हिंदी व्याकरण में कई प्रकार के ऐसे शब्द होते हैं जो सुनने में एक जैसे लगते हैं। परंतु उनके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं। जिनको श्रुतिसम या समश्रुत भिन्नार्थक शब्द कहते हैं। इन शब्दों को Samshruti/Shrutisam Bhinnarthak Shabd कहते हैं। इस पोस्ट में 250+ Samshruti/Shrutisam Shabd दिए गए हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
श्रुतिसम या समश्रुत भिन्नार्थक शब्द की परिभाषा
हिन्दी में कुछ ऐसे शब्द होते हैं जो पढ़ने और सुनने में लगभग एक जैसे लगते हैं, परंतु उनका अर्थ अलग ही होता है, इन शब्दों को ‘श्रुतिसम या समश्रुत भिन्नार्थक शब्द‘ कहते हैं। समश्रुत या श्रुतिसम शब्द को ‘समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द’ और ‘युग्म शब्द’ भी कहते हैं। इसे अंग्रेजी में ‘Homonyms Words’ कहते हैं।
जैसे- अचार और आचार दोनों के पढ़ने में लगभग एक जैसे लगते हैं परन्तु उनके अर्थ भिन्न हैं।
अचार= खट्टा खाद्य पदार्थ;
आचार= व्यवहार।
हिंदी भाषा में ऐसे कई शब्द हैं, जिनमें से कुछ की सूची नीचे दी जा रही है-
- अँगना – घर का आँगन;
अंगना – स्त्री - अंस – कंधा;
अंश – हिस्सा - अक्ष – धुरी;
यक्ष – एक देवयोनि - अगम – दुर्लभ, अगम्य;
आगम – प्राप्ति, शास्त्र - अचर – न चलनेवाला;
अनुचर – दास, नौकर - अणु – कण;
अनु – एक उपसर्ग, पीछे - अतुल – जिसकी तुलना न हो सके;
अतल – तलहीन - अथक – बिना थके हुए;
अकथ – जो कहा न जाय - अधम – नीच;
अधर्म – पाप - अध्ययन – पढ़ना;
अध्यापन – पढ़ाना - अनिल – हवा;
अनल – आग - अनीप्सित – किसी तरह की इच्छा न होना;
अभीप्सित – वस्तु प्राप्ति की तीव्र इच्छा होना;
अनभीप्सित – तीव्र इच्छा न होना - अन्त – समाप्ति;
अन्त्य – नीच, अन्तिम - अन्न – अनाज;
अन्य – दूसरा - अन्यान्य – दूसरा-दूसरा;
अन्योन्य – परस्पर - अपेक्षा – इच्छा, आवश्यकता, तुलना में;
उपेक्षा – निरादर - अब्ज – कमल;
अब्द – बादल, वर्ष - अभय – निर्भय;
उभय – दोनों - अभिज्ञ – जाननेवाला;
अनभिज्ञ – अनजान - अभिराम – सुन्दर;
अविराम – लगातार, निरन्तर - अभिहित – कहा हुआ;
अविहित – अनुचित - अभ्याश – पास;
अभ्यास – रियाज/आदत - अम्बु – जल;
अम्ब – माता, आम - अम्बुज – कमल;
अम्बुधि – सागर - अयश – अपकीर्त्ति;
अयस – लोहा - अरि – शत्रु;
अरी – सम्बोधन (स्त्री के लिए) - अली – सखी;
अलि – भौंरा - अवधि – काल, समय;
अवधी – अवध देश की भाषा - अवलम्ब – सहारा;
अविलम्ब – शीघ्र - अशक्त – असमर्थ, शक्तिहीन;
असक्त – विरक्त - अश्व – घोङा;
अस्व – पराया/धन;
अश्म – पत्थर - असन – भोजन;
आसन – बैठने की वस्तु - असित – काला;
अशित – भोथा - आकर – खान;
आकार – रूप - आकर – खान;
आकार – रूप, सूरत - आदि – आरम्भ, इत्यादि;
आदी – अभ्यस्त, अदरक - आभरण – गहना;
आमरण – मरण तक - आयत – समकोण चतुर्भुज;
आयात – बाहर से आना - आरति – विरक्ति, दुःख;
आरती – धूप-दीप दिखाना - आर्त – दुःखी;
आर्द्र – गीला - आर्ति – दुःख;
आर्त्त – चीख - आवास – रहने का स्थान;
आभास – झलक, संकेत - आस्तिक – ईश्वरवादी;
आस्तीक – एक मुनि - इड़ा – पृथ्वी/नाड़ी;
ईड़ा – स्तुति - इति – समाप्ति;
ईति – फसल की बाधा - इत्र – सुगंध;
इतर – दूसरा - इन्दु – चन्द्रमा;
इन्दुर – चूहा - उद्धत – उद्दण्ड;
उद्दत – तैयार - उपकार – भलाई;
अपकार – बुराई - उपयुक्त – ठीक;
उपर्युक्त – ऊपर कहा हुआ - उपरक्त – भोग विलास में लीन;
उपरत – विरक्त - उपाधि – पद/ख़िताब;
उपाधी – उपद्रव - ऋत – सत्य;
ऋतु – मौसम - एतवार – रविवार;
ऐतवार – विश्वास - कंगाल – भिखारी;
कंकाल – ठठरी - कटिबद्ध – तैयार, कमर बाँधे;
कटिबन्ध – कमरबन्द, करधनी - कटीली – तीक्ष्ण, धारदार;
कँटीली – काँटेदार - कदन – हिंसा;
कदन्न – खराब अन्न - कपि – बंदर;
कपी – घिरनी - कपीश – हनुमान, सुग्रीव;
कपिश – मटमैला - कर – हाथ;
कारा – जेल - करकट – कूड़ा;
कर्कट – केंकड़ा - करण – एक कारक, इन्द्रियाँ;
कर्ण – कान, एक नाम - करीश – गजराज;
करीष – सूखा गोबर - कर्म – काम;
क्रम – सिलसिला - कलिल – मिश्रित;
क़लील – थोड़ा - कली – अधखिला फूल;
कलि – कलियुग - कांत – पति/चन्द्रमा;
कांति – चमक - काश – शायद/एक घास;
कास – खाँसी - किला – गढ़;
कीला – खूँटा, गड़ा हुआ - कीश – बन्दर;
कीस – गर्भ का थैला - कुच – स्तन;
कूच – प्रस्थान - कुजन – बुरा आदमी;
कूजन – कलरव - कुटी – झोपड़ी;
कूटी – दुती, जालसाज - कुण्डल – कान का एक आभूषण;
कुन्तल – सिर के बाल - कुनबा – परिवार;
कुनवा – खरीदनेवाला - कुल – वंश, सब;
कूल – किनारा - कूट – पहाड़ की चोटी, दफ्ती;
कुट – किला, घर - कृत – किया हुआ;
क्रीत – खरीदा हुआ - कृति – रचना;
कृती – निपुण, पुण्यात्मा - कृत्ति – मृगचर्म;
कीर्ति – यश - कृत्तिका – एक नक्षत्र;
कृत्यका – भयंकर कार्य करनेवाली देवी - कृपण – कंजूस;
कृपाण – कटार - कृशानु – आग;
कृषाण – किसान - केशर – कुंकुम;
केसर – सिंह की गर्दन के बाल - कोड़ा – चाबुक;
कोरा – नया - कोर – किनारा;
कौर – ग्रास - कोष – खजाना;
कोश – शब्द-संग्रह (डिक्शनरी) - क्रान्ति – उलटफेर;
क्लान्ति – थकावट;
कान्ति – चमक, चाँदनी - खड़ा – बैठा का विलोम;
खरा – शुद्ध - खल – दुष्ट;
खलु – ही तो, निश्चय ही - खादि – खाद्य, कवच;
खादी – ख़द्दर, कटीला - खोआ – दूध का बना ठोस पदार्थ;
खोया – भूल गया, खो गया - गज – हाथी;
गज – मापक - गण – समूह;
गण्य – गिनने योग्य - गिरी – गिरना;
गिरि – पर्वत - गिरीश – हिमालय;
गिरिश – शिव - गुड़ – शक्कर;
गुड़ – गम्भीर - ग्रंथ – पुस्तक;
ग्रंथि – गाँठ - ग्रह – सूर्य, चन्द्र आदि;
गृह – घर - चक्रवात – बवण्डर;
चक्रवाक – चकवा पक्षी - चतुष्पद – चौपाया, जानवर;
चतुष्पथ – चौराहा - चरि – पशु;
चरी – चरागाह - चसक – चस्का/लत;
चषक – प्याला - चार – चार संख्या, जासूस;
चारु – सुन्दर;
चर – नौकर, दूत, जासूस - चाष – नीलकंठ;
चास – खेत की जुताई - चिता – लाश जलाने के लिए लकड़ियों का ढेर;
चीता – बाघ की एक जाति - चिर – पुराना;
चीर – कपड़ा - चुकना – समाप्त होना;
चूकना – समय पर न करना - चूत – आम का पेड़;
च्युत – गिरा हुआ, पतित - चूर – कण, चूर्ण;
चूड़ – चोटी, सिर - छत्र – छाता;
क्षत्र – क्षत्रिय - छात्र – विद्यार्थी;
क्षात्र – क्षत्रिय-संबंधी - छिपना – अप्रकट होना;
छीपना – मछली फँसाकर निकालना - जगत – कुएँ का चौतरा;
जगत् – संसार - जघन्य – गर्हित, शूद्र;
जघन – नितम्ब - जलज – कमल;
जलद – बादल - जवान – युवा;
जव – वेग/जौ - जानु – घुटना;
जानू – जाँघ - जाया – व्यर्थ;
जाया – पत्नी - जिला – मंडल;
जीला – चमक - जूति – वेग;
जूती – छोटा जूता - जोश – आवेश;
जोष – आराम - झल – जलन/आँच;
झल्ल – सनक - टुक – थोड़ा;
टूक – टुकड़ा - टोटा – घाटा;
टोंटा – बन्दूक का कारतूस - डीठ – दृष्टि;
ढीठ – निडर - डोर – सूत;
ढोर – मवेशी - तक्र – मटठा;
तर्क – बहस - तड़ाक – जल्दी;
तड़ाग – तालाब - तनी – थोड़ा;
तनि – बंधन - तप्त – गर्म;
तृप्त – संतुष्ट - तब – उसके बाद;
तव – तुम्हारा - तरंग – लहर;
तुरंग – घोड़ा - तरणि – सूर्य;
तरणी – नाव;
तरुणी – युवती; - तरी – गीलापन;
तरि – नाव - तार – धातु तंतु/टेलिग्राम;
ताड़ – एक पेड़ - तुला – तराजू;
तूला – कपास - तोश – हिंसा;
तोष – संतोष - दंश – डंक, काट;
दश – दश अंक - दमन – दबाना;
दामन – आँचल, छोर - दरद् – पर्वत/किनारा;
दरद – पीड़ा/दर्द - दशन – दाँत;
दंशन – दाँत से काटना - दह – कुंड/तालाब;
दाह – शोक/ज्वाला - दाँत – दशन;
दात – दान, दाता - दाई – धात्री/दासी;
दायी – देनेवाला - दायी – देनेवाला, जबाबदेह;
दाई – नौकरानी - दार – पत्नी, भार्या;
द्वार – दरवाजा - दारु – लकड़ी;
दारू – शराब - दिन – दिवस;
दीन – गरीब - दिवा – दिन;
दीवा – दीया, दीपक - दीवा – दीपक;
दिवा – दिन - दूत – सन्देशवाहक;
द्यूत – जुआ - देव – देवता;
दैव – भाग्य - दौर – चक्कर;
दौड़ – दौड़ना - द्रव – रस, पिघला हुआ;
द्रव्य – पदार्थ - द्विप – हाथी;
द्वीप – टापू - धत – लत;
धत् – दुत्कारना - धराधर – शेषनाग;
धड़ाधड़ – जल्दी से - धारि – झुण्ड;
धारी – धारण करनेवाला - धूरा – धूल;
धुरा – अक्ष - नगर – शहर;
नागर – चतुर व्यक्ति, शहरी - नन्दी – शिव का बैल;
नान्दी – मंगलाचरण - नमित – झुका हुआ;
निमित्त – हेतु - नशा – बेहोशी, मद;
निशा – रात - नाई – तरह, समान;
नाई – हजाम - नान्दी – मंगलाचरण (नाटक का);
नंदी – शिव का बैल - नारी – स्त्री;
नाड़ी – नब्ज - नाहर – सिंह;
नहर – सिंचाई के लिए निकाली गयी कृत्रिम नदी - नित – प्रतिदिन;
नीत – लाया हुआ - निमित्त – हेतु;
नमित – झुका हुआ - नियत – निश्र्चित;
नीयत – मंशा, इरादा - नियुत – लाख दस लाख;
नियुक्त – बहाल किया गया - निर्झर – झरना;
निर्जर – देवता - निर्विवाद – विवाद-रहित;
निर्वाद – निन्दा - निवृत्ति – लौटना;
निवृति – मुक्ति/शांति - निशाकर – चन्द्रमा;
निशाचर – राक्षस - निश्छल – छलरहित;
निश्र्चल – अटल - निष्कृष्ट – सारांश;
निकृष्ट – निम्न स्तरीय - निसान – झंडा;
निशान – चिह्न - निहत – मरा हुआ;
निहित – छिपा हुआ, संलग्न - निहार – देखकर;
नीहार – ओस-कण - नीड़ – घोंसला, खोंता;
नीर – पानी - नीरज – कमल;
नीरद – बादल - नीवार – जंगली धान;
निवार – रोकना - नेती – मथानी की रस्सी;
नेति – अनन्त - पट्ट – तख्ता, उल्टा;
पट – कपड़ा - पति – स्वामी;
पत – सम्मान, सतीत्व - पत्ति – पैदल सिपाही;
पत्ती – पत्ता - पथ – रास्ता;
पथ्य – आहार (रोगी के लिए) - पन – संकल्प;
पन्न – पड़ा हुआ - परभृत् – कौआ;
परभृत – कोयल - परमित – चरमसीमा;
परिमित – मान/मर्यादा/तौल - परवाह – चिन्ता;
प्रवाह – बहाव (नदी का) - पराग – पुष्पराज;
पारग – पूरा जानकार - परिणाम – नतीजा, फल;
परिमाण – मात्रा - परिताप – दुःख, सन्ताप;
प्रताप – ऐश्र्वर्य, पराक्रम - परिषद् – सभा;
पार्षद – परिषद् के सदस्य - परीक्षा – इम्तहान;
परिक्षा – कीचड़ - परुष – कठोर;
पुरुष – मर्द, नर - पर्यन्त – तक;
पर्यंक – पलंग - पवन – हवा;
पावन – पवित्र - पांशु – धूलि, बाल;
पशु – जानवर - पानी – जल;
पाणि – हाथ - पार्श्र्व – बगल;
पाश – बन्धन - पास – नजदीक;
पाश – बन्धन - पीक – पान आदि का थूक;
पिक – कोयल - पूर – बाढ़, आधिक्य;
पुर – नगर - पौत्र – पोता;
पोत – जहाज - प्रकृत – यथार्थ;
प्राकृत – स्वाभाविक एक भाषा - प्रकोट – परकोंटा;
प्रकोष्ठ – कोठरी - प्रण – प्रतिज्ञा;
प्राण – जान - प्रणय – प्रेम;
परिणय – विवाह - प्रणाम – नमस्कार;
प्रमाण – सबूत, नाप - प्रतिषेध – निषेध, मनाही;
प्रतिशोध – बदला - प्रदीप – दीपक;
प्रतीप – उलटा, विशेष, काव्यालंकार - प्रदेश – प्रान्त;
प्रद्वेष – शत्रुता - प्रबल – शक्तिशाली;
प्रवर – श्रेष्ठ, गोत्र - प्रवाल – मूँगा;
प्रवार – वस्त्र - प्रवृद्ध – परा बढ़ा हुआ;
प्रबुद्ध – सचेत/बुद्धिमान् - प्रसाद – कृपा, भोग;
प्रासाद – महल - प्रस्तर – पत्थर;
प्रस्तार – फैलाव - प्रहर – पहर (समय);
प्रहार – चोट, आघात - प्राकार – घेरा, चहारदीवारी;
प्रकार – किस्म, तरह - फण – साँप का फण;
फन – कला, कारीगर - फुट – अकेला, इकहरा;
फूट – खरबूजा-जाति का फल - बगुला – एक पक्षी;
बगूला – बवंडर - बदन – शरीर;
वदन – मुख/चेहरा - बन – बनना, मजदूरी;
वन – जंगल - बन्दी – कैदी;
वन्दी – भाट, चारण - बल – ताकत;
वल – मेघ - बलि – बलिदान;
बली – वीर - बसन – कपड़ा;
व्यसन – लत/बुरी आदत - बहन – बहिन;
वहन – ढोना - बहु – बहुत;
बहू – पुत्रवधू, ब्याही स्त्री - बाई – वेश्या;
बायीं – बायाँ का स्त्री रूप - बाजु – बिना;
बाजू – बाँह - बाट – रास्ता/बटखरा;
वाट – हिस्सा - बात – वचन;
वात – हवा - बान – आदत, चमक;
बाण – तीर - बार – दफा;
वार – चोट, दिन - बाला – लड़की;
वाला – एक प्रत्यय - बास – महक, गन्ध;
वास – निवास - बिना – अभाव;
बीना – एक बाजा - बिपिन – जंगल;
विपन्न – विपत्तिग्रस्त - बुरा – खराब;
बूरा – शक्कर - ब्राह्य – बाहरी;
वाहृय – वहन के योग्य - भंगि – लहर, टेढ़ापन;
भंगी – मेहतर, भंग करनेवाला - भवन – महल;
भुवन – संसार - भारतीय – भारत का;
भारती – सरस्वती - भिड़ – बरें;
भीड़ – जनसमूह - भित्ति – दीवार, आधार;
भीत – डरा हुआ - भोर – सबेरा;
विभोर – मग्न - मणि – एक रत्न;
मणी – साँप - मत – नहीं;
मत्त – मस्त/धुत्त - मद – आनंद;
मद्य – शराब - मनुज – मनुष्य;
मनोज – कामदेव - मनुजात – मानव-उत्पन्न;
मनुजाद – मानव-भक्षी - मरीचि – किरण;
मरीची – सूर्य, चन्द्र - मल – गन्दगी;
मल्ल – पहलवान, योद्धा - मांस – गोश्त;
मास – महीना - मूल – जड़;
मूल्य – कीमत - मेघ – बादल;
मेध – यज्ञ - मौलि – चोटी/मस्तक;
मौली – जिसके सिर पर मुकुट हो - रंक – गरीब;
रंग – वर्ण - रग – नस;
राग – लय - रत – लीन;
रति – कामदेव की पत्नी, प्रेम - रद – दाँत;
रद्द – खराब - राइ – सरदार;
राई – एक तिलहन - राज – राजा/प्रान्त;
राज – रहस्य - रार – झगड़ा;
राँड़ – विधवा - रोचक – रुचनेवाला;
रेचक – दस्तावर - रोशन – प्रकट/प्रदीप्त;
रोषण – कसौटी/पारा - लक्ष्य – उद्देश्य;
लक्ष – लाख - लवण – नमक;
लवन – खेती की कटाई - लाश – शव;
लास्य – प्रेमभाव सूचक - लुटना – लूटा जाना, बरबाद होना;
लूटना – लूट लेना - वरण – चुनना;
वरन् – बल्कि - वरद – वर देनेवाला;
विरद – यश - वसन – कपड़ा;
व्यसन – बुरी आदत - वस्तु – चीज;
वास्तु – मकान, इमारत - वाद – तर्क, विचार;
वाद्य – बाजा - वासना – कामना;
बासना – सुगंधित करना - वित्त – धन;
वृत्त – गोलाकार, छन्द - विधायक – रचनेवाला;
विधेयक – विधान/कानून - विभात – प्रभात;
विभाति – शोभा/सुन्दरता - विभीत – डरा हुआ;
विभीति – डर - विराट् – बहुत बड़ा;
विराट – मत्स्य जनपद/एक छंद - विस्तर – विस्तृत;
बिस्तर – बिछावन - विस्मृत – भूला हुआ;
विस्मित – आश्चर्य में पड़ा - व्यंग – विकलांग;
व्यंग्य – कटाक्ष/ताना - व्यंग – विकलांग;
व्यंग्य – ताना, उपालम्भ - व्रण – घाव;
वर्ण – रंग, अक्षर - शंकर – शिव;
संकर – दोगला/मिश्रित - शकट – बैलगाड़ी;
शकठ – मचान - शकल – टुकड़ा;
शक्ल – चेहरा - शकृत – मल;
सकृत – एकबार - शती – सैकड़ा;
सती – पतिव्रता स्त्री - शप्त – शाप पाया हुआ;
सप्त – सात - शप्ति – शाप;
सप्ति – घोड़ा - शब – रात;
शव – लाश - शम – संयम, इन्द्रियनिग्रह;
सम – समान - शय्या – बिछावन;
सज्जा – सजावट - शर – बाण;
सर – तालाब/महाशय - शराव – मिट्टी का प्याला;
शराब – मदिरा - शर्म – लाज;
श्रम – मेहनत - शर्व – शिव;
सर्व – सब - शवल – चितकबरा;
सबल – बलवान् - शशधर – चाँद;
शशिधर – शिव - शहर – नगर;
सहर – सबेरा - शान – इज्जत, तड़क-भड़क;
शाण – धार तेज करने का पत्थर - शान्त – शन्तियुक्त;
सान्त – अन्तवाला - शारदा – सरस्वती;
सारदा – सार देनेवाली - शाला – घर, मकान;
साला – पति का भाई - शाली – एक प्रकार का धान;
साली – पत्नी की बहन - शास – अनुशासन/स्तुति;
सास – पति/पत्नी की माँ - शास्त्र – सैद्धान्तिक विषय;
शस्त्र – हथियार - शिखर – चोटी;
शेखर – सिर - शित – तेज किया गया;
शीत – ठंडा - शिवा – पार्वती/गीदड़ी;
सिबा – अलावा - शीशा – काँच;
सीसा – एक धातु - शुक्ति – सीप;
सूक्ति – अच्छी उक्ति - शुल्क – फीस, टैक्स;
शुक्ल – उजला - शूक – जौ;
शुक – सुग्गा - शूकर – सूअर;
सुकर – सहज - शूकर – सूअर;
सुकर – सहज - शूर – वीर;
सुर – देवता, लय - श्याम – श्रीकृष्ण, काला;
स्याम – एशिया का एक देश - श्र्वजन – कुत्ते;
स्वजन – अपना आदमी - श्र्वेत – उजला;
स्वेद – पसीना - श्व – कुत्ता;
स्व – अपना - श्वजन – कुत्ता;
स्वजन – अपने लोग - श्वपच – चाण्डाल;
स्वपच – स्वयं भोजन बनानेवाला - सँवार – सजाना;
संवार – आच्छादन - संकर – मिश्रित, दोगला, एक काव्यालंकार;
शंकर – महादेव - संग – साथ;
संघ – समिति - संतति – संतान;
सतत – सदा - संभावना – संदेह/आशा;
समभावना – तुल्यता की भावना - सखी – सहेली;
साखी – साक्षी - सत्र – वर्ष;
शत्रु – दुश्मन - सन् – साल;
सन – पटुआ - सन्देह – शक;
सदेह – देह के साथ - सन्मति – अच्छी बुद्धि;
संमति – परामर्श - सपत्नी – सौत;
सपत्नीक – पत्नी सहित - समबल – तुल्य बलवाला;
सम्बल – पाथेय - समवेदना – साथ-साथ दुखी होना;
संवेदना – अनुभूति - समान – तरह, बराबर;
सामान – सामग्री - सर – तालाब;
शर – तीर - सवा – चौथाई;
सबा – सुबह की हवा - सागर – शराब का प्याला;
सागर – समुद्र - साप – शाप का अपभ्रंश;
साँप – एक विषैला जन्तु - सास – पति या पत्नी की माँ;
साँस – नाक या मुँह से हवा लेना - सास्त्र – अस्त्र के साथ;
सास्र – आँसू के साथ - सिता – चीनी;
सीता – जानकी - सिर – मस्तक;
सीर – हल - सीकर – जलकण;
सीकड़ – जंजीर - सुकृति – पुण्य;
सुकृति – पुण्यवान - सुखी – आनन्दित;
सखी – सहेली - सुधी – विद्वान, बुद्धिमान;
सुधि – स्मरण - सुमन – फूल;
सुअन – पुत्र - सूचि – शूची;
सूची – विषयक्रम - सूत – धागा;
सुत – बेटा - सूर – अंधा, सूर्य;
शूर – वीर - सेव – बेसन का पकवान;
सेब – एक फल - स्याम – एक देश;
श्याम – कृष्ण/काला - स्रवण – टपकना;
श्रवण – सुनना/कान - स्वक्ष – सुन्दर आँख;
स्वच्छ – साफ - स्वर – आवाज;
स्वर्ण – सोना - स्वर्ग – तीसरा लोक;
सर्ग – अध्याय - स्वेद – पसीना;
श्वेत – उजला - हँसी – हँसना;
हंसी – हंसनी - हरि – विष्णु;
हरी – हरे रंग की - हल् – शुद्ध व्यंजन;
हल – खेत जोतने का औजार - हाड़ – हड्डी;
हार – पराजय - हुंकार – ललकार, गर्जन;
हुंकार – पुकार - हुक – पीठ का दर्द;
हूक – ह्रदय की पीड़ा - हुति – हवन;
हूति – बुलावा - हूठा – अँगूठा;
हूँठा – साढ़े तीन का पहाड़ा - हूण – एक मंगल जाति;
हुन – मोहर
पढ़ें: सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar)