विशेषोक्ति अलंकार
परिभाषा: संपूर्ण कारणों के होने पर भी फल का न कहना विशेषोक्ति है। अर्थात काव्य में जहाँ कार्य सिद्धि के समस्त कारणों के विद्यमान रहते हुए भी कार्य न हो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है।
यह अलंकार, Hindi Grammar के Alankar के भेदों में से एक हैं।
विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण
उदाहरण 1.
नीर भरे नित प्रति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
उदाहरण 2.
फूलहि फलहि न बेत , जदपि सुधा बरसहिं जलद
विशेषोक्ति अलंकारः, संस्कृत
‘‘विशेषोक्तिरखणेषु कारणेषु फलावचः“, संपूर्ण कारणों के होने पर भी फल का न कहना विशेषोक्ति है।
उदाहरणस्वरूप:
श्लथीकृताश्लेषरसे भुजङ्गे चचाल नालिङ्गनतोऽङ्गना सा ।।
स्पष्टीकरण– यहाँ निद्रानिवृत्ति, सूर्य का उदय होना तथा सखियों का द्वार पर आना आलिंगन परित्याग करने के कारण उपस्थित है, फिर भी नायिका आलिंगन का त्याग नहीं कर पा रही है।
अन्य उदाहरण
उदाहरण 1.
नमोऽस्त्ववार्यवीर्याय तस्मै मकरकेतवे ।।
उदाहरण 2.
हरताऽपि तनुं यस्य शम्भुना न वलं हृतम् ।।
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