रीतिवाचक क्रियाविशेषण – परिभाषा, उदाहरण, भेद एवं अर्थ

परिभाषा

रीति वाचक क्रियाविशेषण वे होते हैं जो क्रिया विशेषण शब्द क्रिया के घटित होने की तरीके या रीति से सम्बंधित विशेषता का ज्ञान करवाते है, उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते है ।

उदाहरण

शनै: –  धीरे,  पुन:/ भूय:/ मुहु: –  फ़िर,  यथा – जैसे,  तथा – वैसे आदि रीतिवाचक क्रियाविशेषण के उदाहरण हैं।

कुछ रीति वाचक क्रियाविशेषण एवं अर्थ

रीतिवाचक क्रियाविशेषण अर्थ
शनै: धीरे
पुन:/
भूय:/ मुहु:
फ़िर
यथा जैसे
तथा वैसे
सहसा /
अकस्मात्
अचानक
सम्यक् ठीक से
असक्रत बार-बार
कथञ्चित् /
कथञ्चन
किसी प्रकार
अजस्रम् लगातार
इत्यम् इस प्रकार
एवम् इस प्रकार

You may like these posts

आपका एक share किसी कैंसर पीड़ित को बचा सकता है । कैंसर का ये उपाय जरूर देखें !

मित्रो कैंसर हमारे देश मे बहुत तेज़ी से बड़ रहा है । हर साल बीस लाख लोग कैंसर से मर रहे है और हर साल नए Cases आ रहे है...Read more !

विरोधाभाष अलंकार – Virodhabhash Alankar परिभाषा, भेद और उदाहरण – हिन्दी

विरोधाभाष अलंकार परिभाषा– जहाँ वास्तविक विरोध न होकर केवल विरोध का आभास हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है। अर्थात जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध न होते हुए...Read more !

वर्णों का उच्चारण स्थान : हिन्दी संस्कृत वर्णमाला उच्चारण स्थान

वर्णों के उच्चारण स्थान (Varno ka ucharan sthan) मूलरूप से कुल सात (7) होते हैं- कंठ, तालु, मूर्धा, दंत, ओष्ठ, नासिका, और जीव्हामूल। हिन्दी में जीव्हामूल को सम्मिलित नहीं किया जाता...Read more !