बसंत पंचमी – बसंत पंचमी का त्योहार कब एवं क्यों मनाया जाता है

बसंत पंचमी, जिसे श्रीपंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है, हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। बर्ष 2026 में यह शुभ पर्व 23 जनवरी को मनाया जाएगा। क्या आप जानते हैं कि Vasant Panchami त्योहार की शुरुआत कब हुई और इसे मनाने का क्या महत्व है? आइए, इसके पीछे छिपी ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं को समझते हैं।

Basant Panchami

हिंदू पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी का पावन त्योहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। 2 फरबरी 2025 को यह पर्व मनाया गया था, बर्ष 2026 में यह शुभ पर्व 23 जनवरी को मनाया जाएगा।

वसंत पंचमी: एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व

वसंत पंचमी या श्री पंचमी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती, कामदेव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह पर्व भारत, बांग्लादेश, नेपाल और कई अन्य देशों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करने की परंपरा है, जो वसंत ऋतु का प्रतीक माना जाता है।

शास्त्रों में वसंत पंचमी को ‘ऋषि पंचमी‘ के रूप में भी उल्लेखित किया गया है। पुराणों, शास्त्रों और विभिन्न काव्य ग्रंथों में इसे अलग-अलग रूपों में चित्रित किया गया है।

प्राचीन भारत और नेपाल में वर्ष को छह ऋतुओं में विभाजित किया जाता था, जिनमें वसंत सबसे प्रिय ऋतु मानी जाती थी। इस समय फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में सरसों के पीले फूल सोने जैसे चमकने लगते, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलतीं, आम के पेड़ों पर बौर लगते, और रंग-बिरंगी तितलियाँभौंरे चारों ओर मंडराते।

वसंत ऋतु के स्वागत के लिए माघ महीने के पाँचवें दिन एक बड़ा उत्सव मनाया जाता था। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती थी। यही उत्सव वसंत पंचमी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

बसंत पंचमी का त्योहार मनाने का कारण

बसंत पंचमी नए काम शुरू करने और शुभ कार्यों के लिए महत्वपूर्ण दिन है। यह वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, जो फसलों और कटाई का अनुकूल समय होता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन माता सरस्वती प्रकट हुई थीं, जिन्हें विद्या, बुद्धि, कला और ज्ञान की देवी माना जाता है। इसलिए इस दिन लोग पीले कपड़े पहनते हैं और सरस्वती माता की पूजा करते हैं। बसंत पंचमी को समृद्धि और सौभाग्य से भी जोड़ा जाता है, जिससे यह त्योहार भारतीयों के लिए विशेष महत्त्व रखता है।

कैसे हुई बसंत पंचमी को मनाने की शुरुआत? वसंत पंचमी कथा

उपनिषदों की कथा के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभिक काल में ब्रह्मा जी ने जीवों, विशेष रूप से मनुष्य योनि की रचना की। हालांकि, अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें ऐसा लगता था कि चारों ओर मौन है और कुछ कमी है।

इस समस्या का समाधान करने के लिए ब्रह्मा जी ने कमण्डल से जल लेकर भगवान विष्णु की स्तुति शुरू की। विष्णु जी उनकी स्तुति सुनकर तत्काल प्रकट हुए और ब्रह्मा जी की समस्या सुनने के बाद आदिशक्ति दुर्गा का आवाहन किया। दुर्गा माता के शरीर से एक तेज प्रकट हुआ, जो एक दिव्य चतुर्भुजी नारी के रूप में बदल गया।

इस दिव्य नारी के एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में वर मुद्रा, और अन्य दोनों हाथों में पुस्तकमाला थी। प्रकट होते ही देवी ने वीणा बजाई, जिससे संसार के सभी जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल हुआ और पवन चलने से सरसराहट हुई। इस दिव्य नारी को वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती कहा गया।

आदिशक्ति दुर्गा ने कहा कि ये देवी सरस्वती ब्रह्मा जी की पत्नी बनेंगी, जैसे लक्ष्मी विष्णु की शक्ति हैं और पार्वती शिव की शक्ति हैं। इसके बाद सभी देवता सृष्टि संचालन में लग गए।

सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी जैसे अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। ऋग्वेद में इनके लिए कहा गया है:

“प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु”।
अर्थात ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा और मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं।

पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण ने सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन उनकी भी आराधना होगी। तभी से भारत में इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।

अन्य कारण

राजा भोज का जन्म वसंत पंचमी को हुआ था, जो इस दिन बड़े उत्सव का आयोजन करते थे। जिसमें पूरी प्रजा के लिए एक बड़ा प्रीतिभोज रखा जाता था जो चालीस दिन तक चलता था।

महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म भी इसी दिन (28/02/1899) हुआ था। वे निर्धनों के प्रति प्रेम के कारण ‘महाप्राण’ कहलाते थे।

वसंत पंचमी का महत्व

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष स्थान है। इसे मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन लोग शादी, गृह प्रवेश और अन्य नए कार्यों की शुरुआत करते हैं। मां सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, ताकि जीवन में विद्या, बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद मिले।

कलाकारों के लिए यह दिन विशेष होता है। जैसे सैनिक विजयादशमी पर शस्त्रों की पूजा करते हैं, विद्वान व्यास पूर्णिमा पर अपनी पुस्तकों की, व्यापारी दीपावली पर अपने खातों की; वैसे ही कवि, गायक, लेखक और नृत्यकार अपने उपकरणों की पूजा करते हैं और मां सरस्वती की वंदना से दिन की शुरुआत करते हैं।

  • प्राकृतिक महत्व: वसंत ऋतु की शुरुआत से प्रकृति खिल उठती है। सरसों के पीले फूलों से धरती सजी होती है। यह मौसम उल्लास और ऊर्जा का प्रतीक है।
  • धार्मिक महत्व: यह दिन मां सरस्वती का प्रकटोत्सव माना जाता है। विद्या, कला और संगीत से जुड़े लोग इस दिन अपने उपकरणों की पूजा करते हैं। मां सरस्वती से ज्ञान और कला में प्रगति की प्रार्थना की जाती है।
  • पौराणिक महत्व: वसंत पंचमी का जुड़ाव रामायण से भी है। इस दिन श्रीराम ने शबरी के बेर खाए थे। गुजरात के डांग जिले में शबरी माता का मंदिर आज भी पूजनीय है।
  • ऐतिहासिक महत्व: यह दिन गुरु रामसिंह कूका की याद भी दिलाता है, जिन्होंने गोरक्षा, स्वदेशी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में उनके कई शिष्य शहीद हुए।

बसंत पंचमी के दिन क्यों उड़ाते हैं पतंग?

बसंत पंचमी के खास अवसर पर पतंग उड़ाने की पुरानी परंपरा है। बसंत ऋतु के आगमन के साथ खेतों में हरे-पीले फूलों की बहार छा जाती है। इस उल्लास को लोग पतंगबाजी के माध्यम से व्यक्त करते हैं। पतंग उड़ाना बसंत ऋतु की शुरुआत का खुशी मनाने का एक अनोखा तरीका माना जाता है।

पतंगबाज़ी का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है। यह रिवाज़ हज़ारों साल पहले चीन में शुरू हुआ और कोरिया और जापान के रास्ते भारत पहुँचा।

इस बसंत पंचमी पर अपनों को भेजें शुभकामनाओं के ये खास संदेश:

Vasant Panchami
Vasant Panchami, Image By: Vecteezy

🌼 पीले-पीले सरसों के फूल, पीले उड़े पतंग, रंग बरसे पीला और छाए सरसों की उमंग। आपके जीवन में रहे सदा बसंत के रंग।
हैप्पी बसंत पंचमी!

🌼 सरस्वती पूजा का प्यारा त्योहार, जीवन में लाएगा खुशी अपार। सरस्वती विराजे आपके घर, शुभकामना हमारी करें स्वीकार।
हैप्पी बसंत पंचमी!

🌼 जीवन का यह बसंत, आप सबको खुशियां दे अनंत। प्रेम और उत्साह का, भर दे जीवन में रंग।
बसंत पंचमी की बधाई!

🌼 वीणा लेकर हाथ में, मां सरस्वती सदा रहें आपके साथ। मिले मां का आशीर्वाद आपको हर दिन। हर बार हो मुबारक आपको सरस्वती पूजा का ये दिन।

🌼 सहस शील हृदय में भर दे, जीवन त्याग से भर दे। संयम, सत्य, स्नेह का वर दे, मां सरस्वती आपके जीवन में उल्लास भर दे।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

🌼 मां सरस्वती सभी को ज्ञान का भंडार दें। बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

🌼 मां सरस्वती आपके घर में अपार खुशियां और प्यार लेकर आएं। आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

🌼 या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं!

🌼 सरस्वती पूजा का यह प्यारा त्यौहार, जीवन में लाएगा खुशियां अपार। सरस्वती विराजे आपके द्वार, शुभकामनाएं हमारी करें स्वीकार।

FAQs

1.

बसंत पंचमी कब मनाई जाती है?

बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह 2026 में 23 जनवरी को पड़ेगी।

2.

बसंत पंचमी का धार्मिक महत्व क्या है?

इस दिन को मां सरस्वती का जन्मदिन माना जाता है। मां सरस्वती को विद्या, ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है, और इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है।

3.

बसंत पंचमी से जुड़ी प्रमुख परंपराएं क्या हैं?

इस दिन पीले कपड़े पहनना, मां सरस्वती की पूजा करना, पतंग उड़ाना, संगीत व कला से जुड़े उपकरणों की पूजा करना और मिठाई व प्रसाद का वितरण करना मुख्य परंपराएं हैं।

4.

इस दिन पीला रंग क्यों पहना जाता है?

पीला रंग बसंत ऋतु और खुशहाली का प्रतीक है। यह ज्ञान, ऊर्जा और सकारात्मकता को दर्शाता है।

5.

बसंत पंचमी पर कौन-कौन से शुभ कार्य किए जा सकते हैं?

इस दिन गृह प्रवेश, विवाह, नए व्यवसाय की शुरुआत, शिक्षा प्रारंभ और अन्य मांगलिक कार्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

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