स्मरण या याद करने की विधियाँ – याद करने का वैज्ञानिक तरीका

Smaran or Yaad Karne Ki Vidhi

स्मरण या याद करने की विधियाँ

Methods of Memory

मनोवैज्ञानिकों ने प्रयोग द्वारा स्मरण करने की ऐसी अनेक विधियों की खोज की है, जिनके प्रयोग करने से समय की बचत होती है। स्मरण करने की महत्त्वपूर्ण विधियाँ निम्नलिखित हैं:-

1. पूर्ण विधि (Whole method)

इस विधि में पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक एक ही बार में पढ़कर याद किया जाता है। यह विधि केवल सरल और छोटे पाठों या कविताओं को याद करने के लिये उपयोगी होती है।

इस सम्बन्ध में कॉलसनिक (Kolesnik) ने कहा है कि, “यह विधि बड़े बुद्धिमान और परिपक्व मस्तिष्क वाले बालकों के लिये उपयोगी है।

2. खण्ड विधि (Part method)

इस विधि में याद किये जाने वाले पाठों को कई खण्डों में या वर्गों में बाँट दिया जाता है। इसके बाद क्रमानुसार या एक-एक करके उन खण्डों को याद किया जाता है।

इस सम्बन्ध में कॉलसनिक ने कहा है कि, “यह विधि छोटे, कम बुद्धिमान और साधारण बालकों के लिये उपयोगी है।

3. मिश्रित विधि (Mixed method)

इस विधि में पूर्ण विधि एवं खण्ड विधि दोनों का साथ-साथ प्रयोग किया जाता है। पहले पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक पढ़ा जाता है और फिर उसे खण्डों में बाँटकर उनको याद किया जाता है। इसके बाद पाठ को पुन: आरम्भ से अन्त तक पढ़ा जाता है।

4. प्रगतिशील विधि (Progressive method)

इस विधि में पाठ को अनेक खण्डों में बाँट लिया जाता है। सबसे पहले प्रथम खण्ड को याद किया जाता है, उसके बाद प्रथम एवं दूसरे खण्ड को एक साथ याद करते हैं। फिर इसके बाद पहले, दूसरे और तीसरे खण्ड को एक साथ याद करते हैं। इस प्रकार जैसे-जैसे स्मरण करने के कार्य में प्रगति होती है, वैसे-वैसे एक नया खण्ड जोड़ दिया जाता है।

इस विधि में समय अधिक लगता है और आरम्भ के कुछ खण्डों का स्मरण अधिक होता है और बाद के खण्डों का स्मरण कम होता जाता है।

5. अविराम या निरन्तर विधि (Unspaced method)

इस विधि में बिना बीच-बीच में रुके पाठ दो लगातार दोहराया जाता है। यह विधि तात्कालिक स्मृति के लिये अच्छी होती है।

6. अन्तरायुक्त या सान्तर विराम विधि (Spaced method)

यह विधि अविराम विधि की उल्टी है। इसमें पाठ को थोड़े-थोड़े अन्तर या समय के बाद याद किया जाता है। यह अन्तर पाँच मिनट का और 12 घण्टे का भी हो सकता है। यह विधि स्थायी स्मृति के लिये अधिक अच्छी होती है।

इसके सम्बन्ध में वुडवर्थ का कहना है कि, “अन्तरायुक्त विधि से स्मरण करने में सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होता है।

7. सक्रिय विधि (Active method)

इस विधि को उच्चारण विधि या स्वर विधि भी कहते हैं। इसमें स्मरण किये जाने वाले पाठ को छात्र बोल-बोल कर याद करते हैं। यह विधि छोटे बालकों के लिये अधिक उपयोगी है। वे इसमें रुचि भी लेते हैं और उनका उच्चारण भी ठीक हो जाता है।

8. निष्क्रिय विधि (Passive method)

यह विधि सक्रिय विधि की उल्टी है। इसमें याद किये जाने वाले पाठ को मन ही मन में पढ़कर याद किया जाता है। यह विधि अधिक आयु के छात्रों के लिये अच्छी है।

9. रटने की विधि (Rote method)

इस विधि में विषय वस्तु को बिना सोचे समझे बार-बार पढ़कर रट लिया जाता है। इस विधि में भूलने की सम्भावना अधिक होती है। इस सम्बन्ध में जेम्स ने कहा है कि, “इस विधि से जो बातें स्मरण कर ली जाती हैं वे अधिकांश रूप से भूल जाती हैं।

10. निरीक्षण विधि (Method of observation)

इस विधि में याद किये जाने वाला पाठ का पहले निरीक्षण किया जाता है। यदि बालक को संख्याओं की कोई सूची याद करनी है तो वह पहले इस बात का निरीक्षण कर ले कि वे निश्चित क्रम में है या नहीं।

11. विचार-साहचर्य की विधि (Method of association of ideas)

इस विधि में जिस विषय को याद करना है उसे किसी ज्ञात विषय से सम्बन्धित किया जाता है। इस विधि से याद सरलता एवं शीघ्रता से होता है; जैसे- यदि किसी छात्र को लाल बहादुर शास्त्री की जन्म तिथि याद करनी है तो इसका सम्बन्ध गाँधीजी की जन्म तिथि 2 अक्टूबर से कर देने पर शीघ्र याद हो जाती है और कभी नहीं भूलती।

इस विधि के बारे में जेम्स (James) ने कहा है कि, “विचार साहचर्य उत्तम चिन्तन के द्वारा उत्तम स्मरण की विधि है।

भूलने से बचने के उपाय

विस्मृति को निम्नलिखित उपायों का प्रयोग करके कम किया जा सकता है:-

1. स्मरण करने में ध्यान

किसी विषय को याद करते समय उस पर पूर्ण ध्यान देना चाहिये, पूर्ण ध्यान देने से विषय अधिक समय तक स्मृति में धारण किया जा सकता है।

2. अधिक समय तक स्मरण रखने की इच्छा

जब किसी पाठ को अधिक समय तक स्मरण रखने की इच्छा से याद किया जाता है, तो उस पाठ को शीघ्र ही विस्मृत होने की सम्भावना नहीं रहती।

3. स्मरण के पश्चात् विश्राम

विषय को स्मरण करने के पश्चात् कुछ समय विश्राम अवश्य करना चाहिये। इस सम्बन्ध में विश्राम का अत्यधिक महत्त्व है।

4. पाठ को दोहराना

पाठ याद करने के पश्चात् थोड़ा-थोड़ा समय देकर दोहराते रहना चाहिये। पाठ को दोहराते रहने से वह अधिक समय तक याद रहता है।

5. सस्वर वाचन

पाठ को बोल बोलकर अर्थात् सस्वर याद करना चाहिये। बोल बोलकर पाठ याद करने से विस्मरण की गति मन्द हो जाती है।

6. साहचर्य स्थापित करना

पाठ याद करते समय नवीन ज्ञान को पुराने अनुभवों के साथ सम्बन्धित करके याद करना चाहिये। विचार-साहचर्य के नियम का पालन करने से पाठ का विस्मरण नहीं होता है।

7. लय तथा पाठ

याद करते समय पाठ की प्रकृति के अनुसार लय तथा पाठ का प्रयोग करना चाहिये।

स्मृति

स्मृति वह मानसिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने पूर्व अनुभवों को मानसिक संस्कार के रूप में अपने अचेतन मन में संचित रखता है और आवश्यकता पड़ने पर अपनी वर्तमान चेतना में ले आता है। विस्तार से पढ़ें – स्मृति

विस्मृति

किसी सीखी हुई वस्तु को स्मरण न कर सकना, विस्मृति कहलाती है। हमारे जीवन में अनेक ऐसी बातें हैं जिन्हें हम भूल जाते हैं। मनुष्य के सफल जीवन के लिये स्मृति जितनी आवश्यक है विस्मृति भी उतनी ही आवश्यक है। विस्तार से पढ़ें – विस्मृति

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