डिजीज (रोग) का शाब्दिक अर्थ है “अस्वस्थ” अर्थात सहज न होना। दूसरे शब्दों में, जब शरीर के विभिन्न अंग या तंत्र अपनी सामान्य क्रियाशीलता खो देते हैं, तो उसे रोग कहा जाता है। रोगों के दो प्रमुख स्रोत होते हैं:
- आंतरिक स्रोतों से उत्पन्न रोग – इन्हें जैविक या उपापचयी रोग कहा जाता है, जैसे हृदयाघात, गुर्दे की विफलता आदि।
- बाहरी कारकों से प्रभावित रोग – इनमें कुपोषणजन्य रोग जैसे क्वाशियोरकोर, मोटापा आदि आते हैं।
इसके अलावा, कुछ रोग असंतुलित आहार या सूक्ष्मजीवों (जैसे विषाणु, जीवाणु, कवक) के संक्रमण से भी उत्पन्न होते हैं। इस पर आपको विभिन्न रोगों की जानकारी दी जाएगी और यह बताया जाएगा कि प्रत्येक रोग का शरीर के किन-किन अंगों पर प्रभाव पड़ता है।
रोगों के नाम की सूची – Various Diseases and its symptoms
आगे शरीर में होने वाली बीमारियों (रोगों) के नाम, उनसे प्रभावित अंगों के नाम, लक्षण, उपचार, सावधानियां और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। रोगों की नाम की सूची निम्नलिखित है-
- पाचनतंत्र (Digestive System) के रोगों नाम और प्रभावित अंग
- श्वसनतंत्र (Respiratory System) के रोगों नाम और जानकारी
- नेत्ररोग (Eye Diseases) के नाम और जानकारी
- कान के रोग (Ear Diseases) नाम और जानकारी
- मुख के रोग (Mouth Diseases) नाम और जानकारी
- ज्वर (Fever) के नाम और जानकारी
- त्वचा रोग (Skin Diseases) के नाम और जानकारी
- यौनरोग (Sexual Diseases) के नाम और जानकारी
- स्त्रीरोग (Woman Diseases) के नाम और जानकारी
- ह्रदय रोग (Heart Diseases) के नाम एवं उनकी सामान्य जानकारी
- विभिन्न प्रकार के कैंसर (Different Types of Pain)
- विभिन्न प्रकार के दर्द (Different Types of Pain)
- सिर और मस्तिष्क से संबंधित रोग और उनकी जानकारी
- हेयर रोग (Hair Diseases) के नाम एवं जानकारी
- मूत्र प्रणाली (Urinary System) के रोगों के नाम
- बच्चों में होने वाले रोगों के नाम
- मिलेजुले प्रसिद्ध रोगों के नाम (Mixed Famous Diseases)
विभिन्न रोगो के नाम और उनसे प्रभावित होने वाले अंग:
# | प्रश्न | उत्तर |
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1. | गठिया रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | जोड़ों पर |
2. | अस्थमा रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | जोड़ोंब्रोन्कियल स्नायु |
3. | मोतियाबिंद रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | आंखें |
4. | मधुमेह रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | अग्न्याशय |
5. | डिप्थीरिया रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | गला |
6. | एक्जिमा रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | त्वचा |
7. | ग्लूकोमा रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | आंखें |
8. | घेंघा रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | थायराइड ग्रंथि |
9. | पीलिया रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | लिवर |
10. | लेकिमिया रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | रक्त |
11. | मलेरिया रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | तिल्ली |
12. | मेनिनजाइटिस रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी |
13. | Elitist रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | कान |
14. | पक्षाघात रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | तंत्रिकाओं |
15. | निमोनिया रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | फेफड़ों |
16. | पोलियो रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | पैर |
17. | Pyorrhoea रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | दांतों और मसूड़ों |
18. | गठिया रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | जोड़ों |
19. | Sinusitis रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | साइनस अस्तर की सूजन |
20. | Tonsillitis रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | Tonsils |
21. | Trachoma रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | आंखें |
22. | क्षय रोग रोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | फेफड़ों |
23. | टाइफाइडरोग से किस अंग पर प्रभाव पड़ता है? | आंतों |
पाचनतंत्र (Digestive System) के रोगों नाम और प्रभावित अंग
एसिडिटी या अम्लपित्त (Acidity)
- लक्षण: सीने में जलन, खट्टी डकारें, पेट में दर्द
- उपचार: एंटासिड दवाएं, ठंडा दूध, नींबू पानी
- सावधानी: तला-भुना और मसालेदार भोजन कम करें
कब्ज (Constipation)
- लक्षण: मल त्याग में कठिनाई, पेट फूलना
- उपचार: फाइबर युक्त भोजन, गुनगुना पानी पिएं
- सावधानी: ज्यादा जंक फूड न खाएं, नियमित व्यायाम करें
अफारा (Flatulence)
- लक्षण: पेट में भारीपन, गैस बनना, डकार आना
- उपचार: सौंफ, अजवाइन, पाचन में सुधार करने वाले खाद्य पदार्थ
- सावधानी: अधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन न खाएं
डायरिया (Diarrhea)
- लक्षण: पतला मल आना, पेट में दर्द, पानी की कमी
- उपचार: ओआरएस, हल्का भोजन, डॉक्टर से परामर्श
- सावधानी: स्वच्छ भोजन और पानी का सेवन करें
पेचिस (Dysentery)
- लक्षण: खूनी या बलगमयुक्त दस्त, पेट में ऐंठन, बुखार
- उपचार: तरल पदार्थ अधिक लें, हल्का भोजन करें, एंटीबायोटिक (डॉक्टर की सलाह से)
- सावधानी: साफ-सफाई का ध्यान रखें, दूषित भोजन और पानी से बचें
बदहजमी (Gastric Problem)
- लक्षण: पेट में भारीपन, गैस, एसिडिटी
- उपचार: हल्का भोजन लें, पुदीना या अदरक का सेवन करें
- सावधानी: मसालेदार भोजन कम खाएं, नियमित व्यायाम करें
अपच (Indigestion)
- लक्षण: पेट में भारीपन, जलन, डकारें
- उपचार: हल्का और सुपाच्य भोजन करें, पुदीना या सौंफ लें
- सावधानी: ओवरईटिंग न करें, खाने के तुरंत बाद न सोएं
अल्सर (पेट के छाले, Ulcer)
- लक्षण: पेट में जलन, गैस, एसिडिटी
- उपचार: एंटी-अल्सर दवाएं, हल्का भोजन करें
- सावधानी: तला-भुना और मसालेदार भोजन न खाएं
पेट दर्द (Stomach Ache)
- लक्षण: ऐंठन, अपच, सूजन
- उपचार: हल्का खाना खाएं, हर्बल चाय पिएं
- सावधानी: अधिक तला-भुना न खाएं, स्वच्छता बनाए रखें
पित्ताशय की पथरी (Gallstones)
- लक्षण: पेट के दाहिने हिस्से में दर्द, मतली, उल्टी
- उपचार: सर्जरी, दवाइयां, विशेष आहार
- सावधानी: वसा युक्त भोजन कम करें, वजन संतुलित रखें
गुर्दे की पथरी (Kidney Stone)
- लक्षण: पेट और कमर में तेज दर्द, पेशाब में जलन
- उपचार: दर्द निवारक दवाएं, पानी अधिक पिएं, सर्जरी (गंभीर मामलों में)
- सावधानी: ऑक्सालेट और सोडियम युक्त आहार कम लें
अग्नाशयशोथ (Pancreatitis)
- लक्षण: पेट में तेज दर्द, उल्टी, भूख कम लगना
- उपचार: अस्पताल में इलाज, दर्द निवारक दवाएं
- सावधानी: शराब से बचें, हेल्दी डाइट लें
श्वसनतंत्र (Respiratory System) के रोगों नाम और जानकारी
जुकाम (Common Cold)
- लक्षण: छींकें आना, नाक बंद होना, बुखार
- उपचार: अदरक-शहद, भाप लेना, आराम करें
- सावधानी: ठंडी चीजों से बचें, हाथ धोते रहें
सर्दी और कफ (Cough And Cold)
- लक्षण: नाक बहना, छींकें आना, गले में खराश, खांसी
- उपचार: भाप लेना, तुलसी-अदरक का काढ़ा पीना, डॉक्टर की सलाह से दवा लेना
- सावधानी: ठंडी चीजों से बचें, हाथ धोते रहें, संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखें
काली खांसी (Whooping Cough)
- लक्षण: तेज और लगातार खांसी, सांस लेने में दिक्कत
- उपचार: एंटीबायोटिक्स, कफ सिरप, आराम
- सावधानी: टीकाकरण कराएं, संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें
निमोनिया (Pneumonia)
- लक्षण: तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ
- उपचार: एंटीबायोटिक्स, आराम, भाप लेना
- सावधानी: धूल और धुएं से बचें, टीकाकरण कराएं
स्वरयंत्र की शोथ (Laryngitis)
- लक्षण: आवाज बैठना, गले में खराश, सूखी खांसी, गले में जलन
- उपचार: गुनगुने पानी से गरारे करें, अधिक पानी पिएं, आवाज को आराम दें
- सावधानी: ठंडी चीजों से बचें, धूल-धुएं से दूरी बनाए रखें, जोर से न बोलें
पसली का दर्द (Pleurisy)
- लक्षण: गहरी सांस लेने पर दर्द, सीने में चुभन, खांसी या छींकने पर असहजता।
- उपचार: दर्द निवारक दवाएं (डॉक्टर की सलाह से), गर्म सिकाई, आराम करें।
- सावधानी: ठंडी हवा से बचें, अत्यधिक परिश्रम न करें, संक्रमण से बचाव करें।
दमा / अस्थमा (Asthma)
- लक्षण: सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न, बार-बार खांसी
- उपचार: इनहेलर का प्रयोग, डॉक्टर की सलाह पर दवाएं
- सावधानी: धूल और धुएं से बचें, प्रदूषण में मास्क पहनें, एलर्जी पैदा करने वाले कारकों से दूर रहें
नेत्ररोग (Eye Diseases) के नाम और जानकारी
मोतियाबिंद (Cataract)
- लक्षण: धुंधला दिखना, रोशनी में ज्यादा चमक महसूस होना, नजर कमजोर होना
- उपचार: सर्जरी द्वारा लेंस बदलना
- सावधानी: आंखों की नियमित जांच कराएं, धूप से बचने के लिए चश्मा पहनें
मायोपिया (Myopia)
- लक्षण: दूर की वस्तुएं धुंधली दिखना
- उपचार: चश्मा, लेजर सर्जरी
- सावधानी: स्क्रीन टाइम कम करें, आंखों की एक्सरसाइज करें
दूरदर्शिता या दूरदृष्टि दोष (Hyper Myopia)
- लक्षण: पास की चीजें धुंधली दिखना, सिरदर्द, आंखों में थकान
- उपचार: चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग, लेजर सर्जरी
- सावधानी: आंखों की नियमित जांच कराएं, स्क्रीन का कम उपयोग करें
डार्क सर्कल (Dark Circle)
- लक्षण: आंखों के नीचे काले घेरे, त्वचा का पतला और शुष्क होना
- उपचार: पर्याप्त नींद लें, खीरा और आलू लगाएं, विटामिन-सी युक्त आहार लें
- सावधानी: नींद की कमी से बचें, स्क्रीन टाइम कम करें
आंखों का इंफेक्शन (Eye Infection)
- लक्षण: आंखों में जलन, सूजन, लालिमा
- उपचार: एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स, सफाई का ध्यान रखें
- सावधानी: गंदे हाथों से आंख न छुएं, आई मेकअप शेयर न करें
ग्लूकोमा (Glaucoma)
- लक्षण: आंखों में दबाव बढ़ना, धुंधला दिखना, सिरदर्द
- उपचार: आई ड्रॉप्स, लेजर ट्रीटमेंट, सर्जरी
- सावधानी: आंखों की नियमित जांच कराएं
डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy)
- लक्षण: धुंधला दिखना, अंधेरे में देखने में कठिनाई, आंखों के सामने धब्बे आना
- उपचार: ब्लड शुगर नियंत्रण, लेजर थेरेपी, इंजेक्शन या सर्जरी
- सावधानी: नियमित नेत्र परीक्षण कराएं, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें, धूम्रपान और शराब से बचें
पपोटो की सूजन (Blepharitis)
- लक्षण: पलकों में लालिमा, खुजली, जलन, पपड़ी जमना।
- उपचार: गर्म पानी से सफाई, एंटीबायोटिक मरहम (डॉक्टर की सलाह से), आँखों की स्वच्छता बनाए रखें।
- सावधानी: आँखों को रगड़ने से बचें, गंदे हाथों से छूने से बचें, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
गुहेरी (Stye)
- लक्षण: पलकों पर लाल सूजन, दर्द, जलन, पस भरना।
- उपचार: गर्म सिकाई करें, साफ कपड़े से आंखों की सफाई करें, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें।
- सावधानी: आंखों को गंदे हाथों से न छुएं, मेकअप और कॉन्टैक्ट लेंस से बचें, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
कुकरे (Trachoma)
- लक्षण: आंखों में जलन, लालिमा, पलकों के अंदर सूजन, दृष्टि धुंधलापन।
- उपचार: एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स या मरहम, गर्म पानी से सफाई।
- सावधानी: स्वच्छता रखें, गंदे हाथों से आंखें न छूएं, संक्रमित वस्तुओं से बचें।
कान के रोग (Ear Diseases) नाम और जानकारी
कान में संक्रमण (Ear Infection)
- लक्षण: कान में दर्द, बहाव, सुनने में दिक्कत
- उपचार: एंटीबायोटिक्स, कान की सफाई, दर्द निवारक दवाएं
- सावधानी: कान में गंदगी जमा न होने दें, तेज आवाज से बचें
कर्णशूल (कान का दर्द)
- लक्षण: कान में तेज दर्द, सुनाई देने में दिक्कत, सूजन या पस।
- उपचार: गर्म सिकाई, दर्द निवारक दवाएं, डॉक्टर से परामर्श।
- सावधानी: कान साफ रखें, ठंडी हवा से बचें, जोर से कान न खुजलाएं।
कर्णस्त्राव (कान का बहना)
- लक्षण: कान से पानी या पस आना, खुजली, सुनने में कमी।
- उपचार: एंटीबायोटिक दवाएं (डॉक्टर की सलाह से), कान को साफ और सूखा रखें।
- सावधानी: गंदे हाथों या वस्तुओं से कान न छूएं, ठंडी हवा से बचें।
कान का मैल
- लक्षण: सुनने में कमी, खुजली, कान में भरा हुआ महसूस होना।
- उपचार: गुनगुने पानी या ईयर ड्रॉप्स से सफाई, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श।
- सावधानी: कान में तीखी या नुकीली चीजें न डालें, स्वच्छता बनाए रखें।
कान का फोड़ा
- लक्षण: कान में दर्द, लालिमा, सूजन, पस भरना।
- उपचार: गर्म सिकाई, एंटीबायोटिक दवाएं (डॉक्टर की सलाह से), सफाई रखें।
- सावधानी: कान को गंदे हाथों से न छूएं, नुकीली चीजों का उपयोग न करें।
कान का एक्जिमा
- लक्षण: खुजली, सूखापन, लालिमा, त्वचा का छिलना।
- उपचार: मॉइश्चराइज़र, स्टेरॉयड क्रीम (डॉक्टर की सलाह से), एलर्जी से बचाव।
- सावधानी: कान को अधिक रगड़ें नहीं, सुगंधित उत्पादों से बचें, स्वच्छता बनाए रखें।
मुख के रोग (Mouth Diseases) नाम और जानकारी
मुंह के छाले (Mouth Ulcer)
- लक्षण: मुंह में जलन, खाने में दर्द
- उपचार: नारियल तेल लगाएं, विटामिन B12 सप्लीमेंट लें
- सावधानी: मसालेदार भोजन से बचें, हाइड्रेटेड रहें
पायरिया (Pyorrhea)
- लक्षण: मसूड़ों से खून आना, सूजन, बदबूदार सांस, दांतों में ढीलापन।
- उपचार: मंजन करें, एंटीबायोटिक (डॉक्टर की सलाह से), नमक-पानी से कुल्ला करें।
- सावधानी: मीठा कम खाएं, मसूड़ों की सफाई रखें, धूम्रपान से बचें।
स्कर्वी (Scurvy)
- लक्षण: मसूड़ों से खून आना, थकान, कमजोरी
- उपचार: विटामिन C युक्त भोजन, दवाएं
- सावधानी: ताजे फल और सब्जियां खाएं
गलसुआ (Mumps)
- लक्षण: गले में सूजन, बुखार, चबाने में दर्द
- उपचार: आराम करें, हल्का भोजन लें, दर्द निवारक दवाएं
- सावधानी: संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें, टीकाकरण कराएं
गल शुण्डिका, काकलक का गिरना (Uvula Infection or Swelling)
- लक्षण: गले में सूजन, निगलने में परेशानी, खराश, बोलने में दिक्कत।
- उपचार: गरारे करें, गर्म तरल पदार्थ लें, एंटीबायोटिक (डॉक्टर की सलाह से)।
- सावधानी: ठंडी चीजों से बचें, मसालेदार भोजन कम खाएं, धूम्रपान न करें।
कंठशोथ, गले का दर्द (Pharyngitis)
- लक्षण: गले में खराश, सूजन, निगलने में दर्द, हल्का बुखार।
- उपचार: गुनगुने पानी से गरारे करें, हर्बल चाय पिएं, दर्द निवारक दवाएं (डॉक्टर की सलाह से)।
- सावधानी: ठंडी और मसालेदार चीजों से बचें, धूम्रपान न करें, गला साफ रखें।
गलतुण्डिका शोथ (Tonsillitis)
- लक्षण: गले में सूजन, तेज दर्द, बुखार, निगलने में परेशानी।
- उपचार: गरारे करें, एंटीबायोटिक दवाएं (डॉक्टर की सलाह से), आराम करें।
- सावधानी: ठंडी चीजों से बचें, पर्याप्त पानी पिएं, साफ-सफाई बनाए रखें।
स्वरयंत्र शोथ (Laryngitis)
- लक्षण: आवाज बैठना, गले में खराश, सूखी खांसी, बोलने में कठिनाई।
- उपचार: गर्म पानी पिएं, गरारे करें, आवाज को आराम दें।
- सावधानी: ठंडी चीजों से बचें, अधिक जोर से न बोलें, धूम्रपान न करें।
आवाज बैठ जाना (Hoarseness)
- लक्षण: भारी आवाज, गले में खराश, बोलने में कठिनाई।
- उपचार: गुनगुना पानी पिएं, गरारे करें, ज्यादा न बोलें।
- सावधानी: ठंडे पेय से बचें, धूम्रपान न करें, गले को आराम दें।
दांत का दर्द (Toothache)
- लक्षण: दांत में तेज दर्द, सूजन, संवेदनशीलता
- उपचार: दर्द निवारक दवाएं, गरारे करें, डॉक्टर से मिलें
- सावधानी: मीठे खाद्य पदार्थ कम करें, नियमित ब्रश करें
पीले दाँत (Yellow Teeth)
- लक्षण: दांतों पर पीलापन, सांस में दुर्गंध
- उपचार: बेकिंग सोडा, नींबू और कोयले का इस्तेमाल करें
- सावधानी: ज्यादा चाय-कॉफी और धूम्रपान से बचें
गले में दर्द (Throat Ache)
- लक्षण: खराश, निगलने में दिक्कत, सूजन
- उपचार: गरारा करें, अदरक-शहद लें
- सावधानी: ठंडे पदार्थों से बचें, साफ पानी पिएं
गले में खराश (Sore Throat)
- लक्षण: गले में दर्द, निगलने में कठिनाई, सूजन
- उपचार: गुनगुने पानी से गरारे करें, हर्बल टी पिएं
- सावधानी: ठंडे पेय से बचें, साफ-सफाई बनाए रखें
गले में फोड़ा (Quinsy)
- लक्षण: गले में तेज दर्द, निगलने में कठिनाई, बुखार, सूजन।
- उपचार: गरारे करें, एंटीबायोटिक (डॉक्टर की सलाह से), तरल भोजन लें।
- सावधानी: ठंडी चीजों से बचें, गले की सफाई रखें, धूम्रपान न करें।
ज्वर (Fever) के नाम और जानकारी
टाइफाइड (Typhoid)
- लक्षण: लंबे समय तक तेज बुखार, कमजोरी, सिरदर्द
- उपचार: एंटीबायोटिक्स, हल्का भोजन, आराम
- सावधानी: उबला हुआ पानी पिएं, सफाई का ध्यान रखें
मलेरिया (Malaria)
- लक्षण: तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द
- उपचार: एंटी-मलेरिया दवाएं, पर्याप्त आराम
- सावधानी: मच्छरों से बचाव करें, साफ पानी का उपयोग करें
डेंगू (Dengue) – डेंगू फीवर
- लक्षण: तेज बुखार, शरीर में दर्द, प्लेटलेट्स की कमी
- उपचार: पर्याप्त आराम करें, पानी अधिक पिएं, डॉक्टर की सलाह लें
- सावधानी: मच्छरदानी लगाएं, घर के आसपास पानी जमा न होने दें
सामान्य बुखार (Common Fever)
- लक्षण: शरीर का तापमान बढ़ना, सिरदर्द, कमजोरी
- उपचार: आराम करें, पैरासिटामोल लें, हाइड्रेटेड रहें
- सावधानी: ठंडी चीजों से बचें, आराम करें
वायरल फीवर (Viral Fever)
- लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, कमजोरी, गले में खराश
- उपचार: आराम करें, तरल पदार्थ अधिक लें, डॉक्टर की सलाह लें
- सावधानी: संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें, हाथ धोते रहें
पीला बुखार (Yellow Fever)
- लक्षण: तेज बुखार, पीलापन, कमजोरी
- उपचार: कोई विशेष इलाज नहीं, लक्षणों का प्रबंधन करें
- सावधानी: मच्छरों से बचाव करें, टीकाकरण कराएं
इन्फ्लूएंजा (Influenza)
- लक्षण: बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द
- उपचार: पर्याप्त आराम करें, तरल पदार्थ अधिक लें
- सावधानी: भीड़भाड़ वाली जगहों से बचें, स्वच्छता बनाए रखें
प्रसूति ज्वर (Puerperal Fever)
- लक्षण: तेज बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द, कमजोरी।
- उपचार: एंटीबायोटिक (डॉक्टर की सलाह से), भरपूर पानी पिएं, आराम करें।
- सावधानी: प्रसव के बाद स्वच्छता रखें, संतुलित आहार लें, संक्रमण से बचें।
चूहा काटे का ज्वर (Rat-bite Fever)
- लक्षण: बुखार, ठंड लगना, शरीर दर्द, लाल चकत्ते, घाव में सूजन।
- उपचार: एंटीबायोटिक (डॉक्टर की सलाह से), घाव को साफ रखें, आराम करें।
- सावधानी: चूहों से बचाव करें, काटने पर तुरंत घाव धोएं, स्वच्छता बनाए रखें।
स्कार्लेट ज्वर (Scarlet Fever)
- लक्षण: तेज बुखार, लाल चकत्ते, गले में खराश, जीभ लाल होना।
- उपचार: एंटीबायोटिक (डॉक्टर की सलाह से), गरारे करें, आराम करें।
- सावधानी: संक्रमित व्यक्ति से दूरी रखें, स्वच्छता बनाए रखें, पोषक आहार लें।
त्वचा रोग (Skin Diseases) के नाम और जानकारी
कुष्ठरोग (Leprosy)
- लक्षण: त्वचा पर सफेद धब्बे, सुन्नपन, नसों में कमजोरी
- उपचार: मल्टी ड्रग थेरेपी (MDT), एंटीबायोटिक्स
- सावधानी: संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं, स्वच्छता बनाए रखें
चिकन पॉक्स (चेचक) (Chickenpox)
- लक्षण: लाल दाने, खुजली, बुखार, सिरदर्द
- उपचार: आराम करें, एंटी-वायरल दवाएं, स्किन केयर
- सावधानी: संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें, टीकाकरण कराएं
स्मॉलपॉक्स (चेचक) / शीतला (Smallpox)
- लक्षण: तेज बुखार, शरीर पर फफोले, सिरदर्द, कमजोरी।
- उपचार: लक्षणों का उपचार करें, त्वचा को साफ रखें, आराम करें।
- सावधानी: टीकाकरण कराएं, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें, स्वच्छता बनाए रखें।
खसरा (Measles)
- लक्षण: लाल दाने, बुखार, गले में खराश
- उपचार: आराम करें, बुखार की दवा लें
- सावधानी: खसरा का टीका लगवाएं, संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें
रूबेला या जर्मन मीजल्स या (German Measles)
- लक्षण: हल्का बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, गले में सूजन
- उपचार: आराम करें, दर्द निवारक दवाएं लें, तरल पदार्थ अधिक लें
- सावधानी: टीकाकरण कराएं, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें
दाद, दादू (Ringworm)
- लक्षण: गोलाकार चकत्ते, खुजली, लालिमा, त्वचा पर सूजन।
- उपचार: एंटीफंगल क्रीम या दवा (डॉक्टर की सलाह से), त्वचा को साफ और सूखा रखें।
- सावधानी: व्यक्तिगत वस्तुएँ साझा न करें, स्वच्छता बनाए रखें, नमी से बचें।
सनबर्न (Sunburn)
- लक्षण: त्वचा लाल होना, जलन, खुजली
- उपचार: एलोवेरा जेल, ठंडे पानी से धोना, सनस्क्रीन लगाना
- सावधानी: धूप में कम जाएं, छाता और सनस्क्रीन का प्रयोग करें
एलर्जी (Allergy)
- लक्षण: त्वचा पर लाल चकत्ते, खुजली, छींकें आना
- उपचार: एंटी-हिस्टामिन दवाएं, एलर्जी वाले तत्वों से बचाव
- सावधानी: धूल, धुएं और तेज खुशबू से बचें
गर्मी के दाने (Prickly Heat)
- लक्षण: त्वचा पर लाल दाने, खुजली, जलन, पसीना रुकना।
- उपचार: ठंडी जगह रहें, हल्के कपड़े पहनें, कैलामाइन लोशन लगाएं।
- सावधानी: अधिक पसीने से बचें, नहाने के बाद त्वचा सूखी रखें, टाइट कपड़े न पहनें।
घमौरियां (Prickly Heat)
- लक्षण: लाल दाने, खुजली, जलन
- उपचार: ठंडे पानी से नहाएं, हल्के कपड़े पहनें, एंटीसेप्टिक पाउडर लगाएं
- सावधानी: ज्यादा गर्मी से बचें, शरीर को हाइड्रेट रखें
इचिंग या खुजली (Itching)
- लक्षण: त्वचा पर लालिमा, खुजली, जलन
- उपचार: नारियल तेल, एलोवेरा जेल, एंटी-एलर्जिक क्रीम
- सावधानी: साफ-सफाई रखें, सिंथेटिक कपड़े न पहनें
छूत वाली खुजली (Scabies)
- लक्षण: तीव्र खुजली, लाल चकत्ते, त्वचा पर दाने या फुंसियां।
- उपचार: डॉक्टर की सलाह से स्केबीस क्रीम या दवा, साफ कपड़े पहनें, नाखून छोटे रखें।
- सावधानी: संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचें, बिस्तर व कपड़े गर्म पानी से धोएं, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
फोड़ा, फुंसी, दुम्बल, बालतोड़ (Boils, Furunculosis)
- लक्षण: लाल सूजन, दर्द, पस से भरा घाव, त्वचा पर गर्माहट।
- उपचार: गर्म सेंक करें, एंटीबायोटिक क्रीम लगाएं, गंभीर स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लें।
- सावधानी: सफाई का ध्यान रखें, संक्रमित स्थान को न छुएं, संतुलित आहार लें।
सफेद दाग, सफेद कोढ़ (Leucoderma)
- लक्षण: त्वचा पर सफेद दाग, रंगद्रव्य (मेलानिन) की कमी, प्रभावित क्षेत्र में संवेदनशीलता सामान्य।
- उपचार: डॉक्टर की सलाह से दवा, क्रीम, फोटोथेरेपी या सर्जरी।
- सावधानी: धूप से बचाव करें, पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें, त्वचा की देखभाल करें।
घाव, जख्म, व्रण (Ulcers, Wounds)
- लक्षण: त्वचा पर कटाव, सूजन, लालिमा, दर्द या पस बनना।
- उपचार: साफ पानी से धोएं, एंटीसेप्टिक लगाएं, गंभीर स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लें।
- सावधानी: घाव को गंदगी से बचाएं, समय पर ड्रेसिंग करें, संक्रमण से बचाव करें।
आग से जलना (Burns and Scalds)
- लक्षण: त्वचा पर लालिमा, सूजन, दर्द, छाले या जलन।
- उपचार: तुरंत ठंडे पानी से धोएं, एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं, गंभीर जलन होने पर डॉक्टर से परामर्श लें।
- सावधानी: गर्म वस्तुओं से सावधान रहें, आग के पास सतर्कता बरतें, जले हुए स्थान को न रगड़ें।
एलर्जी विकार और कष्ट (Allergic Reactions)
- लक्षण: खुजली, लाल चकत्ते, छींकें, सांस लेने में कठिनाई, सूजन।
- उपचार: एंटीहिस्टामिन दवाएं लें, एलर्जी के स्रोत से दूर रहें, गंभीर स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें।
- सावधानी: एलर्जी कारकों की पहचान करें, स्वच्छता बनाए रखें, उचित खानपान अपनाएं।
यौनरोग (Sexual Diseases) के नाम और जानकारी
एड्स (AIDS)
- लक्षण: तेजी से वजन घटना, बुखार, बार-बार संक्रमण होना, कमजोरी
- उपचार: एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART), रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं
- सावधानी: असुरक्षित यौन संबंध से बचें, रक्त संक्रमण की जांच कराएं, संक्रमित सुई का प्रयोग न करें
गोनोरिया (सुजाक) (Gonorrhea)
- लक्षण: पेशाब में जलन, जननांग से असामान्य स्राव, सूजन या दर्द।
- उपचार: एंटीबायोटिक दवाएं (डॉक्टर की सलाह से), उचित स्वच्छता बनाए रखें।
- सावधानी: असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं, समय पर जांच कराएं, सही उपचार लें।
हाइड्रोसील (Hydrocele)
- लक्षण: अंडकोष में सूजन, भारीपन महसूस होना, हल्का दर्द या असहजता।
- उपचार: आराम करें, ढीले कपड़े पहनें, गंभीर स्थिति में सर्जरी कराएं।
- सावधानी: संक्रमण से बचें, अधिक समय तक खड़े रहने से बचें, डॉक्टर की सलाह लें।
बवासीर (Piles)
- लक्षण: गुदा में दर्द, खून आना, सूजन
- उपचार: फाइबर युक्त आहार, दर्द निवारक दवाएं, सर्जरी (गंभीर मामलों में)
- सावधानी: कब्ज़ से बचें, पानी अधिक पिएं
प्रोस्टेट डिस्ऑर्डर (Prostate Disorder) – पौरुष ग्रंथि डिस्ऑर्डर
- लक्षण: पेशाब में दिक्कत, बार-बार पेशाब आना
- उपचार: दवाइयां, सर्जरी, विशेष व्यायाम
- सावधानी: अधिक पानी पिएं, कैफीन और शराब कम करें
अंडकोष में दर्द (Pain in Testicles)
- लक्षण: अंडकोष में तेज या हल्का दर्द, सूजन, भारीपन या असहजता।
- उपचार: आराम करें, ठंडी या गर्म सिकाई करें, डॉक्टर की सलाह लें।
- सावधानी: टाइट कपड़े पहनने से बचें, किसी चोट या संक्रमण को नजरअंदाज न करें।
अंडकोषों में सूजन (Epidiymo-orchitis)
- लक्षण: अंडकोषों में दर्द और सूजन, बुखार, लालिमा, चलने में असहजता।
- उपचार: डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक्स, आराम, ठंडी सिकाई।
- सावधानी: संक्रमण से बचाव करें, उचित स्वच्छता बनाए रखें, भारी काम से बचें।
स्वप्न दोष (Night Emission)
- लक्षण: नींद में अनैच्छिक वीर्य स्राव, कमजोरी, थकान, मानसिक चिंता।
- उपचार: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव नियंत्रण।
- सावधानी: अश्लील सामग्री से बचें, सकारात्मक सोच अपनाएं, डॉक्टरी सलाह लें।
वीर्य प्रमेह (Spermatorrhoea)
- लक्षण: बार-बार बिना इच्छा के वीर्य स्राव, कमजोरी, थकान, मानसिक तनाव।
- उपचार: पौष्टिक आहार लें, योग व व्यायाम करें, आयुर्वेदिक या डॉक्टरी परामर्श लें।
- सावधानी: नशे से बचें, तनाव न लें, नियमित दिनचर्या अपनाएं।
शीघ्रपतन (Premature Ejaculation)
- लक्षण: संभोग के दौरान बहुत जल्दी स्खलन होना, आत्मविश्वास में कमी
- उपचार: योग और ध्यान, काउंसलिंग, डॉक्टर से परामर्श लेकर दवाएं
- सावधानी: तनाव को कम करें, संतुलित आहार लें, धूम्रपान और शराब से बचें
पेनिस का साइज (Size Of Normal Penis)
- जानकारी: औसत साइज 5-6 इंच होता है, यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है
- सावधानी: गलत दवाओं और इलाज से बचें, आत्मविश्वास बनाए रखें
हस्तमैथून (Masturbation)
- लक्षण: बार-बार हस्तमैथून करने की आदत, कमजोरी, थकान, ध्यान भटकना।
- उपचार: संतुलित आहार लें, व्यायाम करें, मानसिक स्थिरता बनाए रखें।
- सावधानी: अति से बचें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं।
उपदंश (Syphilis)
- लक्षण: घाव या अल्सर, त्वचा पर चकत्ते, थकान, सिरदर्द।
- उपचार: एंटीबायोटिक (डॉक्टर की सलाह से), नियमित जांच, उचित देखभाल।
- सावधानी: असुरक्षित यौन संबंध से बचें, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें, समय पर इलाज कराएं।
नपुंसकता (Impotency)
- लक्षण: यौन उत्तेजना में कमी, स्तंभन दोष, आत्मविश्वास की कमी।
- उपचार: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, चिकित्सकीय परामर्श।
- सावधानी: धूम्रपान और शराब से बचें, तनाव कम करें, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
स्त्रीरोग (Woman Diseases) के नाम और जानकारी
अनार्तव (Amenorrhoea) – मासिक धर्म बंद हो जाना
- लक्षण: मासिक धर्म का अचानक या लंबे समय तक बंद होना, सिरदर्द, कमजोरी, हार्मोनल असंतुलन।
- उपचार: आयरन व पोषक तत्वों से भरपूर आहार, नियमित व्यायाम, डॉक्टर की सलाह से दवा।
- सावधानी: तनाव कम करें, वजन नियंत्रित रखें, संतुलित आहार लें।
कष्टार्तव (Dysmenorrhoea) – मासिक धर्म कष्ट से आना
- लक्षण: पेट व कमर में तेज दर्द, मतली, सिरदर्द, थकान।
- उपचार: गर्म सिकाई, हल्का व्यायाम, दर्द निवारक दवाएं (डॉक्टर की सलाह से)।
- सावधानी: तनाव कम करें, अधिक पानी पिएं, संतुलित आहार लें।
अत्यार्तव (Menorrhagia) – मासिक धर्म बहुत अधिक आना
- लक्षण: सामान्य से अधिक रक्तस्राव, कमजोरी, चक्कर आना, थकान।
- उपचार: आयरन युक्त आहार लें, डॉक्टर की सलाह से दवाएं लें।
- सावधानी: अत्यधिक परिश्रम से बचें, हाइड्रेट रहें, पोषण युक्त भोजन करें।
अतिकालार्तव (Metrorrhagia) – रक्त प्रदत
- लक्षण: अनियमित समय पर रक्तस्राव, कमजोरी, चक्कर आना।
- उपचार: डॉक्टर की सलाह से दवा लें, आयरन युक्त आहार लें।
- सावधानी: तनाव से बचें, अधिक परिश्रम न करें, नियमित जांच कराएं।
श्वेत प्रदर (Leucorrhoea)
- लक्षण: गाढ़ा सफेद या पीला स्त्राव, कमजोरी, थकान।
- उपचार: आयरन और कैल्शियम युक्त आहार लें, साफ-सफाई रखें, डॉक्टर से परामर्श करें।
- सावधानी: तनाव से बचें, अधिक मीठा और तला-भुना भोजन न करें, हाइड्रेशन बनाए रखें।
गर्भवती की कै (Vomiting of Pregnancy)
- लक्षण: सुबह के समय उल्टी, मतली, कमजोरी।
- उपचार: हल्का भोजन करें, अदरक या नींबू पानी लें, डॉक्टर की सलाह लें।
- सावधानी: खाली पेट न रहें, अधिक तैलीय व मसालेदार भोजन से बचें, हाइड्रेटेड रहें।
गर्भवती शारीरिक कमजोरी (Weakness in Pregnancy)
- लक्षण: थकान, चक्कर आना, हाथ-पैरों में कमजोरी, सुस्ती।
- उपचार: पौष्टिक आहार लें, आयरन और कैल्शियम युक्त भोजन करें, पर्याप्त आराम करें।
- सावधानी: अधिक परिश्रम न करें, हाइड्रेटेड रहें, नियमित डॉक्टर से परामर्श लें।
गर्भवती का रक्तस्त्राव (Bleeding in Pregnancy)
- लक्षण: हल्का या अधिक रक्तस्राव, पेट में दर्द, चक्कर आना।
- उपचार: तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें, पूर्ण आराम करें, आयरन व तरल पदार्थ लें।
- सावधानी: भारी काम न करें, तनाव से बचें, नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं।
गर्भ परीक्षण (Pregnancy Diagnosis)
- लक्षण: माहवारी न आना, मतली, उल्टी, थकान, स्तनों में संवेदनशीलता।
- उपचार: गर्भावस्था की पुष्टि के लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट करें, डॉक्टर से परामर्श लें।
- सावधानी: संतुलित आहार लें, धूम्रपान व अल्कोहल से बचें, नियमित जांच करवाएं।
योनि की खुजली (Pruritis Vulvae)
- लक्षण: योनि क्षेत्र में तेज खुजली, जलन, लालिमा या सूजन।
- उपचार: एंटीफंगल या एंटीबैक्टीरियल क्रीम (डॉक्टर की सलाह से), गुनगुने पानी से सफाई, ढीले सूती कपड़े पहनें।
- सावधानी: स्वच्छता बनाए रखें, सुगंधित उत्पादों से बचें, संक्रमण से बचाव करें।
योनि के घाव (Wound in Vagina)
- लक्षण: जलन, दर्द, खुजली, असामान्य स्त्राव।
- उपचार: एंटीसेप्टिक साफ-सफाई, डॉक्टर की सलाह से दवा, आराम करें।
- सावधानी: संक्रमण से बचें, स्वच्छता बनाए रखें, कठोर रसायनों का प्रयोग न करें।
फेक गर्भावस्था (Fake Pregnancy)
- लक्षण: माहवारी न आना, पेट में सूजन, मतली, स्तनों में बदलाव, लेकिन गर्भधारण न होना।
- उपचार: डॉक्टर से परामर्श लें, अल्ट्रासाउंड या अन्य परीक्षण करवाएं।
- सावधानी: मानसिक तनाव से बचें, सही जानकारी प्राप्त करें, स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लें।
गर्भाशय में दर्द (Pain in Uterus)
- लक्षण: पेट के निचले हिस्से में दर्द, ऐंठन, भारीपन महसूस होना।
- उपचार: गर्म सिकाई करें, हल्का व्यायाम करें, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें।
- सावधानी: अत्यधिक शारीरिक श्रम से बचें, हाइड्रेटेड रहें, संतुलित आहार लें।
गर्भवती की कब्ज (Constipation in Pregnancy)
- लक्षण: मल त्याग में कठिनाई, पेट फूलना, अपच।
- उपचार: रेशेदार भोजन लें, ज्यादा पानी पिएं, हल्की एक्सरसाइज करें।
- सावधानी: तली-भुनी चीजों से बचें, अधिक समय तक बैठकर न रहें, डॉक्टर से परामर्श लें।
प्रसव का दर्द (Delivery Pain)
- लक्षण: गर्भाशय में तेज संकुचन, पीठ और पेट में दर्द, श्रोणि क्षेत्र में दबाव।
- उपचार: गहरी सांस लें, रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएं, डॉक्टर की सलाह लें।
- सावधानी: प्रसव पीड़ा बढ़ने या किसी जटिलता के संकेत मिलने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें।
प्रसव (Delivery)
- प्रकार: सामान्य प्रसव (Normal Delivery), सिजेरियन प्रसव (Cesarean Delivery)।
- लक्षण: प्रसव पीड़ा, पानी की थैली फटना, गर्भाशय संकुचन।
- देखभाल: डॉक्टर की निगरानी में रहें, संतुलित आहार लें, प्रसव के बाद आराम करें।
प्रसव के बाद का दर्द (After Delivery Pain)
- लक्षण: पेट और कमर में ऐंठन, गर्भाशय में संकुचन, थकान।
- उपचार: गर्म सिकाई करें, हल्की मालिश करें, दर्द निवारक दवाएं (डॉक्टर की सलाह से)।
- सावधानी: अधिक आराम करें, पौष्टिक भोजन लें, ज्यादा भारी काम न करें।
स्तन शोध, स्तन में फोड़ा हो जाना (Mastitis, Mammary Abscess)
- लक्षण: स्तन में सूजन, लालिमा, दर्द, बुखार, पस बनना।
- उपचार: गर्म सिकाई करें, दर्द निवारक दवाएं लें (डॉक्टर की सलाह से), संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक लें।
- सावधानी: स्तनपान जारी रखें, साफ-सफाई का ध्यान रखें, संक्रमण बढ़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें।
स्तनों की चूची के घाव (Nipples Cracked)
- लक्षण: निप्पल्स में दरारें, सूजन, दर्द, जलन, कभी-कभी खून आना।
- उपचार: नारियल या जैतून का तेल लगाएं, मॉइस्चराइजर का प्रयोग करें, डॉक्टर की सलाह लें।
- सावधानी: स्तनपान के बाद निप्पल को साफ और सूखा रखें, अधिक रगड़ से बचें, ढीले व आरामदायक कपड़े पहनें।
स्तनों में दूध की वृद्धि (Breast Engorgement – Galactorrhoea)
- लक्षण: स्तनों में भारीपन, सूजन, दर्द, सख्त महसूस होना, अनावश्यक दूध स्राव।
- उपचार: हल्की मालिश करें, गर्म या ठंडी सिकाई करें, अधिक टाइट ब्रा न पहनें, डॉक्टर की सलाह लें।
- सावधानी: अत्यधिक दबाव से बचें, स्तनों को समय-समय पर खाली करें, संतुलित आहार लें।
स्तनों में दूध की कमी (Insufficient Milk Supply – Lactation Failure)
- लक्षण: बच्चे का ठीक से संतुष्ट न होना, स्तनों में दूध कम बनना, बच्चे का कम वजन बढ़ना।
- उपचार: पौष्टिक आहार लें, अधिक पानी पिएं, बच्चे को बार-बार स्तनपान कराएं, डॉक्टर की सलाह लें।
- सावधानी: तनाव से बचें, पर्याप्त नींद लें, स्तनों की हल्की मालिश करें, प्राकृतिक दूध बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
दूध रुक या जम जाना (Milk Stasis – Blocked Milk Ducts)
- लक्षण: स्तनों में दर्द, सूजन, कठोर गांठें, स्तनपान में कठिनाई।
- उपचार: गर्म सिकाई करें, हल्की मालिश करें, बार-बार स्तनपान कराएं, अधिक पानी पिएं।
- सावधानी: तंग कपड़े न पहनें, सही स्तनपान तकनीक अपनाएं, अधिक देर तक दूध जमा न होने दें।
स्तनों का बड़ा हो जाना (Breast Enlargement – Macromastia)
- लक्षण: स्तनों का असामान्य रूप से बढ़ जाना, भारीपन, गर्दन या पीठ में दर्द।
- उपचार: सही आकार की ब्रा पहनें, हल्की कसरत करें, गंभीर मामलों में डॉक्टर की सलाह लें।
- सावधानी: वजन नियंत्रित रखें, सही पोषण लें, किसी भी असामान्य बदलाव पर चिकित्सकीय परामर्श लें।
छोटे स्तन (Breast Hypoplasia – Underdeveloped Breasts)
- लक्षण: स्तनों का सामान्य आकार से छोटा रह जाना, असंतुलित स्तन वृद्धि।
- उपचार: संतुलित आहार, व्यायाम, चिकित्सकीय परामर्श, हार्मोन थेरेपी (डॉक्टर की सलाह अनुसार)।
- सावधानी: पोषण का ध्यान रखें, हार्मोनल असंतुलन की जांच कराएं, आवश्यक हो तो विशेषज्ञ से सलाह लें।
स्तनों का ढीला हो जाना (Breast Sagging)
- लक्षण: स्तनों की त्वचा का लचीलापन कम होना, ढीलापन और झुकाव।
- उपचार: नियमित व्यायाम, सही आकार की ब्रा पहनना, संतुलित आहार, मालिश और चिकित्सा परामर्श।
- सावधानी: अधिक वजन बढ़ने या घटने से बचें, सही पोषण लें, व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें।
स्त्रियों में कामवासना की अधिकता (Hypersexuality in Women)
- लक्षण: अत्यधिक यौन विचार, बार-बार यौन इच्छा, नियंत्रण में कठिनाई।
- उपचार: तनाव प्रबंधन, हार्मोन संतुलन की जांच, थेरेपी या काउंसलिंग।
- सावधानी: संतुलित जीवनशैली अपनाएं, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें, चिकित्सा परामर्श लें।
स्त्रियों में कामवासना की कमी (Hyposexuality in Women)
- लक्षण: यौन इच्छा में कमी, यौन गतिविधियों में रुचि न होना, उत्तेजना में कठिनाई।
- उपचार: हार्मोनल संतुलन की जांच, तनाव प्रबंधन, काउंसलिंग या थेरेपी।
- सावधानी: स्वस्थ आहार लें, व्यायाम करें, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें, डॉक्टर से परामर्श लें।
परिवार नियोजन (Family Planning)
- लक्षण: अनियोजित गर्भधारण की संभावना, जनसंख्या वृद्धि की समस्या।
- उपचार: गर्भनिरोधक उपाय (गोलियां, कंडोम, नसबंदी, कॉपर टी आदि)।
- सावधानी: सही विधि का चयन करें, डॉक्टर की सलाह लें, सुरक्षित संबंध बनाएं।
ह्रदय रोग (Heart Diseases) के नाम एवं उनकी सामान्य जानकारी
हार्ट अटैक (Heart Attack)
- लक्षण: सीने में तेज दर्द, सांस लेने में कठिनाई, पसीना आना
- उपचार: आपातकालीन चिकित्सा सहायता, एंजियोप्लास्टी, बाईपास सर्जरी
- सावधानी: कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें, धूम्रपान और शराब से बचें
हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage)
- लक्षण: सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत
- उपचार: एंजियोप्लास्टी, बाईपास सर्जरी
- सावधानी: संतुलित आहार लें, धूम्रपान से बचें
विभिन्न प्रकार के कैंसर (Different Types of Pain)
फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer)
- कारण: धूम्रपान, वायु प्रदूषण, रेडिएशन, आनुवंशिकता।
- लक्षण: खांसी, बलगम में खून, सांस में दिक्कत, वजन घटना।
- उपचार: कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी, सर्जरी।
- सावधानी: धूम्रपान से बचें, स्वच्छ हवा लें, स्वास्थ्य जांच कराएं।
ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)
- लक्षण: स्तन में गांठ, आकार में बदलाव, निप्पल से डिस्चार्ज
- उपचार: कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी
- सावधानी: नियमित रूप से स्तन जांच करें, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) – गुर्दे और मूत्रमार्ग
- लक्षण: बार-बार पेशाब आना, पेशाब में दर्द, वजन घटना
- उपचार: सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी
- सावधानी: नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराएं, धूम्रपान से बचें
स्किन कैंसर (Skin Cancer)
- लक्षण: त्वचा पर असामान्य धब्बे, घाव जो ठीक न हो, खुजली
- उपचार: सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी
- सावधानी: सूर्य की हानिकारक किरणों से बचें, सनस्क्रीन लगाएं
लीवर कैंसर (Liver Cancer)
- लक्षण: पेट में दर्द, वजन घटना, भूख न लगना
- उपचार: कीमोथेरेपी, सर्जरी, दवाएं
- सावधानी: शराब से बचें, हेपेटाइटिस बी और सी से बचाव करें
रक्त कैंसर (Blood Cancer)
- लक्षण: अत्यधिक थकान, बुखार, बार-बार संक्रमण, अनियंत्रित रक्तस्राव, वजन घटना।
- उपचार: कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी, बोन मैरो ट्रांसप्लांट (डॉक्टर की सलाह अनुसार)।
- सावधानी: स्वस्थ आहार लें, नियमित जांच कराएं, संक्रमण से बचाव करें।
विभिन्न प्रकार के दर्द (Different Types of Pain)
सामान्य दर्द (Common Pain)
- लक्षण: शरीर के किसी भी हिस्से में असहजता
- उपचार: दर्द निवारक दवाएं, फिजियोथेरेपी, आराम
- सावधानी: अत्यधिक परिश्रम से बचें, सही खानपान रखें
सिरदर्द (Headache)
- लक्षण: हल्का से तेज दर्द, तनाव, आंखों में भारीपन
- उपचार: पानी अधिक पिएं, आराम करें, दर्द निवारक दवा लें
- सावधानी: तनाव से बचें, नियमित नींद लें
आधे सिर का दर्द (Neuralgia / Migraine) – अर्धकपारी
- लक्षण: सिर के एक तरफ तेज़ दर्द, मतली, रोशनी और आवाज़ से संवेदनशीलता।
- उपचार: दर्द निवारक दवाएं, ठंडा सेक, पर्याप्त आराम।
- सावधानी: तेज़ रोशनी और शोर से बचें, सही आहार लें, तनाव कम करें।
सीने में दर्द (Chest Pain)
- लक्षण: भारीपन, सांस लेने में तकलीफ, जलन
- उपचार: गैस्ट्रिक दर्द के लिए एंटासिड, हार्ट पेन के लिए डॉक्टर से सलाह
- सावधानी: तला-भुना कम खाएं, धूम्रपान से बचें
घुटनों का दर्द (Knee Pain)
- लक्षण: चलने में कठिनाई, सूजन, जकड़न, हलचल पर दर्द
- उपचार: फिजियोथेरेपी, एक्सरसाइज, दर्द निवारक दवाएं, सर्जरी (गंभीर मामलों में)
- सावधानी: वजन नियंत्रित रखें, पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें, अधिक देर तक खड़े रहने से बचें
मांसपेशियों में दर्द (Muscle Pain)
- लक्षण: मांसपेशियों में खिंचाव, जकड़न, सूजन
- उपचार: मसाज, व्यायाम, दर्द निवारक दवाएं
- सावधानी: अत्यधिक मेहनत से बचें, शरीर को हाइड्रेट रखें
कमर दर्द (Back Pain)
- लक्षण: कमर में जकड़न, झुकने में कठिनाई, पैरों में दर्द
- उपचार: फिजियोथेरेपी, मसाज, दर्द निवारक दवाएं
- सावधानी: सही मुद्रा में बैठें, भारी वजन उठाने से बचें
सिर और मस्तिष्क से संबंधित रोग और उनकी जानकारी
मेनिनजाइटिस (Meningitis) – दिमाग और स्पाइनल द्रव में सूजन
- लक्षण: तेज बुखार, गर्दन में जकड़न, सिरदर्द, उल्टी
- उपचार: एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक दवाएं, अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता
- सावधानी: स्वच्छता बनाए रखें, टीकाकरण कराएं
मस्तिष्क का दौरा (Cerebral Stroke)
- लक्षण: शरीर के एक हिस्से में कमजोरी, बोलने में कठिनाई, चक्कर आना
- उपचार: आपातकालीन चिकित्सा सहायता, दवाएं, फिजियोथेरेपी
- सावधानी: रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखें, धूम्रपान न करें
मिरगी (Epilepsy, अपस्मार) – दौरे पड़ने की समस्या
- लक्षण: बार-बार दौरे पड़ना, अचानक बेहोशी, झटके आना
- उपचार: एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं, न्यूरोसर्जरी (गंभीर मामलों में)
- सावधानी: सोने की सही दिनचर्या अपनाएं, शराब और धूम्रपान से बचें
सुस्ती (Lethargy)
- लक्षण: आलस्य, थकान, ऊर्जा की कमी
- उपचार: हेल्दी डाइट लें, व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें
- सावधानी: कैफीन कम करें, हाइड्रेटेड रहें
थकान (Fatigue)
- लक्षण: कमजोरी महसूस होना, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- उपचार: पर्याप्त नींद लें, पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें
- सावधानी: नियमित व्यायाम करें, कैफीन और शराब से बचें
अनिद्रा (Insomnia)
- लक्षण: नींद न आना, थकान, चिड़चिड़ापन
- उपचार: नियमित दिनचर्या अपनाएं, कैफीन कम करें, योग करें
- सावधानी: सोने से पहले स्क्रीन का उपयोग न करें
तनाव – स्ट्रेस (Stress)
- लक्षण: चिंता, सिरदर्द, अनिद्रा
- उपचार: मेडिटेशन करें, म्यूजिक सुनें, व्यायाम करें
- सावधानी: पॉजिटिव सोच अपनाएं, नींद पूरी लें
जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) – मस्तिष्क का एक वायरल संक्रमण
- कारण: मच्छरों द्वारा मनुष्यों में फैलता है
- लक्षण: सिरदर्द, बुखार, भ्रम की स्थिति, दौरे आना
- उपचार: कोई विशेष इलाज नहीं, लक्षणों का प्रबंधन करें
- सावधानी: मच्छरों से बचाव करें, टीकाकरण कराएं
हेयर रोग (Hair Diseases) के नाम एवं जानकारी
सफेद बाल (Grey Hair)
- लक्षण: बालों का असमय सफेद होना
- उपचार: पोषक तत्वों से भरपूर आहार, आयुर्वेदिक तेल, हेयर केयर
- सावधानी: केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स से बचें, तनाव कम करें
बालों का झड़ना (Hair Fall)
- लक्षण: अत्यधिक बाल झड़ना
- उपचार: तेल मालिश, प्रोटीन युक्त आहार, दवाएं
- सावधानी: तनाव कम करें, पौष्टिक आहार लें
गंजापन (Baldness)
- लक्षण: बालों का अत्यधिक झड़ना, सिर पर गंजे धब्बे
- उपचार: मिनॉक्सिडिल, हेयर ट्रांसप्लांट, आयुर्वेदिक उपचार
- सावधानी: स्वस्थ आहार लें, तनाव कम करें
रूसी (Dandruff)
- लक्षण: सिर में खुजली, सफेद परत
- उपचार: एंटी-डैंड्रफ शैम्पू, नारियल और नींबू का तेल
- सावधानी: सिर साफ रखें, ज्यादा केमिकल युक्त उत्पाद न लगाएं
मूत्र प्रणाली (Urinary System) के रोगों के नाम
मूत्र बंद हो जाना (Retention of Urine)
- कारण: मूत्रमार्ग में रुकावट, प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि, न्यूरोलॉजिकल समस्या।
- लक्षण: बार-बार पेशाब की इच्छा, लेकिन मूत्र न आना, पेट में भारीपन, दर्द।
- उपचार: कैथेटर का उपयोग, दवाएं, जरूरत पड़ने पर सर्जरी।
- सावधानी: पानी अधिक पिएं, मूत्राशय को पूरी तरह खाली करें, संक्रमण से बचें।
मूत्र में जलन (Burn in Urine)
- कारण: यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI), डीहाइड्रेशन, पथरी, मसालेदार भोजन।
- लक्षण: पेशाब करते समय जलन, बार-बार पेशाब आना, पेशाब में दुर्गंध।
- उपचार: अधिक पानी पिएं, नारियल पानी और क्रैनबेरी जूस लें, संक्रमण में एंटीबायोटिक्स।
- सावधानी: स्वच्छता बनाए रखें, पेशाब रोककर न रखें, ज्यादा मसालेदार चीजें न खाएं।
मूत्र मार्ग का दर्द (Pain in Urethra)
- कारण: संक्रमण (UTI), पथरी, चोट, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI)।
- लक्षण: पेशाब करते समय दर्द, जलन, मूत्र मार्ग में सूजन या लालिमा।
- उपचार: खूब पानी पिएं, एंटीबायोटिक्स (डॉक्टर की सलाह से), साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- सावधानी: असुरक्षित संबंध से बचें, स्वच्छता बनाए रखें, पेशाब रोककर न रखें।
मूत्र में रक्त आना (Haematuria)
- कारण: मूत्र संक्रमण (UTI), किडनी या ब्लैडर पथरी, चोट, कैंसर, प्रोस्टेट समस्याएं।
- लक्षण: पेशाब में खून आना, जलन, पेट या कमर में दर्द, बार-बार पेशाब आना।
- उपचार: पर्याप्त पानी पिएं, संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक्स लें (डॉक्टर की सलाह से), जांच करवाएं।
- सावधानी: अधिक मसालेदार भोजन से बचें, पेशाब रोककर न रखें, नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।
बच्चों में होने वाले रोगों के नाम
अर्जीण (Indigestion)
- कारण: अनियमित भोजन, तला-भुना खाना, जल्दी खाना, अधिक भोजन, तनाव।
- लक्षण: भारीपन, जलन, गैस, डकार, मतली, पेट दर्द।
- उपचार: हल्का भोजन लें, अदरक-पुदीना चाय पिएं, टहलें, एंटासिड लें (डॉक्टर की सलाह से)।
- सावधानी: तला-मसालेदार भोजन कम करें, धीरे खाएं, पानी पिएं, तनाव कम करें।
बच्चों में अतिसार (Diarrhoea Infantile)
- कारण: दूषित भोजन/पानी, संक्रमण, दूध न पचना, पेट में एलर्जी।
- लक्षण: बार-बार पतला मल, पानी की कमी, उल्टी, बुखार, कमजोरी।
- उपचार: ORS और पानी दें, हल्का भोजन दें, डॉक्टर से सलाह लें।
- सावधानी: स्वच्छ भोजन-पानी दें, हाथ धोने की आदत डालें, दूध सही प्रकार से दें।
पेट के कीड़े (Intestinal Worms)
- लक्षण: पेट दर्द, भूख कम/ज्यादा लगना, वजन गिरना, खुजली, कमजोरी।
- उपचार: डॉक्टर की सलाह से दवा लें, साफ पानी पिएं, स्वच्छता बनाए रखें।
- सावधानी: हाथ धोएं, साफ-सुथरा खाना खाएं, नाखून काटकर रखें।
दाँत निकलना (Infantile Teething)
- लक्षण: मसूड़ों में सूजन, लार टपकना, चबाने की इच्छा, हल्का बुखार, चिड़चिड़ापन।
- उपचार: साफ ठंडी चीज़ें चबाने दें, मसूड़ों की हल्की मालिश करें, ज़रूरत पर डॉक्टर से सलाह लें।
- सावधानी: गंदे खिलौने या उंगलियां मुंह में न जाने दें, शिशु को स्वच्छ रखें।
बच्चों का न्यूमोनिया (Infantile Pneumonia)
- कारण: बैक्टीरिया, वायरस, फंगल संक्रमण, ठंड लगना, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता।
- लक्षण: तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, सुस्ती।
- उपचार: डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक्स/दवा दें, पर्याप्त तरल पदार्थ दें, आराम कराएं।
- सावधानी: ठंड से बचाएं, स्वच्छता रखें, टीकाकरण करवाएं, भीड़भाड़ से दूर रखें।
बच्चों का एक्जिमा (Infantile Eczema)
- कारण: एलर्जी, शुष्क त्वचा, धूल-मिट्टी, तेज साबुन, आनुवंशिकता।
- लक्षण: लाल खुजलीदार दाने, सूखी-फटी त्वचा, जलन, दाने से रिसाव।
- उपचार: मॉइस्चराइजर लगाएं, हल्के साबुन का इस्तेमाल करें, डॉक्टर से क्रीम/दवा लें।
- सावधानी: धूल-मिट्टी से बचाएं, अधिक गर्म पानी से न नहलाएं, ऊनी कपड़े सीधे न पहनाएं।
सूखा रोग (Marasmus)
- कारण: कुपोषण, प्रोटीन व ऊर्जा की कमी, दूषित भोजन, बार-बार संक्रमण।
- लक्षण: अत्यधिक दुबलापन, कमजोरी, त्वचा ढीली पड़ना, सुस्ती, भूख कम लगना।
- उपचार: पोषक आहार दें, दूध व ऊर्जादायक भोजन दें, डॉक्टर से सलाह लें।
- सावधानी: संतुलित आहार दें, स्वच्छता बनाए रखें, नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।
बच्चों का पांडू रोग (Icterus Neonatorum)
- कारण: जन्म के बाद पीलिया, अपरिपक्व यकृत, रक्त समूह असंगति, संक्रमण।
- लक्षण: त्वचा और आंखों में पीलापन, सुस्ती, भूख कम लगना, गहरे रंग का पेशाब।
- उपचार: डॉक्टर की निगरानी में रखें, अधिक दूध पिलाएं, ज़रूरत पर फोटोथैरेपी लें।
- सावधानी: नवजात की नियमित जांच कराएं, धूप में हल्का सेंक दें, स्वच्छता बनाए रखें।
मिलेजुले प्रसिद्ध रोगों के नाम (Mixed Famous Diseases)
मधुमेह (Diabetes)
- कारण: अनुवांशिकता, खराब जीवनशैली, मोटापा, हार्मोन असंतुलन।
- लक्षण: अधिक प्यास, बार-बार पेशाब, थकान, घाव जल्दी न भरना।
- उपचार: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, इंसुलिन या दवाएं।
- सावधानी: मीठे और तले भोजन से बचें, वजन नियंत्रित रखें, नियमित जांच कराएं।
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
- लक्षण: सिरदर्द, चक्कर आना, थकान
- उपचार: नमक कम करें, नियमित व्यायाम करें, दवाएं लें
- सावधानी: तनाव से बचें, संतुलित आहार लें
निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure)
- लक्षण: चक्कर आना, धुंधली दृष्टि, कमजोरी, बेहोशी
- उपचार: अधिक पानी पीना, नमक की मात्रा बढ़ाना, डॉक्टर की सलाह पर दवा लेना
- सावधानी: अधिक देर तक खाली पेट न रहें, अचानक खड़े होने से बचें
खून का थक्का (Blood Clotting)
- लक्षण: सूजन, लालिमा, दर्द, प्रभावित क्षेत्र में गर्मी महसूस होना
- उपचार: रक्त पतला करने वाली दवाएं, डॉक्टर की देखरेख में उपचार
- सावधानी: लंबे समय तक बैठे न रहें, पर्याप्त पानी पिएं, धूम्रपान से बचें
वाकविकार (Dyslexia)
- लक्षण: पढ़ने-लिखने में कठिनाई, शब्दों को पहचानने में समस्या
- उपचार: विशेष शिक्षा, स्पीच थेरेपी, काउंसलिंग
- सावधानी: शुरुआती अवस्था में पहचानकर उपचार शुरू करें
घेंघा (Goiter)
- लक्षण: गर्दन में सूजन, निगलने में कठिनाई
- उपचार: आयोडीन युक्त आहार, दवाएं, सर्जरी
- सावधानी: आयोडीन की पर्याप्त मात्रा लें
स्पोंडिलोसिस (Spondylosis) – गर्दन का गठिया
- लक्षण: गर्दन या पीठ में दर्द, सुन्नपन, कमजोरी
- उपचार: फिजियोथेरेपी, एक्सरसाइज, दर्द निवारक दवाएं
- सावधानी: सही मुद्रा में बैठें, भारी सामान उठाने से बचें
सरवाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical Spondylosis)
- लक्षण: गर्दन में दर्द, सिरदर्द, चक्कर
- उपचार: फिजियोथेरेपी, गर्दन के व्यायाम, दर्द निवारक दवाएं
- सावधानी: सही मुद्रा में बैठें, भारी सामान न उठाएं
बेरीबेरी (Beriberi) – चलने में परेशानी
- लक्षण: मांसपेशियों की कमजोरी, सुन्नपन, सांस लेने में कठिनाई
- उपचार: विटामिन बी1 (थायमिन) युक्त भोजन
- सावधानी: संतुलित आहार लें
डीहाइड्रेशन (Dehydration)
- लक्षण: प्यास लगना, कमजोरी, चक्कर आना, पेशाब का रंग गहरा होना
- उपचार: ओआरएस घोल, पानी और तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें
- सावधानी: गर्मी में ज्यादा पानी पिएं, अत्यधिक परिश्रम के बाद शरीर को हाइड्रेट रखें
कद बढ़ाना (Height Gain)
- लक्षण: उम्र के अनुसार कम कद रहना
- उपचार: संतुलित आहार, योग और एक्सरसाइज, सही पोषण
- सावधानी: हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम और प्रोटीन युक्त आहार लें
मोटापा (Obesity)
- लक्षण: शरीर में अत्यधिक चर्बी, सांस फूलना, जोड़ों में दर्द
- उपचार: व्यायाम, संतुलित आहार, वजन घटाने की थेरेपी
- सावधानी: जंक फूड से बचें, शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं
हेपेटाइटिस (Hepatitis) – लीवर से जुड़ी बीमारी
- लक्षण: पीलापन, कमजोरी, भूख न लगना
- उपचार: एंटीवायरल दवाएं, आराम, उचित पोषण
- सावधानी: स्वच्छता का ध्यान रखें, संक्रमित सुई और रक्त से बचें
चिकनगुनिया (Chikungunya) – तीव्र ज्वर एवं जोडों में दर्द
- लक्षण: तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, लाल चकत्ते
- कारण: CHIKV विषाणु द्वारा संक्रमण
- उपचार: दर्द निवारक दवाएं, आराम, तरल पदार्थ लें
- सावधानी: मच्छरों से बचाव करें, घर के आसपास पानी जमा न होने दें
हैजा (Cholera)
- लक्षण: बार-बार पतला दस्त, उल्टी, निर्जलीकरण, कमजोरी।
- कारण: विब्रियो कोलेरी नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से
- उपचार: ओआरएस घोल, तरल पदार्थों का सेवन, डॉक्टर की सलाह से दवाइयाँ।
- सावधानी: स्वच्छ पानी और भोजन लें, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें, संक्रमित व्यक्ति से दूरी रखें।
जोड़ों में दर्द (Joint Pain)
- लक्षण: चलने में कठिनाई, सूजन, जकड़न
- उपचार: फिजियोथेरेपी, दवाएं, सर्जरी (गंभीर मामलों में)
- सावधानी: वजन नियंत्रित रखें, सही पोषण लें
मुंहासे (Pimples)
- लक्षण: चेहरे पर दाने, लालिमा, जलन
- उपचार: टी ट्री ऑयल, एंटीबैक्टीरियल क्रीम, सही खानपान
- सावधानी: तैलीय भोजन से बचें, चेहरा साफ रखें
जीका वायरस (Zika Virus) – एडीज मच्छर जनित वायरस
- लक्षण: हल्का बुखार, जोड़ों में दर्द, लाल चकत्ते
- उपचार: कोई विशिष्ट इलाज नहीं, लक्षणों का उपचार करें
- सावधानी: मच्छरों से बचाव करें, स्वच्छता बनाए रखें
छींकना (Sneezing)
- लक्षण: बार-बार छींक आना, नाक में खुजली
- उपचार: एंटी-एलर्जी दवाएं, भाप लें
- सावधानी: धूल और धुएं से बचें, स्वच्छता बनाए रखें
टी. बी. (Tuberculosis) – क्षय रोग
- लक्षण: लंबे समय तक खांसी, वजन कम होना, रात में पसीना
- उपचार: एंटी-टीबी दवाएं, नियमित इलाज जरूरी
- सावधानी: संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें, टीकाकरण कराएं
स्वाइन फ्लू (Swine Flu) – श्वसन रोग
- H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण
- लक्षण: तेज बुखार, खांसी, गले में खराश
- उपचार: एंटी-वायरल दवाएं, पर्याप्त आराम
- सावधानी: भीड़भाड़ वाली जगहों से बचें, मास्क पहनें
पीलिया (Jaundice)
- लक्षण: त्वचा और आंखों में पीलापन, भूख कम लगना
- उपचार: पर्याप्त पानी पिएं, हल्का भोजन करें
- सावधानी: साफ-सुथरा भोजन करें, हेपेटाइटिस का टीका लगवाएं
फ्रोजन शोल्डर (Frozen Shoulder)
- लक्षण: कंधे में जकड़न, दर्द, हाथ हिलाने में कठिनाई
- उपचार: फिजियोथेरेपी, हल्की एक्सरसाइज, दर्द निवारक दवाएं
- सावधानी: अधिक समय तक एक ही मुद्रा में न बैठें
मोच (Sprains)
- लक्षण: दर्द, सूजन, चलने में कठिनाई
- उपचार: बर्फ लगाएं, आराम करें, दर्द निवारक दवाएं
- सावधानी: गलत तरीके से चलने या दौड़ने से बचें
रेबीज (Rabies)
- कारण: संक्रमित जानवर (कुत्ता, बिल्ली, बंदर) के काटने या खरोंच से वायरस का संक्रमण।
- लक्षण: बुखार, सिरदर्द, जल का डर, मांसपेशियों में ऐंठन, लकवा।
- उपचार: तुरंत एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवाएं, घाव को साबुन और पानी से धोएं।
- सावधानी: पालतू जानवरों का टीकाकरण कराएं, जंगली जानवरों से दूरी बनाए रखें।
पिलाग्रा (Pellagra) – पाचन क्रिया, त्वचा और नर्व से संबंधित
- कारण: विटामिन B3 (नियासिन) की कमी।
- लक्षण: त्वचा पर चकत्ते, दस्त, मानसिक भ्रम, कमजोरी।
- उपचार: नियासिन युक्त आहार (मूंगफली, मांस, अंडे) लें, डॉक्टर से परामर्श करें।
- सावधानी: संतुलित आहार लें, पोषक तत्वों की कमी न होने दें।
हाइपोथायराइड (Hypothyroidism)
- कारण: थायरॉयड हार्मोन की कमी, आयोडीन की कमी, ऑटोइम्यून रोग।
- लक्षण: वजन बढ़ना, थकान, बाल झड़ना, सुस्ती, ठंड सहन न कर पाना।
- उपचार: थायरॉयड हार्मोन दवाएं (डॉक्टर की सलाह से), आयोडीन युक्त आहार।
- सावधानी: नियमित जांच कराएं, संतुलित आहार लें, शारीरिक सक्रियता बनाए रखें।
गठिया (Gout)
- लक्षण: जोड़ों में दर्द, सूजन, लालिमा
- उपचार: यूरिक एसिड कम करने वाली दवाएं, फिजियोथेरेपी
- सावधानी: हाई-प्रोटीन और जंक फूड से बचें
उबकाई (Nausea)
- लक्षण: मतली आना, उल्टी की इच्छा
- उपचार: अदरक या पुदीना का सेवन, दवाएं
- सावधानी: ज्यादा तला-भुना न खाएं, सफर में ध्यान दें
इबोला विषाणु रोग (Ebola)
- लक्षण: तेज बुखार, उल्टी, दस्त, आंतरिक रक्तस्राव
- उपचार: कोई विशेष इलाज नहीं, लक्षणों का प्रबंधन
- सावधानी: संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहें, सफाई बनाए रखें
दुबलापन (Leanness or Weight Gain)
- लक्षण: कमजोरी, इम्यूनिटी कम होना
- उपचार: हाई-कैलोरी आहार, व्यायाम
- सावधानी: संतुलित आहार लें, प्रोसेस्ड फूड से बचें
खर्राटे लेना (Snoring)
- लक्षण: सोते समय तेज आवाज आना, अनिद्रा
- उपचार: वजन घटाएं, सोने की सही मुद्रा अपनाएं
- सावधानी: नाक साफ रखें, धूम्रपान से बचें
लूज मोशन – दस्त (Loose Motion)
- लक्षण: बार-बार पतला मल आना, पानी की कमी
- उपचार: ओआरएस पिएं, हल्का भोजन करें
- सावधानी: साफ पानी और भोजन का सेवन करें
खून की कमी (Anemia)
- लक्षण: कमजोरी, चक्कर आना, सांस फूलना
- उपचार: आयरन सप्लीमेंट, हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर
- सावधानी: आयरन और फोलिक एसिड युक्त आहार लें
लू लगना (Heat Stroke)
- लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, कमजोरी
- उपचार: ठंडे पानी से शरीर को ठंडा करें, नींबू पानी पिएं
- सावधानी: धूप में जाने से बचें, हाइड्रेटेड रहें
हड्डी फ्रैक्चर या हड्डी का खिसकना (Bone Fracture Or Dislocation)
- लक्षण: हड्डी में दर्द, सूजन, मूवमेंट में दिक्कत
- उपचार: प्लास्टर, फिजियोथेरेपी, कैल्शियम सप्लीमेंट
- सावधानी: भारी वजन उठाने से बचें, सावधानी से चलें
टिटनस (Tetanus)
- कारण: बैक्टीरिया Clostridium tetani का संक्रमण, गंदे घाव या जंग लगी चीजों से चोट।
- लक्षण: मांसपेशियों में ऐंठन, जबड़े का जकड़ना, तेज बुखार, निगलने में कठिनाई।
- उपचार: टिटनस इंजेक्शन, एंटीबायोटिक दवाएं, घाव की सफाई।
- सावधानी: चोट लगने पर तुरंत साफ करें, टिटनस का टीका लगवाएं।
रोगों के नाम की उपयोगिता एवं महत्व
रोगों के नाम (Rogo ke Naam), उनसे प्रभावित होने वाले अंग, लक्षण, उपचार और सावधानियां न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं, बल्कि SSC, UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। विभिन्न परीक्षाओं में अक्सर इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिससे इस विषय की तैयारी करना अनिवार्य हो जाता है। इसलिए, नियमित रूप से रोगों से संबंधित जानकारी को पढ़ना, याद रखना, और अपने जीवन में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए। सही जानकारी के साथ हम न केवल बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि बेहतर जीवनशैली भी अपना सकते हैं।