फिर भी, इंडिया विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के स्तर तक आने में इसी तरह के पर्यावरण की गुणवत्ता तक पहुँचने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। देश के लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर है। पर्यावरण की समस्या का, बीमारी, स्वास्थ्य के मुद्दों और भारत के लिए लंबे समय तक आजीविका पर प्रभाव का मुख्य कारण हैं।
उदाहरण १. फीरोजाबाद नगर में गन्दगी विषय पर एक पत्र सम्पादक अमर उजाला के लिए लिखिए।
सेवा में, सम्पादक अमर उजाला, आगरा |
३३०, गांधी नगर फीरोजाबाद दिनांक: २०.८.२०१९ |
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक पत्र में प्रकाशनार्थ यह पत्र भेज रहा हूं। कृपया इसे प्रकाशित कर सम्बन्धित अधिकारियों का ध्यान इस समस्या की ओर आकृष्ट करें।
फीरोजाबाद एक औद्योगिक नगर है एवं जिला मुख्यालय है। खेद का विषय है कि इस नगर की सफाई व्यवस्था सन्तोषजनक नहीं है। सड़कों पर जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं, नालियों में गन्दा पानी सड़ रहा और चारों तरफ ‘सिल्ट’ के ढेर लगे हैं। नगरपालिका के सफाई कर्मचारी अपनी ड्यूटी पर ठीक समय पर नहीं पहुँचते। पहले तो गली, मुहल्लों में सुबह-शाम दोनों वक्त सफाई होती थी, किन्तु अब तो सप्ताह में केवल एक बार झाडू लगती है।
यदि सफाई का समुचित प्रबन्ध न किया गया तो महामारी फैलने की आशंका है, अतः मैं इस पत्र के माध्यम से नगरपालिका के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो से तथा जिला प्रशासन से अनुरोध करूंगा कि वे नगर की जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ न करें तथा सफाई की समुचित व्यवस्था करें।
धन्यवाद सहित। | भवदीय सन्तोष शर्मा |
उदाहरण २. मुख्य नगर अधिकारी को एक पत्र अपने मोहल्ले में व्याप्त गन्दगी की शिकायत करते हुए लिखिए।
सेवा में, मुख्य नगर अधिकारी नगर निगम आगरा |
३२/१,हाथीघाट बेलनगंज आगरा दिनांक: २०.८.२०१९ |
महोदय,
मैं आपका ध्यान बेलनगंज में व्याप्त गन्दगी की ओर आकष्ट करना चाहता हूं। इस मोहल्ले में सर्वत्र गन्दगी का साम्राज्य व्याप्त है। आवारा पश कडे के ढेर को बिखराकर नारकीय दृश्य उपस्थित कर देते हैं। पता नहीं क्यों, इस मोहल्ले की सफाई व्यवस्था पिछले दो माह से एकदम खराब हो गई है। मोहल्ले से चुने हुए सभासद से भी हम लोगों ने शिकायत की है, पर वे इस समस्या का कोई समाधान नहीं कर पाए।
आपसे अनुरोध है कि इस मोहल्ले में तैनात सफाई कर्मचारियों एवं जमादार से इस विषय में समुचित पूछताछ करें तथा एक दिन स्वयं आकर सफाई व्यवस्था का निरीक्षण करें। वास्तविकता आपके समक्ष प्रकट हो जाएगी। सफाई कर्मचारी मोहल्लावासियों से सुविधा शुल्क भी मांगते हैं और न देने पर सफाई कार्य अधूरा छोड़कर चले जाते हैं। परिणामतः नालियों में गन्दा पानी सड़ रहा है, कूड़े के ढेर लगे हुए हैं, मच्छर तथा मक्खियों का साम्राज्य व्याप्त है तथा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
यदि समय रहते समुचित सफाई व्यवस्था न की गई तो महामारी फैलने की आशंका है। आपसे अनुरोध है कि समुचित कार्यवाही करें।
धन्यवाद सहित। | भवदीय केशव चन्द्र अग्रवाल |
उदाहरण ३. बाहनों से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए एक पत्र सम्पादक के नाम लिखिए तथा इसकी रोकथाम के लिए समुचित सुझाव भी दीजिए।
सेवा में, सम्पादक नवभारत टाइम्स नई दिल्ली |
३२०/३, रोहिणी नई दिल्ली दिनांक १५.८.२०१९ |
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र में यह पत्र प्रकाशित कर अधिकारियों का ध्यान वाहनों से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण की ओर आकर्षित करना चाहता हूं।
दिल्ली महानगर में वाहनों में पेट्रोल एवं डीजल का प्रयोग होता है। इन वाहनों से इतना प्रदूषण फैलता है कि सामान्य व्यक्ति के लिए स्वच्छ वाय में सांस लेना भी दभर हो गया है। किसी भी चौराहे पर लाल बत्ती होने पर वाहनों की कतारें लग जाती हैं तथा पेटोल एवं डीजल का धआं वातावरण को इतना प्रदूषित कर देता है कि आंखों में जलन होने लगती है और फेफड़े ऑक्सीजन की कमी अनुभव करने लगते हैं। अब तो प्रायः लोग मुंह पर ‘मास्क’ लगाकर दो पहिया वाहन चलाते हुए देखे जा सकते हैं।
यदि बढ़ते हुए प्रदूषण पर रोक न लगाई गई तो महानगर की अधिकांश जनता भयंकर बीमारियों से ग्रस्त हो जाएगी। मेरा इस सम्बन्ध में सरकार के सक्षम अधिकारियों से अनुरोध है कि वे समस्या की गम्भीरता को समझें और समय रहते आवश्यक कदम उठाकर जनता को इस प्रदूषण से मुक्ति दिलवाएं।
इस सम्बन्ध में मैं अपने कुछ सुझाव प्रस्तुत कर रहा हूं :
- पेट्रोल एवं डीजल चालित वाहनों के स्थान पर सी. एन. जी., एल. पी. जी., सौर ऊर्जा तथा बैटरी चालित वाहनों का प्रयोग किया जाए।
- जब तक इस प्रकार के वाहन पूर्णतः प्रयुक्त नहीं होते, तब तक सीसा रहित पेट्रोल वाहनों को दिया जाए।
- सामुदायिक वाहनों में कई लोग मिलकर यात्रा करें, निजी वाहनों का प्रयोग कम-से-कम करें।
- नए वाहनों के अन्धाधुन्ध लाइसेन्स न दिए जाएं।
- जन जागरण के माध्यम से लोगों को स्वच्छ पर्यावरण के प्रति सचेत किया जाए।
आशा है कि इन सुझावों पर अमल करके सरकार जनता को स्वच्छ वातावरण प्रदान करके अपना उत्तरदायित्व निभाएगी तथा पर्यावरण प्रदूषण को यथासम्भव कम करेगी।
धन्यवाद। | भवदीय मोहन कुमार दीक्षित |
उदाहरण ४. परीक्षा काल में लाउडस्पीकरों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने हेतु एक पत्र अपने नगर के सिटी मजिस्ट्रेट को लिखिए।
सेवा में, सिटी मजिस्ट्रेट आगरा |
३२/E, कमला नगर आगरा दिनांक १८.४.२०१९ |
महोदय,
इस समय नगर में माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की हाईस्कूल एवं इण्टर की परीक्षाएं विभिन्न विद्यालयों में चल रही हैं, साथ ही डॉ. बी. आर. अम्बेदकर विश्वविद्यालय आगरा की परीक्षाएं भी नगर के कई महाविद्यालयों में प्रारम्भ हो चुकी हैं। परीक्षार्थी इस समय शान्त वातावरण में अपना अध्ययन करना चाहते हैं जिससे परीक्षा में अच्छे अंक ला सकें।
खेद है कि परीक्षा काल में विद्यार्थियों को शान्त वातावरण उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। दिन-रात लाउडस्पीकरों पर कहीं फिल्मी गाने बज रहे हैं, तो कहीं भजन-कीर्तन के नाम पर कान फोड़े जा रहे हैं। कोई धर्म प्रेमी अखण्ड रामायण का पाठ लाउडस्पीकर पर करवा रहे हैं तो कहीं भागवत की कथाएं लाउडस्पीकर पर चल रही है। किसी को भी परीक्षार्थियों का ध्यान नहीं है। पान की दुकानों पर जोर-जोर से गाने बजाए जाते है तो बरात के अवसर पर बैण्ड-बाजों एवं लाउडस्पीकरों से निकलने वाला कान फोडू संगीत मानसिक तनाव उत्पन्न कर देता है।
मैं इस पत्र क माध्यम से आपसे अनुरोध करूंगा कि धारा १४४ के अन्तर्गत इन पर दो माह के लिए प्रतिबन्ध लगा दे तथा प्रतिबन्ध का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध पलिस को कड़ी कार्यवाही का निर्देश दे।
परीक्षार्थियों को शान्त वातावरण प्रदान करना प्रशासन का उत्तरदायित्व है। आशा है आप मेरे अनुरोध को स्वीकार कर अविलम्ब इन लाउडस्पीकरों पर प्रतिबन्ध लगाकर ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति दिलवाएगे।
धन्यवाद सहित। | भवदीय शैलेश कुमार गुप्ता |
उदाहरण ५. फीरोजाबाद नगर में चिमनियों के धुएं से होने वाले वायु प्रदूषण की ओर अधिकारियों एवं सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए एक पत्र सम्पादक अमर उजाला, आगरा को लिखिए।
सेवा में सम्पादक अमर उजाला आगरा |
३०, गणेश नगर आगरा रोड फीरोजाबाद दिनांक २५.७.२०१९ |
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र में यह पत्र प्रकाशित करवाकर सरकार एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों का ध्यान फीरोजाबाद नगर में कांच उद्योग के कारण होने वाले प्रदूषण की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं। आशा है इसे प्रकाशित कर सम्बन्धित अधिकारियों एवं सरकार को इस विषय में सजग करेंगे।
फीरोजाबाद एक औद्योगिक नगर है जहां कांच एवं चूड़ी के पांच सौ से अधिक कारखाने हैं। इन कारखानों में से कुछ कारखानों में तो ईंधन के रूप में गैस का प्रयोग होता है, किन्तु अभी भी अधिकांश कारखाने कोयले
का प्रयोग ईधन के रूप में करते हैं, जिससे हानिकारक धुआं निकलता है जो वातावरण को प्रदूषित कर देता है।
नगर की वाय इतनी प्रदूषित हो गई है कि आम नागरिक को स्वच्छ वायु सांस लेने को उपलब्ध नहीं हो पा रही है, परिणामतः तरह-तरह के रोग यहां फैल रहे हैं। सरकार को कोयले के प्रयोग पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए और एक निश्चित समय सीमा के भीतर सभी औद्योगिक इकाइयों को ईंधन के रूप में गैस का ही प्रयोग करने का आदेश देना चाहिए। जब तक कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक जनता को स्वच्छ पर्यावरण नहीं मिल सकता।
आशा है सक्षम अधिकारी इस समस्या की ओर अविलम्ब ध्यान देकर जनता को स्वच्छ वातावरण प्रदान कर स्वच्छ वायु में सांस लेना सम्भव करा सकेंगे।
धन्यवाद सहित। | भवदीय प्रेम कुमार गुप्ता |