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सम्प्रेषण का महत्त्व (Importance of Communication) सम्प्रेषण प्रशासन का महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है। किसी संगठन का कार्य करने के लिये सम्प्रेषण होना आवश्यक है। यदि संगठन की पूरी जानकारी होगी तो...
सम्प्रेषण कौशल (Communication Skill) सम्प्रेषण कौशल दो शब्दों से मिलकर बना है- (1) सम्प्रेषण, (2) कौशल। कौशल का अर्थ होता है ‘कुशलता से कार्य करने की योग्यता‘ (Ability to work...
सम्प्रेषण की विधियाँ (Methods of Communication) सम्प्रेषण मुख्यतः दो प्रकार का होता है:- शाब्दिक सम्प्रेषण (Verbal communication) अशाब्दिक सम्प्रेषण (Non-verbal communication) 1. शाब्दिक सम्प्रेषण (Verbal communication) शाब्दिक सम्प्रेषण में सदैव...
सम्प्रेषण का उद्देश्य सम्प्रेषण मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यदि मनुष्य अपने विचारों, भावनाओं, उद्वेगों और अर्न्तद्वन्द्वों को प्रकाशित न कर सके तो वह मानसिक सन्तुलन खो बैठता है।...
सम्प्रेषण के सिद्धांत कोई भी व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं या किसी सम्प्रत्यय को किसी दूसरे व्यक्ति से व्यक्त करता है। अतः सम्प्रेषण द्विपक्षीय प्रक्रिया (Two way process) है। सम्प्रेषण के...
सम्प्रेषण किसे कहते हैं? सम्प्रेषण को शिक्षा की ‘रीढ़ की हड्डी’ माना जाता है। सम्प्रेषण के अभाव में अधिगम और शिक्षण नहीं हो सकता है। ‘सम्प्रेषण’ दो शब्दों से मिलकर...
द्विध्रुवीय अथवा त्रिध्रुवीय शिक्षण जॉन एडम्स (John Adams) के अनुसार, “Education is a bi-polar system.” अर्थात् शिक्षा एक द्विध्रुवीय प्रक्रिया है। एडम्स के अनुसार शिक्षा के ये दो ध्रुव हैं- शिक्षक...
शिक्षण के उद्देश्य (Aims of Teaching) शिक्षण एक कला है। व्यापक अर्थ में शिक्षण व्यक्ति के जीवन में निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। बालक प्रत्येक स्थान पर और प्रत्येक व्यक्ति...
शिक्षण की प्रकृति (Nature of Teaching) शिक्षण की अवधारणा तथा अर्थ के सम्बन्ध में जो कुछ भी कहा गया, उसे ध्यान में रखते हुए शिक्षण की प्रकृति (Nature) के सम्बन्ध...
शिक्षण की विशेषताएँ (Characteristics of Teaching) शिक्षण की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं। इनमें अनेक का वर्णन योकम तथा सिम्पसन ने अपनी पुस्तक Modern and Techniques of Teaching में भी किया है-...