सम्प्रेषण की प्रक्रिया (Process of Communication)
मानव एक सामाजिक प्राणी है जो समाज में रहकर अपना जीवन व्यतीत करता है। सम्प्रेषण भी एक सामाजिक प्रक्रिया है।
सम्प्रेषण की प्रक्रिया एक पक्षीय न होकर दो पक्षीय या बहुपक्षीय प्रक्रिया है। इसमें एक पक्ष अपने विचारों तथा भावों का दूसरे पक्ष को आदान-प्रदान करता है। अतः सम्प्रेषण की प्रक्रिया समाज से हटकर पूरी नहीं हो सकती।
सम्प्रेषण की क्रिया को इस चित्र के द्वारा समझा जा सकता है-
इस चित्र से साफ स्पष्ट होता है कि जो व्यक्ति सन्देश भेजता है, वह सन्देश बनाता है, उसे लिखता है (Encoding), फिर किसी माध्यम; जैसे-रेडियो, टेलीफोन आदि से सन्देश प्रेषित करता है। जहाँ पर सन्देश पहुँचता है वहाँ उसे पढ़कर Decode करते हैं और सन्देश जिसके लिये होता है उसके पास पहुँचाते हैं। यह व्यक्ति सन्देश प्राप्ति की सूचना देता है।
सम्प्रेषण क्रिया को अन्य प्रकार से भी समझाया जा सकता है-
इससे मुख्यतः पाँच बातें निकलकर आती हैं
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सम्प्रेषक या इनकोडर।
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सन्देश या सिग्नल।
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सम्प्रेषण माध्यम या चैनल।
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सन्देश प्राप्तकर्ता या डिकोडर।
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पृष्ठपोषण।
1. सम्प्रेषक या इनकोडर (Encoder)
सम्प्रेषक को सम्प्रेषण स्रोत से जाना जाता है। इसमें सन्देश किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा सम्प्रेषित किया जाता है। इस सन्देश को दूसरे व्यक्ति या समूहों तक पहुँचाया जाता है।
2. सन्देश (Message)
इसमें सम्प्रेषणकर्ता अपने विचारों, भावों तथा अनुभवों को किसी अन्य को प्रेषित करता है। इसे सन्देश कहते हैं। सन्देश किसी सिगनल जैसे पोस्टर द्वारा, पैम्पलेट द्वारा अथवा सूचना पैकेज द्वारा प्रेषित किया जाता है। मुख्यतः सन्देश में लिखित भाषण या मौखिक अभिव्यक्ति का प्रयोग करते हैं।
3. सम्प्रेषण माध्यम (Mean or media of communication)
सम्प्रेषक अपने विचारों, भावों व अनुभवों को दूसरे व्यक्ति को पहुँचाने में जिन माध्यमों का सहारा लेता है, उन्हें सम्प्रेषण माध्यम कहते हैं। ये माध्यम शाब्दिक या अशाब्दिक हो सकते हैं। टेलीग्राम, समाचार पत्र या मैग्नीज सम्प्रेषण माध्यम होते हैं।
4. सन्देश प्राप्तकर्ता (Receiver)
सम्प्रेषक अपने भावों व विचारों को जिस व्यक्ति तक पहुँचाता है तथा वह व्यक्ति जो उन विचारों व अनुभवों को ग्रहण करता है उसे सन्देश प्राप्तकर्ता (Receiver) कहते हैं।
5. पृष्ठ पोषण (Feed back)
सन्देश प्राप्त करने वाला व्यक्ति सन्देश प्राप्त करने के पश्चात् सन्देश देने वाले के पास प्रेषित करता है; जैसे– सन्देश प्राप्ति की सूचना, सन्देश पढ़कर अपना मत प्रस्तुत करना आदि। यह पृष्ठपोषण कहलाता है।
सम्प्रेषण प्रक्रिया के तत्त्व (Elements of Communication)
सम्प्रेषण क्रिया के मुख्य नौ तत्त्व होते हैं-
- सम्प्रेषण सन्दर्भ (Communication context)
- भौतिक सन्दर्भ (जैसे-स्कूल, शिक्षण कक्ष)
- सामाजिक सन्दर्भ (जैसे-कक्षा, विद्यालय का वातावरण)
- मनोवैज्ञानिक सन्दर्भ (जैसे-औपचारिकता/अनौपचारिकता)
- समय सन्दर्भ (जैसे-यथा, दिन का समय, समय की अवधि)
- सन्देश का स्रोत (Source)
- सन्देश (Message)
- माध्यम (Channel)
- संकेत या प्रतीक (Symbol)
- एनकोडिंग (Encoding)
- डिकोडिंग (Decoding)
- पृष्ठ पोषण (Feed back)
- सन्देश ग्रहणकर्ता (Receiver)
सम्प्रेषण के माध्यम (Media of Communication)
सम्प्रेषण माध्यम को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है:-
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शृव्य माध्यम (Audio media)
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दृश्य माध्यम (Visual media)
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दृश्य-शृव्य माध्यम (Audio-visual media)
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क्रियात्मक माध्यम (Active media)
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