अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु + प्रास।
यहाँ पर अनु का अर्थ है- बार -बार और प्रास का अर्थ होता है – वर्ण। जब किसी वर्ण की बार – बार आवर्ती हो तब जो चमत्कार होता है उसे अनुप्रास अलंकार कहते है। यह अलंकार शब्दालंकार के 6 भेदों में से एक हैं।
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा
अनुप्रास अलंकार का उदाहरण
विश्व बदर इव धृत उदर जोवत सोवत सूप।।
अनुप्रास अलंकार के अन्य उदाहरण
उदाहरण 1.
उदाहरण 2.
उदाहरण 3.
उदाहरण 4.
उदाहरण 5.
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।
उदाहरण 6.
सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
उदाहरण 7.
उदाहरण 8.
उदाहरण 9.
उदाहरण 10.
उदाहरण 11.
निज दुख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दुख रज मेरु समाना।।
अनुप्रासालंकारः (संस्कृत)
वर्णसाम्यमनुप्रासः । स्वरवैसादृश्येऽपिव्यंजनदृशत्वं वर्णसाम्यम् । रसायनुगतः प्रकृष्टो न्यासोऽनुप्रासः । इस अलंकार में किसी व्यंजन वर्ण की आवृत्ति होती है। ‘आवृत्ति का मतलब
है—दुहराना । अर्थात् जब किसी वाक्य में कोई खास व्यंजन वर्ण या पद अथवा वाक्यांश लगातार आकर उसके सौंदर्य को बढ़ा दे, तब वहाँ ‘अनुप्रास अलंकार’ होता है।
उदाहरणस्वरूपः
1.
दधे कामपरिक्षामकामिनीगण्डपाण्डुताम् ।। ।
2.
अलमलमानि! मृणालैरिति वदति दिवानिशंबात्य ।।
3.
यस्य च सविधे दयिता दवदहनस्तुहिनदीधितिस्तस्य ।।
अनुप्रास अलंकार के भेद
- छेकानुप्रास अलंकार
- वृत्यानुप्रास अलंकार
- लाटानुप्रास अलंकार
- अन्त्यानुप्रास अलंकार
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार
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UDAHARAN:
चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,
मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥
– मैथिलीशरण गुप्त (अनुप्रास अलंकार ka उदाहरण)