निपात-अवधारक
किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसे निपात (अवधारक) कहते है। जैसे :- भी , तो , तक , केवल , ही , मात्र आदि।
निपात के उदाहरण (Nipat Ke Udaharan)
- तुम्हें आज रात रुकना ही पड़ेगा।
- तुमने तो हद कर दी।
- कल मै भी आपके साथ चलूँगा।
- गांधीजी को बच्चे तक जानते है।
- धन कमा लेने मात्र से जीवन सफल नहीं हो जाता।
निपात के भेद (Nipat Ke Bhed)
यास्क ने निपात के तीन भेद माने है-
- उपमार्थक निपात– इव, न, चित्, नुः
- कर्मोपसंग्रहार्थक निपात– न, आ, वा, ह;
- पदपूरणार्थक निपात– नूनम्, खलु, हि, अथ
यद्यपि निपातों में सार्थकता नहीं होती, तथापि उन्हें सर्वथा निरर्थक भी नहीं कहा जा सकता। निपात शुद्ध अव्यय नहीं है; क्योंकि संज्ञाओं, विशेषणों, सर्वनामों आदि में जब अव्ययों का प्रयोग होता है, तब उनका अपना अर्थ होता है, पर निपातों में ऐसा नहीं होता। निपातों का प्रयोग निश्र्चित शब्द, शब्द-समुदाय या पूरे वाक्य को अन्य भावार्थ प्रदान करने के लिए होता है।
निपात के कार्य
निपात के निम्नलिखित कार्य होते हैं-
- प्रश्न– जैसे : क्या वह जा रहा है ?
- अस्वीकृति– जैसे : मेरा छोटा भाई आज वहाँ नहीं जायेगा।
- विस्मयादिबोधक– जैसे : क्या अच्छी पुस्तक है !
- वाक्य में किसी शब्द पर बल देना- बच्चा भी जानता है।
निपात के प्रकार (Nipat Ke Prakar)
निपात के नौ प्रकार या वर्ग हैं-
- स्वीकृतिबोधक (स्वीकार्य) निपात – हा,जी,जी हाँ।
- नकारबोधक निपात – जी नहीं,नहीं।
- निषेधबोधक निपात – मत।
- प्रश्नबोधक निपात – क्या।
- विस्मयबोधक निपात – क्या,काश।
- तुलनाबोधक निपात – सा।
- अवधारणाबोधक निपात – ठीक,करीब,लगभग,तकरीबन।
- आदरबोधक निपात – जी।
- बल प्रदायकबोधक निपात – तो,ही,भी,तक,भर,सिर्फ,केवल।