लुट् लकार – (अनद्यतन भविष्यत काल), वाक्य, उदाहरण, अर्थ – संस्कृत

Lut Lakar

लुट् लकार

अनद्यतने लुट् – अनद्यतन भविष्यत काल में लुट् लकार का प्रयोग होता है। बीती हुई रात्रि के बारह बजे से, आने वाली रात के बारह बजे तक के समय को ‘अद्यतन’ (आज का समय) कहा जाता है। आने वाली रात्रि के बारह बजे के बाद का जो समय होता है उसे अनद्यतन भविष्यत काल कहते हैं; जैसे– अहं श्व: गमिष्यामि। (मैं कल जाऊँगा)

लुट लकार धातु रूप के कुछ उदाहरण

भू / भव् धातु

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमपुरुषः भविता भवितारौ भवितारः
मध्यमपुरुषः भवितासि भवितास्थः भवितास्थ
उत्तमपुरुषः भवितास्मि भवितास्वः भवितास्मः

दा धातु

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष दाता दातारौ दातारः
मध्यम पुरुष दातासि दातास्थः दातास्थ
उत्तम पुरुष दातास्मि दातास्वः दातास्मः

 गम् / गच्छ धातु

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमपुरुषः गन्ता गन्तारौ गन्तारः
मध्यमपुरुषः गन्तासि गन्तास्थः गन्तास्थ
उत्तमपुरुषः गन्तास्मि गन्तास्वः गन्तास्मः

चल् धातु

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष चलिता चलितारौ चलितारः
मध्यम पुरुष चलितासि चलितास्थः चलितास्थ
उत्तम पुरुष चलितास्मि चलितास्वः चलितास्मः

क्रीड् धातु

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष क्रीडिता क्रीडितारौ क्रीडितारः
मध्यम पुरुष क्रीडितासि क्रीडितास्थः क्रीडितास्थ
उत्तम पुरुष क्रीडितास्मि क्रीडितास्वः क्रीडितास्मः

लुट् लकार के उदाहरण

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष वह पढ़ेगा/पढ़ेगी।
सः/सा पठिता।
वे दोनों पढ़ेगे/पढ़ेगी।
तौ/ते पठितारौ।
वे सब पढ़ेगे/पढ़ेगी।
ते/ता पठितारः।
मध्यम पुरुष तुम पढ़ोगे/पढ़ोगी।
त्वं पठितासि।
तुम दोनों पढ़ोगे/पढ़ोगी।
युवां पठितास्थः।
 तुम सब पढ़ोगे/पढ़ोगी।
यूयं पठितास्थ।
उत्तम पुरुष मैं पढूंगा/पढूंगी।
अहं पठितास्मि।
हम दोनों पढ़ेगे/पढ़ेगी।
आवां पठितास्वः।
हम सब पढ़ेगे/पढ़ेगी।
वयं पठितास्मः।

लुट् लकार में अनुवाद or लुट् लकार के वाक्य

  • योध्‍यां श्‍व: प्रयातासि कपे भरतपालिताम् । – हे वानर, तू कल भरतपालित अयोध्‍या में जायेगा।
  • पंचषैरहोभि: वयमेव तत्रागन्‍तार:। – पांच छ: दिनों में हम ही वहाँ जायेंगे।
  • यह मुनि कल उस झोपड़ी में होगा। – अयं मुनिः श्वः तस्यां पर्णशालायां भविता।
  • वे दोनों वेदपाठी परसों उस यज्ञभवन में होंगे। – अमू छान्दसौ परश्वः अमुष्मिन् चैत्ये भवितारौ।
  • वे वेदपाठी कल इन यज्ञशालाओं में होंगे। – अमी श्रोत्रियाः श्वः एषु आयतनेषु भवितारः।
  • तुम परसों अध्यापक के साथ पर्णशाला में होगे। – त्वं परश्वः उपाध्यायेन सह उटजे भवितासि।
  • तुम दोनों कल यज्ञशाला में होगे। – युवां श्वः चैत्ये भवितास्थः।
  • वहाँ वेदपाठियों का सामगान होगा। – तत्र छान्दसानां सामगानं भविता।
  • तुम सब परसों कुटिया में होगे। – यूयं परश्वः उटजे भवितास्थ।
  • वहाँ अगदतन्त्र का व्याख्यान होगा। – तत्र अगदतन्त्रस्य व्याख्यानं भविता।
  • मैं कल उस कुटी में होऊँगा। – अहं श्वः तस्मिन् उटजे भवितास्मि।
  • उसी में दो उपाध्याय होंगे। – तस्मिन् एव द्वौ उपाध्यायौ भवितारौ।
  • हम दोनों परसों उस चैत्य में नहीं होंगे। – आवां परश्वः तस्मिन् चैत्ये न भवितास्वः।
  • हम सब कल वेदपाठियों की कुटी में होंगे। – वयं श्वः छान्दसानाम् उटजेषु भवितास्मः ।
  • वहीं ऋग्वेद का जटापाठ होगा। – तत्र एव ऋग्वेदस्य जटापाठः भविता।
  • उपाध्याय लोग भी वहीं होंगे। – अध्यापकाः अपि तत्र एव भवितारः।
  • हम लोग भी वहीं होंगे। – वयम् अपि तत्र एव भवितास्मः।

लुट् लकार के अन्य हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद

  • तेरा यह कार्य परसों रात में होगा। – तव इदं कार्यं परश्वः निशायां भविता।
  • आप दोनों कल रात प्रयाग में नहीं होंगे क्या ? – भवन्तौ श्वः रात्रौ प्रयागे न भवितारौ किम् ?
  • वे सब तो परसों रात प्रयाग में ही होंगे। – ते तु परश्वः क्षपायां प्रयागे एव भवितारः।
  • हम भी वहीं होंगे। – वयम् अपि तत्र एव भवितास्मः।
  • यह योगी कल रात कहाँ होगा ? – एषः योगी श्वः क्षणदायां कुत्र भविता ?
  • तुम परसों रात विमान में होगे। – त्वं परश्वः नक्तं विमाने भवितासि।
  • तुम दोनों तो रेलगाड़ी में होगे। – युवां तु रेलगन्त्र्यां भवितास्थः।
  • परसों रात ही उत्सव होगा। – परश्वः नक्तम् एव उत्सवः भविता।
  • हम दोनों उस उत्सव में नहीं होंगे। – आवां तस्मिन् उत्सवे न भवितास्वः।
  • बाकी सब तो होंगे ही। – अन्याः सर्वे तु भवितारः एव।
  • तुम दोनों उस उत्सव में क्यों नहीं होगे ? – युवां तस्मिन् उत्सवे कथं न भवितास्थः ?
  • हम दोनों मथुरा में होंगे, इसलिए। – आवां मथुरायां भवितास्वः, अत एव।
  • उसके बाद हम सब तुम्हारे घर होंगे। – तत्पश्चात् वयं तव भवने भवितास्मः।
  • हमारा स्वागत होगा कि नहीं ? – अस्माकं स्वागतं भविता वा न वा ?
  • अवश्य होगा। – अवश्यं भविता।
  • हम आप सबको देखकर बहुत प्रसन्न होंगे। – वयं भवतः दृष्ट्वा भूरि प्रसन्नाः भवितास्मः।

3 Comments

  1. कृपया आप मुझे लृट् लकारः और लुट् लकार का अन्तर बता सकते है।

    1. भविष्यार्थे लृट्- भविष्यकाल में प्रत्यय लृट् और लुट् का प्रयोग होता है, लृट् लकार (first future or periphrastic) और लुट् लकार (Simple future).

      संस्कृत में दोनों में मामूली सा अंतर होता है, इन उदाहरणों को देखिए-

      Example 2

      • लृट् लकार- मैं बाजार जाऊंगा।
      • लुट् लकार- मैं कल ही बाजार जाऊंगा।

      Example 2

      • लृट् लकार- मैं दादा-दादी से मिलने जाऊंगा।
      • लुट् लकार- मैं अंगले सप्ताह दादा-दादी से मिलने जाऊंगा।

      अर्थात जिन वाक्यों में भविष्य निश्चित हो, लुट् लकार और अन्य में लृट् लकार का प्रयोग होता है।

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