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Articles by Editorial Team:

वैदिक संस्कृत – वैदिक संस्कृत का इतिहास, साहित्य, व्याकरण एवं विशेषताएं

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वैदिक संस्कृत (Vaidik Sanskrit : 2000 ई.पू. से 800 ई.पू. तक) एक ‘प्राचीन भारतीय आर्य भाषा (2000 से 500 ई.पू.)’ है, जिसका प्राचीनतम नमूना वैदिक-साहित्य में दिखाई देता है। वैदिक...

तक्षशिला यूनिवर्सिटी – दुनियाँ के सबसे पुराने विश्वविद्यालय का इतिहास

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तक्षशिला विश्वविद्यालय सबसे प्रसिद्ध और विश्व का पहला विश्वविद्यालय था। तक्षशिला, पंजाब, पाकिस्तान के तक्षशिला शहर में स्थित प्राचीन भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है। यह इस्लामाबाद और रावलपिंडी से लगभग 32 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है।

संदेह और भ्रांतिमान अलंकार युग्म में अंतर

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संदेह और भ्रांतिमान जहां समानता के कारण अनिश्चय की स्थिति बनी रहती है वहां सन्देह अलंकार होता है। यथा- कैघों व्योम बीथिका भरे हैं भूरि धूमकेतु वीर रस वीर तरवारि...

उपमा और उत्प्रेक्षा अलंकार युग्म में अंतर

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उपमा और उत्प्रेक्षा उपमा में उपमेय और उपमान की समानता गुण, धर्म, क्रिया आदि के आधार पर बताई जाती है यथा- फूलों सा चेहरा तेरा यहां चेहरे (मुख) की तुलना...

उपमा और रूपक अलंकार युग्म में अंतर | Upma aur Rupak Me Antar

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उपमा और रूपक उपमा में उपमेय और उपमान की समानता बताई जाती है, यथा- हरि पद कोमल कमल से यहां ईश्वर के चरणों की समानता कमल की कोमलता से बताई...

यमक और श्लेष अलंकार युग्म में अंतर | Yamak aur Shlesh Mein Antar

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यमक और श्लेष यमक अलंकार में शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त होता है और प्रत्येक बार उसका अर्थ अलग होता है; यथा- नगन जड़ाती थीं वे नगन जड़ाती हैं।...

कारणमाला अलंकार – कारणमालालंकारः – KARAN MALA – ALANKAR

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कारणमाला अलंकार (कारणमालालंकारः) परिभाषा: ‘यथोत्तरं चेत्पूर्वस्य पूर्वस्यार्थस्य हेतुता। तदा कारणमाला स्यात्’ – जहाँ अगले-अगले अर्थ के पहले-पहले अर्थ हेतु हों, वहाँ कारणमालालंकार होता है। (यह अलंकार, हिन्दी व्याकरण(Hindi Grammar) के...

पर्याय अलंकार – पर्यायालंकार, हिन्दी & संस्कृत, व्याकरण

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पर्याय अलंकार (पर्यायालंकार) परिभाषा: “एक क्रमेणानेकस्मिन् पर्यायः” – एक क्रम से अनेक में पर्यायालंकार होता है। यह अलंकार, हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के अलंकार के भेदों में से एक हैं।...

काव्यलिंग अलंकार – Kavyalinga Alankar परिभाषा, भेद और उदाहरण – हिन्दी

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काव्यलिंग अलंकार परिभाषा: हेतु का वाक्यार्थ अथवा पदार्थ रूप में कथन करना ही काव्यलिङ्गालङ्कार है। अर्थात जहाँ पर किसी युक्ति से समर्थित की गयी बात को काव्यलिंग अलंकार कहते हैं...