Poem on Food in Hindi – भोजन पर हिन्दी कविताएं

आज के भागदौड़ भरे जीवन में स्वाद और सुविधा के नाम पर लोग घर के ताज़ा और पौष्टिक भोजन को छोड़कर फास्ट फूड और पैक्ड फूड की ओर आकर्षित हो रहे हैं। पिज्जा, बर्गर, समोसा, टिक्की और अन्य जंक फूड का बढ़ता चलन हमारी सेहत को धीरे-धीरे नुकसान पहुँचा रहा है। ये खाद्य पदार्थ भले ही देखने और खाने में लज़ीज़ लगते हों, लेकिन इनके नियमित सेवन से कई बीमारियाँ जन्म लेती हैं। इस कविता संग्रह में इन्हीं हानिकारक खाद्य पदार्थों के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया है, ताकि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग हो सकें।

पैक्ड फूड का धोखा | Poem on Food in Hindi

Packed food

डिब्बे में बंद, चमकते पैकेट,
अंदर भरा सेहत का संकट।
झटपट खुला, झटपट खाया,
पर तन-मन को खूब दुखाया।

चिप्स, नमकीन, बिस्किट, नूडल,
सबमें छुपा ज़हर का मूड।
संरक्षक, केमिकल, नकली स्वाद,
धीरे-धीरे करे बर्बाद।

बच्चे, बड़े सभी ललचाए,
पर कोई सच्चाई न समझ पाए।
जो दिखे आसान, सस्ता-टिकाऊ,
वही सेहत का सबसे बड़ा चुराऊ।

घर की रसोई सबसे प्यारी,
ताज़ा खाना जीवन धारी।
पैक्ड फूड से दूरी बनाओ,
स्वस्थ रहो, खुशहाल बन जाओ!

पहली पसंद फास्ट फूड

माँ की रोटी-दाल को ठुकराया,
पिज्जा-बर्गर के पीछे भागा,
दूध-छाछ को किनारे रखकर,
कोल्ड ड्रिंक्स का दीवाना जागा।

दलिया-खिचड़ी देख मुँह बिचकाए,
मोमोज देख लार टपकाए,
हर घड़ी ये तन को छलता,
क्षण-क्षण काया क्षीण कर डाले।

मोटापा, कब्ज़ के शिकार हुए,
पाचन शक्ति भी बिखर गई,
शरीर बना बीमारी का घर,
ज़िंदगी की रोशनी ही मर गई।

रातभर चाट चटखारे लिए,
सुबह पेट की आग जली,
जो माँ की रोटी को ठुकराए,
स्वाद के लिए घर में लड़ाई मचाए।

भोजन को देवता मानो,
दैत्य बनकर इसे न निगलो,
जुबान के चटकारे छोड़ो,
वरना जीवन होगा ध्वस्त।

अस्पताल की शैय्या मिलेगी,
ड्रिप चढ़ेगी, सुई लगेगी,
डॉक्टर-नर्स घेर लेंगे,
और फिर वही सलाह देंगे,

फास्ट फूड को हमेशा के लिए छोड़ दो!

पौष्टिक भोजन

बच्चों आज मैं बताता हूँ एक बात महान
पौष्टिक भोजन देता है जीवन दान
करता है स्वस्थ शरीर प्रदान
है इसका हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान
उसी ने दिया है हमें जीवन का वरदान
देखो न व्यर्थ हो उसका ये दान
स्वस्थ शरीर और उत्साही मन से है जीवन महान
लो मेरी बात मान
पौष्टिक भोजन है प्राण

गोल गप्पा

नाम है इसका गोल गप्पा
या फिर बोलो पानी पूरी तरह से
है गोल गोल ये फूला फूला
इसमें मिलाते हैं बच्चे नर नारियल के
आटे का ये बनता है
या फिर सूजी में आटा
इसके अंदर भरदो आलू
के साथ में मिठाई डालो
तीखा जलजीरा पानी भर के
मुंह खोल एक बार खा लो

समोसे का सबक

samosa

तेल में तला, करारा समोसा,
देखते ही मन हो जाए बेहोशा।
आलू मसाले का भरपूर स्वाद,
खाने को हर कोई है तैयार।

पर अंदर ये राज़ छुपाए,
सेहत से धीरे-धीरे खिलवाड़ कराए।
मज़ा पलभर का, नुक़सान बड़ा,
वजन बढ़ाए, पेट करे कड़ा।

चटनी संग जो चटखारे ले,
बाद में गैस, जलन में फंसे।
दिल को भाए, पर दिल का बैरी,
फिर भी हर दिन खाए हर कोई सवेरी।

कभी-कभी हो तो ठीक बात है,
पर रोज़ खाओगे, होगी मात।
सेहत को प्यारा जो बनाए,
वही सच्चा स्वाद अपनाए!

बर्गर की हकीकत

Vargar

रंग-बिरंगा, बड़ा लुभावना,
देखते ही मन बहकाना।
ब्रेड के भीतर स्वाद छुपाए,
पर सेहत से बैर बढ़ाए।

चटनी, चीज़, टिक्की का मेल,
हर किसी को करता खेल।
एक बार खाया, फिर लत लगी,
घर की रोटी से दूरी बनी।

तेल-नमक से भरपूर यह भोजन,
धीरे-धीरे बिगाड़े तन-मन।
मोटापा, सुस्ती संग ये आए,
फिर भी हर कोई इसे ही खाए।

कभी-कभार हो तो ठीक,
पर रोज़ खाओगे, सेहत जाएगी लीक।
जो सच में खुद से करे प्यार,
वो घर का खाना करे स्वीकार!

पिज्जा की कहानी

Pizza

चटपटे स्वाद का जादू लाए,
पिज्जा देख हर कोई ललचाए।
चीज़ और सॉस का ऐसा मेल,
बच्चे, बड़े सभी हैं खेल।

रोटी-दाल को भूल गए हम,
पिज्जा को ही मान लिया जीवन संग।
जंक फूड का ये है जाल,
सेहत बिगाड़े हर एक हाल।

मोटापा, सुस्ती संग में आए,
फिर भी हर दिल इसे ही चाहाए।
जोड़े रोग, घटाए ताकत,
पर खाने की रहती आदत।

कभी-कभार हो तो ठीक,
रोज़ खाओगे, बनोगे बीमार।
स्वस्थ रहो, सादा खाओ,
जीवन को खुशहाल बनाओ!

टिक्की का स्वाद, सेहत बर्बाद

गर्मा-गर्म, खस्ता टिक्की,
मसालों से भरपूर ये चटपटी।
चटनी संग जब मिल जाए,
हर कोई बस खाए जाए।

अंदर आलू, बाहर तेल,
सेहत से करती ये खिलवाड़ खेल।
हर रोज़ जो इसे अपनाए,
मोटापा, गैस संग ले आए।

मज़ा पलभर का, नुक़सान भारी,
सेहत के दुश्मन की ये सवारी।
कभी-कभार तक ठीक है प्यारे,
वरना झेलोगे रोगों के मारे!

रखो सेहत का ध्यान हमेशा,
सादा भोजन सबसे अच्छा।
तंदुरुस्त रहोगे, खुशहाल बनोगे,
टिक्की से दूरी जब अपनाओगे!

चाउमीन का जादू

chaw mein

गर्मा-गर्म चाउमीन आई,
देखते ही भूख बढ़ाई।
सॉस-मसाले, रंग-बिरंगे,
नूडल्स के धागे लहराए लंबे।

हर गली और हर दुकान,
चाउमीन का चलता नाम।
चटपटे स्वाद में जादू ऐसा,
खाते-खाते भूले पैसा।

पर अंदर इसमें क्या छुपा है?
तेल और मसालों का जंजाल बसा है।
सेहत को धीरे-धीरे खाए,
पेट में एसिड, मोटापा लाए।

कभी-कभार मज़ा है इसमें,
पर रोज़ खाओगे, फँसोगे इसमें।
घर का खाना अपनाओ प्यारे,
स्वस्थ रहोगे, रोग ना सारे!

मोमोज का माया जाल

गर्मा-गर्म धुआँ उड़ाते,
मोमोज सबका मन ललचाते।
चटनी संग जोड़े रंग,
हर कोई खाए बेदम।

सड़क किनारे, दुकान-दुकान,
मोमोज का चलता अभियान।
भूख लगे या मन ललचाए,
हर कोई इसे खाने आए।

पर अंदर इसमें क्या छुपा है?
मैदा, तेल, सेहत को ठगा है।
बासी सब्ज़ी, नकली स्वाद,
धीरे-धीरे करे बर्बाद।

पेट में गैस, बदहजमी लाए,
फिर भी दिल इसे ही चाहाए।
स्वाद नहीं, सेहत को चाहो,
घर का खाना अपनाओ!

स्वाद और सुविधा के मोह में हम अपनी सेहत को दाँव पर लगा रहे हैं। जंक फूड और पैक्ड फूड का अधिक सेवन न केवल हमारे शरीर को कमजोर करता है, बल्कि यह कई बीमारियों का कारण भी बनता है। हमें समझना होगा कि स्वास्थ्य ही असली धन है और इसके लिए संतुलित व पौष्टिक आहार आवश्यक है। यदि हम स्वस्थ जीवन चाहते हैं, तो हमें घर के ताज़े भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए और फास्ट फूड से दूरी बनानी चाहिए। सही खान-पान अपनाकर ही हम एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

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