लेखक

लेखक (Writer) उस व्यक्ति को कहते हैं जो किसी विचारोत्तेजक विषय पर लिखता है या जो कविताओं, कहानियों, उपन्यासों, कविताओं, नाटकों, और पटकथाओं आदि के रूप में रचनाएँ लिखता है।

एक प्रतिभाशाली लेखक कुशलतापूर्वक विचार प्रस्तुत करने या काल्पनिक कहानी बनाने के लिए, किसी एक साहित्यिक विधा का चुनाव करके साहित्य लिखते हैं, और उस भाषा का चुनाव करते हैं जो उनके लेखन कार्य में सहज हो। लेखकों के लेख समाज के सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

लेखक कई अकादमिक, काल्पनिक कहानियों पर लेख बना सकते हैं। लेखक कई विचारों का उपयोग करते हैं – उदाहरण के लिए, विचारों के संचलन को बढ़ाने के लिए ग्राफिक्स या चित्र का प्रयोग। लेखक अपने लेखन को बढ़ाने के लिए फ़ोटो (चित्र, ग्राफिक्स) या मल्टीमीडिया का उपयोग कर सकते हैं। लेखक संगीत और उनके शब्दों के माध्यम से विचारों को संप्रेषित करने में सक्षम होते हैं।

कई लेखक पेशेवर रूप से काम करते हैं, यानी धन अर्जित करने के लिए, या फिर उनको धन उनके काम के प्रकाशित होने के बाद दिया जा सकता है। उन्हें उनके काम के लिए भुगतान किया जाता है।

प्रकार

मुख्य रूप से लेखक दो ही प्रकार के होते हैं-

  1. गद्य लेखक
  2. पद्य लेखक

गद्य लेखक

सामान्यत: मनुष्य की बोलने या लिखने पढ़ने की छंदरहित साधारण व्यवहार की भाषा को गद्य (prose) कहा जाता है। जैसे- निबंध, कहानी, उपन्यास, नाटक, पटकथा आदि, और इनके लेखक को गद्य लेखक कहते हैं।

पद्य लेखक

पद्य (काव्य, कविता), साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। कविता (पद्य) का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है। काव्य, कविता आदि को लिखने वाले लेखक को पद्य लेखक (कवि) कहते हैं।

प्रमुख लेखक

# लेखक सामान्य परिचय प्रमुख रचनाएँ
1. सूरदास सूरदास हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि थे। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। सूरदास जन्म से अंधे थे या नहीं, इस संबंध में विद्वानों में मतभेद है। सूरसागर, सूर सारावली, साहित्य लहरी, सूर पचीसी
2. तुलसीदास गोस्वामी तुलसीदास (1511 – 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे। रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। रामचरितमानस, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, दोहावली, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, हनुमा बाहुक
3. मलिक मुहम्मद जायसी मलिक मुहम्मद जायसी (१४७७-१५४२) हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि थे। वे अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। जायसी मलिक वंश के थे। पद्मावत, कन्हावत, आखिरी सलाम
4. मैथिली शरण गुप्त राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में ‘दद्दा’ नाम से सम्बोधित किया जाता था। साकेत, जयद्रथवध, भारत-भारती, यशोधरा
5. हरिवंशराय बच्चन हरिवंश राय बच्चन (27 नवम्बर 1907 – 18 जनवरी 2003) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। वे हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। निशा निमंत्रण, मधुशाला, मधुबाला
6. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ‘ (23 सितम्‍बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। उर्वशी, रश्मिरथी, हुँकार,कुरुक्षेत्र
7. महादेवी वर्मा महादेवी वर्मा (२६ मार्च 1907 — 11 सितम्बर 1987) हिन्दी भाषा की कवयित्री थीं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। यामा, नीहार, नीरजा,रश्मि
8. सुमित्रानंदन पन्त सुमित्रानंदन पंत (२० मई १९०० – २८ दिसम्बर १९७७) हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है। उनका जन्म कौसानी बागेश्वर में हुआ था। ग्राम्या, चिदम्बरा, गुंजन
9. सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (२१ फरवरी, १८९९ – १५ अक्टूबर, १९६१) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है। अलका, अनामिका, तुलसीदास, राग-विराग
10. जयशंकर प्रसाद जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 – १५ नवंबर १९३७), हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। कामायनी, आँसू, लहर, झरना
11. सुभद्राकुमारी चौहान सुभद्रा कुमारी चौहान (१६ अगस्त १९०४-१५ फरवरी १९४८) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। झाँसी की रानी (कविता) उनकी प्रसिद्ध कविता है। वे राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं। त्रिधारा, मुकुल, झाँसी की रानी
12. सोहनलाल द्विवेदी सोहन लाल द्विवेदी (22 फरवरी 1906 – 1 मार्च 1988) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। ऊर्जा और चेतना से भरपूर रचनाओं के इस रचयिता को राष्ट्रकवि की उपाधि से अलंकृत किया गया। महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावित, द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं। 1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया था। मुक्तिगंधा, कुणाल, युगधारा, दूध बतासा
13. माखनलाल चतुर्वेदी माखनलाल चतुर्वेदी (4 अप्रैल 1889-30 जनवरी 1968) भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंदी रचनाकार थे। बन्दी और कोकिला, पुष्प की अभिलाषा, हिमतरंगिणी
14. दलपति विजय दलपति विजय भारतीय कवि था, जिसे खुमान रासो का रचयिता माना गया है। जिसमें श्रीरामचंद्र से लेकर खुमान तक के युद्धों का वर्णन था। खुमानरासो
15. नरपति नाल्ह नरपति नाल्ह राजस्थान के प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। वे पुरानी पश्चिमी राजस्थानी भाषा की सुप्रसिद्ध रचना ‘ बीसलदेव रासो ‘ के रचयिता कवि थे। अपनी रचना ‘बीसलदेव रासो’ में नरपति नाल्ह ने स्वयं को कहीं पर ‘नरपति’ लिखा है तो कहीं ‘नाल्ह’। वीसलदेव रासो
16. जगनिक जगनिक महोबा के चन्देल राजा परमार्दिदेव (परमाल ११६५-१२०३ई.) के समकालीन जिझौतिया नायक परिवार में जन्मे कवि थे इनका पूरा नाम जगनिक नायक था। इन्होने परमाल के सामंत और सहायक महोबा के आल्हा-ऊदल को नायक मानकर आल्हखण्ड नामक ग्रंथ की रचना की जिसे लोक में ‘आल्हा’ नाम से प्रसिध्दि मिली। परमालरासो
17. सारंगधर इनका परिचय ज्ञात नहीं है। हम्मीर रासो नामक रचना की कोई मूल प्रति नहीं मिलती है। यह रचना महेश कवि कृत हम्मीर रासो के बाद की है। ‘प्राकृत पैगलम’ में इसके कुछ छन्द उदाहरण के रुप में दिए गये है। हम्मीर रासो
18. चंदबरदाई चंदबरदाई (जन्म: संवत 1205 तदनुसार 1148 ई० लाहौर वर्तमान पाकिस्तान में – मृत्यु: संवत 1249 तदनुसार 1192 ई० गज़नी) हिन्दी साहित्य के आदिकालीन कवि तथा पृथ्वीराज चौहान के मित्र थे। उन्होने पृथ्वीराज रासो नामक प्रसिद्ध हिन्दी ग्रन्थ की रचना की। प्रथ्वीराज रासो
19. तुलसीदास गोस्वामी तुलसीदास (1511 – 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे। रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। रामचरितमानस, विनय पत्रिका , कवितावली , दोहावली , जानकी मंगल
20. कबीरदास कबीरदास या कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में परमेश्वर की भक्ति के लिए एक महान प्रवर्तक के रूप में उभरे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया।  रमैनी, सबद, साखी
21. सूरदास सूरदास हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि थे। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। सूरदास जन्म से अंधे थे या नहीं, इस संबंध में विद्वानों में मतभेद है। सूरसागर ,साहित्य लहरी ,सूर सारावली
22. जायसी मलिक मुहम्मद जायसी (१४७७-१५४२) हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि थे। वे अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। जायसी मलिक वंश के थे। मिस्र में सेनापति या प्रधानमंत्री को मलिक कहते थे। पद्मावत ,अखरावट ,आखिरी कलाम
23. बिहारी बिहारीलाल का जन्म (1538) संवत् 1595 ग्वालियर में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे (चतुर्वेदी) थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। जब बिहारी 8 वर्ष के थे तब इनके पिता इन्हे ओरछा ले आये तथा उनका बचपन बुंदेलखंड में बीता। इनके गुरु नरहरिदास थे और युवावस्था ससुराल मथुरा में व्यतीत हुई। बिहारी सतसई
24. देव देव (जन्म- सन् 1673, इटावा – मृत्यु- सन् 1768) रीतिकालीन कवि थे। देव इटावा के रहने वाले सनाढय ब्राह्मण एवं मुग़ल कालीन कवि थे। कुछ लोगों ने इन्हें कान्यकुब्ज सिद्ध करने का भी प्रयत्न किया है। इनका पूरा नाम देवदत्ता था। अष्टयाम ,भाव विलास ,रस विलास
25. पद्माकर रीति काल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे। मूलतः हिन्दीभाषी न होते हुए भी पद्माकर जैसे आन्ध्र के अनगिनत तैलंग-ब्राह्मणों ने हिन्दी और संस्कृत साहित्य की श्रीवृद्धि में जितना योगदान दिया है वैसा उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है। पद्मभारण ,हितोपदेश,राम रसायन ,जगत विनोद
26. मतिराम मतिराम, हिंदी के प्रसिद्ध ब्रजभाषा कवि थे। इनके द्वारा रचित “रसराज” और “ललित ललाम” नामक दो ग्रंथ हैं; परंतु इधर कुछ अधिक खोजबीन के उपरांत मतिराम के नाम से मिलने वाले आठ ग्रंथ प्राप्त हुए हैं। ललितललाम ,चंद्र्सार ,रसराज ,साहित्यकार
27. चिंतामणि त्रिपाठी चिंतामणि त्रिपाठी रीति काल के कवि थे। ये तिकवांपुर, ज़िला कानपुर के रहने वाले थे। चिंतामणि का जन्मकाल संवत 1666 के लगभग और कविता काल संवत 1700 के आस-पास का लगता है। इनका कविकुल ,कल्पतरु ,काव्य विवेक
28. भूषण महाकवि भूषण (१६१३ – १७१५) रीतिकाल के तीन प्रमुख हिन्दी कवियों में से एक हैं, अन्य दो कवि हैं बिहारी तथा शृंगार रस में रचना कर रहे थे, वीर रस में प्रमुखता से रचना कर भूषण ने अपने को सबसे अलग साबित किया। ‘भूषण’ की उपाधि उन्हें चित्रकूट के राजा रूद्रसाह के पुत्र हृदयराम ने प्रदान की थी। शिवावावनी, शिवराजभूषण , छत्रशाल दशक
29. केशवदास केशव या केशवदास (जन्म (अनुमानत:) 1555 विक्रमी और मृत्यु (अनुमानत:) 1618 विक्रमी) हिन्दी साहित्य के रीतिकाल की कवि-त्रयी के एक प्रमुख स्तंभ हैं। वे संस्कृत काव्यशास्त्र का सम्यक् परिचय कराने वाले हिंदी के प्राचीन आचार्य और कवि हैं। रामचंद्रिका , कविप्रिया , रसिकप्रिया , विज्ञानगीता
30. रहीम रहीम का पूरा नाम अब्दुलरहीम खानखाना था। उनका जन्म सन् 1556 ई. के लगभग लाहौर नगर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। ये अकबर के संरक्षक बैरमखाँ के पुत्र थे। अकबर ने बैरमखाँ को हज पर भेज दिया। मार्ग में उनके शत्रु ने उनका वध कर दिया। रहीम सतसई ,रहीम रत्नावली ,श्रृंगार सतसई ,रास पंचाध्यायी ,बरवे नायिका
31. मीराबाई मीराबाई (1498-1546) सोलहवीं शताब्दी की एक कृष्ण भक्त और कवयित्री थीं। मीरा बाई ने कृष्ण भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है। संत रैदास या रविदास उनके गुरु थे। रागगोविन्द ,गीतगोविन्द ,नरसीजी का मेहरा, राग सोरठ के पद
32. घनानंद घनानंद (१६७३- १७६०) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं। ये ‘आनंदघन’ नाम स भी प्रसिद्ध हैं। सुजान सागर ,प्रेम पत्रिका ,प्रेम सरोवर ,वियोग बोलि ,इश्कता
33. भारतेन्दु हरिश्चंद भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम ‘हरिश्चन्द्र’ था, ‘भारतेन्दु’ उनकी उपाधि थी। प्रेमफुलवारी ,प्रेम प्रलाप ,श्रृंगार लहरी
34. रामनरेश त्रिपाठी रामनरेश त्रिपाठी (4 मार्च, 1889 – 16 जनवरी, 1962) हिन्दी भाषा के ‘पूर्व छायावाद युग’ के कवि थे। कविता, कहानी, उपन्यास, जीवनी, संस्मरण, बाल साहित्य सभी पर उन्होंने कलम चलाई। अपने 72 वर्ष के जीवन काल में उन्होंने लगभग सौ पुस्तकें लिखीं। पथिक ,मिलन ,स्वपन ,मानसी ,ग्राम्य गीत
35. श्रीधर पाठक श्रीधर पाठक (११ जनवरी १८५८ – १३ सितंबर १९२८) प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाजसुधार की भावनाओ के हिन्दी कवि थे। वे प्रकृतिप्रेमी, सरल, उदार, नम्र, सहृदय, स्वच्छंद तथा विनोदी थे। वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के पाँचवें अधिवेशन (1915, लखनऊ) के सभापति हुए और ‘कविभूषण’ की उपाधि से विभूषित भी। कश्मीर सुषमा ,भारत गीत ,हेमंत ,मनोविनोद ,स्वर्गीय ,वीणा
36. अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔधजी अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ (15 अप्रैल, 1865-16 मार्च, 1947) हिन्दी के कवि, निबन्धकार तथा सम्पादक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में कार्य किया। वे सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किये गए थे। उन्होंने प्रिय प्रवास नामक खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य लिखा जिसे मंगलाप्रसाद पारितोषिक से सम्मानित किया गया था। प्रियप्रवास ,वैदेही वनवास ,चोखे चौपदे ,रस कलश
37. मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में ‘दद्दा’ नाम से सम्बोधित किया जाता था। साकेत ,यशोधरा ,भारत भारती ,सिद्धराज ,द्वापर ,पंचवटी
38. जयशंकर प्रसाद जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 – १५ नवंबर १९३७), हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना की। कामायनी ,झरना ,आँसू, लहर ,कामना ,कल्याणी ,स्कंदगुप्त,विशाख ,आकशदीप
39. भवानीप्रसाद मिश्र भवानी प्रसाद मिश्र (जन्म: २९ मार्च १९१४ – मृत्यु: २० फ़रवरी १९८५) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे। वे ‘दूसरा सप्तक’ के प्रथम कवि हैं। गांंधी-दर्शन का प्रभाव तथा उसकी झलक उनकी कविताओं में स्पष्ट देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह ‘गीत-फ़रोश’ अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के कारण अत्यन्त लोकप्रिय हुआ। प्यार से लोग उन्हें भवानी भाई कहकर सम्बोधित किया करते थे। गीत परोश ,खुशबु के शिलालेख
40. बालकृष्ण शर्मा नवीन बालकृष्ण शर्मा नवीन (१८९७ – १९६० ई०) हिन्दी कवि थे। वे परम्परा और समकालीनता के कवि हैं। उनकी कविता में स्वच्छन्दतावादी धारा के प्रतिनिधि स्वर के साथ-साथ राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना, गांधी दर्शन और संवेदनाओं की झंकृतियां समान ऊर्जा और उठान के साथ सुनी जा सकती हैं। उर्मिला ,महाप्राण ,अपलक ,रश्मि रेखा ,कवासी
41. अज्ञेय सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (7 मार्च, 1911 – 4 अप्रैल, 1987) को कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य को एक महत्त्वपूर्ण मोड़ देने वाले कथाकार, ललित-निबन्धकार, सम्पादक और अध्यापक के रूप में जाना जाता है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर प्रदेश के कसया, पुरातत्व-खुदाई शिविर में हुआ। आगन के पार द्वार , हरी घास पर क्षण भर , बावरा अहेरी ,त्रिशंकु ,अरे यायावर रहेगा याद ,एक बूँद सहसा उछली ,चिंता ,पूर्वा
42. रामकुमार वर्मा डॉ राम कुमार वर्मा (15 सितम्बर, 1905 – 1990) हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता है। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६३ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इनके काव्य में ‘रहस्यवाद’ और ‘छायावाद’ की झलक है। संकेत ,एकलव्य ,उत्तरायण ,निशीथ ,आकाश गंगा ,चित्तौड़ की चिता
43. धर्मवीर भारती धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। अँधा युग,कनुप्रिया ,गुनाहों का देवता ,सूरज का सातवां घोड़ा, ठंडा लोहा
44. गजानन माधव मुक्तिबोध गजानन माधव मुक्तिबोध (१३ नवंबर १९१७ – ११ सितंबर १९६४) हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, निबंधकार, कहानीकार तथा उपन्यासकार थे। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है।  चाँद का मुँह टेढ़ा है,भूरीभूरी खाक धूल,नये साहित्य का सौंदर्यशास्त्र,विपात्र,एक साहित्यिक की डायरी,काठ का सपना
45. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (15 सितंबर 1927 – २३ सितंबर 1983 नई दिल्ली) हिन्दी कवि एवं साहित्यकार थे। जब उन्होंने दिनमान का कार्यभार संभाला तब समकालीन पत्रकारिता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को समझा और सामाजिक चेतना जगाने में अपना अनुकरणीय योगदान दिया। काठ की घंटियां ,बांस का पुल,एक सूनी नाव , गर्म हवाएं, कुआनो नदी,जंगल का दर्द , खूंटियों पर टंगे लोग ,क्या कह कर पुकारूं ,पागल कुत्तों का मसीहा (लघु उपन्यास) ,सोया हुआ जल (लघु उपन्यास)
46. केदारनाथ सिंह केदारनाथ सिंह (०७ जुलाई १९३४ – १९ मार्च २०१८), हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार थे। वे अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि रहे। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष २०१३ का ४९वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था।वे यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के १०वें लेखक थे। अभी बिल्कुल अभी ,जमीन पक रही है,यहाँ से देखो,बाघ,अकाल में सारस,उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ,तालस्ताय और साइकिल,सृष्टि पर पहरा
47. कुँवर नारायण कुँवर नारायण (१९ सितम्बर १९२७—१५ नवम्बर २०१७) एक हिन्दी साहित्यकार थे। नई कविता आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर कुँवर नारायण अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (१९५९) के प्रमुख कवियों में रहे हैं। 2009 में उन्हें वर्ष 2005 के लिए भारत के साहित्य जगत के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।  चक्रव्यूह,अपने सामने ,कोई दूसरा नहीं ,आत्मजयी ,इन दिनों
48. उदय प्रकाश उदय प्रकाश (जन्म : १ जनवरी १९५२) चर्चित कवि, कथाकार, पत्रकार और फिल्मकार हैं। आपकी कुछ कृतियों के अंग्रेज़ी, जर्मन, जापानी एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद भी उपलब्ध हैं। लगभग समस्त भारतीय भाषाओं में रचनाएं अनूदित हैं। सुनो कारीगर,अबूतर कबूतर,रात में हारमोनियम,एक भाषा हुआ करती है,कवि ने कहा,दरियायी घोड़ा,तिरिछ,दत्तात्रेय के दुख ,पॉलगोमरा का स्कूटर, अरेबा परेबा