रस

काव्य को पढ़ने या  सुनने से जिस आनन्द  की अनुभूति होती है,  उसे रस कहा जाता है।

उदाहरण

बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करै भौंहनि हँसै,  दैन कहै नहि जाय।

श्रृंगार रस

नायक नायिका के सौंदर्य  तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रंगार रस कहते हैं।

उदाहरण

बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करै भौंहनि हँसै,  दैन कहै नहि जाय।

स्थाई भाव = रति

हास्य रस

Ras In Hindi

वेशभूषा, वाणी आदि कि  विकृति को देखकर मन में जो  प्रसन्नता का भाव उत्पन्न होता है, उससे हास की उत्पत्ति  होती है इसे ही हास्य रस  कहते हैं।

उदाहरण

बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।

स्थायी भाव = हास

रौद्र रस

स्थायी भाव = क्रोध

जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं।

उदाहरण

श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे। सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे॥

करुण रस

स्थायी भाव = शोक

किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं।

रही खरकती हाय शूल-सी, पीड़ा उर में दशरथ के। ग्लानि, त्रास, वेदना - विमण्डित, शाप कथा वे कह न सके।।

उदाहरण

वीर रस

स्थायी भाव = उत्साह

जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।

उदाहरण

बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।।

अद्भुत रस

उदाहरण

स्थायी भाव = आश्चर्य

जब ब्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होते हैं उसे ही अदभुत रस कहा जाता है।

देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया। क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया॥

 वीभत्स  रस

उदाहरण

स्थायी भाव = जुगुप्सा

घृणित वस्तुओं, घृणित चीजो या घृणित व्यक्ति को देखकर या उनके संबंध में विचार करके या उनके सम्बन्ध में सुनकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।

आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते, शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते।

भयानक रस

उदाहरण

स्थायी भाव = भय

जब किसी भयानक या बुरे व्यक्ति या वस्तु को देखने या उससे सम्बंधित वर्णन करने या किसी दुःखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता अर्थात परेशानी उत्पन्न होती है उसे...

अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों के हिलाते कंकाल, कचो के चिकने काले, व्याल, केंचुली, काँस, सिबार।

 शांत रस

उदाहरण

स्थायी भाव = निर्वेद

ज्ञान कि प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर मन को जो शान्ति मिलती है। वहाँ शान्त रस कि उत्पत्ति होती है।

जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं, सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं।

भक्ति रस

उदाहरण

स्थायी भाव = देव रति

अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई, मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई।

वात्सल्य रस

उदाहरण

स्थायी भाव = वात्सल्यता

माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम आदि का भाव स्नेह कहलाता है यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।

बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति, अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति।