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Articles by Editorial Team:

उत्प्रेक्षा अलंकार – परिभाषा, भेद, और उदाहरण, हिन्दी एवं संस्कृत व्याकरण

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उत्प्रेक्षा अलंकार (Utpreksha Alankar) : जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। अर्थात जहाँ पर अप्रस्तुत को प्रस्तुत मान लिया जाए वहाँ पर उत्प्रेक्षा...

रूपक अलंकार – Roopak Alankar परिभाषा उदाहरण अर्थ हिन्दी एवं संस्कृत

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रूपक अलंकार जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त...

श्लेष अलंकार – Shlesh Alankar परिभाषा उदाहरण अर्थ हिन्दी एवं संस्कृत

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श्लेष अलंकार की परिभाषा जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आये पर उसके अर्थ अलग अलग निकलें वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है। अर्थात श्लेष का अर्थ होता...

छेकानुप्रास अलंकार (Chhekanupras Alankar)

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छेकानुप्रास अलंकार की परिभाषा जहाँ पर स्वरुप और क्रम से अनेक व्यंजनों की आवृति एक बार हो वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है। यह Alankar, शब्दालंकार...

संस्कृत अलंकार – Alankar in Sanskrit, काव्य सौंदर्य, संस्कृत व्याकरण

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‘अलंकार शब्द’ ‘अलम्’ और ‘कार’ के योग से बना है, जिसका अर्थ होता है- आभूषण या विभूषित करनेवाला । शब्द और अर्थ दोनों ही काव्य के शरीर माने जाते हैं...

यमक अलंकार – परिभाषा, अर्थ, भेद और उदाहरण – हिन्दी, संस्कृत

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यमक अलंकार यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है। प्रयोग किए गए शब्द का अर्थ हर बार अलग होता है।...

अनुप्रास अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण – hindi, sanskrit

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अनुप्रास अलंकार अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु + प्रास। यहाँ पर अनु का अर्थ है- ‘बार-बार’ और प्रास का अर्थ होता है- ‘वर्ण’। जब किसी...

हिन्दी के प्रमुख कवि या लेखक और रचनाएँ – पद्य लेखक

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पद्य (काव्य, कविता), साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास...

शब्द युग्म – Shabd Yugm की परिभाषा, उदाहरण और अर्थ

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शब्द-युग्म (Shabd Yugm) : हिंदी में अनेक प्रकार के ऐसे शब्द होते हैं जिनका उच्चारण एक समान होता है, परंतु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं, ऐसे ही शब्द ‘युग्म-शब्द’ कहलाते...

णिजन्त प्रकरण – संस्कृत में प्रेरणार्थक क्रिया – संस्कृत व्याकरण

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Preranarthak Kriya प्रेरणार्थक क्रिया तट्प्रयोजको हेतुश्च – प्रेरणार्थक में धातु के आगे ‘णिच्‘ प्रत्यय का प्रयोग होता है। जब कर्त्ता किसी क्रिया को स्वयं ना करके किसी अन्य को करने...