कार्यालयी पत्र या सरकारी पत्र
कार्यालयी पत्र (Official Letter): ‘कार्यालयी पत्र’ अंग्रेजी के ‘ऑफीशियल लेटर’ का हिन्दी रूपान्तर है। इस प्रकार के पत्रों का आदान-प्रदान जिन-जिन के बीच होता है, उनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं-
- किसी देश की सरकार और अन्य देश की सरकार के बीच
- केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच
- सरकार और दूतावासों के बीच
- एक राज्य सरकार और दूसरी राज्य सरकार के बीच
- सरकार और अन्य देशी-विदेशी संस्थानों, संघों या संगठनों के बीच
- सरकार और अन्य विभागों के बीच
- विशिष्ट विभाग और अधीनस्थ विभागों के बीच
- सरकार और व्यक्ति विशेष के बीच
- विभिन्न कार्यालयों और व्यक्ति विशेष के बीच
इस प्रकार के समस्त पत्र कार्यालयी पत्राचार की व्यापक सीमा में आते हैं। कार्यालय का आशय, किसी सरकारी, अर्द्धसरकारी, गैर सरकारी, स्वायत्तशासी, वह स्थान विशेष है जहाँ से प्रशासन का संचालन होता है। इसीलिए इस प्रकार के पत्रों को शासकीय या प्रशासकीय पत्र भी कहते हैं। कार्यालयों की दृष्टि से सरकारी कार्यालयों का क्षेत्र बहुत व्यापक और प्रभावशाली होता है, इसलिए कार्यालयी पत्रों पर विचार करते समय सरकारी कार्यालयों से सम्बन्धित पत्रों के लेखन का भी ज्ञान आवश्यक होता है। अन्य कार्यालयों के पत्रों का प्रारूप सरकारी पत्रों का ही प्रतिरूप होता है।
कार्यालयी पत्र में ध्यान देने योग्य बातें
- सबसे ऊपर दायीं ओर कार्यालय, विभाग, संस्थान या मंत्रालय का नाम मुद्रित या टंकित होना चाहिए। पता और पिनकोड भी यहीं लिखना होता है।
- उसके नीचे दिनाँक, कभी-कभी दिनाँक ऊपर न देकर पत्र के अन्त में बायी ओर लिखा जाता है।
- प्रेषक का नाम पद और पता लिखते हैं।
- प्रेषक के नाम, पद,पता लिखकर उसके नीचे ‘सेवा में लिखते हुए प्रेषिती (पत्र पाने वाले) का नाम-पद-पता लिखना चाहिए।
- जिस विषय को लेकर पत्र लिखा जा रहा है उसका उल्लेख प्रेषिती के थोड़े नीचे से मध्यभाग में ‘विषय’ शब्द लिखकर किया जाता है।
- बायीं तरफ प्रेषिती को सम्बोधन के लिए ‘महोदय’, ‘महोदया’, ‘मान्यवर’ आदि लिखा जाता है।
- पत्र प्रारम्भ करने से पूर्व प्राप्त पत्र या भेजे गए पत्र की संख्या और दिनांक का उल्लेख कर देना चाहिए।
- इसके बाद मूल पत्र लिखा जाना चाहिए।
- प्रत्येक बात के लिए पृथक् अनुच्छेद का प्रयोग करना चाहिए।
- पत्र में जहाँ तक सम्भव हो, उत्तम पुरुष (मैं, हम) शैली का प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। अन्य पुरुष शैली ही उपयुक्त रहती है।
- पत्र की भाषा शिष्ट, सरल और सुसंगत होनी चाहिए।
- पत्र समाप्ति के बाद बायीं ओर भवदीय, आपका विश्वासपात्र या सद्भावनापूर्वक आपका,लिखकर हस्ताक्षर किये जाते हैं।
- हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में अपना नाम लिख देना चाहिए। ऊपर अगर पद और पता नहीं दिया गया है तो नीचे लिख देना चाहिए।
- सभी सम्बन्धित अधिकारियों या विभागों का पत्र का पृष्ठांकन किया जाना अपेक्षित होता है।
- आवश्यक संलग्न क्रम संख्या लिखकर संलग्न कर देना चाहिए।
कार्यालयी पत्र की रूपरेखा
संख्याः प्रेषक या कार्यालय अशोक जैन, |
पत्र संख्या – आ 26/ 250 नगर निगम जयपुर, दिनांक 15.9.2023 |
उप प्रशासक, नगर निगम,
जयपुर।
प्रेषक
प्रेषिती का पद और पताः
सेवा में
मुख्य सचिव,
राजस्थान सरकार,
जयपुर
सम्बोधन : महोदय
(पत्र का प्रारम्भः)
आपके पत्र संख्या 13ल/7/2023 दिनांक 10 सितम्बर, 2023 के उत्तर में मुझे यह कहने का आदेश हुआ कि———————————————————————————————————————————————————————————————————————————-।
आपका विश्वासपात्र
स्वनिर्देश ह.
(अशोक जैन)
संलग्र पत्र सूची
संलग्रः
(1)…………..
(2)…………..
(3)…………..
पृष्ठांकन :
प्रतिलिपि निम्नलिखित को प्रेषित है:
(1)…………..
(2)…………..
(3)…………..
कार्यालयी पत्र के विविध प्रकार
कार्यालयी पत्र के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-
- शासनादेश (Govermnent Order)
- कार्यालय आदेश (Office Order)
- परिपत्र (Circular)
- अनुस्मारक या स्मरण पत्र (Reminder)
- अर्द्धशासकीय या अर्द्धसरकारी पत्र (Semi-Official Letters)
- अधिसूचना (Notification)
- कार्यालय ज्ञापन (Official Memorandum)
- ज्ञापन (Memorandum)
- अशासनिक पत्र (Unofficial letters)
- पृष्ठांकन (Endorsement)
- संकल्प या प्रस्ताव (Resolution)
- स्वीकृति या मंजूरी पत्र (Sanction letter)
- प्रेस विज्ञप्ति (Press Communique/Pru-Note)
- सूचना (Notice)
- पावती (Acknowledgement)
- तार
- मितव्यय पत्र
कार्यालयी पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं:-
1. शासनादेश (Government Order)
ऐसे पत्रों को शासनादेश कहते हैं जिनके माध्यम से सरकार द्वारा लिये गये निर्णयों को अधीनस्थ विभागों को सम्प्रेषित किया जाता है। ध्यान रखें कि-
- शासनादेश प्रायः सरकार के सचिव के द्वारा विभागों को भेजे जाते हैं।
- पत्र लेखक सामान्यतः यह लिखकर पत्र प्रारम्भ करता है कि “मुझे आपको। यह लिखने/सूचित करने/अनुरोध करने का निर्देश/आदेश हुआ है कि……”
- कभी-कभी “आदेश दिया जाता है कि………” से भी शासनादेश का प्रारम्भ होता है।
- ये पत्र प्रथम पुरुष एक वचन (मैं) में ही लिखे जाते हैं।
सामान्यतः इन पत्रों का उपयोग किसी नीतिगत निर्णय, वित्तीय स्वीकृतियों कर्मचारियों के वेतन-भत्ते एवं सेवा नियमों के सम्बन्ध में सरकार निर्णयों की सूचना और क्रियान्विति के लिए किया जाता है।
शासनादेश लिखने की रीति
- सबसे ऊपर पत्र संख्या दी जाती है।
- इसके बाद सरकार, मंत्रालय, विभाग का उल्लेख रहता है।
- इसके बाद स्थान और दिनांक होता है, इन्हें दायीं ओर भी लिखा जाता है।
- बायीं ओर भेजने वाले का नाम-पद-पता लिखते हैं और कई बार नहीं भी लिखा जाता।
- प्राप्तकर्ता का नाम, पता और सम्बोधन नहीं दिया जाता।
- सम्बन्धित विभागों को पत्र की प्रतिलिपि भेज दी जाती है।
- अन्त में हस्ताक्षर और पद का उल्लेख किया जाता है।
उदाहरण-
पत्र संख्या -क/2/27/2023 (च)
राजस्थान सरकार,
शिक्षा मन्त्रालय,
भाषा विभाग,
जयपुर
प्रेषक
अरविन्द मेहता,
सचिव, राजस्थान सरकार,
शिक्षा विभग
शासनादेश है कि निम्नांकित प्रपत्रों और पत्रों में राजभाषा हिन्दी का उपयोग किया जाए-
- वेतन, बिल, यात्रा बिल, सभी प्रकार के आवेदन-पत्र तथा इन सबके सम्बन्ध में किया जाने वाला पत्राचार।
- सभी प्रकार की टिप्पणियाँ और आदेश।
- हिन्दी-भाषी राज्यों के साथ पत्राचार।
- केन्द्र सरकार से प्राप्त हिन्दी में लिखे पत्रों के उत्तर।
- अंग्रेजी में लिखे सभी पत्रों में हस्ताक्षर हिन्दी में किए जाएँ।
प्रतिलिपि सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु निम्नांकित को प्रेषित है–
(1) सचिव, राज्यपाल।
(2) सचिव, मुख्यमंत्री।
(3) समस्त सचिव, उपसचिव, सहायक सचिव, राज्य सचिवालय।
(4) सरकार के अधीनस्थ समस्त कार्यालय अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष।
2. कार्यालय आदेश (Office Order)
यह वह कार्यालयी पत्र है जिसमें किसी मन्त्रालय, विभाग एवं कार्यालय के कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति, स्थायीकरण, स्थानान्तरण, पदोन्नति, अवकाश स्वीकृति-अस्वीकृति आदि के विषय में आन्तरिक प्रशासन सम्बन्धी आदेश प्रसारित किये जाते हैं।
कार्यालय आदेश पत्र में-
- ऊपर बायीं ओर अन्य पत्रों की तरह प्रेषक और प्रषिती का नाम-पद-पता एवं सम्बोधन का प्रयोग नहीं होता है।
- नीचे ‘भवदीय’, ‘आपका विश्वासपात्र’ जैसा स्वनिर्देश भी नहीं होता।
- अन्त में दायीं ओर प्रेषक हस्ताक्षर और पद का नाम रहता है।
- अन्त में ही बायीं ओर पत्र पाने वाले विभाग या व्यक्ति का नाम लिख दिया जाता है।
- यह पत्र अन्य पुरुष में लिखा जाता है।
- शेष बातें अन्य पत्रों जैसी होती हैं।
उदाहरण-
भाषा विभाग के अधोलिखित महानुभावों को दिनांक 6.9.2023 से 20000-2000-25000 की वेतन श्रृंखला में अनुभाग अधिकारी के रूप में पदोन्नत किया जाता है-
- श्री विवेक शर्मा पुत्र श्री हरीश शर्मा
- श्री रामसिंह मीणा पुत्र श्री रामकेश मीणा
- श्री रामफूल बैरवा पुत्र श्री श्यामलाल बैरवा
प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है-
- निदेशक, भाषा विभाग
- श्री विवेक शर्मा
- श्री रामसिंह मीणा
- श्री रामफूल बैरवा
- लेखा शाखा
- संस्थापन शाखा
3. परिपत्र (Circular)
जिस पत्र के माध्यम से जब कोई एक सूचना, निर्देश या अनुदेश एक साथ ही अनेक मंत्रालयों, कार्यालयों, विभागों, अधिकारियों, कर्मचारियों तक भेजी जाती है तो उस पत्र को परिपत्र कहते हैं परिपत्र में-
- ऊपर बायीं ओर प्रेषक का नाम-पद-पता नहीं दिया जाता।
- जिनको यह पत्र भेजा जाता है, उनके पद का नाम-पता अन्त में बायीं ओर दिया जाता है।
- कई बार ज्ञापन, कार्यालय-ज्ञापन परिपत्र का रूप ले लेते हैं।
- पत्र के अन्त में भवदीय, आपका, आपका विश्वासपात्र जैसे स्वनिर्देशों का प्रयोग नहीं किया जाता।
- इसमें अन्य पुरुष शैली का ही प्रयोग किया जाता है।
- कभी-कभी प्रेषक का नाम-पद पता और सेवा में लिखकर प्रेषिती का पद एवं पता तथा सम्बोधन भी किया जाता है।
- कुछ परिपत्रों में पत्र का विषय भी लिखा जाता है।
उदाहरण 1:
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने यह जानना चाहा है कि प्रदेश के विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में अनसचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की कितनी लड़कियों का इस वर्ष प्रवेश दिया गया है ? आज प्रदेश की शिक्षण संस्थाओं में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की कितनी छात्राएँ पढ़ रही है ? विगत तीन वर्षों की तुलना में उनकी संख्या में वृद्धि का प्रतिशत क्या है ? उपयुक्त मंत्रालय को पन्द्रह दिन के भीतर तथ्य आँकड़े भिजवा दिये जाने चाहिएँ।
प्रतिलिपि प्रेषित है-
- निदेशक, स्कूली शिक्षा
- निदेशक, कॉलेज शिक्षा
- समस्त जिला शिक्षा अधिकारी
- समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्य
- समस्त महाविद्यालयों के कुलसचिव
उदाहरण 2:
प्रेषक :
मुख्य सचिव,
राजस्थान सरकार,
जयपुर
सेवा में:
राजस्थान के समस्त जिलाधिकारी।
महोदय,
राजस्थान के महामहिम राज्यपाल द्वारा मुझे आपको यह सूचित करने का आदेश हुआ है कि खाद्यान्न संकट को देखते हुए इस वर्ष प्रत्येक गाँव और प्रत्येक किसान से गेहूँ अनिवार्य लेवी के लिए आवश्यक कदम उठाये और समुचित व्यवस्था की जाये। इससे राजस्थान सरकार को गेहूँ का पर्याप्त संग्रह करने में सहायता मिलेगी।
4. अनुस्मारक या स्मरण पत्र (Reminder)
जब भेजे गये पत्र का उत्तर बहुत दिनों तक नहीं आता तो उस पत्र की याद दिलाते हुए जो पत्र भेजा जाता है, उसे अनुस्मारक या स्मरण पत्र कहते हैं। इसमें पत्र का प्रारूप पहले पत्र जैसा ही रखा जाता है। इस पत्र को स्थिति के अनुसार नम्र या थोड़ी कड़ी भाषा में लिखा जा सकता है।
एक अनुस्मारक के बाद और भी कई अनुस्मारक भेजने पड़ सकते हैं। बाद वाले अनुस्मारकों में पहले पत्रों की संख्या का उल्लेख कर देना चाहिए। अनुस्मारक का आकार सामान्य पत्रों की अपेक्षा काफी छोटा होता है।
5. अर्द्धशासकीय या अर्द्धसरकारी पत्र (Semi-Official Letter)
अर्द्धशासकीय या अर्द्धसरकारी पत्र भी एक प्रकार का सरकारी पत्र ही होता है। दोनों में अन्तर केवल अनौपचारिकता-औपचारिकता का हैं। अर्द्धशासकीय पत्र अनौपचारिक होते हैं और शासकीय पत्र औपचारिक। ये पत्र किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से लिखे जाते हैं।
जब कोई अधिकारी किसी दूसरे अधिकारी से व्यक्तिगत स्तर पर कोई जानकारी चाहता है या किसी बात की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता है तो वह अर्द्धशासकीय पत्र को माध्यम बनाता है। अधिकारी चाहता है कि दूसरा अधिकारी व्यक्तिगत रुचि लेकर काम को निबटा दे। इससे कार्यालयी जंजाल में फंसे हुए मामले शीघ्र निबट जाते हैं।
सामान्यतः निम्नांकित परिस्थितियों में अर्द्धशासकीय पत्र लिखे जाते हैं-
- जब कार्य सम्पन्न होने में विलम्ब हो रहा हो।
- कार्य को शीघ्र सम्पन्न कराना हो।
- जब पत्र पाने वाला अधिकारी उस कार्य की ओर ध्यान न दे पाया हो।
अर्द्धशासकीय पत्र-लेखन की रीति
- यह व्यक्तिगत और अनौपचारिक पत्र है। इसे एक अधिकारी व्यक्तिगत रूप से दूसरे अधिकारी को व्यक्तिगत नाम से लिखता और भेजता है।
- अर्द्धशासकीय पत्र उत्तमपुरुष, एक वचन (मैं) शैली में लिखा जाता है।
- अर्द्धशासकीय पत्र की भाषा आत्मीय और मैत्रीभाव से युक्त होती है।
- सम्बोधन में प्रिय श्री, प्रिय, श्रीयुत…..जी आदि का प्रयोग होता है।
- ऊपर बायीं ओर प्रेषक का नाम-पद पता लिखा रहता है।
- नीचे पत्र भेजने वाला अधिकारी केवल हस्ताक्षर करता है। पद-नाम-पता नहीं लिखा जाता।
- पत्र के अन्त में नीचे दायीं ओर हस्ताक्षर के पूर्व स्वनिर्देश स्वरूप सद्भावी, आपका, भवनिष्ठ आदि लिखा जाता है। ‘भवदीय’ जैसे औपचारिक शब्द का प्रयोग प्रायः नहीं किया जाता है।
- अर्द्धशासकीय पत्र सीधे सम्बन्धित अधिकारी को ही दिये जाते हैं। अन्य डाक सामग्री की तरह कार्यालय में ही खोलकर अधिकारी के सामने प्रस्तुत नहीं किये जाते हैं।
- यदि आवश्यक हो तो उस पर ‘गोपनीय’ लिख दिया जाता है ताकि कोई कर्मचारी उसे खोलने की भूल न करें।
- पत्र पाने वाले अधिकारी का नाम-पद-पता पत्र के अन्त में नीचे बायी ओर लिख दिया जाता है।
उदाहरण-
कमलेश महाजन,
सचिव,
मानव संसाधन मंत्रालय
नई दिल्ली।
अर्द्धशासकीय पत्रांक 75/शि.वि./76/200 | दिनांक 3.9.2023 |
प्रिय श्री मेहता,
कृपया इस विभाग के पत्रांक 25/ने.रो./222/200 दिनांक 28.7.201…. को देखने का कष्ट करें। पत्र में मांगी गयी सूचना अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। साग्रह अनुरोध है कि नेहरू रोजगार योजना की क्रियान्विति के यथा तथ्य आँकडे अपनी टिप्पणी सहित अविलम्ब भेजने का कष्ट करें।
सेवा में,
श्री मंगलचन्द मेहता
मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार,
जयपुर-302004
6. अधिसूचना (Notification)
सरकार के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित होने वाली सूचना को अधिसूचना कहा जाता है। ध्यान रखें कि-
- अधिसूचना का क्षेत्र बहुत व्यापक है। उच्च अधिकारियों की नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति, स्थानान्तरण, अधिनियमों में संशोधन आदि बहुत से क्षेत्र अधिसूचना की सीमा में आते हैं।
- सरकार की ओर से अधिसूचना जनसाधारण, सरकारी कार्यालयों, सम्बन्धित अधिकारियों, कर्मचारियों की जानकारी के लिए जारी की जाती है।
- अधिसूचना में यह बताना नितान्त आवश्यक है कि उसे गजट के किस भाग में प्रकाशित किया जाना है। भाग के साथ अनभाग का भी उल्लेख आवश्यक है।
- अधिसूचना में किसी को भी महोदय जैसा कोई सम्बोधन नहीं होता है।
- अधिसूचग अन्य पुरुष शैली में लिखी जाती है।
- अन्त में भवदीय, आपका, आदि स्वनिर्देश का प्रयोग नहीं होता है।
उदाहरण-
श्री राजबली उपाध्याय आई. ए. एस. को जो वर्तमान में राजस्थान सरकार में हैं दिनांक 30.9.2023 से कृषि मंत्रालय में अवर सचिव के रूप में प्रतिनियुक्त किया जाता है।
अधिसूचना संख्या 40/9/200
उपर्युक्त अधिसूचना की प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ प्रेषित है-
- स्थापना शाखा, कृषि मंत्रालय, नई दिल्ली।
- कोषाधिकारी, नई दिल्ली।
- मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर।
- श्री राजबली उपाध्याय, आई.ए.एस., राजस्थान सरकार।
- प्रबन्धक, मुद्रणालय, नई दिल्ली।
7. कार्यालय ज्ञापन (Office Memorandum)
कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग विभिन्न मंत्रालयों के मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान करने हेतु किया जाता है। कार्यालय ज्ञापन के सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है-
- कार्यालय ज्ञापन अन्य पुरुष शैली में लिखा जाता है।
- इसमें महोदय, प्रिय महोदय, जैसे सम्बोधन नहीं होते हैं।
- अन्त में भवदीय, आपका आदि भी नहीं लिखा जाता है। भेजने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर नाम-पद-पता नहीं लिखा जाता है।
- ज्ञापन पाने वाले मंत्रालय का नाम अन्त में बायीं ओर लिखते हैं।
- अधीनस्थ कार्यालयों के साथ इस प्रकार के ज्ञापन प्रयोग में नहीं लाये जाते।
- कार्यालय ज्ञापन में प्रायः ‘अधोहस्ताक्षरी को यह निर्देश हुआ है’ जैसे किसी वाक्य से पत्र का प्रारम्भ किया जाता है।
- ज्ञापन में विषय लिखा जाता है।
उदाहरण-
अधोहस्ताक्षरी को राजभाषा हिन्दी के प्रयोग सम्बन्धी शासनादेश संख्या 525/रा.भा./200 दिनांक 1.8.201…. की ओर ध्यान आकर्षित करने का निर्देश हुआ है कि उसके पालन के प्रति अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अतः राज्य सरकार के सभी विभागों, कार्यालयों को पुनः निर्देश दिया जाता है कि भविष्य में सम्पूर्ण पत्राचार राजभाषा हिन्दी में ही किया जाए।
सेवा में,
राजस्थान राज्य के समस्त मंत्रालय विभाग
8. ज्ञापन (Memorandum)
कार्यालय ज्ञापन और ज्ञापन की रूपरेखा में कोई विशेष अन्तर नहीं होता। इन दोनों के बीच केवल यह अन्तर होता है कि कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग विभिन्न मंत्रालयों के बीच किया जाता है और ज्ञापन का प्रयोग किसी एक मंत्रालय अथवा विभाग के अन्दर ही होता है। ज्ञापन में आवेदन-पत्रों के उत्तर पत्र-प्राप्ति की सूचना, याचिकाओं आदि के उत्तर दिये जाते हैं।
उदाहरण-
श्री हरस्वरूप पारीक को उनके आवेदन पत्र दिनांक 6.9.202…. के सन्दर्भ में सूचित किया जाता है कि राज्य सरकार ने तदर्थ नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित नियमों को स्वीकार कर लिया है।
आवेदन पत्र और नियमावली के लिए 50/-(पचास रुपये मात्र) का मनीऑर्डर इस कार्यालय के उपनिदेशक, अकादमी शाखा के नाम भेजें।
श्री हरस्वरूप परीक,
24 बापू नगर,
जयपुर।
9. अशासनिक पत्र (Non-official Letter)
अशासनिक पत्र को अनौपचारिक निर्देश या अशासनिक टिप्पणी भी कहते हैं। इस पत्र का उपयोग किसी मंत्रालय, विभाग से किसी बात, समस्या या प्रस्ताव पर उसकी सम्पति, विचार टिप्पणी या किसी पूर्व आदेश-निर्देश का स्पष्टीकरण चाहा जाता है।
अशासनिक पत्र दो रूपों में लिखे जाते हैं-
- सम्बन्धित फाइल पर ही टिप्पणी लिखकर उसे सम्बन्धित मंत्रालय या विभाग को भेज दिया जाता है।
- स्वतन्त्र रूप से टिप्पणी लिखकर भेज दी जाती है, फाइल नहीं भेजी जाती।
अशासनिक पत्र में किसी विशेष औपचारिकता का निर्वाह नहीं किया जाता। इसमें-
- कोई सम्बोधन नहीं होता।
- इसमें स्वनिर्देश भी नहीं होता है।
- ऊपर मंत्रालय, विभाग का नाम, स्थान और दिनांक अन्य पत्रों की तरह ही दिया जाता है।
- इसके बाद विषय लिखा जाता है।
- नीचे हस्ताक्षर और पद नाम होता है।
उदाहरण-
शासनादेश सं. 37/4क/200 दिनांक 1.2.201…. के अनुसार 21.1.201…. तक तदर्थ रूप में नियुक्त सभी महाविद्यालयी व्याख्याताओं को स्थायी आधार पर नियुक्त मान लिया गया है। अब ये व्याख्याता वरीयता क्रम के निर्धारण में अपने अस्थायी सेवाकाल को भी सम्मिलित करवाना चाहते हैं।
इस सम्बन्ध में विधि विभाग के निर्देश आवश्यक प्रतीत होते हैं, अत: यह विभाग विभाग विधि विभाग से वास्तविक वैधानिक स्थिति को स्पष्ट करने का आग्रह करता है।
विधि विभाग
राजस्थान सरकार
अशासनिक टिप्पणी संख्या 11/का.वि./74/200
10. पृष्ठांकन (Endorsement)
मूल पत्र या उसकी प्रतिलिपि जिस अन्य विभागों को भेजी जाती है, उनका उल्लेख नीचे किया जाता है, इसी को पृष्ठांकन कहते हैं। पृष्ठांकन के पूर्व इस प्रकार के वाक्य लिखे जाते हैं-
- मूल पत्र या प्रतिलिपि सूचनार्थ
- आवश्यक कार्रवाई हेतु
- शीघ्र अनुपालनार्थ
- रिकॉर्ड के लिए
- शीघ्र उत्तर देने के लिए
- क, ख, ग का मूल रूप में
- अ, ब, स को आवश्यक जाँच के लिए
- क, ख, ग को उनके पत्रांक………दिनांक………के उत्तर में प्रेषित है।
उदाहरण-
पृष्ठांकन
जयपुर, दिनांक 17.9.2023
प्रतिलिपि निम्नांकित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है-
- वित्त विभाग, राजस्थान सरकार
- विधि विभाग, राजस्थान सरकार
- कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार
11. संकल्प या संस्ताव (Resolution)
अधिसूचना की तरह ही संकल्प या संस्ताव भी राजपत्र (गजट) में प्रकाशित किये जाते हैं। गजट के भाग-अनुभाग का उल्लेख आवश्यक होता है। संकल्प का प्रयोग निम्नांकित कार्यों के लिए किया जाता है-
- नीतिगत प्रश्नों पर सरकारी निर्णय की घोषणा के लिए।
- किसी समस्या पर निष्पक्ष सम्मति के लिए आयोग या जाँच समिति की घोषणा के लिए।
- आयोग या जाँच समिति के प्रतिवेदन की घोषणा के लिए।
संकल्प में विषय की पृष्ठभूमि और कारण, सरकारी आदेश और जिनको प्रतियाँ भेजनी होती है, उनका उल्लेख किया जाता है।
उदाहरण-
प्रदेश के विशिष्ट क्षेत्रों में बढ़ते हुए साम्प्रदायिक एवं जातिगत संघर्ष और तनाव को देखते हुए सरकार ने एक समिति गठित की है। यह समिति साम्प्रदायिक एवं जातिगत संघर्ष और तनाव के कारणों पर विचार करेगी और निवारण के लिए अपने सुझाव दिनांक 18.12.2023 तक सरकार को देगी। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे-
- श्री रामसिंह यादव, संसद सदस्य।
- श्री शंकरलाल शर्मा, सचिव, गृह विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार।
- मौलाना श्री अब्दुल करीम, अध्यक्ष, साम्प्रदायिक शान्ति सेना।
इस समिति के अध्यक्ष श्री रामानंद यादव होंगे।
संख्या 39/म.स./37/201
आदेश दिया जाता है कि इस संकल्प की प्रतिलिपि उपर्युक्त तीनों महानुभावों को भेज दी जाए।
यह भी आदेश दिया जाता है कि सचिव, गृह विभाग और प्रबन्धक, राजकीय मुद्रालय को भी आवश्यक कार्यवाही हेत प्रतिलिपि भेज दी जाए।
12. स्वीकृति या मंजूरी-पत्र (Sanction Letter)
राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त होने पर ही स्वीकृति-पत्र लिखा जाता है। जिन मामलों में वित्तीय प्रावधान करने होते हैं, उनकी पूर्व स्वीकृति राष्ट्रपति या राज्यपाल, से लेना आवश्यक होता है। मान लीजिए किसी विभाग में कोई नया पद सृजित करना है तो ऐसा करने के पूर्व सरकार को राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति लेनी होती है। स्वीकृति मिल जाने के बाद ही कोई नया पद सृजित किया जा सकता है। इस तरह की स्वीकृतियों की प्रतियाँ महालेखापाल या लेखापाल एवं वित्त मंत्रालय या वित्त विभाग को अवश्य भेजी जाती हैं। स्वीकृति पत्र सरकार की ओर से सम्बन्धित विभाग को लिखे जाते हैं।
उदाहरण-
संख्या 704/शि.का./370/201
शासन सविचालय,
राजस्थान सरकार, जयपुर
दिनांक 17.9.20120
प्रेषक
प्रियरंजन ठाकुर
मुख्य सचिव,
राजस्थान सरकार, जयपुर।
सेवा में,
शिक्षा-आयुक्त
कॉलेज शिक्षा,
जयपुर।
महोदय,
मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश मिला है कि महामहिम राज्यपाल ने आपके कॉलेज शिक्षा निदेशालय में जोधपुर प्रभाग के लिए 15000-500-20,000 के वेतनमान में एक संयुक्त निदेशक के पद की स्वीकृति प्रदान कर दी है। पद पर होने वाले व्यय के लिए वित्तीय प्रावधान करने की भी स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।
भवदीय
हस्ताक्षर..
मुख्य सचिव,
राजस्थान सरकार
दिनांक 17.9.2023
संख्या : 471/201
प्रतिलिपि सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु निम्नांकित को प्रषित है-
- वित्त विभाग
- लेखपाल
- कार्मिक विभाग
- कॉलेज शिक्षा निदेशालय।
13. प्रेस विज्ञप्ति (Press Communique/Press-note)
महत्त्वपूर्ण सरकारी आदेश, प्रस्ताव अथवा निर्णय के व्यापक सार्वजनिक प्रचार के लिए समाचार-पत्रों में प्रकाशनार्थ भेजी जाने वाली विज्ञप्ति को प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट कहा जाता है।
- समाचार-पत्र का सम्पादक प्रेस विज्ञप्ति में कोई काट-छाँट नहीं कर सकता, उसे ज्यों का त्यों छापना होता है।
- किन्तु जब कोई सामग्री प्रेस नोट के रूप में प्रकाशन के लिए भेजी जाती है तो सम्पादक उसे सम्पादित कर सकता है, उसे छोटा रूप भी दिया जा सकता है।
- प्रेस विज्ञप्ति अथवा प्रेस नोट में सबसे ऊपर यह भी लिखा रहता है कि इसे किस तिथि को प्रकाशित किया जाना है। समय से पूर्व उसका प्रकाशन नहीं किया जा सकता।
- प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट का अपना एक शीर्षक होता है। सम्बोधन और स्वनिर्देश नहीं होता।
- अन्त में नीचे बायीं ओर हस्ताक्षर तथा पद-नाम लिखा जाता है।
- अन्त में नीचे बायीं ओर मंत्रालय का नाम और दिनांक लिखे जाते हैं।
- विज्ञप्ति को सीधे समाचार-पत्र कार्यालयों में न भेजकर सूचना अधिकारी के पास भेजा जाता है।
उदाहरण-
प्रेस विज्ञप्ति
भारत और चीन के बीच वर्षों से चले आ रहे सीमा-विवाद पर समझौता हो चुका है। समझौते पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सहमति स्वरूप हस्ताक्षर कर समझौते को लागू करने की स्वीकृति प्रदान की है। सीमा-रेखा के निर्धारण के लिए विवादग्रस्त क्षेत्र के मध्य भाग की रेखा-सीमा मानकर दोनों देशों का मान्य समाधान स्वीकार किया गया है।
सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, भारत सरकार नई दिल्ली के प्रकाशनार्थ प्रेषित।
परराष्ट्र मंत्रालय,
नई दिल्ली
दिनांक 15.9.2023
14. सूचना (Notice)
प्रेस विज्ञप्ति की भाँति ही सूचना भी समाचार-पत्रों में प्रकाशित की जाती है सरकार सार्वजनिक जीवन और हित के मामलों को सर्वसाधारण तक पहुँचाने के लिए जिन साधनों को काम में लाती है, उनमें सूचना का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। अधिकांश सरकारी विज्ञापन भी सूचना की सीमा में आते हैं।
इसके अतिरिक्त रोजगार सम्बन्धी सूचना, किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने की सूचना आदि सूचना के कई रूप होते हैं। व्यावसायिक संस्थान भी अनेक प्रकार की सूचनाएँ प्रकाशित कराते रहते हैं। सूचना के अन्त में सूचना प्रकाशित करने वाले अधिकारी का नाम व पदनाम दिया जाता है, पर कभी-कभी ऐसा नहीं भी होता है, केवल नाम ही लिखा जाता है।
सार्वजनिक जीवन से जुडी सूचनाओं को प्रारम्भ सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि ….. “जैसे किसी वाक्य से होता है। ऐसी सूचनाओं का दैनिक समाचार-पत्रों में प्रकाशित होना एक आम बात है।”
उदाहरण-
क्रमांक: लेखा/हड्डी/25/201 | दिनांक 19.9.2023 |
सर्वसाधारण को सूचनार्थ प्रकाशित किया जाता है कि पंचायत समिति दौसा क्षेत्र के मृतक पशुओं की हड्डियाँ उठाने का ठेका 2021 के लिए पंचायत समिति मुख्यालय पर दिनांक 28.9.2023 को दोपहर तीन बजे से पाँच बजे तक खुली बोली द्वारा नियमानुसार नीलाम किया जायेगा।
बोली लगाने से पूर्व 5000/-रुपये धरोहर राशि के रूप में जमा कराने होंगे। शेष शर्तों और नियमों की जानकारी कार्यालय समय में अधोहस्ताक्षरी से प्राप्त की जा सकती है।
15. पावती (Acknowledgement)
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों के पास प्रतिदिन ऐसे पत्र आते रहते हैं जिनमें किसी कार्यालय या अधिकारी की शिकायत की जाती है। अपनी व्यक्तिगत समस्या से अवगत करवा कर सहायता की माँग की जाती है और भी अनेक प्रकार के पत्र लिखे जाते रहते हैं। इस प्रकार के सभी पत्रों को बड़े लोगों द्वारा पढ़ा जाना सम्भव नहीं होता। निजी सचिव या सहायक पत्रों को आवश्यक कार्यवाही के लिए सम्बन्धित कार्यालय या अधिकारी के पास भेज देता है।
परंतु शिष्टाचारवश पत्र प्रेषक को सन्तोष देने हेतु पत्र-प्राप्ति की स्वीकृति अथवा सूचना भेज दी जाती है। इस तरह के पावती पत्र पहले से छपे या अंकित रहते हैं, उनमें उस व्यक्ति विशेष का केवल नाम और दिनांक भरना होता है।
उदाहरण-
श्री विनय शर्मा 51, अजायबघर का रास्ता किशनपोल बाजार, जयपुर |
मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार, जयपुर। दिनांक 25.9.2023 |
प्रिय महोदय, आपका दिनांक 20.9.2023 का पत्र मुख्यमंत्रीजी को प्राप्त हो गया है। आप निश्चिन्त रहें, उस पर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है।
16. तार (Telegram)
जब तत्काल कार्रवाई आवश्यक होती है तब तार का उपयोग किया जाता है। तार चूँकि छोटा पत्र-रूप है इसलिए इसमें संक्षिप्ति और स्पष्टता आवश्यक होती है। तार के दो रूप होते हैं –
- सरल और स्पष्ट तार (Simple and Clear Telegram)
- बीजांक या कूटभाषा तार (Cypher or Code Telegram)
पहले तार की भाषा सरल और स्पष्ट होती है। उन्हें कोई भी आसानी से समझ सकता है । दूसरे तार की भाषा कूट-भाषा होती है। इसमें गोपनीय संदेश भेजे जाते हैं। पहले प्रकार के तार की पुष्टि के लिए डाक से प्रतिलिपि या पत्र भेजा जाता है, पर कूट-भाषा-तार की पुष्टि नहीं की जाती।
विषय या समस्या की गम्भीरता प्रदर्शित करने के लिए तारों पर निम्नांकित संकेत शब्द लिखे जाते हैं-
- आवश्यक या महत्त्वपूर्ण (Important)
- अत्यावश्यक (Urgent)
- तात्कालिक (Immediate)
- जीवन रक्षा हेतु संकट-संदेश (S.D.S)
- सैन्य तात्कालिक (Operation Immediate)
उदाहरण-
तार |
सरकार
|
अत्यावश्यक |
तार में शामिल न किया जाये
संख्या 25 /38 दिनांक 23 सितम्बर, 2023
निदेशक, कॉलेज शिक्षा, जयपुर।
17. मितव्यय पत्र (Saving-ram)
मितव्यय पत्र विदेश स्थित दूतावासों के माध्यम से विदेशी सरकारों को भेजा जाने वाला तार ही होता है। इन तारों को हवाई डाक से कूटनीतिक थैले में बन्द करके भेजा जाता है। इन पर मितव्यय पत्र लिखा रहता है। यदि कोई गोपनीय सन्देश देना होता है तो कूट-भाषा का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण-
प्रेषक-
परराष्ट्र नई दिल्ली
सेवा में,
भारत दूतावास, मास्को।
मास्को सरकार को सूचित कर दें कि भूकम्प पीड़ितों की सहायता के लिए भारत सरकार पचास हजार टन चावल, बीस हजार टन दूध पाउडर और एक करोड़ जीवन रक्षक गोलियाँ तुरन्त भेज रही है।