कालवाचक क्रियाविशेषण – परिभाषा, उदाहरण, भेद एवं अर्थ

परिभाषा

कालवाचक क्रियाविशेषण  वे शब्द होते हैं जो हमें क्रिया के होने वाले समय का बोध कराते हैं, वह शब्द कालवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। यानी जब क्रिया होती है उस समय का बोध कराने वाले शब्दों को कालवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं।

क्रियाविशेषण जो किसी चीज़ के घटित होने या समय के क्रियाविशेषण के रूप में परिभाषित होने पर हमें बताकर वाक्य के अर्थ को बदल देते हैं। समय की एक कहावत है कि आप उससे क्या उम्मीद कर सकते हैं – एक शब्द जो वर्णन करता है कि कब, कितने समय के लिए, या कितनी बार एक निश्चित कार्रवाई हुई।

उदाहरण

यदा – जब,  तदा – तब,  कदा – कब,  सदा / सर्वदा – हमेशा, प्रात: – सुबह,  शीघ्रम् – जल्द ही,  दिवा -दिन में,  नक्तम् – रात में,  परश्व: –  परसों आदि कालवाचक क्रियाविशेषण के उदाहरण हैं।

कुछ काल वाचक क्रिया विशेषण एवं अर्थ

कालवाचक क्रिया विशेषण अर्थ
यदा जब
तदा तब
कदा कब
सदा / सर्वदा हमेशा
अधुना अब / आजकल
इदानीम इस समय
सम्प्रति अब
साम्प्रतम् इन दिनों
अद्य आज
ह्य: बीता कल
स्व: आनेवाला कल
ऐसम् इस साल
परुत् परसाल(Last Year)
सायम् संध्या के समय /
शाम को / शाम में
प्रात: सुबह
शीघ्रम् जल्द ही
दिवा दिन में
नक्तम् रात में
परश्व: परसों
बहुधा अक्सर
संभवत: शायद
चिरम् / चिरात् /
चिरेण / चिराय / चिरस्य
देर से
एकदा एक बार / एक दिन
कदाचित् कभी

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