पाठ योजना (Lesson Plan in Hindi)
पाठ योजना (Lesson Plan): अध्यापक एक पाठ पढ़ाने के लिए उसे छोटी इकाइयों में बांट लेता है, उस इकाई की विषय वस्तु को एक पीरियड में पढ़ाया जाता है, और इस विषय वस्तु को पढ़ाने के लिए एक विस्तृत रूप रेखा तैयार की जाती है जिसे पाठ योजना (Path Yojana) कहा जाता है।
पाठ योजना की परिभाषा
पाठ योजना की परिभाषाएं कई विद्वानों ने दी हैं उनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:
- सिम्पसन के अनुसार पाठ योजना की परिभाषा, “पाठ योजना में शिक्षक अपनी विशेष सामग्री और छात्रों के बारे में जो कुछ भी जानता है उन बातों का प्रयोग सुव्यवस्थित ढंग से करता है।”
- डॉ. श्रीमती आर. ए. शर्मा के अनुसार, “शिक्षण के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये शिक्षक जिन क्रियाओं का नियोजन करता है, उनके आलेख को पाठ-योजना की संज्ञा दी जाती है।”
- डेविस के अनुसार पाठ योजना, “शिक्षण व्यवस्था के सभी पक्षों का व्यावहारिक रूप का आलेख ही पाठ योजना है।”
पाठ योजना की आवश्यकता (Need of Lesson plan)
शिक्षक के लिए पाठ योजना निर्माण उतना ही आवश्यक है जितना एक अभियंता को भवन निर्माण के लिए मानचित्र या ब्लूप्रिंट का होना आवश्यक है। कक्षा में सफल एवं प्रभावी शिक्षण हेतु पाठ योजना अत्यंत आवश्यक है शिक्षण की प्रक्रिया में पाठ योजना की आवश्यकता के निम्न कारण है-
- पाठ योजना में विशिष्ट उद्देश्य लेखन कक्षा शिक्षण को दिशा प्रदान करते हैं।
- यह कक्षा नियंत्रण तथा प्रेरणा में व्यक्तिगत विभिन्नता की आधार पर शिक्षण प्रक्रिया के नियोजन में सहायता प्रदान करती है।
- इससे बालकों को पूरा ज्ञान होता है जिस पर आगामी शिक्षण आधारित होता है जिससे छात्र नवीन ज्ञान का निर्माण करते हैं।
- किसी पाठ्य वस्तु के दैनिक शिक्षकों सफलता एवं प्रभावी रूप प्रदान करने हेतु पाठ योजना सहायक है।
- इससे विषय वस्तु का आधार बालक केंद्रित तथा व्यवस्थित होता है एवं प्रभावशाली शिक्षण का संगम होता है।
- इसकी माध्यम से शिक्षक शैक्षिक लक्ष्य तथा प्रक्रियाओं का नियमन संपूर्ण लक्ष्यों तथा क्रियाओं के रूप में तैयार करता है।
- चिंतन में क्रमबद्धता एवं विकास की लिए यह आवश्यक है।
- यह अध्यापक के लिए पथ प्रदर्शक एवं मित्र का कार्य करती है।
- पाठ योजना शिक्षक को आवश्यकता अनुसार समय विभाजन और प्रयोग के लिए अवसर देती है।
- पाठ योजना के माध्यम से शिक्षा में शिक्षण की क्रियाओं तथा सहायक सामग्री की पूर्ण जानकारी हो जाती है।
पाठ योजना के उद्देश्य (Lesson plan objectives)
पाठ योजना के उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं-
- कक्षा में शिक्षण की क्रियाओं तथा सहायक सामग्री की पूर्ण जानकारी कराना।
- निर्धारित पाठ्य वस्तु के सभी तत्वों का विवेचन करना।
- प्रस्तुतीकरण के क्रम तथा पाठ्य वस्तु के रूप में निश्चितता की जानकारी कराना।
- कक्षा शिक्षण की समय शिक्षक के विस्मृति की संभावना कम होना।
- शिक्षण अधिगम, सहायक सामग्री के प्रयोग के स्थल, शिक्षण विधि तथा प्रविधियों का निर्धारण करना।
पाठ योजना की रूपरेखा (Structure of Lesson Plan)
Lesson plan निर्माण हेतु शिक्षक के समक्ष निश्चित लक्ष्य रहता है तथा इसी आधार पर शिक्षक किसी कक्षा में पाठों को प्रस्तुत कर सकता है पाठ योजना की रुपरेखा हर परपस प्रणाली के आधार पर निम्न प्रकार से तैयार की जा सकती है।
- सामान्य सूचना (General Information)
- सामान्य उद्देश्य (General Purpose)
- सामान्य उद्देश्य (Specific objective)
- सहायक सामग्री (Teaching aids)
- पूर्व ज्ञान (Prior knowledge)
- प्रस्तावना (Introduction)
- उद्देश्य कथन (Objective statement)
- प्रस्तुतिकरण (Submission)
- बोध प्रश्न (Comprehension questions)
- श्याम पट कार्य (Board work)
- कक्षा कार्य (Class work)
- निरीक्षण कार्य (Inspection work)
- मूल्यांकन (Evaluation)
- पुनराव्रत्ति प्रश्न (Revision question)
- गृह कार्य (Home work)
1. सामान्य सूचना
इसमें पढ़ाई जाने वाले पाठ का शीर्षक, कक्षा, कालांश, अवधि,विषय, प्रकरण, दिनांक आदि को शामिल किया जाना चाहिए। जिस विद्यालय में शिक्षण किया जाना है उसका नाम भी अवश्य लिखना चाहिए।
- पाठ का शीर्षक
- कक्षा
- कालांश
- अवधि
- विषय
- प्रकरण
- दिनांक
2. सामान्य उद्देश्य
लेखन प्रथम बिंदु की आधार पर सामान्य उद्देश्य को निर्धारित किया जाता है भाषा रसायन विज्ञान गणित हिंदी सामाजिक अध्ययन विषयों के सामान्य उद्देश्य भिन्न-भिन्न होते हैं।
3. विशिष्ट उद्देश्य
पाठ विशेष को पढ़ाने में जिस उद्देश्य की प्राप्ति होती है वह लिखना चाहिए। विशिष्ट उद्देश्य सामान्य उद्देश्यों पर आधारित होते हैं परंतु उद्देश्य प्रकरण से संबंधित होता है। ये निम्न चार प्रकार के हो सकते है –
- ज्ञानात्मक
- बोधात्मक
- प्रयोगात्मक
- कौशलात्मक
4. सहायक सामग्री
पाठ पढ़ाने में किस प्रकार की अधिगम सामग्री की आवश्यकता पड़ती है उसका उल्लेख करना चाहिए जैसे-श्वेत वर्तिका,श्यामपट,चार्ट, मॉडल इत्यादि।
- सफेद पट या श्यामपट
- चाक या मार्कर
- चार्ट
- मॉडल
- डस्टर
5. पूर्व ज्ञान
इसमें बालक को पांच से संबंधित जो ज्ञान पहले से ही है जिसकी आधार पर पाठ को प्रस्तावित करना है पूर्व ज्ञान के आधार पर पाठ का प्रारंभ होता है।
6. प्रस्तावना
पूर्व ज्ञान के आधार पर शिक्षक प्रश्नों या चार्ट के द्वारा पाठ को प्रस्तावित करता है प्रस्तावना का अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होता है।
क्रम संख्या | अध्यापक प्रश्न | छात्र उत्तर/प्रतिक्रिया |
---|---|---|
1 | प्रश्न- | उत्तर |
2 | प्रश्न- | उत्तर |
3 | प्रश्न- | समस्यात्मक? |
7. उद्देश्य कथन
पाठ मे जिस उद्देश्य का वर्णन किया गया है उस उद्देश्य को लिखना चाहिए ।
8. प्रस्तुतिकरण
Lesson plan के इस भाग में छात्रों के सम्मुख नवीन ज्ञान प्रस्तुत किया जाता है इसके लिए प्रस्तुत दो भागों में विभक्त कर दिया जाता है एक भाग में अध्ययन स्थितियॉ एवं दूसरे भाग में अध्ययन बिंदु लिखते हैं। शिक्षक विभिन्न शिक्षण पद्धति, विभिन्न प्रविधियों दृश्य श्रव्य विधियों का प्रयोग करता है। विषय वस्तु को एक या दो सोपानो में प्रस्तुत किया जा सकता है।
9. बोध प्रश्न
शिक्षक पढाये गए पाठ में से प्रश्न पूछता है जो बोध प्रश्न कहलाते हैं।
10. श्याम पट कार्य / श्याम पट शारंश
शिक्षक द्वारा पढाये गए प्रयोग आदि के आधार पर निष्कर्ष निकलवाता है अध्यापक को ऐसा प्रयास करना चाहिए कि बालक स्वयं ही निष्कर्ष निकाले जब छात्र श्याम पट सारांश की नकल करते हैं तथा शिक्षक कक्षा निरीक्षण करता है।
11. कक्षा कार्य
छात्रों को पाठ से संबन्धित प्रश्न हल करने के लिए देना चाहिए ।
12. निरीक्षण कार्य
इसमें अध्यापक दिये गए कार्य का निरीक्षण कार्य करेगा।
13. मूल्यांकन
अध्यापक द्वारा पढ़ाये गए पाठ में से ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि बालको ने कहा तक नवीन ज्ञान अर्जित किया है।
14. पुनराव्रत्ति प्रश्न
इसमें अध्यापक छात्र को कुछ प्रश्न पाठ को दोबारा समझने के लिए पुनराव्रत्ति प्रश्न देगा/ पूछेगा ।
15. गृह कार्य
पाठ के अंत में बालक को पाठ से संबंधित कुछ कार्य घर के लिए देना चाहिए इसकी जांच अगले दिन की जानी चाहिए इससे छात्र अर्जित ज्ञान का प्रयोग करना सीखते हैं।
ध्यातव्य बिन्दु
कक्षा शिक्षण की सफलता एवं असफलता बहुत कुछ पाठ योजना के निर्माण पर निर्भर करती है। इसीलिए हमें पाठ योजना बनाते समय निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए:-
- छात्रों की शारीरिक और मानसिक योग्यता एवं क्षमता को जान लेना चाहिए।
- लेसन प्लान बनाने से पहले विषय का अध्यापक को विस्तृत ज्ञान होना अति आवश्यक है।
- अच्छी पाठ योजना बनाने के लिए शिक्षक को अपने विषय की गहन जानकारी के साथ-साथ अन्य सभी विषयों का सामान्य ज्ञान जरूर होना चाहिए।
- प्रकरण को एक या अधिक शिक्षण बिंदुओं में विभाजित करना चाहिए परंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि उसी समय अवधि अर्थात कक्षा अवधि में शिक्षण बिंदु समाप्त हो जाए।
- शिक्षण विधि या निति का चयन करना चाहिए।
- पाठ योजना का निर्माण करते समय, समय का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
- पाठ के लिए आवश्यक सामग्री का निर्धारण तथा उसके प्रयोग को सुनिश्चित कर लेना चाहिए।
- अध्यापक को शिक्षण सिद्धांत, शिक्षण सूत्र, तथा शिक्षण विधियों का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
- शिक्षक को विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान की जानकारी होनी चाहिए।
प्रभावी पाठ योजना (Effective Lesson Plan)
प्रभावी पाठ योजना की गुण और विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
- प्रभावी पाठ योजना एक कक्षा में प्रयोग में आने वाली क्रिया की प्रस्तावित रूपरेखा है।
- कक्षा में पाठ योजना विधिवत लिखित रूप में होनी चाहिए।
- पाठ योजना में प्रयुक्त होने वाली शिक्षण सहायक सामग्री का उल्लेख अध्यापक को अवश्य करना चाहिए। जैसे कि चार्ट, मॉडल, मानचित्र, फिल्म, स्लाइड्स, आदि।
- पाठ योजना किसी न किसी उद्देश्य पर आधारित होनी चाहिए।
- आदर्श पाठ योजना विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान पर आधारित होनी चाहिए।
- पाठ योजना आधुनिक विषय वस्तु होती है, जो शिक्षण बिंदुओं के रूप में लिखी जाती है।
- पाठ को उचित सोपान में विभाजित कर देना चाहिए।
- विषय वस्तु का यथासंभव दूसरे विषय से समनव्य होना चाहिए।
- लेसन प्लान की भाषा सरल होनी चाहिए।
- व्यक्तिगत विभिन्ताओ के आधार पर शिक्षण देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- जितना ज्यादा हो सके उदाहरणों का प्रयोग करना चाहिए।
- विकासात्मक प्रश्नों का प्रयोग करना चाहिए।
- गृह कार्य की व्यवस्था होनी चाहिए।
- पाठ पढ़ते समय श्यामपट्ट का प्रयोग करते रहना चाहिए।
- पाठ की अवधि, कक्षा का स्तर, विषय वास्तु, प्रकरण, अदि सूचनाओं का उल्लेख किया जाना चाहिए।
अन्य महत्वपूर्ण प्रष्ठ
बाल विकास, बाल मनोविज्ञान (Psychology in Hindi or Child Psychology in Hindi), शिक्षा शास्त्र (Pedagogy in Hindi or Education Science in Hindi), संस्कृत व्याकरण, हिन्दी व्याकरण।