‘समाचार-पत्रों की उपयोगिता एवं महत्व’ से मिलते जुलते शीर्षक इस प्रकार हैं-
- समाचार-पत्रों का महत्व
- समाचार-पत्र : लोकतन्त्र के रखवाले
- समाचार-पत्रों की भूमिका
- समाचार-पत्र : लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ
- समाचार-पत्र और जनजागरण
निबंध की रूपरेखा
- प्रस्तावना
- समाचार-पत्रों का प्राचीन स्वरूप
- समाचार-पत्रों की आवश्यकता एवं प्रकार
- समाचार-पत्रों का विकास
- समाचार-पत्रों के भेद
- समाचार-पत्रों की उपयोगिता
- समाचार-पत्रों का दुरुपयोग
- समाचार-पत्रों का उत्तरदायित्व
- उपसंहार
समाचार-पत्रों की उपयोगिता एवं महत्व
प्रस्तावना
जिज्ञासा मानव की स्वाभाविक प्रवत्ति है। इसका मुख्य कारण यह है कि अन्य प्राणियों की अपेक्षा मानव में चिन्तनशक्ति अधिक है। उसकी ज्ञान की प्यास कभी नहीं बुझती। जितना ज्ञान बढ़ता जाता है, उसके ज्ञान की प्यास बढ़ती ही जाती है। साहित्य ही उसके मस्तिष्क की प्यास को बुझा सकता है। इस दृष्टि से देश-विदेश की सम्पूर्ण खबरों को जानने का एक ही साधन है- समाचार-पत्र।
समाचार-पत्रों का प्राचीन स्वरूप
प्राचीन समाज में भी समाचारों का आदान-प्रदान होता था। पहले यह कार्य संदेशवाहकों के माध्यम से किया जाता था। प्रथम समाचार-पत्र का जन्म इटली में हुआ था। इससे प्रभावित होकर इंग्लैण्ड में भी समाचार-पत्रों का प्रकाशन प्रारम्भ हो गया। भारत में इसका जन्म मुगलकाल में ही हुआ।
इसी काल में ‘अखबारात ई-मुअतले‘ नामक समाचार-पत्र का उल्लेख मिलता है। हिन्दी में ‘उदन्त मार्तण्ड‘ पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ।
समाचार-पत्रों की आवश्यकता और उनके प्रकार
मानव की जिज्ञासा वृत्ति को शान्त करने के लिए समाचार-पत्रों का आविष्कार हुआ। विज्ञान ने आज सम्पूर्ण विश्व को एक परिवार में बदल दिया है। देश-विदेश की घटनाओं का प्रभाव उस पर पड़ता है। अतः समाचार-पत्र ही इन घटनाओं को जानने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। आज की परिस्थितियों में समाचार-पत्र को युग की अनिवार्य आवश्यकता कहा जा सकता है।
आधुनिक समाचार-पत्र अनेक रूपों में प्रकाशित हो रहे है। साहित्यिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद सम्बन्धी विविध प्रकार के समाचार-पत्र प्रतिदिन प्रकाशित होते हैं।
समाचार-पत्रों का विकास
समाचार-पत्र सोलहवीं शताब्दी की देन है। मुद्रण-कला के विकास के साथ-साथ समाचार-पत्रों का प्रयोग और प्रचार बढ़ा। आज ‘हिन्दुस्तान’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘नवजीवन’, ‘स्वतन्त्र भारत’, ‘आज’, ‘जनसत्ता’, ‘अमर उजाला’, ‘दैनिक जागरण’ आदि उच्चकोटि के अनेक समाचार-पत्रों का प्रकाशन हिन्दी समाचार-पत्रों के विकास की चरम परिणति की सूचना दे रहा है।
भारतीय समाचार-पत्रों के भेद
प्रकाशन की समयावधि के आधार पर समाचार-पत्रों को विभिन्न नाम- दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक तथा वार्षिक दिए गए हैं। ये समाचार-पत्र विषय के अनुसार अनेक उपखण्डों में बांटे जा सकते हैं जैसे- राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक आदि।
किन्तु आजकल एक ही समाचार-पत्र में पृथक्-पृथक् स्तम्भ देकर उपर्युक्त सभी सामग्री को एक साथ संकलित करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे समाचार-पत्रों की उपयोगिता में और अधिक वृद्धि हो रही है।
समाचार-पत्रों की उपयोगिता
प्रत्येक व्यक्ति समाचार-पत्रों के माध्यम से अपनी अभिरुचि के अनुसार सामग्री प्राप्त करता है। हमारे देश में राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने का श्रेय समाचार-पत्रों को ही है। व्यापारिक क्षेत्र में भी समाचार-पत्रों में विज्ञापन दिए जाते हैं।
बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए ‘आवश्यकता’ के कॉलम दिए जाते हैं। विभिन्न परीक्षाओं के परीक्षाफल भी इनके माध्यम से जनसाधारण तक पहुँचाए जाते हैं। कुछ समाचार-पत्रों में मनोरंजन के साथ-साथ खेल-कद का विस्तृत विवरण भी दिया जाता है। समाचार-पत्र मनुष्यों के सर्वांगीण विकास का प्रमुख माध्यम है।
समाचार-पत्रों का दुरुपयोग
जब प्रकाशक एवं सम्पादक अपने पत्र के प्रचार व प्रसार के लिए दूषित साधन अपनाते हैं, पीत-पत्रकारिता पर आधारित भ्रामक एवं राष्ट्र विरोधी खबरें छाप देते हैं तो इससे राष्ट्रीय एवं साम्प्रदायिक एकता को आघात पहुंचता है। वस्तुतः समाचार-पत्रों का मूल उद्देश्य मानव-कल्याण है किन्तु जब हम स्वार्थवश इस उद्देश्य को भूलकर इनके द्वारा अपने संकीर्ण उद्देश्यों को पूरा करना चाहते हैं तो उनसे लाभ के स्थान पर हानि ही होती है।
समाचार-पत्रों का उत्तरदायित्व और भविष्य
समाचार-पत्रों का उत्तरदायित्व है कि मानवता एवं समाज तथा राष्ट्रविरोधी किसी भी समाचार को कभी प्रकाशित न करें। कभी ऐसे समाचार प्रकाशित न करें जिससे जनता दिग्भ्रमित हो और उसका नैतिक और चारित्रिक पतन हो। यदि समाचार पत्र, अपने उत्तरदायित्व का ईमानदारी के साथ निवाह करें तो निश्चय ही इनका भविष्य उज्ज्वल है।
उपसंहार
हमारे देश में समाचार पत्रों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। हमारा देश अभी विकास के बाल्यकाल से ही गुजर रहा है, अतः हमारे समाचार-पत्रों में जनहित की सामग्री का होना नितान्त आवश्यक है। स्वस्थ समाचार-पत्र सरकार की नीतियों को सही रूप में जनता के सामने रखेंगे तो इसमें सन्देह नहीं कि देश का चरमोत्कर्ष सम्भव हो सकेगा।
निबंध लेखन के अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक देखें
हिन्दी के निबंध लेखन की महत्वपूर्ण जानकारी जैसे कि एक अच्छा निबंध कैसे लिखे? निबंध की क्या विशेषताएँ होती हैं? आदि सभी जानकारी तथा हिन्दी के महत्वपूर्ण निबंधो की सूची देखनें के लिए
‘Nibandh Lekhan‘ पर जाएँ। जहां पर सभी महत्वपूर्ण निबंध एवं निबंध की विशेषताएँ, प्रकार आदि सभी दिये हुए हैं।