आवेदन पत्र (Application), Avedan Patra / Prarthna Patra – Praroop & RoopRekha

आवेदन पत्र

          आवेदन (Application) शब्द से ही स्पष्ट हो जाता है कि अपने से किसी बड़े अधिकारी को ही लिखा जाने वाला पत्र आवेदन-पत्र कहलाता है। आवेदन पत्र में अपनी स्थिति से अधिकारी को अवगत कराते हुए अपेक्षित सहायता या अनुकूल कार्यवाही की प्रार्थना की जाती है।

आवेदन पत्र लिखना भी अपने आप में एक कला है, इसलिए आवेदन पत्र लिखते समय निम्नांकित बातों का ध्यान रखना चाहिए- 

1.शिष्टता एवं शालीनता

          आवेदन पत्र में औपचारिकता का निर्वाह आवश्यक होता है। चूंकि आवेदन पत्र किसी अधिकारी को लिखा जाता है इसलिए अपनी विनम्रता और अधिकारी के सम्मान की अभिव्यक्ति का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

2. भाषा की सरलता

          आवेदन पत्र की शब्द-योजना और वाक्य-रचना सरल और बोधगम्य होनी चाहिए। सरलता के नाम पर अत्यधिक देशज शब्दों का प्रयोग उचित नहीं कहा जा सकता। इसी प्रकार अत्यधिक परिष्कृत और परिनिष्ठित भाषा के नाम पर अप्रचलित, दुरुह और दुर्बोध संस्कृत भाषा की तत्सम शब्दावली का प्राचुर्य भी अनुचित है। इसलिए शिक्षित जनों की विषयानुकूल भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए।

3. प्रामाणिकता

          आवेदन पत्र में आप जो बात कह रहे हैं, वह विश्वसनीय और प्रमाणपुष्ट होनी चाहिए। आपकी बात अगर तथ्य पर आधारित नहीं होगी तो आवेदन पत्र का अनुकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। उदाहरण के लिए अगर आप अस्वस्थता के कारण चिकित्सा अवकाश चाहते हैं तो आवेदन पत्र के साथ डॉक्टर का प्रमाण पत्र संलग्न होना अत्यन्त आवश्यक होता है।

4. संक्षिप्ति

          किसी अधिकारी के पास इतना समय नहीं होता है कि वह आपकी स्थिति या दशा का विषय में दिये गये छोटे से छोटे विवरणों को भी पढ़ सके, अत: आपको जो कुछ कहना है संक्षेप में कहें। अनपेक्षित विस्तार अधिकारी के मन में अरुचि उत्पन्न करता है।

5. स्पष्टता एवं पूर्णता

          आप जो बात कह रहे हैं, वह एकदम स्पष्ट और पूर्ण होनी चाहिए। इसलिए सांकेतिकता से बचें । लक्षणा-व्यंजना शक्ति को काम में न लाएँ। प्रतीकों में बात न कहें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि किसी बात को कहते-कहते अधूरा न छोड़े। जो कहा जाए वह अपने में पूर्ण होना चाहिए।

आवेदन-पत्र के प्रमुख प्रकार

          आवेदन-पत्र अनेक प्रकार के होते हैं और हो सकते हैं, किन्तु व्यावहारिकता और बहुलता के आधार पर इनको तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है-

1. छात्रों के आवेदन-पत्र

सामान्यत: छात्र-छात्रा वर्ग निम्नांकित अधिकारियों को आवेदन पत्र लिखते हैं-

  1. अपने महाविद्यालय के प्राचार्य को।
  2. अपने विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियन्त्रक को।
  3. कॉलेज शिक्षा निदेशक को।
  4. शिक्षा सचिव एवं शिक्षा मंत्री को। इनको सामान्यतः छात्र-समुदाय पत्र लिखता है, क्योंकि किसी छात्र की व्यक्तिगत समस्याओं से इनका सीधा सम्बन्ध होता है।

छात्र-छात्राओं द्वारा लिखित आवेदन-पत्रों के प्रमुख विषय निम्नांकित होते हैं-

  1. विषय परिवर्तन हेतु।
  2. समय-सारिणी में परिवर्तन हेतु।
  3. सत्र के मध्य में प्रवेश चाहने हेतु।
  4. चरित्र-प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु।
  5. पहचान-पत्र खो जाने पर दूसरा पहचान-पत्र बनवाने के लिए।
  6. प्रवेश नियम में छूट के लिए।
  7. निर्धारित पुस्तकों से अधिक पुस्तकों के लिए।
  8. किसी प्रकार के दण्ड से मुक्त होने के लिए।
  9. परीक्षा में बैठने की अनुमति के लिए।
  10. विकलांग होने पर लिपिक की व्यवस्था के लिए।
  11. मूल प्रमाण पत्र या अंकतालिका खो जाने पर द्वितीय प्रति के लिए।

2. कर्मचारियों के आवेदन-पत्र

          कर्मचारियों के आवेदन-पत्र का सम्बन्ध कार्यालय-कार्य-व्यापार से ही होता है। ऐसे पत्र उस अधिकारी को सम्बोधित होते हैं जो उस कार्यालय या संस्थान का प्रधान होता है और जिसके अधीन कर्मचारी नौकरी कर रहा होता है। कर्मचारियों के आवेदन पत्र अनेक विषयों से सम्बन्धित हो सकते हैं, उनमें से प्रमुख विषय निम्नलिखित हैं-

  1. अवकाश स्वीकृति के लिए।
  2. स्थानान्तरण के लिए।
  3. स्थायीकरण के लिए।
  4. किसी राशि के भुगतान के लिए।
  5. आवास सुविधा के लिए।
  6. वेतन-वृद्धि के लिए।
  7. अनापत्ति प्रमाण-पत्र के लिए।
  8. क्षमा याचना के लिए।
  9. किसी असुविधा को दूर करने के लिए।
  10. कोई विशेष सुविधा की प्राप्ति के लिए।
  11. मुख्यालय छोड़ने की अनुमति के लिए।

          यदि किसी कार्यवश किसी अन्य विभाग या कार्यालय के प्रधान अधिकारी को आवेदन-पत्र दिया जाता है तो आवेदनकर्ता अन्य विभाग का या कार्यालय का कर्मचारी हो अथवा अधिकारी हो, उसे सामान्यतः आवेदन पत्र की उक्त सभी औपचारिकताओं का निर्वाह करना चाहिए।

3. जनसाधारण के आवेदन-पत्र

          जनसाधारण के दैनिक जीवन में अनेक समस्याएँ आती हैं। उन समस्याओं का सम्बन्ध पृथक-पृथक विभागों या कार्यालयों से होता है। समस्या के निराकरण और निवारण के लिए सम्बन्धित अधिकारी को आवेदन-पत्र द्वारा प्रार्थना करनी होती है। ऐसे पत्रों का सम्बन्ध व्यक्तिगत समस्या से भी होता है और सार्वजनिक समस्या से भी। इसलिए ऐसे आवेदन-पत्रों के विषयों की सीमा बहुत बड़ी होती है। बिजली, पानी, फोन, डाक, तार, सड़क आदि से सम्बन्धित अनेक विषय ऐसे आवेदन-पत्रों के आधार हो सकते हैं।
          संक्षेप में समाज के दैनिक जीवन से सबन्धित जितने विभाग और कार्यालय अस्तित्व में है, उनसे सम्बन्धित जितनी समस्याएँ हो सकती हैं, उन सबको आवेदन-पत्र का आधार बनाया जाता है या बनाया जा सकता है। इस प्रकार के आवेदन-पत्रों में भी अन्य आवेदन-पत्रों जैसी उपर्युक्त विशेषताओं का पूरा ध्यान रखा जाना अपेक्षित होता है।

आवेदन पत्र लेखन की रीति

  1. सबसे ऊपर दायीं ओर दिनांक लिखते हैं। पत्र के अन्त में बायीं ओर भी दिनांक लिखने की रीति प्रचलित हो गयी है।
  2. ऊपर बायीं ओर सेवा में लिखकर उस अधिकारी का पद, कार्यालय/विभाग और स्थान लिखा जाता है।
  3. मूल पत्र के प्रारम्भ के पूर्व महोदय, श्रद्धेय, आदरणीय, मान्यवर, माननीय जैसे किसी सम्बोधन का प्रयोग होता है। इस सम्बन्ध में सामान्य रीति यह है कि प्राचार्य जैसे गुरुजनों के लिए श्रद्धेय, आदरणीय का प्रयोग किया जाता है, सरकारी अधिकारी के लिए महोदया या मान्यवर का और व्यावसायिक क्षेत्र के अधिकारी के लिए प्रिय महानुभाव या प्रिय महोदय सम्बोधन का प्रयोग किया जाता है।
  4. सम्बोधन के पूर्व आवश्यक हो तो पत्र के मध्य भाग में विषय लिख देना चाहिए।
  5. सम्बोधन के बाद मूल पत्र का प्रारम्भ किया जाता है। सामान्यतः ‘सविनय निवेदन है कि’ या ‘सादर निवेदन है कि’ जैसे वाक्य से पत्र का प्रारम्भ किया जाता है।
  6. यदि आवेदन पत्र में कई बातों का उल्लेख करना आवश्यक हो तो उन सभी बातों को एक ही अनुच्छेद में नहीं लिखना चाहिए। विवरण को एक से अधिक अनुच्छेदों में विभक्त कर लिखना उचित होता है।
  7. पत्र के अन्त में कोई आभार सूचक वाक्य लिखना चाहिए, जैसे-
  • (क) मैं सदा आपका आभारी रहँगा।
  • (ख) आजीवन कृतज्ञ रहूँगा।
  • (ग) अनुमति देकर कृतार्थ करें।
  • (घ) स्वीकृति देकर अनुगृहीत करें।
  • (च) अनुमति / स्वीकृति देने की कृपा करें।
  • (छ) कृपया अनुकूल कार्रवाई कर अनुगृहीत करें।
  • (ज) आशा है आप इस ओर ध्यान देने की कृपा / कष्ट करेंगे।
  • (झ) मैं आपकी इस कृपा के लिए आजीवन आभारी रहूँगा।
  • आवेदन पत्र के अन्त में प्रार्थी, कृपाकांक्षी, भवदीय, भवनिष्ठ, आपका आज्ञाकारी, आपका विश्वासपात्र जैसा कोई शिष्टतासूचक स्वनिर्देश लिखकर हस्ताक्षर किये जाते हैं। हस्ताक्षर के नीचे नाम, पद लिखना चाहिए। छात्रों को अपनी कक्षा और अनुक्रमांक का उल्लेख करना चाहिए।
  • जो आवेदनकर्ता न छात्र हैं और न कर्मचारी है, उसे अपने नाम के नीचे ही पता भी लिख देना चाहिए।
  •           यदि आवेदन पत्र किसी व्यावसायिक संस्थान के अधिकारी को लिखा जा रहा है तो आवेदनकर्ता को अपना नाम ऊपर बायीं ओर दिनांक से पहले लिखना चाहिए।

    आवेदन पत्र की रूपरेखा

    Vidyalaya Ke Liye Prarthna Patra
    Praroop-II, Vidyalaya Ke Liye Prarthna Patra
    Jila Swasthya Adhikari Ke Liye Prarthna Patra

    आवेदन-पत्र के उदाहरण

    प्रथम प्रारूप

    दिनांक 25.9.2020

    सेवा में,
              प्राचार्य,
              राजकीय महाविद्यालय,
              कालाडेरा

    विषय-विलम्ब से पुस्तक जमा कराने पर आर्थिक दण्ड से मुक्ति।

    परम श्रद्धेय,
              सविनय निवेदन है कि पुस्तकालय की एक पुस्तक को विलम्ब से जमा कराने के कारण 15/-रुपये का आर्थिक दण्ड भरना है। विलम्ब से पुस्तक जमा कराने का आर्थिक दण्ड का नियम मुझे ज्ञात है, पर मेरे ही जैसे निर्धन छात्र-मित्र के माँगेने पर मानवता के नाते में उससे मना नहीं कर सका। जिस दिन उसने मुझसे पुस्तक ली, उसी दिन अपने पिताजी की मृत्यु का समाचार पाकर वह गाँव चला गया। शोक अवधि के सम्पूर्ण लोकाचार पूरे होने के बाद उसने आकर पुस्तक लौटा दी। हम दोनों मजदूर पिताओं की सन्तान हैं। हमारे परिवारों की आर्थिक स्थिति रोज कुँआ खोदकर पानी पीने जैसी है। इसलिए मेरा मित्र पढ़ाई छोड़कर यहाँ से गाँव चला गया है।
              मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि मेरी विषम परिस्थिति को देखते हुए इस भारी आर्थिक दण्ड से मुझे मुक्त करने की कृपा करें।
              आपकी इस महत्ती कृपा के लिए मैं आपका आजीवन आभारी रहूँगा।

    आपका आज्ञाकारी शिष्य
    हस्तारक्षर          
    (रामकिशोर बैरवा)     
    प्रथम वर्ष कला (अ)    
    अनुक्रमांक 2525     

    द्वतीय प्रारूप

    दिनांक 25.2.2020

    सेवा में,
              प्राचार्य,
              राजकीय महाविद्यालय,
              डूंगरपुर
    मान्यवर,
              सविनय निवेदन है कि अस्वस्थ होने के कारण मैं महाविद्यालय आने में असमर्थ हूँ। क्रपया दो दिन (दिनांक 25 एवं 26 सितम्बर, 2020) का आकस्मिक अवकाश प्रदान कर अनुगृहीत करें।
    सधन्यवाद।

    भवनिष्ठ            
    हस्ताक्षर……       
    (जगदीश प्रसाद कौशिक)
    व्याख्याता, इतिहास   

    त्रतीय प्रारूप

    दिनांक 27.9.2020

    सेवा में,
              डाकपाल,
              मालवीय नगर,
              जयपुर-302004

    विषयः-परिवर्तित पते पर पत्र भेजने की व्यवस्था बाबत।

    महोदय,
              निवेदन है कि मुझे सरकारी मकान आवंटित हो गया है। मैं दिनांक 30.10.2020 तक उस मकान में चला जाऊँगा। वैसे मैं अपने सभी मित्रों और परिजनों को इसकी सूचना दे रहा हूँ फिर
    भी इसी बीच यदि मेरे नाम कोई पत्र उपर्युक्त पते पर आये तो उसे निम्नलिखित पते पर भिजवाने का कष्ट करें।
              डॉ. अशोक अग्रवाल
              315, बिहारी कॉलोनी,
              मालवीय नगर (पश्चिम)
              जयपुर-302005
    मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप अनुकूल कार्यवाही कर अनुगृहीत करेंगे।
    कष्ट के लिए क्षमा।

    भवदीय          
    हस्ताक्षर         
    (डॉ. अशोक अग्रवाल)
    2/1405, मालवीय नगर,
    जयपुर          

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