विश्व रेडियो दिवस
टेक्नोलॉजी की तेज़ रफ्तार और डिजिटल प्लेटफार्मों में लगातार हो रहे बदलाव के बावजूद, रेडियो आज भी दुनिया के सबसे विश्वसनीय और व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले मीडिया के रूप में बना हुआ है। यह जानकारी, मनोरंजन और शिक्षा के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कर चुका है। रेडियो आज अपनी दूसरी शताब्दी में प्रवेश कर चुका है, और 2011 में यूनेस्को के सदस्य देशों और 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे 13 फरवरी को ‘विश्व रेडियो दिवस (World Radio Day)‘ के रूप में मनाने की स्वीकृति दी गई थी।
विश्व रेडियो दिवस का इतिहास
हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि यूनेस्को द्वारा 3 नवंबर 2011 को निर्धारित की गई थी, और यह निर्णय यूनेस्को की 36वीं कॉन्फ्रेंस के दौरान लिया गया। इस आयोजन के लिए स्पेनिश रेडियो ने यूनेस्को से अनुरोध किया था। विश्व रेडियो दिवस का पहला आयोजन 2012 में हुआ, जिसमें लंदन में एक सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें रेडियो पेशेवरों, शिक्षाविदों और इस विषय में रुचि रखने वाले व्यक्तियों ने भाग लिया। तभी से यह तिथि हर साल विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाई जाती है।
रेडियो का इतिहास और वर्तमान
रेडियो का इतिहास 1800 के दशक से लेकर आज तक के सफर में विज्ञान, संचार और ऑडियो कार्यक्रमों के संयोजन के रूप में अपनी अहमियत साबित कर चुका है। रेडियो के माध्यम से सूचना का प्रसार हुआ और यह आज भी किसी न किसी रूप में लोगों से जुड़ा हुआ है।
- 1900 में गुग्लील्यमो मार्कोनी ने इंग्लैंड से अमेरिका में व्यक्तिगत रेडियो संदेश भेजे।
- 24 दिसंबर 1906 को रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई।
- 1918 में न्यूयॉर्क के हाइब्रिज में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन स्थापित हुआ।
- 1937 में ऑल इंडिया रेडियो की शुरुआत हुई, और इस वर्ष इसके 88 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
- 1963 में कानपुर में विविध भारती सेवा की शुरुआत हुई।
- 1970 में कानपुर केंद्र को विज्ञापन सेवा केंद्र के रूप में रूपांतरित किया गया।
- 2006 में 102 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी पर एफएम रेनबो का प्रसारण शुरू हुआ।
- 2012 से एफएम मोड के माध्यम से विविध भारती का प्रसारण शुरू हुआ।
थीम 2025: विश्व रेडियो दिवस
इस वर्ष की विश्व रेडियो दिवस की थीम है, “रेडियो और जलवायु परिवर्तन“। यह थीम रेडियो के ऐतिहासिक योगदान, वर्तमान महत्व और भविष्य में इसकी भूमिका को दर्शाती है। यूनेस्को इस दिन को वैश्विक स्तर पर समन्वित करती है, जबकि सदस्य देश इसे विभिन्न कार्यक्रमों, समाचार प्रसारण, और आडियो-वीडियो संसाधनों के माध्यम से मनाते हैं।
रेडियो का महत्व
रेडियो एक गैर-लाभकारी सेवा है, जो स्थानीय समस्याओं को उजागर करने और समाज के लोगों को जोड़ने का कार्य करती है। यह एफएम रेडियो स्टेशन होते हैं, जिनकी प्रसारण सीमा लगभग 12-15 किलोमीटर तक होती है। इसकी स्थापना में खर्च लगभग 10 से 15 लाख रुपये आता है। सामुदायिक रेडियो का उद्देश्य समुदाय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना और लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
रेडियो के लाभ
- रेडियो स्थानीय भाषा और बोली में प्रसारित होता है, जिससे लोग इसे समझ पाते हैं और इससे जुड़ाव महसूस करते हैं।
- यह कार्यक्रमों को प्रसारित करने के लिए स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करता है।
- यह सरकारी योजनाओं की जानकारी देने, जागरूकता फैलाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रभावी माध्यम बन चुका है।
वृद्धि और विस्तार
पिछले दशक में सामुदायिक रेडियो की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। 2024 में 481 सामुदायिक रेडियो स्टेशन कार्यरत हैं, जबकि 2014 में यह संख्या केवल 140 थी। यह इस माध्यम की बढ़ती लोकप्रियता और प्रभाव को दर्शाता है।
रेडियो का आविष्कार एवं इतिहास
रेडियो संचार के आविष्कार में निकोलास टेस्ला (1893-1895), गुग्लिएल्मो मार्कोनी (1895-1901), और रेगिनाल्ड फेसेंडेन (1906) का प्रमुख योगदान है। 24 दिसम्बर 1906 को कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने अटलांटिक महासागर में तैर रहे जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों को संगीत भेजने के साथ रेडियो प्रसारण की शुरुआत की।
मार्कोनी ने 1900 में इंग्लैंड से अमेरिका तक बिना तार के संदेश भेजने की शुरुआत की थी, जबकि 1906 में फेसेंडेन ने एक से अधिक लोगों को संदेश भेजने, यानि ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत की। इसके बाद ली द फोरेस्ट और चार्ल्स हेरॉल्ड जैसे वैज्ञानिकों ने रेडियो प्रसारण के प्रयोग शुरू किए। शुरूआत में रेडियो का उपयोग केवल नौसेना तक ही सीमित था।
1917 में प्रथम विश्व युद्ध के समय रेडियो का प्रयोग सामान्य नागरिकों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था।
भारत में रेडियो का इतिहास
रेडियो की शुरुआत भारत में 2002 में हुई थी, जब शैक्षणिक संस्थानों को इसको स्थापित करने की अनुमति दी गई। वर्ष 2004 में लालकृष्ण आडवाणी ने पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोला और फिर 2005 में अन्ना विश्वविद्यालय ने ‘अन्ना कम्युनिटी रेडियो 90.4 MHz’ की शुरुआत की।
भारत में रेडियो का इतिहास लगभग एक सदी पुराना है। इसका विकास कई चरणों में हुआ, जिसमें सरकारी और निजी पहल शामिल हैं। भारत में रेडियो प्रसारण का प्रारंभ जून 1923 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ, जब बॉम्बे प्रेसीडेंसी रेडियो क्लब ने कार्यक्रम प्रसारित करना शुरू किया।
23 जुलाई 1927 को हुए एक समझौते के तहत, निजी भारतीय ब्रॉडकास्टिंग कंपनी को रेडियो स्टेशन संचालित करने का अधिकार मिला था। बाद में, 1930 में भारतीय राज्य प्रसारण सेवा की शुरुआत हुई, जिसे 1936 में ऑल इंडिया रेडियो के नाम से जाना गया। भारत को स्वतंत्रता मिलने पर दिल्ली, बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, तिरुचिरापल्ली, और लखनऊ में रेडियो स्टेशन स्थापित हो चुके थे।
भारत में रेडियो प्रसारण के एक समृद्ध इतिहास में प्रमुख रेडियो स्टेशन जैसे आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो), विविध भारती, रेडियो सिटी (91.1 FM), रेड एफएम (93.5 FM), और बिग एफएम (92.7 FM) शामिल हैं। रेडियो अब डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है, जिसमें DRM (Digital Radio Mondiale) और FM बैंड का विस्तार हो रहा है।
आजकल, इंटरनेट रेडियो और पॉडकास्टिंग भी लोकप्रिय हो गए हैं। Spotify, Jio Saavn, और Gaana जैसे प्लेटफॉर्म ने डिजिटल रेडियो को बढ़ावा दिया है। डिजिटल इंडिया मिशन के तहत रेडियो प्रसारण को और आधुनिक बनाया जा रहा है।
करियर
रेडियो में कई करियर विकल्प हैं, जैसे रेडियो जॉकी (RJ), समाचार वाचक, स्क्रिप्ट राइटर, प्रोड्यूसर, साउंड इंजीनियर, और मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग। सामुदायिक रेडियो भी एक प्रमुख क्षेत्र बन चुका है, जो स्थानीय समुदायों को अपनी भाषा और सांस्कृतिक पहचान में संवाद करने का मंच प्रदान करता है। सामुदायिक रेडियो विकास कार्यक्रमों में लोगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देता है।