![Karanmala Alankar Karanmala Alankar](https://4.bp.blogspot.com/-7kcRlna9p88/XSCVux5_nzI/AAAAAAAAB0c/iBjKjcFNec0sj95sIYvZAeptoM_qv3hcwCLcBGAs/s320/%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BE%2B%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0.png)
कारणमाला अलंकार (कारणमालालंकारः)
परिभाषा: ‘यथोत्तरं चेत्पूर्वस्य पूर्वस्यार्थस्य हेतुता। तदा कारणमाला स्यात्’ – जहाँ अगले-अगले अर्थ के पहले-पहले अर्थ हेतु हों, वहाँ कारणमालालंकार होता है। (यह अलंकार, हिन्दी व्याकरण(Hindi Grammar) के Alankar के भेदों में से एक हैं।)
उदाहरणस्वरूप:
उदाहरण 1.
गुणप्रकर्षण जनोऽनुरज्यते जनानुरागप्रभवा हि सम्पदः ।।
उदाहरण 2.
पात्रत्वात् धनम् आप्नोति धनाधर्मः सुखम् ।।
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