सहपाठी (समवयस्क) समूह अधिगम – Peer Group Learning – सहयोगी अधिगम

Sahapathi Samuh Adhigam

सहपाठी समूह अधिगम (समवयस्क या सहयोगी अधिगम) के अन्तर्गत सीखने वालों को विभिन्न समवयस्क समूहों में बाँट लिया जाता है। समवयस्क शब्द के शाब्दिक अर्थ से ही स्पष्ट होता है कि इसमें सीखने वाले अपने स्तर पर समान योग्यता एवं आयु वर्ग के समूहों में सम्मिलित होकर स्वतन्त्र रूप से प्रजातान्त्रिक वातावरण में परस्पर समस्याओं का निवारण करते हुए किसी स्तर की पाठ्य-वस्तु सम्बन्धी तथ्यों, सिद्धान्तों, नियमों आदि पर आधारित अधिगम करते हैं।

सीखने वाले को अपने साथियों के साथ खुले मन से विषय-वस्तु पर आधारित अपने विचारों एवं भावों को अभिव्यक्त करने का अवसर मिलता है। इस शिक्षण नीति का उद्देश्य छात्रों को अपनी समस्याओं को स्वयं निराकरण करने के लिए प्रोत्साहित करना तथा उन्हें समाधान कार्यों को सही रूप में कर सकते हैं।

सहपाठी (समवयस्क) समूह अधिगम की शिक्षण प्रक्रिया (Teaching Process of Peer Group Learning)

छात्रों को अपने साथियों के साथ-साथ अलग-अलग समूहों में बाँट लिया जाता है। वे बिषय-वस्तु से संबंधित बिंदुओं पर आपस में विचारों का आदान प्रदान करते हैं। समूह में जो छात्र प्रतिभाशाली होते हैं वे अपने सहपाठियों की शैक्षिक समस्याओं के समाधान निकालने में सहायता करते हैं।

साथ ही किसी समस्या का समाधान न निकाल पाने की स्थिति में शिक्षक से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तनों के कारण छात्रों को सीखने के उद्देश्यों की प्राप्ति हो जाती है।

समवयस्क समूह अधिगम की विशेषताएं (Characteristics of Peer Group Learning)

समवयस्क समूह अधिगम की विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-

  1. समवयस्क समूह अधिगम द्वारा छात्रों की उत्सुकता समाप्त की जा सकती है।
  2. समवयस्क समूह अधिगम द्वारा तर्कों को आसानी से समझा जा सकता है और उनकी प्रशंसा भी की जा सकती है। इससे छात्रों को पृष्ठ पोषण भी प्राप्त होता है।
  3. समवयस्क समूह अधिगम में शिक्षक की अनुपस्थिति होने के कारण छात्रों को सभी विचारों को स्वीकार करने की स्वतन्त्रता रहती है।
  4. समवयस्क समूह अधिगम में छात्र अधिक स्वतन्त्र होने के कारण समस्या के समाधान के अपने विचारों को पूर्णरूप से प्रकट कर सकते हैं।

सहपाठी समूह अधिगम एक प्रभावी शिक्षण पद्धति है, जो विद्यार्थियों को एक-दूसरे से सीखने, सहयोग करने और ज्ञान साझा करने के लिए प्रेरित करती है। इससे उनकी तार्किक, संचार और समस्या समाधान कौशल में वृद्धि होती है, जो उनके समग्र विकास में सहायक होता है।

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FAQs

1.

सहपाठी समूह अधिगम (Peer Group Learning) क्या है?

सहपाठी समूह अधिगम एक शिक्षण पद्धति है जिसमें विद्यार्थी आपस में मिलकर सीखते हैं, विचारों का आदान-प्रदान करते हैं और एक-दूसरे की समझ को विकसित करने में सहायता करते हैं।

2.

सहपाठी समूह अधिगम की क्या विशेषताएँ हैं?

1. सहयोगात्मक एवं संवादात्मक अधिगम 2. समस्या-समाधान कौशल का विकास 3. आत्म-निर्भरता और आत्म-विश्वास में वृद्धि 4. ज्ञान को साझा करने की क्षमता बढ़ती है

3.

सहपाठी समूह अधिगम के प्रकार कौन-कौन से हैं?

1. औपचारिक सहपाठी समूह अधिगम: यह शिक्षक द्वारा योजनाबद्ध रूप से कराया जाता है। 2. अनौपचारिक सहपाठी समूह अधिगम: इसमें विद्यार्थी आपसी चर्चा और सहयोग से सीखते हैं। 3. सहयोगी अधिगम: इसमें विद्यार्थी समूहों में कार्य कर एक-दूसरे की सहायता करते हैं।

4.

सहपाठी समूह अधिगम का मुख्य उद्देश्य क्या है?

विद्यार्थियों में आत्म-निर्भरता, समस्या समाधान कौशल, संवाद कौशल और सहयोगी भावना को विकसित करना।

5.

सहपाठी समूह अधिगम के क्या लाभ हैं?

1. विद्यार्थियों में तार्किक और आलोचनात्मक सोच का विकास होता है। 2. जटिल विषयों को आसानी से समझा जा सकता है। 3. सीखने की प्रक्रिया रुचिकर और प्रभावी बनती है। 4. समूह में चर्चा करने से आत्म-विश्वास बढ़ता है।

6.

सहपाठी समूह अधिगम में शिक्षक की भूमिका क्या होती है?

शिक्षक एक मार्गदर्शक, पर्यवेक्षक और प्रेरक की भूमिका निभाता है, जो विद्यार्थियों को सही दिशा में सीखने के लिए प्रेरित करता है।

7.

सहपाठी समूह अधिगम और पारंपरिक शिक्षण विधियों में क्या अंतर है?

1. पारंपरिक विधियों में शिक्षक मुख्य ज्ञान स्रोत होता है, जबकि सहपाठी समूह अधिगम में विद्यार्थी एक-दूसरे से सीखते हैं। 2. पारंपरिक शिक्षा में एकतरफा संवाद होता है, जबकि सहपाठी समूह अधिगम में दोतरफा संवाद होता है।

8.

सहपाठी समूह अधिगम किन विषयों के लिए अधिक प्रभावी होता है?

गणित, विज्ञान, भाषा शिक्षण, सामाजिक अध्ययन और व्यावहारिक कौशल आधारित विषयों में यह विधि अधिक प्रभावी होती है।

9.

सहपाठी समूह अधिगम को प्रभावी बनाने के लिए किन रणनीतियों का उपयोग किया जा सकता है?

1. छोटे समूहों में विद्यार्थियों का विभाजन करना 2. विषय आधारित गतिविधियों का आयोजन करना 3. शिक्षक द्वारा मार्गदर्शन प्रदान करना 4. समूह चर्चा और प्रस्तुति करवाना

10.

क्या सहपाठी समूह अधिगम ऑनलाइन शिक्षा में भी प्रभावी हो सकता है?

हाँ, यह ऑनलाइन शिक्षा में भी प्रभावी हो सकता है, यदि विद्यार्थियों को वर्चुअल समूह चर्चाओं, सहयोगी परियोजनाओं और इंटरैक्टिव प्लेटफार्मों के माध्यम से जोड़ा जाए।

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