Uttar Shabd
उत्तर शब्द (North, एक दिशा है): उत्तर शब्द के अकारान्त पुल्लिंग शब्द के शब्द रूप, उत्तर (Uttar) शब्द के अंत में “अ” का प्रयोग हुआ इसलिए यह अकारान्त हैं। अतः Uttar Shabd के Shabd Roop की तरह उत्तर जैसे सभी अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के शब्द रूप (Shabd Roop) इसी प्रकार बनाते है। उत्तर शब्द के शब्द रूप संस्कृत में सभी विभक्तियों एवं तीनों वचन में शब्द रूप (Uttar Shabd Roop) नीचे दिये गये हैं।
उत्तर के शब्द रूप – Shabd roop of Uttar
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | उत्तरः | उत्तरौ | उत्तरे, उत्तराः |
द्वितीया | उत्तरम् | उत्तरौ | उत्तरान् |
तृतीया | उत्तरेन | उत्तराभ्याम् | उत्तरैः |
चतुर्थी | उत्तरस्मै | उत्तराभ्याम् | उत्तरेभ्यः |
पंचमी | उत्तरस्मात् | उत्तराभ्याम् | उत्तरेभ्यः |
षष्ठी | उत्तरस्य | उत्तरयोः | उत्तरेषाम् |
सप्तमी | उत्तरस्मिन् | उत्तरयोः | उत्तरेषु |
सम्बोधन | हे उत्तर ! | हे उत्तरौ ! | हे उत्तरे, उत्तराः ! |
उत्तर शब्द का अर्थ/मतलब
उत्तर शब्द का अर्थ North, एक दिशा है होता है। उत्तर शब्द अकारान्त शब्द है इसका मतलब भी ‘North, एक दिशा है’ होता है।
उत्तर 1 संज्ञा पुं॰ [सं॰]
- दक्षिण दिशा के सामने की दिशा । ईशान और वायव्य कोण के बीच की दिशा । उदीची ।
- किसी बात को सुनकर उसके समाधान के लिये कही हुई बात । जवाब । उ॰—लघु आनन उत्तर देत बड़ी लरिहै मरिहै मारिहै करिहै कुछ साकी । गोरी, गरूर गुमान भरी कहो कौसिक, छोटी सो ढोटी है काकी । — तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १६० । जैसे, हमारे प्रश्न का उत्तर अभी नहीं आया ।
- प्रतिकार । बदला । जैसे, हम गलियों का उत्तर घूसों से देंगे ।
- एक वैदिक गीत ।
- राजा विराट रा पुत्र ।
- एक काव्यालंकार जिसमें उत्तर के सुनते ही प्रश्न का अनुमान किया जाता है अथवा प्रश्नों का ऐसा उत्तर दिया जाता है जो अप्रसिद्ध हो । जैसे— (क) धेनु धुमरी रावरी ह्याँ कित है जदुबीर, वा तमाल तरुवर तकी, तरनि तनूजा तीर (शब्द॰) । इस उदाहरण में ‘तुम्हारी गाय यहाँ कहीँ है’ इस उत्तर के सुनने से हमारी गाय यहाँ कहीँ है?’ इस प्रश्न का अनुमान होता है ।(ख) ‘कहा विषम है? दैवगति, सुख कह? तिय गुनगान । दुर्लभ कह? गुन गाहकहि, कहा दुःख? खल जान’ (शब्द॰) । इस उदाहरण में ‘दुःख क्या है आदि प्रश्नों के ‘खल’ आदि अप्रसिद्ध उत्तर होता है । उ॰— (क) को कहिए जल सों सुखी का कहिए पर श्याम, को कहिए जे रस बिना को कहिए सुख वाम (शव्द॰) । यहाँ ‘जल से कोन सुखी है ? इस प्रश्न का उत्तर इसी प्रश्न- वाक्य आदि का शब्द ‘कोक (कमल)’ है । इसी प्रकार और भी है । (ख) गउ, पीठ पर लेहु, अंग राग अरु हार करु, गृह प्रकाश करि देहु कान्ह कह्यो सारँग नहीं (शब्द॰) । यहाँ गाओ, पीठ पर चढाओ, आदि सब बातों का उत्तर ‘सारंग (जिसके अर्थ वीण, घोड़ा, चंदन, फूल और दीपक आदि हैं) नहीं’ से दिया गया है । (ग) प्रश्न—घोड़ा क्यों अड़ा, पान क्यों सड़ा, रोटी क्यों जली? उत्तर— ‘फोरा न था’ । यौ॰—उत्तर प्रत्युत्तर ।
उत्तर 2 वि॰
- पिछला । बाद का । उपरांत का । उ॰— (क) दैंहहँ दाग स्वकर हत आछे । उत्तर क्रियहिं करहूँगो पाछो ।— पद्माकर (शब्द॰) । यौ॰— उत्तर भाग । उत्तर काल ।
- ऊपर का । जैसे, उत्तरदंत । उत्तरहुनु । उत्तरारणी
- बढ़कर । श्रेष्ठ । जैसे,—लोकोत्तर ।
उत्तर 3 क्रि॰ वि॰
- पीछे । बाद । जैसे, उत्तरेत्तर ।
उत्तर जैसे और महत्वपूर्ण शब्द रूप
उपर्युक्त शब्द रूप उत्तर शब्द के अकारान्त पुल्लिंग शब्द के शब्द रूप हैं उत्तर जैसे शब्द रूप (Uttar shabd Roop) देखने के लिए Shabd Roop List पर जाएँ।