिंघासण आपु बिराजैं मुकुट धर।ह्यो तुलसी को॥
कुंजन कुंजन फिरत राधिका सबद सुणत मुरली को।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर भजन बिना नर फीको॥
191. राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी Mirabai Poem in Hindi:
राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी
म्हे तो गोविन्दरा गुण गास्यां हे माय॥
राणोजी रूठे तो अपने देश रखासी
म्हे तो हरि रूठ्यां रूठे जास्यां हे माय।
लोक-लाजकी काण न राखां
म्हे तो निर्भय निशान गुरास्यां हे माय।
राम नाम की जहाज चलास्यां
म्हे तो भवसागर तिर जास्यां हे माय।
हरिमंदिर में निरत करास्यां
म्हे तो घूघरिया छमकास्यां हे माय।
चरणामृत को नेम हमारो
म्हे तो नित उठ दर्शण जास्यां हे माय।
मीरा गिरधर शरण सांवल के
म्हे ते चरण-कमल लिपरास्यां हे माय।
192. मैं गिरधर के घर जाऊं Mirabai Poem in Hindi:
मैं गिरधर के घर जाऊं।
गिरधर म्हांरो सांचो प्रीतम देखत रूप लुभाऊं॥
रैण पड़ै तबही उठ जाऊं भोर भये उठि आऊं।
रैन दिना वाके संग खेलूं ज्यूं त।ह्यूं ताहि रिझाऊं॥
जो पहिरावै सोई पहिरूं जो दे सोई खाऊं।
मेरी उणकी प्रीति पुराणी उण बिन पल न रहाऊं।
जहां बैठावें तितही बैठूं बेचै तो बिक जाऊं।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर बार बार बलि जाऊं॥
193. स्याम मने चाकर राखो जी गिरधारी लाला चाकर राखो जी Mirabai Poem in Hindi:
स्याम मने चाकर राखो जी
गिरधारी लाला चाकर राखो जी।
चाकर रहसूं बाग लगासूं नित उठ दरसण पासूं।
बिंद्राबन की कुंजगलिन में तेरी लीला गासूं॥
चाकरी में दरसण पाऊं सुमिरण पाऊं खरची।
भाव भगति जागीरी पाऊं तीनूं बाता सरसी॥
मोर मुकुट पीतांबर सोहै गल बैजंती माला।
बिंद्राबन में धेनु चरावे मोहन मुरलीवाला॥
हरे हरे नित बाग लगाऊं बिच बिच राखूं क्यारी।
सांवरिया के दरसण पाऊं पहर कुसुम्मी सारी।
जोगी आया जोग करणकूं तप करणे संन्यासी।
हरी भजनकूं साधू आया बिंद्राबन के बासी॥
मीरा के प्रभु गहिर गंभीरा सदा रहो जी धीरा।
आधी रात प्रभु दरसन दीन्हें प्रेमनदी के तीरा॥
194. हे मेरो मनमोहना आयो नहीं सखी री Mirabai Poem in Hindi:
हे मेरो मनमोहना आयो नहीं सखी री।
कैं कहुं काज किया संतन का।
कैं कहुं गैल भुलावना॥
हे मेरो मनमोहना।
कहा करूं कित जाऊं मेरी सजनी।
लाग्यो है बिरह सतावना॥
हे मेरो मनमोहना॥
मीरा दासी दरसण प्यासी।
हरि-चरणां चित लावना॥
हे मेरो मनमोहना॥
195. सुण लीजो बिनती मोरी मैं शरण गही प्रभु तेरी Mirabai Poem in Hindi:
सुण लीजो बिनती मोरी मैं शरण गही प्रभु तेरी।
तुम तो पतित अनेक उधारे भव सागर से तारे॥
मैं सबका तो नाम न जानूं को कोई नाम उचारे।
अम्बरीष सुदामा नामा तुम पहुंचाये निज धामा।
ध्रुव जो पांच वर्ष के बालक तुम दरस दिये घनस्यामा।
धना भक्त का खेत जमाया कबिरा का बैल चराया॥
सबरी का जूंठा फल खाया तुम काज किये मन भाया।
सदना औ सेना नाईको तुम कीन्हा अपनाई॥
करमा की खिचड़ी खाई तुम गणिका पार लगाई।
मीरा प्रभु तुमरे रंग राती या जानत सब दुनियाई॥
196. गली तो चारों बंद हु हैं मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय Mirabai Poem in Hindi:
गली तो चारों बंद हु हैं मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय॥
ऊंची-नीची राह रपटली पांव नहीं ठहराय।
सोच सोच पग धरूं जतन से बार-बार डिग जाय॥
ऊंचा नीचां महल पिया का म्हांसूं चढ्यो न जाय।
पिया दूर पथ म्हारो झीणो सुरत झकोला खाय॥
कोस कोस पर पहरा बैठया पैग पैग बटमार।
हे बिधना कैसी रच दीनी दूर बसायो लाय॥
मीरा के प्रभु गिरधर नागर सतगुरु द बताय।
जुगन-जुगन से बिछड़ी मीरा घर में लीनी लाय॥
197. बंसीवारा आज्यो म्हारे देस, सांवरी सुरत वारी बेस Mirabai Poem in Hindi:
बंसीवारा आज्यो म्हारे देस। सांवरी सुरत वारी बेस॥
आऊं-आऊं कर गया जी कर गया कौल अनेक।
गिणता-गिणता घस ग म्हारी आंगलिया री रेख॥
मैं बैरागिण आदिकी जी थांरे म्हारे कदको सनेस।
बिन पाणी बिन साबुण जी होय ग धोय सफेद॥
जोगण होय जंगल सब हेरूं छोड़ा ना कुछ सैस।
तेरी सुरत के कारणे जी म्हे धर लिया भगवां भेस॥
मोर-मुकुट पीताम्बर सोहै घूंघरवाला केस।
मीरा के प्रभु गिरधर मिलियां दूनो बढ़ै सनेस॥
198. मन रे परसि हरिके चरण Mirabai Poem in Hindi:
मन रे परसि हरिके चरण।
सुभग सीतल कंवल कोमलत्रिविध ज्वाला हरण।
जिण चरण प्रहलाद परसे इंद्र पदवी धरण॥
जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे राख अपनी सरण।
जिण चरण ब्रह्मांड भेटयो नखसिखां सिर धरण॥
जिण चरण प्रभु परसि लीने तेरी गोतम घरण।
जिण चरण कालीनाग नाथ्यो गोप लीला-करण॥
जिण चरण गोबरधन धार।ह्यो गर्व मघवा हरण।
दासि मीरा लाल गिरधर अगम तारण तरण॥
199. बरसै बदरिया सावन की सावन की मनभावन की Mirabai Poem in Hindi:
बरसै बदरिया सावन की, सावन की मनभावन की।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।
उमड़ घुमड़ चहुं दिसि से आयो, दामण दमके झर लावन की।
नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै, सीतल पवन सोहावन की।
मीराके प्रभु गिरधर नागर, आनंद मंगल गावन की।
200. प्यारे दरसन दीज्यो आय तुम बिन रह्यो न जाय Mirabai Poem in Hindi:
प्यारे दरसन दीज्यो आय तुम बिन रह्यो न जाय॥
जल बिन कमल चंद बिन रजनी ऐसे तुम देख्यां बिन सजनी।
आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन बिरह कालजो खाय॥
दिवस न भूख नींद नहिं रैना मुख सूं कथत न आवे बैना।
कहा कहूं कछु कहत न आवै मिलकर तपत बुझाय॥
क्यूं तरसावो अन्तरजामी आय मिलो किरपाकर स्वामी।
मीरा दासी जनम-जनम की पड़ी तुम्हारे पाय॥
201. प्रभुजी मैं अरज करुं छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार Mirabai Poem in Hindi:
प्रभुजी मैं अरज करुं छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार॥
इण भव में मैं दुख बहु पायो संसा-सोग निवार।
अष्ट करम की तलब लगी है दूर करो दुख-भार॥
यों संसार सब बह्यो जात है लख चौरासी री धार।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर आवागमन निवार॥
202. हरि मेरे जीवन प्राण अधार Mirabai Poem in Hindi:
हरि मेरे जीवन प्राण अधार।
और आसरो नांही तुम बिन तीनूं लोक मंझार।
हरि मेरे जीवन प्राण अधार॥
आपबिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार।
हरि मेरे जीवन प्राण अधार॥
मीरा कहैं मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार।
हरि मेरे जीवन प्राण अधार॥
203. तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर Mirabai Poem in Hindi:
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर।
हम चितवत तुम चितवत नाहीं, मन के बड़े कठोर।
मेरे आसा चितनि तुम्हरी, और न दूजी ठौर।
तुमसे हमकूं एक हो जी, हम-सी लाख करोर॥
कब की ठाड़ी अरज करत हूं, अरज करत भै भोर।
मीरा के प्रभु हरि अबिनासी, देस्यूं प्राण अकोर॥
204. जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन Mirabai Poem in Hindi:
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।
रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन॥
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन॥
उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढ़े द्वारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।
ग्वाल बाल सब करत कुलाहल जय जय सबद उचारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर शरण आयाकूं तारे॥
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन॥
205. बाला मैं बैरागण हूंगी Mirabai Poem in Hindi:
बाला मैं बैरागण हूंगी।
जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे सोही भेष धरूंगी।
सील संतोष धरूं घट भीतर समता पकड़ रहूंगी।
जाको नाम निरंजन कहिये ताको ध्यान धरूंगी।
गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा मन मुद्रा पैरूंगी।
प्रेम पीतसूं हरिगुण गाऊं चरणन लिपट रहूंगी।
या तन की मैं करूं कीगरी रसना नाम कहूंगी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर साधां संग रहूंगी।
206. मैं तो सांवरे के रंग राची Mirabai Poem in Hindi:
मैं तो सांवरे के रंग राची।
साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू लोक-लाज तजि नाची॥
ग कुमति ल साधुकी संगति भगत रूप भै सांची।
गाय गाय हरिके गुण निस दिन कालब्यालसूं बांची॥
उण बिन सब जग खारो लागत और बात सब कांची।
मीरा श्रीगिरधरन लालसूं भगति रसीली जांची॥
207. राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री Mirabai Poem in Hindi:
राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री।
तड़पत-तड़पत कल न परत है बिरहबाण उर लागी री।
निसदिन पंथ निहारूं पिवको पलक न पल भर लागी री।
पीव-पीव मैं रटूं रात-दिन दूजी सुध-बुध भागी री।
बिरह भुजंग मेरो डस्यो कलेजो लहर हलाहल जागी री।
री आरति मेटि गोसाईं आय मिलौ मोहि सागी री।
मीरा ब्याकुल अति उकलाणी पिया की उमंग अति लागी री।
208. सखी मेरी नींद नसानी हो Mirabai Poem in Hindi:
सखी मेरी नींद नसानी हो।
पिवको पंथ निहारत सिगरी रैण बिहानी हो।
सखियन मिलकर सीख द मन एक न मानी हो।
बिन देख्यां कल नाहिं पड़त जिय ऐसी ठानी हो।
अंग-अंग ब्याकुल भ मुख पिय पिय बानी हो।
अंतर बेदन बिरहकी कोई पीर न जानी हो।
ज्यूं चातक घनकूं रटै मछली जिमि पानी हो।
मीरा ब्याकुल बिरहणी सुध बुध बिसरानी हो।
209. कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी Mirabai Poem in Hindi:
कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी
आवनकी मनभावन की।
आप न आवै लिख नहिं भेजै
बाण पड़ी ललचावनकी।
ए दो नैण कह्यो नहिं मानै
नदियां बहै जैसे सावन की।
कहा करूं कछु नहिं बस मेरो
पांख नहीं उड़ जावनकी।
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे
चेरी भै हूं तेरे दांवनकी।
210. तेरो कोई न रोकण हार Mirabai Poem in Hindi:
तेरो कोई न रोकण हार
मगन होय मीरा चली
लाज सरम कुल की मर्यादा
सिर सों दूर करी
मान अपमान दोउ धर पटके
निकसी हूं ग्यान गली
मगन होय मीरा चली
तेरो…
ऊंची अटरिया लाज किवड़िया
निरगुन सेज बिछी
पचरंगी सेज झालर सुभा सोहे
फूलन फूल कली
मगन होय मीरा चली
तेरो…
सेज सुख मणा जीरा सोवे
सुभ है आज धरी
तुम जाओ राणा घर अपणे
मेरी तेरी न सरी
मगन होय मीरा चली!
211. अब न रहूंगी तोर हठ की Mirabai Poem in Hindi:
राणा जी…हे राणा जी
राणा जी अब न रहूंगी तोर हठ की
साधु संग मोहे प्यारा लागे
लाज गई घूंघट की
हार सिंगार सभी ल्यो अपना
चूड़ी कर की पटकी
महल किला राणा मोहे न भाए
सारी रेसम पट की
राणा जी… हे राणा जी
जब न रहूंगी तोर हठ की
भई दीवानी मीरा डोले
केस लटा सब छिटकी
राणा जी… हे राणा जी!
अब न रहूंगी तोर हठ की।
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