सत्व संधि – Satv Sandhi, संस्कृत व्याकरण

Satv Sandhi

सत्व संधि

सत्व संधि का सूत्र विसर्जनीयस्य स: होता है। यह संधि विसर्ग संधि के भागो में से एक है। संस्कृत में विसर्ग संधि प्रमुख रूप से चार प्रकार की होती है, सत्व संधि, उत्व् संधि, रुत्व् संधि, विसर्ग लोप संधि प्रमुख हैं। इस पृष्ठ पर हम सत्व संधि का अध्ययन करेंगे !

सत्व संधि के नियम

सत्व संधि (विसर्ग संधि) प्रमुख रूप से तीन प्रकार से बनाई जा सकती । जिनके उदाहरण व नियम इस प्रकार है –

नियम 1.

: + //

यदि विसर्ग (:) के बाद “च / छ / श” हो तो उसे “श” में बदल देते हैं। उदाहरण-

  • नि: + चल : = निश्चल :
  • क: + छल : =  कश्चौर:
  • राम : + चलति = रामश्चलति
  • दु : + शासति = दुश्शासन :

नियम 2.

: + क, ख, ट , ठ, प , फ = ष्

यदि विसर्ग (:) के बाद “क, ख, ट , ठ, प , फ” हो तो उसे “ष्” में बदल देते हैं। उदाहरण-

  • धनु : + तङ्कार : = धनुष्टन्कार:
  • नि : + कंटक : = निष्कन्टक:
  • राम : + टीकते = रामष्टीकते

नियम 3.

: + क / त = स्

यदि विसर्ग (:) के बाद “क / त” हो तो उसे “स्” में बदल देते हैं। उदाहरन-

  • नम : + कार : = नमस्कार :
  • नम : + ते = नमस्ते 
  • नम : + तरति = नमस्तरति 

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