दक्षता आधारित अधिगम उपागम
Efficiency Based Learning Approach
आधुनिक युग प्रतिस्पर्धा एवं प्रतियोगिता का युग है। इसमें बालकों को ज्ञान प्राप्ति के साथ ही समाज में अपना विशिष्ट स्थान बनाने के लिये किसी क्षेत्र में विशिष्ट दक्षता प्राप्त करना होती है। दक्षता मानसिक एवं भौतिक दोनों क्षेत्रों में हो सकती है। दक्षता प्राप्त करने के बाद ही बालक समाज में सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है।
अत: अधिगम प्रक्रिया का यह महत्त्वपूर्ण उद्देश्य बन जाता है कि यदि बालकों को समाज का महत्त्वपूर्ण सदस्य बनाना है तो बालकों में किसी न किसी दक्षता का विकास करना होगा; जैसे चिन्तन, समस्या समाधान, शब्द कौशल, गणितीय गणनाएँ, वाचन, भाषण, नृत्य तथा संगीत आदि।
यदि बालक के पास कोई दक्षता नहीं हो तो उसका व्यक्तित्व एकपक्षीय बनकर रह जाता है।
दक्षता आधारित अधिगम उपागम के सोपान
दक्षता आधारित अधिगम उपागम को निम्नलिखित सोपानों के माध्यम से बालकों के अधिगम हेतु प्रयुक्त किया जाता है:-
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पूर्व तैयारी – उद्देश्य निर्धारण, सहायक सामग्री।
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विषय वस्तु का प्रस्तुतीकरण।
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नियम निर्णय का समन्वयीकरण, सूचीकरण।
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अभ्यास।
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अभ्यास कार्य के मध्य की गयी त्रुटियों का शुद्धीकरण।
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प्रयोग।
जब बालक अभ्यास कार्य के मध्य त्रुटियाँ करना बन्द कर दे तो दक्षता विकास हेतु पुनः अभ्यासात्मक प्रयोग कराया जाय और इस प्रक्रिया को तब तक जारी रखा जाय जब तक किछात्र वांछित दक्षता प्राप्त नहीं कर ले।
दक्षता विकास में सावधानियाँ
बालकों में दक्षता विकास में निम्नलिखित तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिये:-
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दक्षता का कार्यक्षेत्र बालकों के स्तरानुकूल होना चाहिये।
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अभ्यास कार्य के समय बालकों की थकान का विशेष ध्यान रखा जाय।
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छात्र की अन्तर्निहित शक्तियों को ज्ञात करने के बाद उसके दक्षता विकास की प्रक्रिया आरम्भ की जाय।
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बालकों को अभ्यास कार्य के प्रति अभिप्रेरित करने के लिये दक्षता को उनके तात्कालिक जीवन से सम्बन्धित किया जाय।
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दक्षता विकास हेतु बालों को आवश्यक मार्गदर्शन दिया जाये।
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दक्षता विकास बालक तथा अध्यापकों को बड़े ही धैर्य के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये क्योंकि इसकी सम्प्राप्ति में समय भी लग सकता है।