यमक और श्लेष
यमक अलंकार में शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त होता है और प्रत्येक बार उसका अर्थ अलग होता है; यथा-
यहाँ नगन जड़ाती शब्द दो बार प्रयुक्त हुआ है।
- प्रथम बार प्रयुक्त शब्द का अर्थ है कि मुगलों की स्त्रियां पहले अपने वस्त्राभूषणों में रन और नग जड़वाया करती थीं किन्तु अब शिवाजी ने उन्हें दर-दर भटकने को विवश कर दिया है, इसलिए वे वस्त्रों के अभाव में नग्न (वस्त्र विहीन) होकर शीत से कांप रही हैं।
- दूसरी बार प्रयुक्त शब्द नगन जड़ाती का अर्थ है वस्त्र विहीन होने के कारण शीत से कांपना।
श्लेष अलंकार में शब्द का प्रयोग एक बार होता है किन्तु अर्थ एक से अधिक होते हैं। यथा-
यहां ‘श्रुति’ शब्द एक बार प्रयुक्त हुआ है परन्तु प्रसंग भेद से उसके दो अर्थ हैं—(१) कान, (२) वेद।
Yamak aur Shlesh Alankar Mein Antar
यमक अलंकार | श्लेष अलंकार |
यमक अलंकार में एक शब्द का कई बार होता है, परंतु उनके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं। | जबकि श्लेष अलंकार में शब्द एक बार प्रयोग होता है, परंतु उसके अर्थ कई होते हैं। |
उदाहरण- कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय | उदाहरण– विमलाम्बरा रुजनी-वधू अभिसारिका सी जा रही। |
उपर्युक्त उदाहरण में “कनक” शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है- प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दूसरे का ‘धतूरा’ है। | उपर्युक्त उदाहरण में “विमलाम्बरा” शब्द एक बार प्रयुक्त है, परंतु उसके दो अर्थ हैं, पहला “स्वच्छ आकाश वाली” और दूसरा “स्वच्छ वस्त्रों वाली”। |
अन्य अलंकार-युग्म में अंतर
- यमक और श्लेष अलंकार में अंतर
- अनुप्रास और यमक अलंकार में अंतर
- उपमा और रूपक अलंकार में अंतर
- उपमा और उत्प्रेक्षा अलंकार में अंतर
- संदेह और भ्रांतिमान अलंकार में अंतर
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