प्रेरक (Motive) – अर्थ, परिभाषा, वर्गीकरण एवं प्रकार – अधिगम

Prerak

प्रेरक और इसका अर्थ

Motive and Its Meaning

प्रेरक क्या है? इस विषय में सभी विद्वान् एक मत नहीं हैं। कुछ विद्वान् इनको जन्मजात या अर्जित शक्तियाँ मानते हैं। कुछ विद्वान् इनको व्यक्ति की शारीरिक या मनोवैज्ञानिक दशाएँ मानते हैं। यहाँ पर हम प्रेरक का अर्थ तथा इसकी प्रमुख परिभाषाएँ प्रस्तुत करेंगे।

प्रेरक का अर्थ (Meaning of motive)

प्रेरणा या अभिप्रेरणा व्यक्ति की एक आन्तरिक स्थिति है। यह व्यक्ति में लक्ष्य प्राप्ति तक चलने वाली क्रियाशीलता उत्पन्न करती है। शिक्षा में प्रेरकों की विशेष उपयोगिता है, परन्तु उनका प्रयोग सावधानी से किया जाना चाहिये।

प्रेरक की परिभाषाएँ

Definitions of Motive

प्रेरक की कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

  1. किम्बॉल यंग के अनुसार, “प्रेरक किसी व्यक्ति की आन्तरिक स्थिति को कहते हैं, जो उसे क्रिया करने को प्रेरित करती है।
  2. मैक्डूगल के अनुसार, “प्रेरक प्राणी की वे दैहिक एवं मनोवैज्ञानिक दशाएँ हैं, जो उसे निश्चित भागों में कार्य करने को प्रेरित करती हैं।
  3. गिलफोर्ड के अनुसार, “प्रेरक एक ऐसी विशेष आन्तरिक कारक या अवस्था है, जो किसी व्यक्ति को किसी क्रिया को आरम्भ करने तथा बनाये रखने की ओर तैयार करती है।
  4. वुडवर्थ के अनुसार, “प्रेरक व्यक्ति की वह अवस्था या तत्परता है, जो उसे एक विशेष व्यवहार करने के लिये तथा कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये निर्देशित करती है।

प्रेरक की उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि प्रेरक किसी व्यक्ति की आन्तरिक स्थिति है। यह स्थिति या अवस्था व्यक्ति को कार्य करने को प्रेरित करती है। यह अवस्था व्यक्ति में क्रियाशीलता उत्पन्न करती है। यह क्रियाशीलता उस समय तक बनी रहती है, जब तक मनुष्य अपने लक्ष्य या आवश्यकता की पूर्ति को प्राप्त नहीं कर लेता है।

प्रेरकों का वर्गीकरण

Classification of Motives

हम बता चुके हैं कि प्रेरक किसी व्यक्ति की एक आन्तरिक स्थिति है। यह स्थिति उसे क्रिया करने को प्रेरित करती है। प्रेरक अनेक प्रकार के होते हैं। इनकी संख्या अत्यधिक है।

मनोवैज्ञानिकों ने प्रेरकों का वर्गीकरण भिन्न-भिन्न प्रकार से किया है। इनमें से निम्न वर्गीकरण महत्त्वपूर्ण हैं-

गैरिट (Garrett) के अनुसार प्रेरक तीन प्रकार के होते हैं-

  1. जैविकीय प्रेरक
  2. मनोवैज्ञानिक प्रेरक
  3. सामाजिक प्रेरक

थॉमसन (Thomson) के अनुसार प्रेरक दो प्रकार के होते हैं-

  1. स्वाभाविक प्रेरक
  2. कृत्रिम प्रेरक

मासलो (Maslow) के अनुसार प्रेरक दो प्रकार होते हैं-

  1. जन्मजात प्रेरक
  2. अर्जित प्रेरक

प्रेरकों के प्रकार

Kinds of Motives

प्रेरक के प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं-

1. जन्मजात प्रेरक (Innate motives)

ये प्रेरक व्यक्ति में उसके जन्म से पाये जाते हैं। इन्हें जैविकीय प्रेरक (Physiological) प्रेरक भी कहते हैं। भूख, प्यास, काम तथा निद्रा इसी प्रकार के प्रेरक हैं।

2. अर्जित प्रेरक (Acquired motive)

इस प्रकार के प्रेरक व्यक्ति अपने पर्यावरण से अर्जित करता है; उदाहरण के लिये-रुचि, आदत आदि।

3. स्वाभाविक प्रेरक (Natural motives)

जो प्रेरक व्यक्ति में स्वभाव से ही पाये जाते हैं, स्वाभाविक प्रेरक कहलाते हैं; उदाहरण के लिये-खेल,आनन्द प्राप्त करना तथा सुझाव देना आदि।

4. कृत्रिम प्रेरक (Artificial motives)

जो प्रेरक स्वाभाविक प्रेरकों के पूरक के रूप में कार्य करते हैं और व्यक्ति के व्यवहार पर नियन्त्रण रखते हैं, कृत्रिम प्रेरक कहलाते हैं; उदाहरण के लिये-प्रशंसा, पुरस्कार, सहयोग, दण्ड और निन्दा आदि।

5. जैविकीय प्रेरक (Physiological motives)

इन्हें जन्मजात या शारीरिक प्रेरक भी कहा जाता है।

6. मनोवैज्ञानिक प्रेरक (Psychological motives)

इन्हें जन्मजात या शारीरिक प्रेरक भी कहा जाता है। इनका वर्णन हम ऊपर कर चुके हैं।

7. सामाजिक प्रेरक (Social motives)

जो प्रेरक सामाजिक दशाओं,स्थितियों और सम्बन्धों के कारण उत्पन्न होते हैं और व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करते हैं, सामाजिक प्रेरक कहलाते हैं; उदाहरण के लिये-आत्म प्रदर्शन, आत्म सुरक्षा तथा सामाजिकता आदि।

प्रेरकों का वर्गीकरण

Classification of Motives

अभी हमने कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार प्रेरकों का वर्गीकरण प्रस्तुत किया है। प्रेरकों का एक सामान्य वर्गीकरण इस प्रकार है – अब हम जन्मजात (Innate) प्रेरकों तथा अर्जित (Acquired) प्रेरकों का वर्णन करेंगे

Prerak Ka Vargikaran/Bhed/Prakar

1. जन्मजात प्रेरक (Innate Motives)

ये प्रेरक मनुष्य में जन्म से ही पाये जाते हैं। इसी कारण इनको शारीरिक प्रेरक या प्राथमिक प्रेरक भी कहते हैं। मनुष्य जीवित रहने के लिये इन प्रेरकों की पूर्ति करता है। यह कहना उचित ही है कि जन्मजात प्रेरक जीवन का आधार होते हैं। इनको जैविकीय आवश्यकता भी कहते हैं। जन्मजात प्रेरक निम्न हैं- भूख (Hunger), प्यास (Thirst), काम (Sex), नींद (Sleep), .प्रेम (Love, affection), क्रोध (Anger) आदि। और अधिक विस्तार से पढ़ें – जन्मजात प्रेरक

2. अर्जित प्रेरक (Acquired Motives)

वे प्रेरक जो बालक में जन्मजात नहीं होते हैं, वरन् वातावरण के सम्पर्क में आने पर वह अर्जित करता है, अर्जित प्रेरक कहलाते हैं। अर्जित प्रेरक दो प्रकार के होते हैं (1) व्यक्तिगत प्रेरक तथा (2) सामान्य सामाजिक प्रेरक। और अधिक विस्तार से पढ़ें – अर्जित प्रेरक

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