अयोगवाह | अयोगवाह किसे कहते हैं | अयोगवाह वर्ण | अयोगवाह शब्द

Ayogvah Varn - Ayogwah Varn - Ayogvaah Varn

हिंदी वर्णमाला की “अं (ं)” और “अ: ( ः )” ये दोनों ध्वनियाँ न तो स्वतंत्र स्वर हैं और न ही व्यंजन वर्ण। ये दोनों ही स्वर वर्णों के सहारे चलते हैं। इन्हीं दोनों वर्णों को ही अयोगवाह (Ayogvah) कहते हैं।

  • अं (ं) – यह अनुस्वार कहलाता है।
  • अ: ( ः ) – यह विसर्ग कहलाता है।

अयोगवाह किसे कहा जाता है?

अनुस्वार (ं) और विसर्ग ( ः ) को संयुक्त रूप से अयोगवाह (Ayogwah) कहा जाता है। इनकी “स्वतंत्र” गति नहीं होती है, इसलिये ये स्वर नही हैं। व्यंजनों की तरह ये स्वरों के पहले नहीं, बाद में आते हैं; इसलिये व्यंजन नहीं। वर्णों की दोनों श्रेणियों, मतलब स्वर और व्यंजन में किसी के साथ इनका योग नहीं हैं। इसी वजह से इन दोनों ध्वनियों को ‘अयोगवाह‘ कहते हैं।

अनुस्वार और विसर्ग लेखन की दृष्टि से स्वर और उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन होते हैं। इन दोनों का योग ना ही स्वर के साथ होता है और नाही व्यंजन के साथ, इसीलिए इन्हें ‘आयोग’ कहते हैं, फिर ये एक अलग अर्थ का वहन करते हैं, इसीलिए “आयोगवाह” कहलाते हैं।

अयोगवाह हमेशा स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं होता है, क्यूंकि यह स्वयं में अयोग्य है; सिर्फ साथ चलने में सहयोगी है। हिन्दी वर्णमाला में इसके दो रूप होते हैं – अनुस्वार और विसर्ग।

  1. अनुस्वार (ां)
  2. विसर्ग (ाः)

अनुस्वार (ां)

अनुस्वार हमेशा स्वर के बाद आता है। व्यंजन वर्ण के बाद या व्यंजन वर्ण के साथ अनुस्वार और विसर्ग का प्रयोग कभी नहीं होता है; क्यूंकि व्यंजन वर्णों में पहले से ही स्वर वर्ण जुड़े होते हैं। जैसे – कंगा, रंगून, तंदूर।

अनुस्वार की संख्या 1 है – अं। इसमें ऊपर लगी हुई बिंदु का अर्थ आधा “न्” होता है।

पंचम वर्णों के स्थान पर अनुस्वार

अनुस्वार (ं) का प्रयोग वर्णमाला के प्रत्येक वर्ग के पंचम वर्ण ( ङ्, ञ़्, ण्, न्, म् – ये पंचमाक्षर कहलाते हैं) के स्थान पर किया जाता है। अनुस्वार के चिह्न के प्रयोग के बाद आने वाला वर्ण क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग और प वर्ग में से जिस वर्ग से संबंधित होता है अनुस्वार उसी वर्ग के पंचम-वर्ण के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे –

  • ङ्गा – गंगा,
  • दिनाङ्क – दिनांक,
  • ञ्चम – पंचम,
  • ञ्चल – चंचल,
  • ण्ठ – कंठ,
  • न्धा – कंधा,
  • म्पन – कंपन

अनुस्वार को पंचमाक्षर में बदलने के नियम:

यदि पंचमाक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए तो पंचमाक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे- वाड्.मय, अन्य, चिन्मय, उन्मुख आदि शब्द वांमय, अंय, चिंमय, उंमुख के रूप में नहीं लिखे जाते हैं।

पंचम वर्ण यदि द्वित्व रूप में दुबारा आए तो पंचम वर्ण अनुस्वार में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे – प्रसन्न, अन्न, सम्मेलन आदि के प्रसंन, अंन, संमेलन रूप नहीं लिखे जाते हैं।

जिन शब्दों में अनुस्वार के बाद य, र, ल, व, ह आये तो वहाँ अनुस्वार अपने मूल रूप में ही रहता है। जैसे – अन्य, कन्हैया आदि।

यदि य , र, ल , व – (अंतस्थ व्यंजन) श, ष, स, ह – (ऊष्म व्यंजन) से पहले आने वाले अनुस्वार में बिंदु के रूप का ही प्रयोग किया जाता है चूँकि ये व्यंजन किसी वर्ग में सम्मिलित नहीं हैं। जैसे – संशय, संयम आदि।

हिंदी मानकीकरण बोर्ड के तहत प्रत्येक वर्ग (क, च, ट, त, प) के हर पांचवें वर्ण (ङ, ञ, ण, न, म) की जगह अनुस्वार (ां) के प्रयोग को वरीयता दी गई है। जबकि पांचवे वर्ण को लिखना बिल्कुल भी अशुद्ध या गलत नहीं माना जाता है।

विसर्ग (ाः)

विसर्ग की संख्या एक है- अः। विसर्ग युक्त लगभग सभी शब्द संस्कृत अर्थात तत्सम शब्द माने जाते हैं। विसर्ग हमेशा स्वर के बाद आता है। विसर्ग का उच्चारण करते समय “ह / हकार” की ध्वनि आती है। जैसे- स्वतः, अतः, प्रातः, दुःख इत्यादि।

ह/हकार– का मतलब है कि “स्वतः” को हम “स्वतह” पढ़ते हैं। जबकि स्वतह लिखना अनुचित है। इसका प्रयोग दु:ख, मूलत:, पूर्णतः, स्वतः, निःशुल्क, दु:स्वप्न जैसे शब्दों को लिखने में किया जाता है, जो संस्कृत के शब्द होते हैं।

अयोगवाह शब्द – Ayogvah Shabd

आयोगवाह वाले शब्द (Ayogwah Wale Shabd) अनुस्वार और विसर्ग के रूप में अलग-अलग आगे दिए जा रहे हैं।

अनुस्वार (ां) वाले शब्द:

शब्द शब्द शब्द शब्द
अंक खंभा पंखुड़ी लंबी
अंकल खूंखार पंगा लंबू
अंकित खूंटी पंच लहंगा
अंकुर गंगा पंचम लांच
अंकुरित गंगाजल पंचांग लांछन
अंकुश गंगाधाम पंचामृत लोकतंत्र
अंग गंगापुर पंचायत वंचित
अंगद गंगाराम पंजाब वंदन
अंगरक्षक गंभीर पंजीकृत वंदना
अंगार गूंगा पंडित वंश
अंगूर गूंज पंत वंशी
अंगूरी घंटा पंथ वसंत
अंचल घंटाघर पंप वारंट
अंजना घंटी पतंग विलंब
अंजनी चंगा परंपरा शंकर
अंजलि चंचल पलंग शंका
अंजाम चंचला पांचाली शंकु
अंजीर चंद पांडव शंख
अंजू चंदन फंड शांति
अंडरवियर चंदामामा फंदा शिकंजा
अंतकाल चंदू फंदे श्रंगार
अंतर चंदूलाल फांसी संकलन
अंतरंग चंपा बंकर संकुचित
अंतिम चंपारण बंग संकेत
अंधकार चंबल बंगलोर संक्रमण
अंधेरा चांदी बंगाल संक्रांति
अंबे चिंकारा बंजर संख्या
अंशुल चिंतन बंडल संग
अखंड चुकंदर बंता संगठन
अनंत चैंपियन बंद संगम
अभियंता चोंच बंदा संगराम
अमंगल छंद बंदूक संगीत
अलंकार छलांग बंधक संगीन
अवंतिका जंक बंधन संग्रहण
अशांत जंगल बवंडर संघटित
अशांति जंतर बसंत संघर्ष
असंख्य जंप बसंती संचयन
असंभव जयंती बिडंबना संचार
अहं झंझट भंग संचालन
अहंकार झंड भंगार संजना
आंकड़ा झंडा भंगुर संजय
आंच झारखंड भंडार संजीव
आंत टंकी भंवरा संजू
आंतरिक टांका भंवरी संज्ञा
आकांक्षा टांग भयंकर संडे
आडंबर ठंडा भांति संत
आतंक डंक मंगल संतरा
आनंद डंका मंगलम संता
आरंभ डंडा मंचन संतान
इंच डंडी मंजन संतूर
इंजन डांस मंजर संदूक
इंतजार ढंग मंडप संपादक
इंतहा ढोंग मंतर संपादन
इंदु तंग मंत्री संबंध
इंद्र तंत्र मंथन संबल
उंघना तंत्रिका मंदाकिनी संभव
एंड तंबाकू मंदिर संभावना
कंकड़ तंबू महंगा संयम
कंगी तरंग महंगाई संरचना
कंजर तिरंगा महंत संवाद
कंजूस दंग मांग संशय
कंडक्टर दंगा मुंडन संशोधन
कंद दबंग मूंग संसद
कंधा दिसंबर मूंदड़ा संसाधन
कंपनी धंग मोसंबी संसार
कंपास धंधा यंग संस्थान
कंबल नंद यंत्र संस्थापक
करंट नंदन रंक संहार
कलंक नंदलाल रंगत सतरंग
कांग्रेस नंबर रंगदार सरपंच
कांच नवंबर रंगारंग सांप
कांची नारंगी रंजन सांस
कुंभ निमंत्रण रांझा सुंदर
कुसंगत नीलकंठ लंका सुरंग
क्रांतिकारी पंख लंगूर सुसंगत
खंजर पंखा लंबा हंगामा
खंड पंखुड़ियाँ लंबाई हंसना

विसर्ग (ाः) वाले शब्द:

शब्द शब्द शब्द शब्द
अंत: छ: पाठक: रक्षित:
अंत:करण छात्र: पादप: लक्ष्मी:
अंततः जल: पुन: लघु:
अंतरण: दु:स्वप्न पूर्ण: लाभ:
अतः दुःख प्रणाम: वन:
अध: दुःखी प्रातः वस्त्र:
अन्तः दुःशासन प्रायः वानर:
अष्ट: धन: फलतः विभक्ति:
ईश्वर: धूप: बाल: विराम:
एक: नमः बालिका: विशेषत:
एष: नमस्कार: भवत: शंकर:
कर्मण: नि:शक्त भाग: शनै :
कलश: नि:शब्द भुवः शिवा:
कुत: नि:शुल्क भुवन: शुभ:
क्रमशः नि:संकोच भूख: श्वान:
क्षमा: नि:संतान मनोहर: संभवत:
गज: नि:संदेह मात: सुंदरम:
गत: निःसहाय मित्र: स्व:
ग्राम: निःस्वार्थ मिलाप: स्वत:
घाट: निर्गुण: मूलतः हल:
चल: निर्भय: यज्ञ: हस्त:

हिंदी वर्णमाला में अनुस्वार (अं) और विसर्ग (अ:) का विशेष रूप से प्रयोग होता है, इसी वजह से इन्हें अयोगवाह (Ayogvaah) कहा जाता है।

FAQs

1.

आयोगवाह (Ayogvaah) किसे कहते हैं?

अयोगवाह अनुस्वार (ं) और विसर्ग (ः) को कहते हैं, क्योंकि यह ना तो स्वर के अंतर्गत आते हैं और ना ही व्यंजन के अन्तर्गत आते हैं। परंतु इनका प्रयोग स्वर के अंत में अवश्य होता है।

2.

अयोगवाह (Ayogwah) वर्ण कितने प्रकार के होते हैं? उनके नाम लिखें।

अयोगवाह कुल दो होते हैं- अनुस्वार (ं) और विसर्ग (ः) होते हैं।

3.

हिन्दी वर्णों में से 'अयोगवाह' कौन-सा वर्ण है?

अं, अ: Ayogvah वर्ण है।

4.

विसर्ग क्या होता है?

"अ:" को विसर्ग कहते हैं। विसर्ग, ब्रैकेट में जो चिह्न है, (:) इसे पढ़ने में 'ह' विसर्ग के रूप में पढ़ा जाता है।

5.

अनुस्वार क्या होता है?

"अं" को अनुस्वार कहते हैं।

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