महिला जननांग विकृति (Female Genital Mutilation, FGM) एक ऐसी प्रथा है, जो महिलाओं और लड़कियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है। यह प्रथा प्राचीन समय से कई समाजों में एक सांस्कृतिक परंपरा के रूप में चली आ रही है, लेकिन यह आज भी कुछ देशों में जारी है। इस अत्याचारी और अमानवीय प्रथा के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलाने और इसे समाप्त करने के लिए महिला जननांग विकृति के प्रति शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 6 फरवरी को मनाया जाता है।
यह दिन इस बर्बर प्रथा के खिलाफ संघर्ष करने, इसके खतरों के बारे में समाज को जागरूक करने, और इससे प्रभावित महिलाओं और लड़कियों को समर्थन प्रदान करने के लिए समर्पित है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और संगठन इस दिन को एक महत्वपूर्ण अवसर मानते हैं, जिससे एफजीएम के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकजुटता और समर्थन को बढ़ावा मिल सके।
महिला जननांग विकृति क्या है?
महिला जननांग विकृति (FGM) एक ऐसी प्रथा है जिसमें महिला के जननांगों को जानबूझकर, बिना किसी चिकित्सा कारण के, आंशिक या पूर्ण रूप से हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया अक्सर शारीरिक रूप से अत्यंत दर्दनाक होती है और इसे बिना एनेस्थीसिया के, अनहाइजेनिक परिस्थितियों में, और असंवेदनशील तरीके से किया जाता है। एफजीएम की प्रक्रिया के दौरान महिलाओं और लड़कियों के जननांगों की संरचना को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर परिणाम ला सकती है।
महिला जननांग विकृति के प्रकार
महिला जननांग विकृति के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चार प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:
- क्लिटोरिडेक्टॉमी: इसमें महिलाओं के क्लिटोरिस का आंशिक या पूर्ण रूप से उन्मूलन किया जाता है।
- एक्साइज्न: इसमें क्लिटोरिस और जननांगों के बाहरी हिस्से (लैबिया माइनोरा) को काट दिया जाता है।
- इंफिबुलेशन: इसमें जननांगों के बाहरी हिस्सों को संकुचित कर दिया जाता है, जिससे योनि के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया जाता है, और उसे फिर से खोलने के लिए एक छोटी सी छेद बनाई जाती है।
- अन्य हानिकारक प्रक्रियाएँ: इसमें कोई भी अन्य शारीरिक प्रक्रिया आती है, जैसे जननांगों को छेदा या खरोंचा जाना, जलाने या उत्तेजक पदार्थों का उपयोग किया जाना।
महिला जननांग विकृति के प्रभाव
महिला जननांग विकृति के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं। इसमें शामिल कुछ प्रमुख प्रभाव हैं:
- शारीरिक नुकसान: एफजीएम से महिलाओं और लड़कियों में संक्रमण, रक्तस्राव, पेशाब की समस्याएं, यौन संबंधों में दर्द और प्रसव के दौरान जटिलताएं हो सकती हैं। यह महिलाओं के जननांगों की संरचना को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाता है।
- मानसिक स्वास्थ्य पर असर: एफजीएम से पीड़ित महिलाओं को अक्सर मानसिक तनाव, अवसाद, और अन्य मानसिक विकारों का सामना करना पड़ता है। यह प्रथा मानसिक हिंसा का रूप भी ले सकती है।
- प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रभाव: एफजीएम से महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह गर्भधारण में समस्या पैदा कर सकता है और प्रसव के दौरान गंभीर जटिलताएं उत्पन्न कर सकता है।
- लिंग समानता और अधिकारों का उल्लंघन: एफजीएम एक महिला के शरीर पर उसके अधिकारों का उल्लंघन करने के समान है। यह प्रथा महिलाओं को उनके शारीरिक अधिकारों से वंचित करती है और उन्हें शारीरिक रूप से कमजोर बनाती है।
महिला जननांग विकृति के खिलाफ शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
महिला जननांग विकृति के प्रति शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस इस प्रथा के खिलाफ वैश्विक जागरूकता बढ़ाने और इसे समाप्त करने के लिए एक प्रमुख मंच प्रदान करता है। 6 फरवरी को मनाए जाने वाले इस दिवस का उद्देश्य एफजीएम के खतरे को उजागर करना, इससे प्रभावित महिलाओं और लड़कियों के लिए समर्थन जुटाना और उन समाजों में इस प्रथा को समाप्त करने के लिए कदम उठाना है, जहां यह प्रथा अभी भी प्रचलित है।
इस दिवस का उद्देश्य:
- जागरूकता फैलाना: इस दिवस का मुख्य उद्देश्य एफजीएम के बारे में लोगों को जागरूक करना है। इसके बारे में जानकारी न होने के कारण बहुत सी महिलाएं और लड़कियां इससे अनजान रहती हैं, जिससे वे इसके खतरों से बच नहीं पातीं।
- शून्य सहनशीलता की ओर बढ़ना: यह दिवस शून्य सहनशीलता के सिद्धांत को बढ़ावा देता है, जिसका मतलब है कि इस तरह की अमानवीय प्रथा को किसी भी समाज में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
- कानूनी समर्थन: इस दिन के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि एफजीएम के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि इसे रोकने में मदद मिल सके।
- समाज में बदलाव: इस दिवस का उद्देश्य समाज के अंदर बदलाव लाना है, ताकि यह प्रथा समाप्त हो सके और महिलाओं को उनके अधिकार मिल सकें।
महिला जननांग विकृति के खिलाफ वैश्विक प्रयास
महिला जननांग विकृति के खिलाफ कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन और सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे प्रमुख संस्थान एफजीएम के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। इसके अलावा, कई राष्ट्रीय सरकारें और गैर-सरकारी संगठन भी इस प्रथा को समाप्त करने के लिए प्रयासरत हैं।
- संयुक्त राष्ट्र का प्रयास: संयुक्त राष्ट्र ने 2012 में 6 फरवरी को महिला जननांग विकृति के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना की थी। यह दिवस एफजीएम के खिलाफ वैश्विक एकजुटता और जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO): WHO इस प्रथा को स्वास्थ्य और मानवाधिकार के उल्लंघन के रूप में देखता है और इसके खिलाफ कदम उठाने की वकालत करता है।
- कानूनी उपाय: कई देशों में एफजीएम को गैरकानूनी घोषित किया गया है, और इसके खिलाफ कानून बनाए गए हैं। इसके बावजूद, कुछ देशों में यह प्रथा अवैध होने के बावजूद चल रही है।
निष्कर्ष
महिला जननांग विकृति न केवल महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि यह उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन भी है। इस प्रथा के खिलाफ वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाना और इसे समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। महिला जननांग विकृति के प्रति शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस एक अवसर प्रदान करता है, जिसके माध्यम से हम इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं और समाज में बदलाव ला सकते हैं। इस दिन की सफलता महिला अधिकारों के आंदोलन में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, जिससे हम एक ऐसी दुनिया की ओर बढ़ सकें, जहां हर लड़की और महिला को उनके शरीर पर नियंत्रण, सम्मान और स्वास्थ्य के अधिकार प्राप्त हों।