उपमा अलंकार
उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना।, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। अर्थात जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है। यह अलंकार, Hindi Grammar के Alankar के भेद में से एक हैं।
उपमा अलंकार के अंग
उपमा अलंकार के निम्न चार अंग होते हैं – उपमेय, उपमान, वाचक शब्द, साधारण धर्म।
उपमेय
उपमेय का अर्थ होता है – उपमा देने के योग्य। अगर जिस वस्तु की समानता किसी दूसरी वस्तु से की जाये वहाँ पर उपमेय होता है।
उपमान
उपमेय की उपमा जिससे दी जाती है उसे उपमान कहते हैं। अथार्त उपमेय की जिस के साथ समानता बताई जाती है उसे उपमान कहते हैं।
वाचक शब्द
जब उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती है तब जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे वाचक शब्द कहते हैं।
साधारण धर्म
दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाने के लिए जब किसी ऐसे गुण या धर्म की मदद ली जाती है जो दोनों में वर्तमान स्थिति में हो उसी गुण या धर्म को साधारण धर्म कहते हैं।
उपमा अलंकार के भेद
उपमा अलंकार के मुख्य रूप से दो भेद होते है। जो इस प्रकार हैं- भेद पूर्णोपमा अलंकार, लुप्तोपमा अलंकार।
पूर्णोपमा अलंकार
इसमें उपमा के सभी अंग होते हैं – उपमेय , उपमान , वाचक शब्द , साधारण धर्म आदि अंग होते हैं वहाँ पर पूर्णोपमा अलंकार होता है। जैसे –
सागर -सा गंभीर ह्रदय हो ,
गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन।
लुप्तोपमा अलंकार
इसमें उपमा के चारों अगों में से यदि एक या दो का या फिर तीन का न होना पाया जाए वहाँ पर लुप्तोपमा अलंकार होता है। जैसे –
कल्पना सी अतिशय कोमल।
जैसा हम देख सकते हैं कि इसमें उपमेय नहीं है तो इसलिए यह लुप्तोपमा का उदहारण है।
उपमा अलंकार के उदाहरण
1.
इस उदाहरण में हरि के पैरों कि तुलना कमल के फूल से की गयी है। हरि के चरणों को कमल के फूल के जैसे कोमल बताया गया है।
2.
उदाहरण में कर-उपमेय है, कमल-उपमान है, कोमल-साधारण धर्म है एवं सा-वाचक शब्द है। जब किन्ही दो वस्तुओं की उनके एक सामान धर्म की वजह से तुलना की जाती है तब वहां उपमा अलंकार होता है।
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Examples of Upama Alankar
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उपमालंकार: संस्कृत
‘उप’ का अर्थ होता है—समीप से और ‘मा’ का अर्थ है–तौलना या देखना । जब दो भिन्न वस्तुओं या व्यक्तियों में समान धर्म के कारण समानता दिखाई दे, तब वहाँ
उपमा अलंकार होता है। इसके मुख्यतया चार अंग होते हैं-
- उपमान : जिससे उपमा दी जाती है।
- उपमेय : जिसके लिए उपमा दी जाती है।
- साधारण धर्म : उपमान और उपमेय में समान गुण ।
- वाचकः -उपमान और उपमेय के बीच समानता दर्शाने के लिए प्रयुक्त सादृश्यवाचक शब्द।
उदाहरण: अगर किसी के सौंदर्य के वर्णन में कहा जाय कि उसका पख चंद्रमा के समान सुंदर है तो इसमें मुख को उपमेय, चंद्रमा को उपमान, ‘संदर’ को साधारण धर्म
और ‘के समान’ को वाचक माना जाएगा।
कविकुलगुरु कालिदास को उपमासम्राट् कहा जाता है। यानी कालिदास ने उपमा का। प्रयोग जमकर और अत्यंत रुचिकर किया है। रीतिकारों ने एक मत से स्वीकार करते हुए लिखा है-
‘उपमा कालिदासस्य भावेऽर्थगौरवम् ।।
दण्डिनः पदलालित्यं माघेसन्ति त्रयोगुणाः ।।
इस अलंकार के कुछ उदाहरण देखें-
1.
प्रभावप्रभवं कान्तं स्वाधीनपतिका यथा ।।
2.
दुरालोकः स समरे निदाधाम्बररत्नवत् ।।
3.
प्रत्यर्थिसेनया दृष्टः कृतान्तेन समः प्रभुः ।।
4.
विषकल्पं मनो वेत्सि यदि जीवसि तत्सखे ।।
5.
नेत्रानन्देन चन्द्रेण माहेन्द्रीदिगलङ्कृता ।।
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