माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम आदि का भाव स्नेह कहलाता है यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।
बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति,
अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति।