विश्व दलहन दिवस 2025: परिचय
विश्व दलहन दिवस (World Pulses Day) हर साल 10 फरवरी को मनाया जाता है। यह दिन दलहन की महत्ता को उजागर करने और उनके पोषण, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभों को पहचानने के लिए समर्पित है। 2025 में इस दिवस की थीम “पोषण और सतत विकास के लिए दलहन” होगी। यह थीम दलहन के बहुआयामी महत्व को दर्शाती है।
दलहन क्या हैं?
दलहन वे फसलें हैं जिनके बीज फली के अंदर होते हैं। इनमें चना, मूंग, मसूर, अरहर, उड़द, राजमा, लोबिया, और मटर जैसी फसलें शामिल हैं। ये फसलें पोषण से भरपूर होती हैं और विश्व के कई हिस्सों में मुख्य आहार का हिस्सा हैं। इन्हें आमतौर पर दालें कहा जाता है। और इस दिसव को विश्व दाल दिवस भी कह दिया जाता है।
विश्व दलहन दिवस का इतिहास
विश्व दलहन दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा घोषित एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जिसे हर साल 10 फरवरी को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दलहनों के महत्व को उजागर करना और इनके उत्पादन व उपभोग को प्रोत्साहित करना है। विश्व दलहन दिवस से संबंधित ऐतिहासिक घटनाक्रम निम्न है:
1. दलहन के महत्व को पहचानने की शुरुआत
दलहनों को दुनिया भर में उनके पोषण मूल्य और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने की क्षमता के कारण महत्वपूर्ण माना गया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने दलहनों के महत्व को पहचानते हुए वर्ष 2016 को “अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष” (International Year of Pulses) घोषित किया। इस घोषणा ने दलहनों के प्रति वैश्विक जागरूकता को बढ़ावा देने में एक बड़ी भूमिका निभाई।
2. अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष 2016
वर्ष 2016 में “अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष” के रूप में मनाने के दौरान, दुनिया भर में कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस वर्ष का उद्देश्य था:
- दलहनों के पोषण संबंधी लाभों के प्रति जागरूकता फैलाना।
- टिकाऊ कृषि के लिए दलहनों के योगदान को रेखांकित करना।
- खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता में दलहनों की भूमिका को प्रोत्साहित करना।
इस वर्ष की सफलता ने संयुक्त राष्ट्र को यह सोचने के लिए प्रेरित किया कि दलहनों की भूमिका को हर साल वैश्विक स्तर पर पहचानने और इसे मनाने के लिए एक विशेष दिवस घोषित किया जाए।
3. विश्व दलहन दिवस की घोषणा
वर्ष 2018 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने औपचारिक रूप से 10 फरवरी को “विश्व दलहन दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की। यह घोषणा खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के नेतृत्व में की गई, जिसने दलहनों को टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण माना।
संयुक्त राष्ट्र ने यह भी माना कि दलहन न केवल पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन को कम करने और गरीबी उन्मूलन में भी सहायक हैं। यह दिवस किसानों, उपभोक्ताओं, वैज्ञानिकों, और नीति निर्माताओं के बीच दलहनों के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
4. विश्व दलहन दिवस के लक्ष्य
- दलहनों के पोषण और स्वास्थ्य लाभों को उजागर करना।
- सतत कृषि और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में दलहनों के महत्व को रेखांकित करना।
- खाद्य सुरक्षा और खाद्य विविधता को बढ़ावा देना।
- किसानों और उपभोक्ताओं को दलहन उत्पादन और खपत के लिए प्रेरित करना।
- गरीबी उन्मूलन और भूख मिटाने में दलहनों की भूमिका को प्रोत्साहित करना।
5. हाल के वर्षों में विश्व दलहन दिवस
पिछले कुछ वर्षों में, “विश्व दलहन दिवस” को कई थीम और जागरूकता अभियानों के साथ मनाया गया है। हर साल इस दिवस पर विभिन्न विषयों को चुना जाता है, जो दलहनों के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन थीम्स के माध्यम से दलहनों के उत्पादन, पोषण संबंधी लाभों और सतत विकास में उनकी भूमिका पर व्यापक जागरूकता फैलाई जाती है।
- वर्ष 2025 की थीम: “स्थायी भविष्य के लिए दलहन।”
- वर्ष 2024 की थीम: “जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ कृषि के समाधान के रूप में दलहन।”
- वर्ष 2023 की थीम: “पोषण सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए दलहनों का योगदान।”
दलहन (दालों) से लाभ
दलहन पोषण से भरपूर होते हैं और प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स तथा खनिजों का प्रमुख स्रोत हैं। ये कुपोषण और भूखमरी जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक हैं।
दलहन के पोषण लाभ
दलहन में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, और खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत हैं। इनके कुछ प्रमुख पोषण लाभ इस प्रकार हैं:
- प्रोटीन का समृद्ध स्रोत: दलहन में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है, जो मांसाहार का एक बेहतरीन विकल्प है।
- फाइबर की अधिकता: फाइबर पाचन को स्वस्थ रखता है और हृदय रोगों के खतरे को कम करता है।
- आयरन और जिंक: ये खनिज शरीर की ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
- ग्लूटेन-फ्री विकल्प: दलहन ग्लूटेन-संवेदनशील लोगों के लिए एक उपयुक्त विकल्प हैं।
दलहन के पर्यावरणीय लाभ
दलहन न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक होते हैं। उनके पर्यावरणीय लाभ इस प्रकार हैं:
- मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना: दलहन फसलें नाइट्रोजन को स्थिर करती हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है।
- कम जल उपयोग: दलहन की फसलों को अन्य फसलों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
- कार्बन फुटप्रिंट में कमी: दलहन की खेती ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में सहायक होती है।
दलहन और खाद्य सुरक्षा
दलहन फसलें खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे निम्नलिखित तरीकों से वैश्विक खाद्य सुरक्षा में योगदान देती हैं:
- कम लागत में पोषण: दलहन सस्ते होते हैं और पोषण से भरपूर होते हैं।
- भोजन की विविधता: दलहन विभिन्न प्रकार के भोजन बनाने में सहायक होते हैं, जिससे पोषण में सुधार होता है।
- भंडारण में आसानी: दलहन को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे खाद्य भंडारण में सुविधा होती है।
विश्व दलहन दिवस का महत्व
विश्व दलहन दिवस किसानों, उपभोक्ताओं, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं को एक मंच प्रदान करता है ताकि वे दलहनों की भूमिका को समझ सकें और इसे बढ़ावा दे सकें। यह दिवस विशेष रूप से कृषि, पोषण, और पर्यावरणीय स्थिरता के क्षेत्र में दलहनों के योगदान को रेखांकित करता है।
दलहन से पोषण महत्व:
- दलहन प्रोटीन और पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत हैं।
- शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का विकल्प।
दलहन से कृषि महत्व:
- भूमि की उर्वरता बनाए रखते हैं।
- जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायक।
दलहन से आर्थिक महत्व:
- किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हैं।
- निर्यात और व्यापार के अवसर प्रदान करते हैं।
विश्व दलहन दिवस मनाने के उद्देश्य
- जागरूकता बढ़ाना: दलहन के पोषण और पर्यावरणीय लाभों के प्रति जागरूकता फैलाना।
- नीतिगत समर्थन: सरकारों और संगठनों को दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना।
- खाद्य सुरक्षा में सुधार: दलहन को वैश्विक खाद्य सुरक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाना।
विश्व में प्रमुख दलहन उत्पादक देश
विश्व के प्रमुख दलहन उत्पादक देश और उनकी कुल दलहन उत्पादन क्षमता (मिलियन टन में):
क्रम संख्या | देश का नाम | दलहन उत्पादन (मिलियन टन) |
---|---|---|
1 | भारत | 27.0 |
2 | कनाडा | 9.0 |
3 | म्यांमार | 7.6 |
4 | चीन | 5.5 |
5 | नाइजीरिया | 4.3 |
6 | ब्राज़ील | 3.0 |
7 | ऑस्ट्रेलिया | 2.8 |
8 | संयुक्त राज्य अमेरिका | 2.5 |
9 | रूस | 2.2 |
10 | तंज़ानिया | 1.8 |
महत्वपूर्ण तथ्य:
- भारत दलहन उत्पादन में दुनिया में पहले स्थान पर है।
- कनाडा मुख्य रूप से मटर और मसूर के उत्पादन में अग्रणी है।
भारत में दालों की उत्पादन की स्थिति
भारत विश्व में सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और उपभोक्ता देश है। यहां की कृषि अर्थव्यवस्था में दलहन का विशेष स्थान है। प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। भारतीय दालों में चना, मूंग, मसूर, अरहर, उड़द, लोबिया आदि जैसे दलहन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारत सरकार ने दलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों को समर्थन देने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। निम्नलिखित प्रमुख योजनाएं और कार्यक्रम इस दिशा में कार्यरत हैं:
1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission – NFSM):
- लॉन्च वर्ष: 2007-08
- दलहनों के उत्पादन को बढ़ाना और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- आधुनिक कृषि तकनीकों और उन्नत बीजों के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
- उत्पादकता में सुधार के लिए किसानों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करना।
- विशेष ध्यान: दलहनों के उत्पादन में वृद्धि को प्राथमिकता देने के लिए NFSM के तहत दलहन घटक को विशेष महत्व दिया गया है।
2. दालों की आत्मनिर्भरता योजना (Pulses Self-Sufficiency Scheme)
- दलहनों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
- उच्च गुणवत्ता वाले दलहन बीज उपलब्ध कराना।
- जलवायु-लचीली कृषि पद्धतियों को अपनाना।
- इस योजना का लक्ष्य दलहनों के उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
3. त्वरित दाल उत्पादन कार्यक्रम (Accelerated Pulses Production Programme – A3P):
- लॉन्च वर्ष: 2010-11
- उत्पादकता में वृद्धि के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देना।
- बीज वितरण, फसल सुरक्षा और पोषक तत्व प्रबंधन में सहायता करना।
- प्रमुख दलहन उत्पादक क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाना।
यह कार्यक्रम किसानों को तकनीकी जानकारी देने और वैज्ञानिक खेती को प्रोत्साहित करने पर जोर देता है।
4. मिनीकिट वितरण योजना (Minikit Distribution Scheme):
- किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का वितरण।
- दलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए छोटे और सीमांत किसानों को बीज सहायता प्रदान करना।
यह योजना उन्नत बीजों के उपयोग को बढ़ावा देकर उत्पादन में सुधार लाने पर केंद्रित है।
5. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana – PMKSY):
- “हर खेत को पानी” के उद्देश्य से जल प्रबंधन को बढ़ावा देना।
- जल की उपलब्धता में सुधार करके दलहन उत्पादन को बढ़ावा देना।
यह योजना जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करके दलहन उत्पादन को सुधारने में मदद करती है।
6. मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme – PSS):
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर दलहन की खरीद सुनिश्चित करना।
- किसानों को बाजार मूल्य में गिरावट से सुरक्षा प्रदान करना।
यह योजना किसानों को उचित मूल्य प्रदान करने में मदद करती है, जिससे उन्हें दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरणा मिलती है।
7. किसान क्रेडिट कार्ड योजना (Kisan Credit Card Scheme):
- किसानों को सस्ती दरों पर ऋण प्रदान करना।
- कृषि कार्यों के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराना।
यह योजना दलहन उत्पादकों को कृषि लागतों को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
8. दलहन एवं तिलहन विकास कार्यक्रम (Pulses and Oilseeds Development Programme – PODP):
- दलहन और तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देना।
- उन्नत किस्मों के बीजों का वितरण और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाना।
यह कार्यक्रम उत्पादन में सुधार और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।
9. एकीकृत स्कीम फॉर ऑयलसीड्स, पल्सेज, पाम ऑयल एंड मक्का (ISOPOM):
- दलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- फसल प्रबंधन, उन्नत बीजों का वितरण और कृषि उपकरणों के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
10. राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM):
- किसानों को दलहनों की बिक्री के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करना।
- उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बाजार उपलब्ध कराना।
e-NAM ने किसानों को दलहन की सीधी बिक्री के माध्यम से बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद की है।
11. दलहन विकास कार्यक्रम (PDP):
दलहन विकास कार्यक्रम (PDP) का उद्देश्य दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना और किसानों की आय बढ़ाना है।
- यह कार्यक्रम उच्च गुणवत्ता वाले बीज वितरण, कृषि उपकरणों की आपूर्ति और प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करता है।
- दलहनों के क्षेत्र और उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- सिंचाई प्रबंधन और आधुनिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने पर बल दिया जाता है।
12. प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA):
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) को 2018 में शुरू किया गया था। यह किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ दिलाने और उनकी आय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था। इस योजना में तीन उप-योजनाएँ शामिल हैं:
- प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS): सरकारी एजेंसियाँ दलहनों को MSP पर खरीदती हैं।
- प्राइस डिफिशिएंसी पेमेंट स्कीम (PDPS): बाजार मूल्य MSP से कम होने पर किसानों को अंतर की राशि का भुगतान किया जाता है।
- पायलट ऑफ प्राइवेट प्रोक्योरमेंट एंड स्टॉकिस्ट स्कीम (PPSS): निजी एजेंसियों के माध्यम से खरीद का विकल्प भी उपलब्ध है।
दलहन उत्पादन में चुनौतियां
- जलवायु परिवर्तन और सूखा: जलवायु परिवर्तन और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से दलहन उत्पादन प्रभावित होता है।
- कीट और रोग: दलहन फसलों पर कीट और रोगों का प्रकोप अधिक होता है।
- उन्नत बीजों की कमी: किसानों के पास उन्नत और गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता कम है।
- सिंचाई की समस्याएँ: सिंचाई के लिए जल संसाधनों की कमी और उचित प्रबंधन न होने से दलहन उत्पादन प्रभावित होता है।
- योजनाओं की जानकारी का अभाव: कई किसानों को सरकारी योजनाओं और सुविधाओं की जानकारी नहीं मिलती है।
- भंडारण सुविधाओं की कमी: दलहन के लिए पर्याप्त और आधुनिक भंडारण सुविधाओं का अभाव है।
किसानों की समस्याएं
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की समस्या: किसानों को MSP पर फसल बेचने के सीमित अवसर मिलते हैं। बिचौलियों के कारण सही दाम नहीं मिल पाता।
- फसल बीमा की कम पहुँच: फसल बीमा योजनाओं का लाभ सीमित किसानों तक ही पहुँच पाता है।
- उर्वरकों की महंगाई: उर्वरकों की बढ़ती कीमतें किसानों के लिए वित्तीय बोझ बनती जा रही हैं।
- प्रसंस्करण सुविधाओं का अभाव: मूल्यवर्धन और प्रसंस्करण की सुविधाओं के अभाव के कारण किसानों को फसल का सही मूल्य नहीं मिलता।
- बाजार व्यवस्था की जटिलता: दलहन बेचने के लिए बाजार व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
समाधान और सुझाव
- जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन: योजनाओं के क्रियान्वयन को मजबूत करने के लिए निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी।
- MSP की गारंटी: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी किसानों को MSP पर अपनी फसल बेचने का मौका मिले।
- भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाओं का विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक भंडारण और प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित की जानी चाहिए।
- जल प्रबंधन में सुधार: जलवायु-लचीली कृषि पद्धतियों और सिंचाई योजनाओं को प्राथमिकता देनी होगी।
- उन्नत बीजों की समय पर उपलब्धता: किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज समय पर उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
- आसान ऋण प्रक्रिया: ऋण प्रक्रियाओं को सरल और सुलभ बनाया जाना चाहिए।
- प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
कैसे मनाएं विश्व दलहन दिवस?
- जागरूकता अभियान: स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में दलहन के महत्व पर जागरूकता फैलाना।
- विशेष भोजन तैयार करना: दलहन आधारित व्यंजनों को बढ़ावा देना।
- किसान मेले: किसानों के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करना।
निष्कर्ष
विश्व दलहन दिवस 2025 का उद्देश्य दलहन के महत्व को समझना और उनके उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देना है। यह दिन हमें पोषण, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक स्थिरता के लिए दलहन के योगदान को पहचानने का अवसर देता है। दलहन को अपने दैनिक आहार में शामिल करके हम एक स्वस्थ और सतत जीवन शैली की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।