निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute Humidity) वायु के परिमाण की इकाई में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा, जो साधारण रूप से प्रति घनमीटर, ग्राम में प्रदर्शित की जाती है।
निरपेक्ष आर्द्रता की परिभाषा एवं अर्थ
निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute Humidity) वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा को दर्शाने वाली एक मापनीय इकाई है। यह प्रति इकाई वायु मात्रा में मौजूद जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को मापता है। इसे ग्राम प्रति घन मीटर (g/m³) में व्यक्त किया जाता है। सरल शब्दों में, यह दर्शाता है कि एक घन मीटर वायु में कितने ग्राम जलवाष्प मौजूद है।
वायु के एकांक आयतन में उपस्थित वाष्प के द्रव्यमान को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसको प्रायः “ग्राम प्रति घन मी” में व्यक्त करते हैं।
निरपेक्ष आर्द्रता के उदाहरण
1. निम्न आर्द्रता (Low Absolute Humidity):
ठंडे और शुष्क क्षेत्रों में, जैसे कि रेगिस्तान या ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र, वायु में जलवाष्प की मात्रा बहुत कम होती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी स्थान पर वायु का तापमान 10°C है और निरपेक्ष आर्द्रता 2 g/m³ है, तो इसका मतलब है कि एक घन मीटर वायु में केवल 2 ग्राम जलवाष्प उपस्थित है।
2. उच्च आर्द्रता (High Absolute Humidity):
गर्म और आर्द्र क्षेत्रों, जैसे कि समुद्र तटीय क्षेत्रों या उष्णकटिबंधीय जंगलों में, वायु में जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी स्थान पर वायु का तापमान 30°C है और निरपेक्ष आर्द्रता 25 g/m³ है, तो इसका अर्थ है कि एक घन मीटर वायु में 25 ग्राम जलवाष्प उपस्थित है।
निरपेक्ष आर्द्रता तथा आपेक्षिक आर्द्रता
जब वायु जल की वाष्प से संतृप्त होती है अथवा संतृप्तता के समीप होती है तो उसे ‘नम वायु’ (moist air) कहते परन्तु जब वह संतृप्तता से दूर होती है तब उसे ‘शुष्क-वायु’ (dry air) कहते हैं। वायु के नम अथवा शुष्क होने का ठीक ज्ञान वायु में उपस्थित वाष्प की मात्रा से नहीं हो सकता, बल्कि इससे उल्टे भ्रम हो सकता है।
गर्मियों में प्रातःकाल जब ओस होती है, तब वायु नम होती है। परन्तु दोपहर को वायु शुष्क हो जाती है। इसका कारण यह है कि प्रातः काल ताप कम होता है, अतः वायु वाष्प की कम मात्रा से ही संतृप्तता के समीप होती है, परन्तु दोपहर को ताप बढ़ जाने से वाष्प को मात्रा अधिक होने पर भी वह संतृप्तता से दूर होती है।
अतः स्पष्ट है कि वायु की वाष्प सम्बन्धी दशा उसकी निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute Humidity) पर निर्भर नहीं करती बल्कि इस बात पर निर्भर करती है कि वह संतृप्तता से कितनी दूर है। इसका ज्ञान वायु को ‘आपेक्षिक आर्द्रता‘ से होता है।
किसी ताप पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित वाष्प के द्रव्यमान तथा उसी ताप पर वायु के उसी आयतन को संतृप्त करने के लिए आवश्यक वाष्य के द्रव्यमान के अनुपात को “आपेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity)” कहते हैं।
इसे प्राय: प्रतिशत में व्यक्त करते हैं, अतः अनुपात को 100 से गुणा कर देते हैं। इस प्रकार, यदि वायु (वायुमण्डल) का ताप °C हो तो आपेक्षिक आर्द्रता:
आ० आ० = 1°C पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित वाष्प का द्रव्यमान / t°C पर वायु के उसी आयतन को संतृप्त करने के लिए आवश्यक वाष्प का द्रव्यमान × 100
परन्तु निश्चित आयतन के लिये द्रव्यमान घनत्व के अनुक्रमानुपाती होता है, तो-
आ० आ० = t°C पर वायु में उपस्थित वाष्प का घनत्व/t°C पर संतृप्त वाष्प का घनत्व × 100
असंतृप्त वाष्प, संतृप्त होने तक बॉयल के नियम का पालन करती है। अतः नियत ताप पर, वाष्प का घनत्व, दाब के अनुक्रमानुपाती होगा। तब-
आ० आ० = t°C पर वायु में उपस्थित वाष्प का दाब / t°C पर संतृप्त वाष्प-दाब × 100
हम ऊपर देख चुके हैं कि किसी ताप पर वायु में उपस्थित वाष्प का दाब, ओसांक पर संतृप्त वाष्प-दाब के बराबर होता है, इसलिए:
आ० आ० = ओसांक पर संतृप्त वाष्प-दाब / t°C पर संतृप्त वाष्प-दाब ×100
इस प्रकार यदि संतृप्त वाष्प-दाब ओसांक f पर तथा वायुमण्डल के ताप t°C पर F हो, तो
आपेक्षिक आर्द्रता = f/F × 100
यदि हमें ओसांक ज्ञात हो तो ओसांक तथा वायुमण्डल के ताप पर संतृप्त वाष्प-दाब का मान रैनो की सारणी से देखकर आपेक्षिक आर्द्रता ज्ञात कर सकते हैं।