आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) : संभावनाएं, चुनौतियां और भारत में इसका विकास

इस लेख में जानिए AI के प्रकार, इसके अनुप्रयोग, भारत में इसके विकास की दिशा और सरकार की नीतियों के साथ-साथ इससे जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में। समझें कैसे AI भविष्य में नौकरियों को प्रभावित कर सकता है।

Artificial Intelligence - AI in Hindi - Kritrim Buddhimata

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence: कृत्रिम बुद्धिमता) का आरंभ 1950 के दशक में हुआ था और आज यह विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति ला रहा है। इस लेख में जानिए AI के प्रकार, इसके अनुप्रयोग, भारत में इसके विकास की दिशा और सरकार की नीतियों के साथ-साथ इससे जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में। समझें कैसे AI भविष्य में नौकरियों को प्रभावित कर सकता है और क्यों इस तकनीक के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का समुचित विश्लेषण आवश्यक है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?

1950 के दशक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की नींव रखी गई थी। इसका तात्पर्य कृत्रिम रूप से विकसित बौद्धिक क्षमता से है। इस तकनीक के माध्यम से कंप्यूटर या रोबोटिक सिस्टम का निर्माण किया जाता है, जिन्हें मानव मस्तिष्क के समान तर्कों पर कार्य करने के लिए प्रोग्राम किया जाता है। जॉन मैकार्थी, जिन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक माना जाता है, के अनुसार, यह बुद्धिमान मशीनों और कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने का विज्ञान है। यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित बौद्धिक क्षमता है।

यह विधि कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या मानव समान सोचने वाले सॉफ़्टवेयर बनाने पर केंद्रित है। यह अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है, सीखता है और निर्णय लेता है। सरल भाषा में, इस विषय पर स्टार वार, मैट्रिक्स, आई रोबोट, टर्मिनेटर, ब्लेड रनर जैसी हॉलीवुड फ़िल्में इस अवधारणा को स्पष्ट करती हैं। 1997 में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त एक प्रणाली ने शतरंज के महान खिलाड़ी गैरी कास्पारोव को हराया था।

सरकार का समर्थन

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट में घोषणा की थी कि केंद्र सरकार का थिंकटैंक नीति आयोग शीघ्र ही एक राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम (National Artificial Intelligence Program-NAIP) की रूपरेखा तैयार करेगा। इससे पहले, चीन ने अपने त्रिस्तरीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की योजना प्रस्तुत की थी, जिसका लक्ष्य 2030 तक इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व हासिल करना है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इसमें सरकार के प्रतिनिधियों के साथ-साथ शिक्षाविदों और उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। सरकार ने फिफ्थ जनरेशन टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स के लिए 480 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3D प्रिंटिंग और ब्लॉकचेन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, बिग डेटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्रों में शोध, प्रशिक्षण, और मानव संसाधन विकास को बढ़ावा देने की योजना बना रही है।

आरंभिक चरण

1950 के दशक में इसकी शुरुआत हुई, लेकिन 1970 के दशक में इसे महत्व मिला। जापान ने 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना शुरू की, जिसके तहत सुपर कंप्यूटर के विकास का 10-वर्षीय कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इसके बाद, ब्रिटेन ने ‘एल्वी’ प्रोजेक्ट और यूरोपीय संघ ने ‘एस्प्रिट’ नामक कार्यक्रम की शुरुआत की। 1983 में, माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी संघ की स्थापना की गई, जिसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए उन्नत तकनीकों का विकास किया।

7-सूत्री रणनीति

केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2017 में एक 7-सूत्री रणनीति की घोषणा की थी, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भारत में लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें शामिल हैं:

  • मानव और मशीन की बातचीत के लिए नई विधियाँ विकसित करना।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अनुसंधान के साथ एक कुशल कार्यबल का निर्माण करना।
  • AI प्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक, कानूनी और सामाजिक प्रभावों को समझना।
  • मानक और बेंचमार्क के माध्यम से AI का मूल्यांकन करना।

टेक्नोलॉजिकल सिंगुलैरिटी

विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास होगा, जो मानव मस्तिष्क से भी अधिक तेज़ होगी। 2045 तक, मशीनें आत्मसुधार की क्षमता प्राप्त कर लेंगी और मानव सभ्यता का मार्ग हमेशा के लिए बदल सकता है।

भारत में AI की संभावनाएँ

भारत में AI अभी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन इसके विकास की संभावनाएँ प्रचुर हैं। सरकार इसे सुशासन के लिए विभिन्न क्षेत्रों में लागू करने की इच्छुक है और उद्योग जगत से इस दिशा में सहयोग की अपील की है। उद्योग जगत ने एक AI नियामक प्राधिकरण स्थापित करने की सिफारिश की है, जो इस क्षेत्र की निगरानी करेगा और प्राथमिकता के आधार पर AI का उपयोग सुनिश्चित करेगा।

क्लीन डेटा की आवश्यकता

उद्योग जगत का मानना है कि हर क्षेत्र के लिए समाधान विकसित करने हेतु सबसे पहले स्वच्छ डेटा की आवश्यकता है। सरकार को नीतिगत प्राथमिकताओं का निर्धारण करना होगा, जिससे उन क्षेत्रों की पहचान की जा सके जहाँ AI का तुरंत उपयोग किया जा सकता है।

AI के प्रमुख अनुप्रयोग

  • कंप्यूटर गेमिंग
  • प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण
  • विशेषज्ञ प्रणाली
  • दृष्टि प्रणाली
  • वाक् पहचान
  • बुद्धिमान रोबोट

AI के प्रकार

  • पूर्णतः प्रतिक्रियात्मक (Purely Reactive)
  • सीमित स्मृति (Limited Memory)
  • मस्तिष्क सिद्धांत (Brain Theory)
  • आत्म-चेतना (Self Consciousness)

सावधानी बरतने की आवश्यकता

AI से समाज में व्यापक परिवर्तन आएंगे। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसार, अगले दो दशकों में केवल अमेरिका में 1.5 लाख नौकरियाँ समाप्त हो सकती हैं। सोचने-समझने वाली मशीनें मानवता के लिए खतरा बन सकती हैं। अतः, AI के विकास और उपयोग में सतर्कता आवश्यक है।

चीन में स्थिति

चीन में गूगल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केंद्र स्थापित किया है, जो एशिया का पहला AI अनुसंधान केंद्र है। गूगल शेनझेन में एक नया कार्यालय भी खोल रहा है ताकि AI अनुसंधान समुदाय को प्रोत्साहित किया जा सके।

Reskilling की आवश्यकता

बुद्धिमान मशीनों से रोजगार की समस्या उत्पन्न हो सकती है, लेकिन यह कौशल सुधार का भी अवसर है। विशेषज्ञ कौशल प्रशिक्षण और अवसंरचना विकास आवश्यक है ताकि लोग नई तकनीकों के अनुरूप स्वयं को ढाल सकें।


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दशकों से चर्चा का विषय रहा है। तकनीक विकास को गति देने में सहायक है, लेकिन इसके प्रभावों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण जरूरी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि AI को सही तरीके से नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह मानव सभ्यता के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके लाभ और हानि के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।

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