World NGO Day 2025: विश्व एनजीओ दिवस की थीम इतिहास और महत्व

हर साल 27 फरवरी को विश्व एनजीओ दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा किए गए कार्यों और उनके समाज में योगदान का उत्सव मनाना है। इस लेख में जाने विश्व एनजीओ दिवस का इतिहास है, यह क्यों मनाया जाता है और इस दिन के माध्यम से हम समाज में कितने महत्वपूर्ण बदलाव देख सकते हैं।

World NGO Day in Hindi

विश्व एनजीओ दिवस | World NGO Day 2025

हर साल 27 फरवरी को विश्व एनजीओ दिवस वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। भारत में 30 लाख से अधिक गैर-सरकारी संगठन (NGOs) सक्रिय हैं, जो समाज के विभिन्न पहलुओं में काम करते हुए सामाजिक बदलाव को प्रेरित करने, उत्प्रेरित करने और उसे संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

एनजीओ (NGO) का पूरा नाम गैर-सरकारी संगठन (Non-Governmental Organization) है। यह एक ऐसा संगठन होता है जो सरकारी नियंत्रण या सरकार से धन प्राप्त किए बिना स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। एनजीओ का मुख्य उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय, या मानवाधिकार से संबंधित मुद्दों को हल करना और समाज में सकारात्मक बदलाव लाना होता है। ये संगठन विशेष रूप से जरूरतमंद समुदायों की मदद करने, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, पर्यावरण, महिला अधिकार, और मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में कार्य करते हैं।

विश्व एनजीओ दिवस का इतिहास

विश्व एनजीओ दिवस 27 फरवरी को ब्रिटिश मानवतावादी मार्किस लियोर्स स्काडमैनिस द्वारा स्थापित किया गया था। यह दिवस बाल्टिक सागर राज्यों की काउंसिल के बाल्टिक सागर एनजीओ फोरम द्वारा 17 अप्रैल 2010 को औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त हुआ। इस फोरम के सदस्य देश थे: बेलारूस, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, जर्मनी, आइसलैंड, लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड, रूस, नॉर्वे और स्वीडन

27 फरवरी 2014 को, अंतर्राष्ट्रीय विकास मंत्री पेक्का हाविस्टो, संयुक्त राष्ट्र परियोजना सेवाएं (UNOPS) के कार्यकारी निदेशक जान मेटसन, यूरोपीय आयोग के विकास आयुक्त एंड्रिस पिएबाल्गस, नॉर्डिक काउंसिल के महासचिव ब्रिट बोहलिन, यूनेस्को के सहायक महानिदेशक एरिक फाल्ट, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के प्रशासक हेलेन क्लार्क, ईरान की महिला मामलों की पूर्व मंत्री महनाज़ अफखामी और विभिन्न एनजीओ नेताओं ने हेलसिंकी, फिनलैंड में विश्व एनजीओ दिवस के पहले स्मरणोत्सव को चिह्नित किया।

  • 17 अप्रैल 2010 को IX बाल्टिक-सी एनजीओ फोरम के 12 सदस्य देशों द्वारा विश्व एनजीओ दिवस को औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया और इसे आधिकारिक दर्जा प्राप्त हुआ।
  • 2012 में, फोरम के अंतिम वक्तव्य में इस दिवस को अपनाने का संकल्प लिया गया।
  • इसे आधिकारिक रूप से 2010 में मान्यता दी गई थी, परन्तु संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहली बार विश्व एनजीओ दिवस 2014 में मनाया गया।
  • इस दिन के आयोजन का श्रेय ब्रिटेन के सामाजिक उद्यमी मार्सिस लायर्स स्काडमैनिस को जाता है, जिन्होंने 2014 में इसका उद्घाटन किया।
  • यह दिवस गैर-सरकारी संगठनों के अद्वितीय योगदान को मान्यता देने, जागरूकता फैलाने और सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों में सामाजिक कार्यकर्ताओं के संघर्षों का सम्मान करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

विश्व एनजीओ दिवस 2025 की थीम

विश्व एनजीओ दिवस 2025 की आधिकारिक थीम “स्थायी भविष्य के लिए स्थानीय आंदोलनों को सशक्त बनाना” है। यह थीम स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की भूमिका को उजागर करती है, जो सतत विकास और सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

एनजीओ का महत्व:

  • एनजीओ दिवस का आयोजन एनजीओ द्वारा किए गए कार्यों और उनके योगदान का सम्मान करने के रूप में किया जाता है।
  • यह दिन लोगों को एनजीओ के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह एक ऐसा अवसर है, जो निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच बेहतर सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • एनजीओ सरकारी और जनता के बीच एक पुल का कार्य करता है, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव और विकास संभव हो पाता है।

एनजीओ का उद्देश्य:

  • एनजीओ (गैर सरकारी संगठन) केवल सरकारी नीतियों को लागू करने में ही सहायता नहीं करता, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान भी प्रदान करता है।
  • इन संगठनों का मुख्य उद्देश्य समाज के कल्याण के लिए काम करना होता है, और ये विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, मानवाधिकार, विकास और सामाजिक न्याय प्रदान करते हैं।
  • इनका उद्देश्य सरकारी सहायता से लोगों की समस्याओं का समाधान करना और उन्हें बेहतर जीवन प्रदान करना होता है।

भारत में एनजीओ की भूमिका

  • गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सरकारी कार्यक्रमों की कमियों को दूर करने का प्रयास करते हैं और उन वर्गों तक पहुँचते हैं, जो सरकारी परियोजनाओं से छूट जाते हैं। उदाहरण स्वरूप, कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों को सहायता प्रदान करना।
  • भारत में जब कोविड-19 संकट जारी था, तब गैर-लाभकारी संगठन ज़मीनी स्तर पर प्रभावी रूप से काम कर रहे थे और संवेदनशील वर्गों को राहत देने के लिए सरकार के प्रयासों को सहयोग दे रहे थे। इसके अतिरिक्त, वे कमजोर वर्गों के लिए टीकाकरण अभियान में भी सक्रिय रूप से शामिल थे।
  • ये संगठन विभिन्न मुद्दों पर कार्य करते हैं जैसे- गरीबी उन्मूलन, जल संरक्षण, पर्यावरण, महिला अधिकार, और शिक्षा। ये स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं।

अधिकार संबंधी भूमिका:

  • समाज में बदलाव लाने के लिए सामुदायिक स्तर पर कार्य करने वाले संगठन और स्वयं सहायता समूह बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
  • ऐसे संगठनों को विदेशी फंडिंग के साथ बड़ी एनजीओ और अनुसंधान एजेंसियों द्वारा समर्थित किया जाता है।

दबाव समूह के रूप में कार्य करना:

  • कुछ राजनीतिक एनजीओ जनता की राय जुटाने और सरकारी नीतियों पर प्रभाव डालने के लिए काम करते हैं।
  • ये संगठन लोकतंत्र में दबाव समूह के रूप में कार्य करते हैं, जो सार्वजनिक नीति को प्रभावित करने में सक्षम होते हैं।

सहभागी शासन में भूमिका:

  • एनजीओ नागरिक समाज की कई पहलों का हिस्सा रहे हैं, जिनसे पथप्रदर्शक कानूनों का निर्माण हुआ, जैसे- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009, वन अधिकार अधिनियम 2006, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)।
  • स्वच्छ भारत अभियान और सर्व शिक्षा अभियान जैसे अभियानों की सफलता में भी इन संगठनों का योगदान रहा है।

सामाजिक मध्यस्थ के रूप में कार्य करना:

  • समाज में वांछित परिवर्तन प्राप्त करने के लिए सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता होती है।
  • भारत में जहां लोग अंधविश्वास, आस्था और परंपराओं में बंधे हैं, वहां एनजीओ जागरूकता पैदा करते हैं और परिवर्तन लाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं।

NGO की चुनौतियाँ

विश्वसनीयता में कमी:

  • हाल के वर्षों में कई ऐसे संगठनों ने काम करने का दावा किया है जो गरीबों की मदद करने का वादा करते हैं, लेकिन ये अक्सर दानदाताओं से पैसे लेते हैं और मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त पाए जाते हैं।

पारदर्शिता की कमी:

  • भारत में एनजीओ की संख्या बहुत अधिक है और पारदर्शिता की कमी एक महत्वपूर्ण समस्या है।
  • कई संगठनों को भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ता है और कुछ को काली सूची में डाल दिया जाता है।

धन की कमी:

  • कई एनजीओ के पास अपने कार्यों के लिए पर्याप्त और निरंतर वित्तीय संसाधन नहीं होते। धन प्राप्त करने के लिए उपयुक्त दाताओं तक पहुंच प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती है।

सामरिक योजना का अभाव:

  • कई एनजीओ में समेकित, रणनीतिक योजना की कमी होती है, जिससे वे प्रभावी तरीके से धन जुटाने और पूंजीकरण करने में असमर्थ होते हैं।

खराब शासन और नेटवर्किंग:

  • कई एनजीओ के पास यह समझ नहीं होती कि उन्हें एक बोर्ड की आवश्यकता क्यों है और इसे कैसे स्थापित किया जाए।
  • अव्यवस्थित नेटवर्किंग, समय की कमी और विरोधी रणनीतियाँ इनके काम को प्रभावित करती हैं।

सीमित क्षमता:

  • एनजीओ अक्सर अपने मिशन को पूरा करने के लिए आवश्यक तकनीकी और संगठनात्मक क्षमता की कमी का सामना करते हैं।
  • इनमें से कुछ एनजीओ क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण में निवेश करने के लिए सक्षम नहीं होते।

विकास हेतु दृष्टिकोण:

  • कई एनजीओ स्थानीय स्तर पर लोगों को सशक्त बनाने के बजाय बुनियादी ढांचे के निर्माण और सेवाएं प्रदान करने के माध्यम से विकास की ‘हार्डवेयर दृष्टिकोण’ का समर्थन करते हैं।

आगे की राह:

  • भारत 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के प्रति प्रतिबद्ध है, और इसके लिए एक दीर्घकालिक रणनीति जरूरी है।
  • यह जरूरी है कि दीर्घकालिक रणनीतियों की सफलता न केवल छोटी और मध्यकालिक रणनीतियों पर निर्भर हो, बल्कि यह विभिन्न क्षेत्रों और सरकार के सहयोग और समन्वय पर आधारित हो।
  • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में निवेश एनजीओ को नए कौशल प्रदान करने में मदद कर सकता है और आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए संगठन के भीतर आवश्यक कौशल विकसित कर सकता है।
  • एनजीओ की भ्रष्ट गतिविधियों को विनियमित करना महत्वपूर्ण है, लेकिन विदेशी योगदान पर अत्यधिक विनियमन से उनकी कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है।

दुनिया भर में विश्व एनजीओ दिवस

प्रत्येक वर्ष, विश्व एनजीओ दिवस दुनिया भर में एनजीओ क्षेत्र के समर्थकों, अंतर्राष्ट्रीय और सरकारी नेताओं, बहुपक्षीय और द्विपक्षीय संगठनों, निजी क्षेत्रों, समुदायों, शिक्षकों, शिक्षार्थियों, और क्षेत्र के विशेषज्ञों को एकत्र करता है। यह दिवस न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से लेकर उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका तक मनाया जाता है। 2010 से 2018 के बीच, विश्व एनजीओ दिवस को 89 देशों और छह महाद्वीपों में मनाया गया था।

FAQs

1.

विश्व एनजीओ दिवस क्यों मनाया जाता है?

विश्व एनजीओ दिवस 27 फरवरी को मनाया जाता है, ताकि गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा किए गए कार्यों और उनके समाज में योगदान का उत्सव मनाया जा सके। इस दिन का उद्देश्य एनजीओ की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देना और उनके द्वारा समाज में किए गए सकारात्मक बदलावों को पहचानना है।

2.

विश्व एनजीओ दिवस कब मनाना शुरू हुआ?

विश्व एनजीओ दिवस की शुरुआत 2010 में हुई थी, जब बाल्टिक सागर एनजीओ फोरम ने इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दी। पहले बार यह 2014 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया गया था। इसके बाद से यह दिन वैश्विक स्तर पर मनाया जाने लगा।

3.

विश्व एनजीओ दिवस किसे समर्पित है?

यह दिन उन सभी गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और उनके कार्यकर्ताओं को समर्पित है, जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम करते हैं। इस दिन एनजीओ के योगदान को मान्यता दी जाती है और उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है।

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