हम 13 फरवरी 1879 को सरोजिनी नायडू के जन्मदिन के अवसर पर राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। वह एक प्रतिभाशाली राष्ट्रीय नेता, स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध कवि थीं। उन्हें ‘भारत की कोकिला’ और ‘भारत कोकिला’ के रूप में जाना जाता था। उनकी जयंती को भारतीय महिलाओं और जीवन के हर क्षेत्र में राष्ट्र के लिए उनके योगदान को याद करने के लिए चुना गया था।
राष्ट्रीय महिला दिवस
प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिवस महान स्वतंत्रता सेनानी और कवयित्री सरोजिनी नायडू की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें “भारतीय कोकिला” के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान और राष्ट्र के निर्माण में उनकी अपरिहार्य भूमिका को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। साथ ही, यह दिवस भारत में लैंगिक असमानताओं और महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक मंच भी प्रदान करता है।
सरोजिनी नायडू जी के बारे में Sarojini Naidu Ki Jayanti
भारत कोकिला के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू भारतीय इतिहास की एक स्मारकीय हस्ती हैं। कविता और राजनीतिक सक्रियता में समान रूप से निपुण, सरोजिनी नायडू 20वीं सदी के शुरुआती दौर में एक प्रख्यात कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी थीं।
13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मी नायडू जी की साहित्यिक विरासत उनके उन कार्यों से झलकती है, जो भारतीय संस्कृति, स्वतंत्रता संग्राम की भावना और महिला अधिकारों के प्रति उनकी वकालत को सुंदर रूप में प्रस्तुत करते हैं। ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उठी राष्ट्रवादी भावना और बढ़ती माँगों ने नायडू जी को गहराई से प्रेरित किया, जिससे वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का अभिन्न हिस्सा बनीं। असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह जैसे महत्वपूर्ण आंदोलनों में उनकी सक्रिय भूमिका भारतीय इतिहास में विशेष स्थान रखती है।
स्वाधीनता प्राप्ति के बाद राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी नेताओं पर आ गई। सरोजिनी नायडू को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जो देश का सबसे बड़ा प्रांत था। इस पद को स्वीकार करते हुए उन्होंने खुद को “क़ैद किए गए जंगल के पक्षी” की तरह महसूस किया। बावजूद इसके, वह प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की इच्छा को टाल नहीं सकीं। लखनऊ जाकर उन्होंने सौजन्य और गौरवपूर्ण व्यवहार से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।
महिला मुक्ति की समर्थक के रूप में उनकी भूमिका को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने 13 फरवरी को, उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में, राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में घोषित किया है।
उनकी कुछ साहित्यिक कृतियाँ इस प्रकार हैं:
- गोल्डन थ्रेशोल्ड (1905)
- किताबिस्तान
- मुहम्मद जिन्ना: एकता के राजदूत
- समय का पक्षी: जीवन, मृत्यु और वसंत के गीत
- टूटा पंख: प्रेम, मृत्यु और वसंत के गीत
- भारत का उपहार
- भारतीय बुनकर
- राजदंडधारी बांसुरी: भारत के गीत
भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस का समारोह
भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस का उत्सव पूरे देश में आधिकारिक और सार्वजनिक कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाता है। सरकारी निकाय, शैक्षणिक संस्थान, गैर-सरकारी संगठन और कॉरपोरेट संस्थाएं इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इन आयोजनों का उद्देश्य केवल सरोजिनी नायडू की विरासत को याद करना ही नहीं, बल्कि लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए संवाद और कार्रवाई को प्रेरित करना भी है।
कार्यक्रमों का अवलोकन
- पुरस्कार समारोह: सरकारी निकाय उन महिलाओं को सम्मानित करते हैं जिन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कार्य, और शासन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दिया है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: कला, साहित्य, और पारंपरिक शिल्प में महिलाओं की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रम और प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं।
- शैक्षणिक कार्यक्रम: शैक्षणिक संस्थान लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर व्याख्यान, पैनल चर्चा, निबंध, और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।
- जागरूकता अभियान: सिविल सोसाइटी संगठन और महिला समूह घरेलू हिंसा, महिलाओं के अधिकारों आदि पर जागरूकता अभियान चलाते हैं।
- कॉरपोरेट पहल: कंपनियाँ महिला कर्मचारियों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करती हैं और महिला सशक्तिकरण परियोजनाओं को समर्थन देने वाली CSR गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
- सामुदायिक समारोह: अनौपचारिक वार्ताएँ और सभाएँ आयोजित की जाती हैं जहाँ महिलाएँ अनुभव साझा करती हैं और एक-दूसरे को समर्थन देने के तरीकों पर चर्चा करती हैं।
राष्ट्रीय महिला दिवस का महत्त्व
- यह लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में देश की यात्रा का प्रतिबिंब है।
- यह राजनीति, सामाजिक सुधार, विज्ञान, और कला सहित विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान और उनकी भूमिका को सम्मानित करता है।
- लैंगिक पूर्वाग्रह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और महिलाओं की सफलता का उत्सव मनाने का एक अवसर है।
- यह लैंगिक असमानताओं और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए चर्चा और रणनीति का मंच भी प्रदान करता है।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस में अंतर
भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस 13 फरवरी को जबकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विश्व स्तर पर प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है।
पैरामीटर | राष्ट्रीय महिला दिवस (भारत) | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस |
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तिथि | 13 फरवरी | 8 मार्च |
उत्पत्ति | सरोजिनी नायडू की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। | 20वीं सदी की शुरुआत में श्रमिक आंदोलन से प्रेरित, महिलाओं के अधिकार और सार्वभौमिक मताधिकार की मांग के लिए स्थापित किया गया। |
अवसर / उत्सव | केवल भारत में मनाया जाता है। | विश्वभर में मनाया जाता है। |
उद्देश्य | भारतीय महिलाओं के योगदान का जश्न मनाने, उनके मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने और सरोजिनी नायडू को श्रद्धांजलि देने का दिन। | महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव मनाने और मौजूदा वैश्विक चुनौतियों पर जागरूकता बढ़ाने का दिन। |
थीम | कोई विशिष्ट वार्षिक थीम नहीं होती। महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। | प्रत्येक वर्ष एक नई थीम होती है, जो लैंगिक समानता के किसी विशिष्ट पहलू पर केंद्रित होती है। |
संक्षेप में, राष्ट्रीय महिला दिवस केवल सरोजिनी नायडू के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारतीय महिलाओं के योगदान और बलिदानों को सम्मानित करने का दिन है। यह लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति को दर्शाने और महिलाओं की प्रगति में बाधा डालने वाली चुनौतियों से निपटने की प्रतिबद्धता को मजबूत करने का भी प्रतीक है।