अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2025: मनाए जाने का कारण, थीम, इतिहास एवं महत्व

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस हर साल 21 फरवरी को मनाया जाता है। इसे 17 नवंबर 1999 को यूनेस्को द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान की गई थी। आगे इस लेख में जाने इसकी थीम और इतिहास और महत्व इत्यादि सम्पूर्ण जानकारी।

International Mother Language Day in Hindi

भाषा मानव जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके माध्यम से एक व्यक्ति अपने विचारों का आदान-प्रदान दूसरे व्यक्ति से करता है। दुनियाभर के विभिन्न देशों, राज्यों, कस्बों और क्षेत्रों में कई अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं। कहीं धार्मिक भाषा का रूप अलग है तो कहीं वार्तालाप का लहजा अलग होता है। इसके बावजूद, हर भाषा लोगों के बीच संवाद का सबसे प्रभावी माध्यम बनती है। भाषा वह सूत्र है जो सभी को एकजुट करता है। इस एकता को और मजबूत बनाने के लिए हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य भाषाई जागरूकता, सांस्कृतिक विविधता, और बहुभाषावाद को बढ़ावा देना है। भाषा हमारे दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसी वजह से यूनेस्को ने 21 फरवरी को इस विशेष दिन के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की। इसे यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 को आधिकारिक मान्यता दी थी।

थीम 2025: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2025 का विषय “भाषाएँ महत्वपूर्ण हैं: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की रजत जयंती समारोह” है। इस विषय के तहत, यूनेस्को 20 और 21 फरवरी 2025 को पेरिस, फ्रांस में अपने मुख्यालय में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसमें तकनीकी संवाद, उच्च-स्तरीय सत्र, सांस्कृतिक प्रदर्शन, और वैश्विक भाषाई विविधता का उत्सव शामिल होगा।

मातृभाषा दिवस मनाए जाने का इतिहास

21 फरवरी 1952 को ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी मातृभाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए एक विरोध प्रदर्शन किया था। यह विरोध जल्द ही नरसंहार में बदल गया जब उस समय की पाकिस्तान सरकार की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दीं। इस घटना में 16 लोग शहीद हो गए।

बर्ष 1999 में कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम ने सुझाव दिया था कि इस दिन को बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान 1952 में ढाका में हुई नृशंस हत्याओं की स्मृति में चुना जाए। तभी यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 को इस बड़े भाषा आंदोलन में जान गंवाने वालों की याद में पहली बार अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का निर्णय लिया था।

इसके बाद पहली बार 21 फरवरी 2000 को इस दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाया गया। इसे इस प्रकार कहा जा सकता है कि बांग्ला भाषियों के अपनी मातृभाषा के प्रति गहरे प्रेम के कारण ही आज विश्व में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

  1. लिंगुआपाक्स पुरस्कार हर साल अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किया जाता है।
  2. यूनेस्को प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए एक विशिष्ट विषय निर्धारित करती है और 21 फरवरी के आसपास पेरिस में अपने मुख्यालय में संबंधित घटनाएँ आयोजित करती है।
  3. 2008 में, अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर शुरू किया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का घटनाक्रम:

वर्ष थीम
2000 अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उद्घाटन उत्सव
2001 द्वितीय वार्षिक उत्सव
2002 भाषा विविधता: खतरे में 3000 भाषाएँ (नारा: “भाषाओं की आकाशगंगा में, हर शब्द एक सितारा है”)
2003 चौथा वार्षिक उत्सव
2004 बच्चों को जानने के लिए शिक्षा
2005 ब्रेल तथा अन्य भाषाओं में ‘साइन इन’ करें
2006 भाषाएँ और साइबरस्पेस
2007 बहुभाषी शिक्षा
2008 अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष
2009 दसवाँ वार्षिक उत्सव
2010 मैत्री संस्कृति के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष
2011 सूचना और संचार प्रौद्योगिकी
2012 मातृभाषा शिक्षा और समावेशी शिक्षा
2013 मातृभाषा में शिक्षा के लिए पुस्तकें
2014 वैश्विक नागरिकता के लिए स्थानीय भाषाओं तथा विज्ञान पर बल
2015 शिक्षा के माध्यम से शिक्षा में समावेश: भाषा महत्वपूर्ण है (पेरिस में कार्यक्रम)
2016 गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शिक्षण की भाषा तथा सीखने के परिणाम
2017 बहुभाषी शिक्षा के माध्यम से टिकाऊ भविष्य की ओर
2018 हमारी भाषा ही हमारी संपत्ति
2019 स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष
2020 भाषायी विविधता का संरक्षण
2021 शिक्षा और समाज में समावेशन के लिए बहुभाषावाद को प्रोत्साहन
2022 बहुभाषी शिक्षा हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग: चुनौतियाँ और अवसर
2023 बहुभाषी शिक्षा: शिक्षा को बदलने की आवश्यकता
2024 बहुभाषी शिक्षा – सीखने और अंतरपीढ़ी शिक्षा का एक स्तंभ
2025 अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की रजत जयंती समारोह

2025 की थीम “अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की रजत जयंती समारोह” है, जो इस दिवस की 25वीं वर्षगाँठ को मनाने के लिए निर्धारित की गई है।

भाषाओं का सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्व

भाषाएँ न केवल संवाद का माध्यम होती हैं, बल्कि वे संस्कृति और सभ्यता का भी आईना होती हैं। दुनिया भर में विभिन्न जातियों, धर्मों, संप्रदायों और स्थानों पर अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं, लेकिन इन सब मतभेदों के बावजूद एकता और समानता का सूत्र है जो सभी को एक साथ जोड़ता है।

भाषा वह दर्पण है जिसमें एक व्यक्ति की संस्कृति और सभ्यता का प्रतिबिंब दिखाई देता है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस सांस्कृतिक विविधता और विभिन्न भाषाओं के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने का एक अवसर है, ताकि लोग न केवल अपनी और दूसरों की भाषाओं के प्रति प्रेम विकसित कर सकें, बल्कि विभिन्न मातृभाषाओं का महत्व और उनके बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकें।

भाषाएँ विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का काम करती हैं, जिससे संवाद करने वाले व्यक्तियों के व्यक्तित्व का विकास होता है।

मातृभाषाओं का महत्व

माँ की भाषा वह भाषा है जिसे हम अपने माता-पिता या देखभाल करने वालों से बचपन में सीखते हैं। ये वो पहली भाषाएँ होती हैं, जिन्हें हम बोलते हैं और जिनका उपयोग हम अपने परिवार और समुदाय के साथ संवाद करने के लिए करते हैं। मातृभाषाएँ कई कारणों से अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं:

  1. सबसे पहले, ये किसी की पहचान का अहम हिस्सा होती हैं, क्योंकि ये किसी की संस्कृति, मूल्यों और विश्वदृष्टि को प्रतिबिंबित करती हैं।
  2. दूसरा, ये संज्ञानात्मक विकास के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि ये व्यक्ति को जानकारी प्राप्त करने, संसाधित करने, विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने, और महत्वपूर्ण सोच और रचनात्मकता को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।
  3. तीसरा, इनका शिक्षा और समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि ये जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सीखने, संवाद करने और भागीदारी की सुविधाएँ प्रदान करती हैं।

हिंदी है भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली मातृभाषा

भारत में हजारों मातृभाषाएँ बोली जाती हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, 43.63 प्रतिशत लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते हैं, जो इसे सबसे अधिक बोली जाने वाली मातृभाषा बनाती है। इसके बाद बांग्ला और मराठी भाषाएँ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। वहीं, अगर हम गैर-सूचीबद्ध भाषाओं की बात करें तो राजस्थान में बोली जाने वाली भीली भाषा इस सूची में पहले स्थान पर है, जबकि गोंडी भाषा दूसरे स्थान पर आती है।

निष्कर्ष

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो भाषाई और सांस्कृतिक विविधता तथा बहुभाषावाद को सम्मानित और बढ़ावा देने का कार्य करता है। यह दिन हमें मातृभाषा के महत्व से अवगत कराता है, जो हमारी पहचान, अनुभूति, शिक्षा और समाज में गहरी भूमिका निभाती है। साथ ही, यह दिन हमें उन ऐतिहासिक भाषा आंदोलनों की याद दिलाता है, जिनके कारण यह दिवस हमें मनाने का अवसर प्रदान करता है।

FAQs

1.

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उद्देश्य क्या है?

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का मुख्य उद्देश्य भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना और उन भाषाओं के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है, जो खतरे में हैं। यह शिक्षा, सामाजिक समावेशन और अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने में भाषा की भूमिका को उजागर करता है।

2.

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को क्यों मनाया जाता है?

21 फरवरी को बांग्लादेश में 1952 में हुए एक ऐतिहासिक आंदोलन की याद में मनाया जाता है। उस दिन, बांग्लादेश के छात्र और कार्यकर्ता अपनी मातृभाषा बंगाली के सम्मान में विरोध कर रहे थे, जिसे पुलिस द्वारा हिंसक रूप से दबा दिया गया था। इस संघर्ष में कई लोग शहीद हो गए थे, और उनके सम्मान में 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

3.

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन कौन करता है?

यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन करती है। यह हर साल 21 फरवरी को दुनिया भर में मनाया जाता है।

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