अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस: जानिए इतिहास, सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन

अरुणाचल प्रदेश, जिसे पहले नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के नाम से जाना जाता था, को 20 फरवरी 1987 को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। 20 फरवरी के दिन को राज्य स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो राज्य की सांस्कृतिक विरासत और विकास की यात्रा का प्रतीक है।

Arunachal Pradesh Foundation Day in Hindi

अरुणाचल प्रदेश, जिसे “उगते सूर्य का पर्वत” कहा जाता है, भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित एक महत्वपूर्ण राज्य है। यह राज्य अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक महत्त्व के लिए जाना जाता है। हर वर्ष 20 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस मनाया जाता है, जो राज्य के इतिहास, संस्कृति और विकास की यात्रा को स्मरण करने का अवसर प्रदान करता है।

अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस

अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस (Arunachal Pradesh Foundation Day) हर वर्ष 20 फरवरी को मनाया जाता है। 20 फरवरी 1987 को इसे भारत के 24वें राज्य के रूप में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। पहले इसे नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के नाम से जाना जाता था, जिसे 1972 में केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया और नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश किया गया। स्थापना दिवस राज्य की सांस्कृतिक विविधता, समृद्ध परंपराओं और विकास की यात्रा का उत्सव है। इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पारंपरिक नृत्य और संगीत के माध्यम से राज्य की एकता और प्रगति को प्रदर्शित किया जाता है। यह राज्य के गौरव और उत्सव का प्रतीक है।

Arunachal Pradesh Sthapana

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

अरुणाचल प्रदेश का इतिहास प्राचीन काल से ही समृद्ध रहा है। हालांकि, आधुनिक इतिहास में यह क्षेत्र ब्रिटिश शासन के दौरान “नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी” (NEFA) के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1826 में यांडाबू संधि के पश्चात, यह क्षेत्र ब्रिटिश प्रशासन के अधीन आया। वर्ष 1914 में शिमला समझौते के माध्यम से तिब्बत और NEFA के बीच सीमा निर्धारित की गई। स्वतंत्रता के पश्चात, 20 जनवरी 1972 को इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिला और नामकरण “अरुणाचल प्रदेश” किया गया। अंततः, 20 फरवरी 1987 को भारतीय संविधान के 55वें संशोधन के माध्यम से इसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ।

भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ

अरुणाचल प्रदेश की सीमाएँ दक्षिण में असम, दक्षिण-पूर्व में नागालैंड, पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं। राज्य की राजधानी ईटानगर है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ अंग्रेज़ी और हिंदी हैं, जबकि विभिन्न जनजातियाँ अपनी-अपनी स्थानीय भाषाएँ बोलती हैं। राज्य में 26 प्रमुख जनजातियाँ और 100 से अधिक उप-जनजातियाँ निवास करती हैं, जिनमें मोनपा, निशि, अपतानी, नोक्टे और शेरडुकपेन प्रमुख हैं।

स्थापना दिवस का महत्त्व

20 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, एकता और विकास की प्रतीक है। इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य, संगीत और खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं, जो राज्य की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करती हैं। स्थानीय हस्तशिल्प और व्यंजनों की प्रदर्शनी भी इस अवसर का हिस्सा होती है, जिससे राज्य की कला और संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।

अरुणाचल प्रदेश के विकास की यात्रा

राज्य स्थापना के बाद से, अरुणाचल प्रदेश ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है:

  • बुनियादी ढाँचा: केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना के विकास के लिए 44,000 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं को मंजूरी दी है। इसके अलावा, 600 मेगावाट का कामेंग हाइड्रो पावर स्टेशन चालू होने से राज्य बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन गया है। हाल ही में शुरू किया गया डोनी पोलो हवाई अड्डा राज्य की कनेक्टिविटी को और भी सुदृढ़ करता है।
  • शिक्षा और साक्षरता: राज्य की साक्षरता दर में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे युवाओं के लिए नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
  • महिला सशक्तिकरण: अरुणाचल प्रदेश की पंचायतों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 47% है, जो समाज में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
  • पर्यावरण संरक्षण: राज्य सरकार ने “पक्के घोषणा” को अपनाया है, जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने और जैव विविधता के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन

अरुणाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर अत्यंत समृद्ध है। यहाँ के प्रमुख त्योहारों में मोनपा जनजाति का “लोस्सार“, अपतानी जनजाति का “द्री“, निशि जनजाति का “न्योकुम” और आदि जनजाति का “सोलुंग” शामिल हैं। ये त्योहार राज्य की सांस्कृतिक विविधता और एकता को प्रदर्शित करते हैं।

पर्यटन की दृष्टि से, तवांग मठ, ईटानगर का ईटा किला, पौराणिक गंगा झील और नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान प्रमुख आकर्षण हैं। राज्य की प्राकृतिक सुंदरता, पहाड़, नदियाँ और वन्यजीव पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

जनसंख्या और अर्थव्यवस्था

2011 की जनगणना के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की जनसंख्या 13,83,727 है। अरुणाचल प्रदेश की 63% जनसंख्या 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से जुड़ी है। इनमें से अधिकांश जनजातियां तिब्बती-बर्मी या ताई-बर्मी मूल की हैं। शेष 35% जनसंख्या बंगाली, बोडो, हजोन्ग, बांग्लादेश से आए चकमा शरणार्थियों और भारत के अन्य राज्यों के प्रवासियों की है। प्रमुख जनजातियों में आदि, गालो, निशि, खम्ति, मोंपा और अपातनी शामिल हैं।

1991 में राज्य की साक्षरता दर 41.59% थी, जो 2001 में बढ़कर 54.74% हो गई। लगभग 20% आबादी प्रकृतिधर्मी है और डोन्यी-पोलो तथा रन्गफ्राह जैसे जीववादी धर्मों का पालन करती है। 29% जनसंख्या हिंदू है, जबकि 13% बौद्ध और 19% ईसाई धर्म का पालन करते हैं।

अरुणाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है। यहां पारंपरिक झूम खेती की जाती है, लेकिन अब नकदी फसलों जैसे आलू, संतरा और अनानास को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। मुख्य फसलें चावल, मक्का, बाजरा, गेहूं, जौ, गन्ना, अदरक और तिलहन हैं।

राज्य की खनिज संपदा के संरक्षण के लिए 1991 में ‘अरुणाचल प्रदेश खनिज विकास’ और ‘व्यापार निगम लिमिटेड’ की स्थापना की गई थी। राज्य में पांच औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) हैं, जिनमें से एक विशेष रूप से महिलाओं के लिए है।

अरुणाचल प्रदेश में लगभग 87,500 हेक्टेयर भूमि सिंचित है और विद्युत उत्पादन क्षमता 30,735 मेगावॉट है। राज्य के लगभग 2,600 गांव बिजली से जुड़े हुए हैं।

2004 में अरुणाचल प्रदेश का सकल घरेलू उत्पादन 706 मिलियन डॉलर था। राज्य का लगभग 61,000 वर्ग किमी क्षेत्र घने जंगलों से ढका है, जो वन्य उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। मुख्य फसलें चावल, मक्का, गेहूं और तिलहन हैं। यहां चावल मिल, फल परिरक्षण इकाइयां और हस्तशिल्प जैसे उद्योग भी हैं।

त्योहार और पर्यटन स्थल

अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख त्योहारों में मापिन, सोलंगु, न्योकुम, रेह, द्री और लोस्सार शामिल हैं। इनमें से अधिकांश त्योहारों में पशु बलि की परंपरा भी देखी जाती है।

राज्य में कई दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ईटानगर का ईटा किला ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। पौराणिक गंगा झील और नामसाई स्थित स्वर्ण पगोडा भी प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। संग्राहलय में लकड़ी की कलाकृतियां, हस्तनिर्मित वस्त्र और वाद्ययंत्र प्रदर्शित किए जाते हैं।

निष्कर्ष

अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस राज्य की सांस्कृतिक विरासत, एकता और विकास की यात्रा का उत्सव है। यह दिन हमें राज्य की उपलब्धियों पर गर्व करने और भविष्य में और भी प्रगति करने के लिए प्रेरित करता है। अरुणाचल प्रदेश की विविधता, समृद्ध संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता न केवल राज्यवासियों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।

FAQs

1.

अरुणाचल प्रदेश की राजधानी क्या है?

ईटानगर।

2.

अरुणाचल प्रदेश का गठन किस वर्ष हुआ था?

20 फरवरी 1987 को।

3.

अरुणाचल प्रदेश की सीमाएँ किन देशों से मिलती हैं?

चीन, भूटान और म्यांमार।

4.

अरुणाचल प्रदेश में कुल कितने जिले हैं?

23 जिले।

5.

अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी को किस नाम से जाना जाता है?

सियांग नदी।

6.

अरुणाचल प्रदेश का सबसे बड़ा मठ कौन सा है?

तवांग मठ।

7.

अरुणाचल प्रदेश का राज्य पशु कौन सा है?

मिथुन, या गयाल, अरुणाचल प्रदेश का राज्य पशु है, और हॉर्नबिल राज्य पक्षी है।

8.

अरुणाचल प्रदेश का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर कौन सा है?

अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी कांगटो पर्वत है, जिसे कांगगार्डो राइज के नाम से भी जाना जाता है। यह 7090 मीटर ऊंचा है और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले में स्थित है।

9.

अरुणाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री कौन थे?

प्रेम खांडू थुंगन।

10.

अरुणाचल प्रदेश में पारशुराम कुंड किस जिले में स्थित है?

लोहित जिले में।

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